Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Set 1

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Board – Central Board of Secondary Education, cbse.nic.in
Subject – CBSE Class 9 Hindi A
Year of Examination – 2019.

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Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Set 1

हल सहित
सामान्य निर्देश :

  • इस प्रश्न-पत्र में चार खण्ड है – क, ख, ग, घ |
  • चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • यथासंभव प्रत्येक खण्ड के क्रमशः उत्तर दीजिए |

खण्ड ‘क’ : अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
विज्ञान ने मनुष्य की चिन्तन-प्रणाली को भी प्रभावित किया है। इसने मनुष्य को बौद्धिक विकास प्रदान किया है और वैज्ञानिक चिन्तन-पद्धति दी है। वैज्ञानिक चिन्तन से मनुष्य अंधविश्वासों एवं रूढ़ि-परम्पराओं से मुक्त होकर स्वस्थ एवं सन्तुलित ढंग से चिन्तन कर सकता है। इसने मनुष्य के मन में युगों के अंधविश्वासों, दकियानूसी विचारों, भय और अज्ञानता को दूर कर दिया है। इसे विज्ञान की सर्वाधिक उल्लेखनीय देन कहा जा सकता है। विज्ञान धरती और समुद्र के अनेक रहस्यों को जान लेने के बाद अन्तरिक्ष लोक में प्रविष्ट हुआ है। अन्तरिक्ष लोक के रहस्यों को जानने के लिए वैज्ञानिकों ने अनेक अन्तरिक्ष-यानों और कृत्रिम उपग्रहों को आकाश में छोड़ा है तथा अमेरिका के वैज्ञानिक चन्द्रलोक तक पहुँचने में समर्थ हो सके हैं।
(क) उक्त गद्यांश का शीर्षक बताइए
(ख) वैज्ञानिक चिन्तन से क्या परिवर्तन हुआ है?
(ग) अंतरिक्ष लोक के रहस्य मनुष्य ने किस प्रकार जाने हैं?
(घ) विज्ञान ने किन-किन स्थानों के रहस्य को उजागर किया है?
(ड) विज्ञान ने क्या दूर कर दिया है?
उत्तर-
(क) उचित शीर्षक है-विज्ञान और मनुष्य।
(ख) वैज्ञानिक चिन्तन से मानव अंधविश्वासों, रूढ़ि परम्पराओं से मुक्त होकर स्वस्थ एवं संतुलित ढंग से चिन्तन करने लगा है।
(ग) अंतरिक्ष लोक के रहस्य जानने के लिए उसने अन्तरिक्ष यानों एवं कृत्रिम उपग्रहों को आकाश में छोड़ा है।
(घ) विज्ञान ने धरती, समुद्र, अन्तरिक्ष के अनेक रहस्यों को उजागर किया है।
(इ) विज्ञान ने अंधविश्वासों, दकियानूसी विचारों, भय और अज्ञानता को दूर कर दिया है।

2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िये और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
खेत और खलिहान तुम्हारे,
ये पहाड़, जंगल, उपवन,
ये नदियाँ, ये ताल सरोवर,
गाते हैं विप्लव गायन!
उत्तर में गा रहा हिमाचल,
दक्षिण में वह सिंधु गहन
सभी गा रहे हैं, लो आया।
यह लोलित जागरण प्रहर !

गंगा गाती कल-कल ध्वनि में,
भारत के कल की बातें,
यमुना गाती है कल-कल कर
बीत गई कल की रातें,
साबरमती गरज कर बोली
अब कैसी निशि की छतें
दिन आया, अपना दिन आया,
यों गाती है लहर-लहर!

उत्तर से दक्खिन पूरब से
पश्चिम तक तुम एक, अरे !
भेदभाव से परे एक ही
रही तुम्हारी रोकटोक अरे!
एक देश है, एक प्राण तुम,
तुम हो नहीं अनेक अरे!
खोलो निज लोचन, देखो यह
खिली एकता ज्योति प्रखर!
(क) गंगा, यमुना, साबरमती नदियाँ कल-कल ध्वनि से क्या संदेश देती हैं?
(ख) एकता की ज्योति प्रखर का क्या आशय है?
(ग) इस काव्यांश का क्या संदेश है?
(घ) यमुना गाती है कल-कल कर बीत गई कल की रात में कौन-सा अलंकार है?
(ड) प्रहर शब्द में कौन-सा उपसर्ग है?
उत्तर-
(क) गंगा, यमुना और साबरमती कल-कल ध्वनि से आने वाले कल के भारत की समृद्धि क्रांति के गीत गाती हैं जो अंधेरी रात बीत गई हैं उनके गीत नहीं गातीं।
(ख) एकता की ज्योति का आशय है कि भेदभावों को भूलकर एकता को महसूस करो।
(ग) कविता का मूल संदेश है कि भेद होते हुए भी भारत एक है।
(घ) कल-कल = कलकल ध्वनि, कल = भूतकाल अत: यमक अलंकार है।
(इ) प्रहर शब्द में ‘प्र’ उपसर्ग है।

