Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Set 2

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Board – Central Board of Secondary Education, cbse.nic.in
Subject – CBSE Class 9 Hindi A
Year of Examination – 2019.

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Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Set 2

हल सहित
सामान्य निर्देश :

  • इस प्रश्न-पत्र में चार खण्ड है – क, ख, ग, घ |
  • चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • यथासंभव प्रत्येक खण्ड के क्रमशः उत्तर दीजिए |

खण्ड ‘क’ : अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
किसी भी राष्ट्र के सभ्यता एवं संस्कृति के निर्माण तथा विकास में नारी का योगदान महत्वपूर्ण होता है। युगों-युगों का इतिहास अपने किसी-न-किसी अंश में नारी के गौरव को प्रतिष्ठित करता रहा है। मानव जीवन का प्रत्येक क्षेत्र नारी के अभाव में अपूर्ण है। नारी शक्ति है, प्रेरणा है और जीवन की आवश्यक पूर्ति है। नारी गृहस्थ का केन्द्र बिन्दु तथा परिवार की आधारशिला है। समाज का महत्वपूर्ण अंग है अत: नारी को महत्ता देने के लिए सन् 1818 में 8 मार्च को पहली बार सम्मेलन में इस दिन को ‘महिला दिवस’ के रूप में स्वीकार किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1975 को “अन्तर्राष्ट्रीय महिला वर्ष” और 1980 को “महिला विकास वर्ष” घोषित किया। यही नहीं, 1975 से 85 का दशक “अन्तर्राष्ट्रीय महिला दशक” घोषित कर एक ऐसे समाज के रूपायन का प्रयास किया जिसमें महिलाएँ आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक जीवन में सही और पूर्ण अर्थों में सहभागी हों।
(क) नारी के योगदान में क्या सम्मिलित नहीं है ?
(ख) नारी की महत्ता को पहचान देने के लिए क्या किया गया है?
(ग) 8 मार्च किस रूप में प्रसिद्ध है?
(घ) गद्यांश में नारी के लिए क्या नहीं कहा गया है?
(ड) ‘अन्तर्राष्ट्रीय’ शब्द में उपसर्ग एवं प्रत्यय हैं?
उत्तर-
(क) नारी के योगदान में अंधविश्वासों की प्रतिष्ठा शामिल नहीं है।
(ख) नारी की महत्ता को पहचान देने के लिए महिला दिवस मनाया गया।
(ग) 8 मार्च महिला दिवस के रूप में प्रसिद्ध है।
(घ) गद्यांश में नारी को रूपायन नहीं कहा गया है।
(इ) अन्तर्राष्ट्रीय शब्द में उपसर्ग है-अन्तर, प्रत्यय है ईय।

2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
निजता की संकीर्ण क्षुद्रता
तेरे सुविपुल में खो जाय,
ओ दुस्सह तेरी दुस्सहता
सहज सपा हमको हो जाय ।
ओ कृतान्त हमको भी दे जा
निज कृतान्तता का कुछ अंश,
नई सृष्टि के नवोल्लास में,
फूट पड़े तेरा विभ्रंश!

नव भूखंड अमृत के घट-सा
दे ऊपर की ओर उछाल
सागर क्रा अन्तस्तल मथ कर
तेरे विप्लव का भूचाल।
जीर्ण शीर्णता के दुर्गों को
कुसंस्कार के स्तूपों को
ढा दे एक साथ ही उठकर
दुर्जय तेरा क्रोध कराल

कुछ भी मूल्य नहीं जीवन का
हो यदि उसके पास न ध्वंस;
ओ कृतान्त हमको भी दे जा
निज कृतान्तता का कुछ अंश।
ओ भैरव, कवि की वाणी का
मृदु माधुर्य लजा दे आज,
वंशी के ओष्ठों पर अपना,
निर्मम शंख बजा दे आज।
(क) ‘संकीर्ण क्षुद्रता’ में क्या सम्मिलित होते हैं?
(ख) ‘नव भूखंड अमृत के घट-सा, दे ऊपर की ओर उछाल’ का क्या आशय है?
(ग) क्रोध कैसा हो?
(घ) जीवन मूल्यवान किसका होता है?
(इ.) ‘कुसंस्कार’ मैं कौन सा उपसर्ग है?
उत्तर-
(क) संकीर्ण शुद्धता में सम्मिलित होते हैं-स्वार्थपूर्ण समाज के रीति-रिवाज।
(ख) ली गई पंक्ति का आशय है-अपने नवीन उत्साह व आत्मविश्वास से लोगों में नया जीवन हो।
(ग) क्रोध इतना भयंकर हो कि उसे जीतना कठिन हो।
(घ) जीवन उसका मूल्यवान होता है जिसने क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं।
(इ.) कुसंस्कार में ‘कु’ उपसर्ग है।

3. (i) निर्देशानुसार उत्तर दीजिए
(क) अनुपम शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग एवं मूल शब्द बताइए।
(ख) अभि उपसर्ग लगाकर एक शब्द बनाइए।
(ग) वैज्ञानिक शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय, मूल शब्द बताइए।
(घ) खोर प्रत्यय लगाकर एक शब्द बनाइए।
(ii) निम्नलिखित शब्दों का विग्रह कर समास का नाम लिखिए–
(क) नरसिंह
(ख) कन्यादान
(ग) राम लक्ष्मण
उत्तर-
(i) (क) ‘अनु’-उपसर्ग, उपमा (उपम)-मूल शब्द
(ख) अभिमान, अभिकर्ता ।।
(ग) ‘इक’-प्रत्यय विज्ञान-मूल शब्द
(घ) जमाखोर, चुगलखोर, चीनीखोर, रिश्वतखोर आदि।
(ii) (क) नरसिंह-सिंह के समान नर – कर्मधारय।
(ख) कन्यादान – कन्या का दान – तत्पुरुष
(ग) राम-लक्ष्मण – राम और लक्ष्मण – द्वंद्ध समास

4. (i) अर्थ के आधार पर निम्नलिखित वाक्यों की पहचान करके उनके भेद लिखिए:
(क) प्रात:काल पूर्वी क्षितिज पर सूर्य की लाली बहुत ही सुंदर प्रतीत होती है।
(ख) यदि वह मुझसे मिलता तो उसका काम अवश्य हो जाता।
(ii) निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए
(क) मजदूरों ने काम कर लिया है। (निषेधवाचक में)
(ख) मेरी बहन सरला अपनी सहेली के घर गई है। (संदेहवाचक में)
उत्तर-
(i) (क) विधानवाचक
(ख) संकेतवाचक
(ii) (क) मजदूरों ने काम नहीं किया है।
(ख) हो सकता है मेरी बहन सरला अपनी सहेली के घर गई हो।

5. निम्नलिखित पदयांशों में प्रयुक्त अलंकारों की पहचान कर उनके नाम लिखिए
(क) वह इष्टदेव के मंदिर की पूजा-सी।
(ख) अंबर के तारे मानो मोती अनगन हैं।
(ग) प्रश्न-चिन्हों में उठी हैं भाग्य-सागर की हिलोरें।
(घ) संसार की समर-स्थली में धीरता धारण करो।
उत्तर-
(क) उपमा अलंकार
(ख) उत्प्रेक्षा अलंकार
(ग) रूपक अलकार
(घ) अनुप्रास अलंकार।

खण्ड ‘ग’ : पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्य पुस्तक
6. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
फिर एक हमारा छोटा भाई हुआ वहाँ, तो ताई साहिबा ने पिताजी से कहा-‘देवर साहब से कहो, वो मेरा नेग ठीक करके रखें।’ मैं शाम को आऊँगी।’ वे कपड़े-वपड़े लेकर आई।
हमारी माँ को वे दुल्हन कहती थीं। कहने लगीं, ‘दुल्हन, जिनके ताई-चाची नहीं होती हैं। वो अपनी माँ के कपड़े पहनते हैं, नहीं तो छह महीने तक चाची-ताई पहनाती हैं। मैं इस बच्चे के लिए कपड़े लाई हूँ। यह बड़ा सुन्दर है। मैं अपनी तरफ से इसका नाम ‘मनमोहन’ रखती हूँ।
(क) परिवार का सा परस्पर स्नेह रिश्तों को किस प्रकार सुदृढ़ करता है? गद्यांश के
आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ख) ताई साहिबा का व्यवहार दोनों परिवारों को जोड़ने में कैसे सहायक था? बताइए।
(ग) ‘दुल्हन’ कहकर कौन किसे संबोधित करता था?
उत्तर-
(क) जन्म अथवा जन्मदिन पर परिवार के लोगों द्वारा आशीर्वाद स्वरूप कुछ उपहार देना या नेग देना, परिवार के लोगों के संबंधों को और गहरा करते हैं।
व्याख्यात्मक हल :
परिवार का सा परस्पर स्नेह जाति से ऊपर उठकर लोगों को इतना करीब ला देता है कि वे अपने से लगने लगते हैं। जैसे ताई साहिबा कहने को तो मुस्लिम जाति की पड़ोसी महिला थीं, किन्तु लेखिका के परिवार से उनके बहुत घनिष्ठ संबंध थे। वह अक्सर लेखिका के यहाँ उपहार लेकर आती रहती थी।

(ख) भारतीय संस्कृति धर्म, जाति, भाषा, संप्रदाय में भेद- नहीं करती।
व्याख्यात्मक हल : ताई साहिबा लेखिका के परिवार से बहुत स्नेह रखती थीं। वे अक्सर उनके घर आया करती थीं। वे लेखिका के भाई के जन्म के अवसर पर उसके लिए कपड़े भी लाई। इस प्रकार से उनके इस मधुर व्यवहार को वह जातिपात भेदभाव को नहीं मानती थीं।

(ग) ताई साहिबा, लेखिका की माँ को।
व्याख्यात्मक हल :
‘दुल्हन’ कहकर ताई साहिबा लेखिका की माँ को संबोधित करती थीं।

7. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-
(क) किन-किन प्रसंगों से ज्ञात होता है कि गुरुदेव का पक्षियों और प्रकृति से प्रगाढ़ सम्बन्ध था? ‘एक कुत्ता और एक मैना” पाठ के आधार पर लिखिए।
(ख) सेनापति ‘हे’ ने मैना देवी को क्या दिलासा दी?
(ग) “सभी नदियाँ पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं” पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
(घ) लेखक विवेदी जी को लंगड़ी मैना अन्य साथियों से किस प्रकार भिन्न जान पड़ी थी? पठित पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
(क) मैना, कौए, कुत्ता – कविता लिखना, हाल जानना।
व्याख्यात्मक हल :
बगीचे में टहलते हुए एक-एक फूल और पते को ध्यान से देखना, आश्रम में कौए न दिखाई देने की ओर इशारा करना, डूबते हुए सूर्य को ध्यान से देखना, बगीचे में हर रोज फुदकने वाली मैना के चेहरे के करुण भाव को समझना आदि से ज्ञात होता है कि गुरुदेव का पक्षियों और प्रकृति से प्रगाढ़ संबंध था।

(ख) सेनापति ‘हे’ ने मैना देवी को यह दिलासा दी कि वैसे तो मैं जिस सरकार का नौकर हूँ, उसकी आज्ञा नहीं टाल सकता, परन्तु फिर भी मैं तुम्हारी व इस महल की रक्षा करने का प्रयत्न करूंगा।

(ग) सभी नदियाँ पहाड़ को फोड़कर रास्ता नहीं बनाती ‘अपितु रास्ता बदलकर निकल जाती हैं। समाज की बुराइयों व रूढ़िवादी परम्पराओं को देखकर भी बहुत से विचारवान लोग कुछ नहीं रहते हैं। प्रेमचंद जी ने ऐसे लोगों पर व्यंग्य किया है, यह उनका ठोकर मारना था।
व्याख्यात्मक हल :
प्रेमचंद ने समाज की कुरीतियों से जूझने की प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया है। वह कहते हैं कि उनसे संघर्ष करने की अपेक्षा प्रेमचंद को अपना मार्ग ही बदल लेना चाहिए था, जिससे उन्हें कष्ट भी नहीं होता और राह भी आसान हो जाती।

(घ) दल से अलग रहने के कारण।
व्याख्यात्मक हल :
यह अन्य मैनाओं के साथ मिलकर उछल-कूद या बक-झक नहीं करती। इसके हृदय में कोई न कोई गाँठ है। परन्तु न तो इसकी आँखों में किसी के प्रति शिकायत है, न क्रोध है और न वैराग्य। लगता है, यह अभागी अपने यूथ से भ्रष्ट होकर समय काट रही है।

8. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
और पैरों के तले है एक पोखर,
उठ रहीं इसमें लहरियाँ,
नील तल में जो उगी है घास भूरी
ले रही वह भी लहरियाँ।
एक चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा
आँख को है चकमकाता।
हैं कई पत्थर किनारे
पी रहे चुपचाप पानी,
प्यास जाने कब बुझेगी!
चुप खड़ा बगुला डुबाए टॉग जल में,
देखते ही मीन चंचल
ध्यान-निद्रा त्यागता है,
चट दबा कर चोंच में
नीचे गले में डालता है।
(क) पोखर में किसका प्रतिबिम्ब दिखाई दे रहा था? वह कैसा लग रहा था?
(ख) पत्थरों को प्यासा कहने के पीछे क्या कारण है?
(ग) बगुला किसे देख अपना ध्यान भंग करता है?
उत्तर-
(क) सूर्य का, चाँदी के गोल खंभे के समान चमकता हुआ। पोखर में सूरज का प्रतिबिम्ब दिखाई दे रहा था। वह चाँदी के बड़े गोल खंभे के समान लग रहा था।
(ख) लहरों के बार-बार आने जाने से किनारे पड़े पत्थर गीले होते हैं फिर सूख जाते हैं, मानी बार-बार पानी पाना चाहत हैं, बहुत पयासे हैं।
व्याख्यात्मक हल :
पत्थर लम्बे समय से पानी में पड़े हुए हैं, अत: कवि को लगता है जैसे वे चुपचाप पानी पी रहे हैं। इसलिए उसने पत्थरों को प्यासा कहा है।
(ग) पानी पर तैरती मछली को।
व्याख्यात्मक हल :
बगुला ध्यानमग्न होकर मछली की ताक में रहता है, जैसे ही मछली उसके पास आती है, वह अपना ध्यान भंग करता है।

9. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-
(क) कवि गेंदों के समाप्त होने का प्रश्न उठाकर क्या कहना चाहता है? “बच्चे काम पर जा रहे हैं” कविता के आधार पर लिखिए।
(ख) “मेघ आए’ कविता में कौन किससे क्षमा याचना कर रहा है और क्यों?
(ग) ‘आज जिधर भी पैर करके सोओ” से कवि देवताले की सोच में किस परिवर्तन का पता चलता है?
(घ) ‘बाल-श्रम असफलता सरकार की है या हमारी” ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। पाठ के
आधार पर तर्क सहित विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर-
(क) बच्चों को खेल से वंचित करना।
व्याख्यात्मक हल :
बाल-मजदूरों की अभी खेलने की उम्र है, उन्हें काम-काज में नहीं डालना चाहिए, कवि समाज को इससे परिचित कराना चाहता है। बच्चों का बचपन लौटाया जाना

(ख) पत्नी पति से, न आने का भय, आगमन ।
व्याख्यात्मक हल : | लता रूपी नायिका अपने बादल रूपी प्रियतम से क्षमा याचना कर रही हैं, क्योंकि उसे भ्रम था कि उसका प्रियतम उसे छोड़कर चला गया है और अब नहीं लौटेगा किन्तु उसके आने से लता का यह भ्रम दूर हो गया। इसलिए वह मेघों से क्षमा माँग रही है।
व्याख्यात्मक हल :
पहले के समय में दक्षिण दिशा यमराज की दिशा कहलाती थी, इसलिए उस दिशा में पैर करके सोने को मना किया जाता था, किन्तु वर्तमान समय में हर दिशा दक्षिण दिशा हो गई है। आज जीवन विरोधी ताकतें चारों तरफ फैलती जा रही हैं। भयरूपी दक्षिण दिशा सर्वव्यापक हो गई है। चारों तरफ हिंसा, छेड़-छाड़, लूटपाट, विध्वंस बढ़ गया है।

(घ) सरकारी योजनाएँ पूर्ण रूप से उचित एवं सुचारु। प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य समाज के कदमों में कमी
व्याख्यात्मक हल :
यह असफलता हमारी और सरकार दोनों की है। बच्चों को बाल श्रमिक बनने के लिए हम ही मजबूर करते हैं। हमारी विपरीत आर्थिक परिस्थितियाँ और बच्चों के प्रति हमारी और समाज की असंवेदनशीलता तथा लापरवाही उनसे उनका बचपन छीन कर उन्हें बाल-श्रमिक बना देती है।

10. टिहरी शहरवासियों के लिए माटी वाली का क्या महत्व था? वे माटी वाली को। किस तरह जानते थे ? |
उत्तर-
टिहरी निवासी माटी वाली को भली-भाँति जानते थे। हर घर वाला, बच्चा, किराएदार सब जानते थे क्योंकि हर घर में लाल मिट्टी देने वाली वह अकेली स्त्री थी। उसके बिना टिहरी शहर में चूल्हे जलाना कठिन था। लोगों के सामने रसोई और। भोजन के बाद चूल्हे-चौके की लिपाई करने की समस्या पैदा हो जाएगी। हर घर में रोज लाल मिट्टी की जरूरत पड़ती थी। इसलिए माटी खाने से लाल मिट्टी लाकर हर घर में मिट्टी देने वाली को हर कोई जानता था।

खण्ड ‘घ’ : लेखन |
11. निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर 200-250 शब्दों का निबंध लिखिए।
(क)                                                     नारी और नौकरी
[सिंकेत बिंदु- 1. भूमिका, 2. नौकरी के कारण, 3. जीवन पर प्रभाव, 4. लाभ हानि, 5. उपसंहार]

अथवा

(ख)                                                             स्वस्थ शरीर सबसे बड़ी नियामत
[संकेत बिंदु- 1. भूमिका 2. व्यायाम का तात्पर्य, 3. विषयवस्तु, 4. उपसंहार ]

अथवा

(ग)                                                                              मेरे जीवन का लक्ष्य
[सिंकेत बिंदु- 1. भूमिका 2. मेरा लक्ष्य 3. अनगिनत विकल्प 4. प्राप्त करने के उपाय 5. उपसंहार ]
उत्तर-
(क) नारी और नौकरी
(ख) विषयवस्तु
(ग) भाषा की शुद्धता
व्याख्यामक हल :
नारी समाज का अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं आवश्यक अंग है। आधुनिक युग में नारी को जहाँ अधिक स्वतन्त्रता प्राप्त हुई है वहीं पर अनेक समस्याओं से वह घिर भी गई है। अनेक प्रकार की विषम आर्थिक स्थिति में उसे नौकरी करने को विवश होना पड़ता है। सुबह-सुबह ही कामकाजी नारी की भाग-दौड़ शुरू हो जाती है। जहाँ उसे अपने बच्चों को तैयार करके स्कूल भेजना होता है, वहीं पति के दफ्तर जाने से पहले उनका लंच बॉक्स तैयार रखना पड़ता है। पति के जाने के बाद ही तुरन्त परिवार के शेष कुछ काम भी वह करती है। साथ ही भाग-दौड़ कर अपने दफ्तर के लिए तैयार भी होती है। परिवार की सुख-सुविधा का मुख्य दायित्व नारी पर ही होता है परन्तु कई बार नौकरी के चक्कर में घर की स्थिति अस्त-व्यस्त हो जाती है।

दौड़-भाग करके जल्दबाजी में वह काम पर पहुँचती है, तो वहाँ भी तनाव उनका पीछा नहीं छोड़ता, समय पर दफ्तर न पहुँचने पर एक तो अधिकारियों की डॉट-डपट सुननी पड़ती है, दूसरे मूड खराब होने के कारण सुबह-सुबह कार्यालय का काम भी ढंग से नहीं हो पाता। कार्यालय में भी कई बार उसे घर के कुछ आवश्यक काम पूरे न होने की चिन्ता सताती रहती है। शाम के समय थक-हारकर घर आने पर भी उसे चैन और आराम मिलना असम्भव ही जान पड़ता है। घर में आते ही बच्चों का होमवर्क, खाना बनाना आदि की चिन्ता सताने लगती है। पूरे दिन की इस अफरा-तफरी में उसे अपने लिए कभी वक्त ही नहीं मिल पाता। अत: कहा जा सकता है कि कार्य करने । वाली नारियों में बहुत से नारी सुलभ गुण यथा-दया, करुणा, ममता, स्नेह उस मात्रा में नहीं रहते जैसे आम घरेलू महिलाओं में दिखाई पड़ते हैं।

फिर भी यह कहना अधिक उपयुक्त होगा कि काम करने वाली नारियां अपना, अपने परिवार का और देश का हित कर रही हैं। पढ़ी-लिखी नारी यदि काम नहीं करती तो उसकी अपनी जिन्दगी में कोई आनन्द नहीं रहता। साथ ही आज की इस महँगाई में काम करने वाली नारियाँ ही परिवार और बच्चों का भली-भाँति पालन पोषण कर सकने में सक्षम हो पाती हैं।

अथवा

(ख)                                                                  स्वस्थ शरीर सबसे बड़ी नियामत
जिस देश के नागरिक जितने स्वस्थ और शक्तिशाली होंगे, वह देश भी उतना ही शक्तिशाली और समृद्धिशाली होगा। सम्पन्नता और विपन्न्ता धर्म और अधर्म से। आती है। ‘स्वस्थ शरीर में स्वस्थ आत्मा का निवास संभव है।’ यदि शरीर स्वस्थ न हो तो संसार के सब वैभव आस्वाद भी आनन्द प्राप्त नहीं करते। स्वस्थ शरीर का । अर्थ है कि देह का उचित अनुपात में विकसित होना। छाती चौड़ी हो, गर्दन ऊँची तथा तनी हुई हो, शरीर में लचीलापन, पुट्ठों तथा डोलों में से मजबूती, पेट अन्दर हो तथा आँखों में चमक हो तभी व्यक्ति स्वस्थ माना जाता है।

महर्षि चरक ने व्यायाम का अर्थ स्पष्ट करते हुए लिखा है कि शरीर की जो चेष्टा देह को स्थिर करने एवं उसका बल बढ़ाने वाली हो, उसे व्यायाम कहते हैं। तात्पर्य यह है कि मन को आनन्दित, शरीर को शक्तिशाली और स्फूर्तिमय बनाने के लिए हम जो शारीरिक क्रियाएं करते हैं उन्हीं को व्यायाम कहते हैं।

संसार में सबसे बड़ा धन स्वास्थ्य ही है। एक स्वस्थ व्यक्ति हर वो वस्तु या लक्ष्य प्राप्त कर सकता है जिसे वह प्राप्त करना चाहता है। इसके विपरीत कमजोर स्वास्थ्य वाला और बीमार व्यक्ति सदैव पिछड़ जाता है। अत: उत्तम स्वास्थ प्राप्त करने के लिए व निरोगी । काया के लिए व्यक्ति को नित्य प्रति व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम का सबसे बड़ा लाभ यह है कि व्यायाम से शरीर में स्वस्थ’ खून का संचार होता है और हमारा पाचन-तन्त्र ठीक से काम करने लगता है। हमारे शरीर का एक-एक अंग पुष्ट और मजबूत हो जाता है तथा हमारा मन उल्लास और उमंग से भर जाता है। कहने का अर्थ यह है कि व्यायाम उत्तम स्वास्थ्य की कुंजी है। मानसिक कार्य करने वालों के लिए शारीरिक व्यायाम करना अति आवश्यक है क्योंकि व्यायाम करने से मानसिक थकान दूर होती है।

स्वस्थ शरीर के बिना कोई भी कार्य भली प्रकार सम्पन्न नहीं किया जा सकता है। शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी स्वस्थ मन-मस्तिष्क और शरीर की आवश्यकता होती है। यह सब व्यायाम या खेलकूद से ही प्राप्त किया जा सकता है इसलिए कहा भी गया है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है। स्वस्थ मस्तिष्क ही स्वस्थ विचारों का कोष होता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के मस्तिष्क में सदैव सकारात्मक और स्वच्छ विचार होते हैं।

स्वस्थ व्यक्ति ही संसार के सब आनन्दों का स्वाद ले सकता है। अंग्रेजी में कहा गया है- If Wealth is lost noting is lost, if health is lost Something is lost but if character is lost everything is lost.स्वस्थ रहने के लिए हमें नियमित व्यायाम अवश्य करना चाहिए।

(ग)                                                               मेरे जीवन का लक्ष्य
हरिवंशराय बच्चन की एक कविता की कुछ पंक्तियाँ हैं।
‘पूर्व चलने के बटोही पंथ का निर्माण कर ले।’
जो व्यक्ति अपने लक्ष्य का निर्धारण सोच-समझ कर करता है वह अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करता है। अर्जुन को जैसे चिड़िया की आँख ही दिख रही थी क्योंकि वही उनका लक्ष्य था। सारी इन्द्रियाँ एकाग्रचित करके जब उन्होंने बाण चलाया तो वे लक्ष्य वेध में सफल हुए। |

मेरा लक्ष्य-जीवन का लक्ष्य बहुत सोच-समझकर प्रारम्भ से ही तय करना चाहिए तभी सफलता प्राप्त होती है। जो बार-बार अपना लक्ष्य बदलते रहते हैं, वे अवश्य ही असफल हो जाते हैं। मधुशाला में बच्चनजी कहते है।

राह पकड़ तू एक चला चल
पा जायेगा मधुशाला।।

अनगिनत विकल्प – हर व्यक्ति के सामने अनगिनत लक्ष्य रहते हैं। कोई डॉक्टर बनना चाहता है, कोई इंजीनियर, तो कोई शिक्षक बनना चाहता है, तो कोई फौजी अफसर। व्यक्ति यदि प्रारंभ से ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर ले तो एकाग्रचित होकर उस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु प्रयत्नशील हो जाता है और अन्ततः अपना लक्ष्य पा लेता है। मैंने अपने जीवन का लक्ष्य शिक्षक बनना निर्धारित किया है। शिक्षक बनकर मैं देश की भावी पीढ़ी का मार्गदर्शन कर सकेंगा और चारित्रिक विकास कर अच्छे नागरिक देकर देश सेवा में योगदान दे सकेगा।

हमारे देश में अच्छे शिक्षकों की नितान्त कमी है। यहाँ 100 बच्चों पर भी एक शिक्षक उपलब्ध नहीं है। जबकि विकसित देशों में 20 बच्चों पर ही एक शिक्षक उपलब्ध है। शिक्षा की गुणवत्ता तभी सुधारी जा सकेगी जबकि शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात तक संगत हो। अच्छे, योग्य, कर्मठ, कर्तव्य परायण शिक्षक हमारे विद्यालयों में उपलब्ध हों।

विद्यालय की सफलता उसके शिक्षकों पर निर्भर है। अध्यापन के साथ-साथ उसे अपने विद्यार्थियों में अनुशासन, नैतिकता, चारित्रिक एवं मानवीय मूल्यों का भी विकास करना होता है। साथ ही बच्चों को खेल-कूद में प्रवीण बनाना भी उसका दायित्व है।

उपसंहार- मेरा पूरा प्रयास एक अच्छा शिक्षक बनने की ओर रहेगा। उसके अनुरूप योग्यता अर्जित करूंगा तथा तत्सम्बन्धी परीक्षाओं में पास होकर उच्च शैक्षिक रिकार्ड की ओर मेरा ध्यान प्रारम्भ से रहेगा क्योंकि तभी मैं इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगा। मुझे पूरा विश्वास है कि एक शिक्षक के रूप में, मैं पूर्ण सफलता भी प्राप्त करूंगा। इससे मुझे आत्मसंतोष मिलेगा और देश के प्रति अपने कर्तव्य पालन की तुष्टि भी मिलेगी।

12. आपको छात्रावास में रहकर पढ़ते हुए परेशानी हो रही है अतः आप अलग रहकर पढ़ाई करना चाहते हैं। इस तथ्य से अपने भाई साहब को अवगत कराते हुए उनसे निवेदन कीजिए कि वे आपके लिए विद्यालय के आसपास ही एक कमरे की व्यवस्था करने का कष्ट करें।
उत्तर

1. प्रारंभ और अंत की औपचारिकताएं
2. विषयवस्तुः
3. भाषा

व्याख्यात्मक हल
23, गोरखराय छत्रावास
आगारा
दिनांक 15.9.XXXX
आदरणीय भाई साहब,
सादर चरण स्पर्श ।
मैं आपकी कृपा पाकर कृतार्थ हूँ। आपने अपनी सुविधाओं में कटौती कर मुझे आगे पढ़ने हेतु छात्रावास में रहकर अपनी आगे की पढ़ाई करने की सुविधा प्रदान की है। किन्तु यहाँ छात्रावास में मेरा अध्ययन सुचारु रूप से नहीं चल पा रहा है क्योंकि आसपास रहने वाले कई छात्र सिनेमा आदि के गीत बजाते रहते हैं तथा दिन भर होहल्ला करते रहते हैं।

अच्छा हो यदि आप कॉलेज के पास ही एक कमरे की व्यवस्था मेरे लिए कर दें। जिससे मैं अपना सारा ध्यान पढ़ाई में केन्द्रित कर सक् और उन अवांछनीय तत्वों से दूर भी रह सकें। मुझे पूरा विश्वास है कि आप यह प्रबंध अवश्य कर देंगे। पढ़ाई में । विध्न न आता तो आपसे यह कहने का साहस भी न कर सकता। आदरणीय माताजी, पापाजी को चरण स्पर्श एवं चिन्टू को स्नेह दें। आपके उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी।
आपका अनुज
कुशाग्र शर्मा

13. आज आप की अंतिम परीक्षा है। पढ़ाई से चिंतामुक्त होकर आप अपने मित्र के साथ मस्ती से छुट्टयाँ बिताना चाहते हैं। इस स्थिति पर लगभग 50 शब्दों में संवाद लिखिए।
उत्तर-

(1) विषयवस्तु
(2) प्रस्तुति
(3) भाषा की शुद्धता

व्याख्यात्मक हल:
अमित : मित्र! आज हमारा आखिरी पेपर है।
सोहन : हाँ! आज हम अपने आपको चिंता मुक्त महसूस कर रहे हैं।
अमित : हाँ मित्र! बिल्कुल सही कह रहे हो। मुझे तो ऐसा लग रहा है कि मेरे सिर से बोझ हल्का हो गया हो।
सोहन : सही कहा, कल से पूरे महीने की छुट्टी भी हो जायेगी। वैसे तुम्हारा क्या कार्यक्रम है? मैं तो मम्मी के साथ मामाजी के यहाँजाऊँगा।
अमित : अरे वाह! मैं भी छुट्टियों में अपनी मौसी के यहाँ जाऊँगा। खूब मजा आयेगा हम दोनों साथ-साथ छुट्टियाँ बिताएँगें।
सोहन : अरे हाँ! मैं तो भूल ही गया था कि मेरी बड़ी मामी तुम्हारी मौसी लगती हैं। तब तो खूब मजा आयेगा।हम लोग खूब मस्ती करेंगे।
अमित : अच्छा अब चल, आज का पेपर शुरू होने वाला है।

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