खण्ड ‘ख’ : व्याकरण
3. (i) निर्देशानुसार उत्तर दीजिए
(क) ‘प्रत्यारोप’ शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग और मूल शब्द लिखिए।
(ख) ‘अभि’ उपसर्ग लगाकर एक शब्द बनाइए।
(ग) ‘सादगी’ शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय और मूल शब्द लिखिए।
(घ) ‘नी’ प्रत्यय लगाकर एक शब्द बनाइए।
(ii) निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह कर समास का नाम लिखिए-
(क) पंचवटी
(ख) शश्वेतांबर
(ग) नीलकोठ
उत्तर-
(i)
(क) प्रति-उपसर्ग, आरोप-मूल शब्द
(ख) अभिमान
(ग) गी-प्रत्य, सादा-मूल शब्द
(घ) ओढ़नी, कतरनी, मोरनी, शेरनी आदि।
(ii)
(क) पंचवटी-पाँच वृक्षों का समाहार-विगु समास
(ख) श्वेतांबर-श्वेत हैं जो अंबर-कर्मधारय
(ग) नीला है कोठ जिसका अर्थात-शिव- (बहुब्रीहि समास)

4. (i) अर्थ के आधार पर निम्नलिखित वाक्यों की पहचान करके उनके भेद लिखिए-
(क) आपको जीवन में सदा सफलता मिले
(ख) उफ! पेट में बहुत दर्द हो रहा है ।
(ii) निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलए:
(क) स्वामी जी ने शिकागो जाने का निश्चय किया। (संदेहवाचक में)
(ख) कल हम मेला देखने जाएंगे। (निषेधवाचक में)
उत्तर-
(i) (क) इच्छवाचक
(ख) विस्मयवाचक
(ii) (क) शायद स्वामी जी ने शिकागो जाने का निश्चय किया हो?
(ख) कल हम मेला देखने नहीं जायेंगे।

5. निम्नलिखित पद्यांशों में प्रयुक्त अलंकारों की पहचान कर उनके नाम लिखिए
(क) वह दीप-शिखा-सी शांत भाव में लीन
(ख) को घटि ये वृषभानुजा वे हलधर के वीर
(ग) दृग पग पोंछन को करे भूषन पायंदाज
(घ) एक सुंदर सीप का मुँह था खुला।
उत्तर-
(क) उपमा अलंकार 83:3:
(ख) श्लेष अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) अनुप्रास अलंकार

खण्ड ‘ग’ : पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्य पुस्तक
6. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
आज से कई वर्ष पहले गुरुदेव के मन में आया कि शांतिनिकेतन को छोड़कर कहीं अन्यत्र जाएं। स्वास्थ्य बहुत अच्छा नहीं था। शायद इसलिए, या पता नहीं क्यों, तै। पाया कि वे श्रीनिकेतन के पुराने तिमंजिले मकान में कुछ दिन रहें। शायद मौज में

आकर ही उन्होंने यह निर्णय किया हो। वे सबसे ऊपर के तल्ले में रहने लगे। उन दिनों ऊपर तक पहुँचने के लिए लोहे की चक्करदार सीढ़ियाँ थीं, और वृद्ध और क्षीणवपु रवींद्रनाथ के लिए उस पर चढ़ सकना असंभव था। फिर भी बड़ी कठिनाई से उन्हें वहाँ ले जाया जा सका।
(क) ‘गुरुदेव’ किसके लिए प्रयुक्त किया गया है और उन्होंने स्थान परिवर्तन का मन क्यों बनाया था?
(ख) स्थान-परिवर्तन करके गुरुदेव कहाँ गए? वहाँ का मकान कैसा था ?
(ग) श्रीनिकेतन में गुरुदेव को क्या परेशानी हुई थी? बताइए।
उत्तर-
(क) रवींद्रनाथ टैगोर, स्वास्थ्य अच्छा न होने के कारण।
व्याख्यात्मक हल : ‘गुरुदेव’ गुरु रविन्द्रनाथ टैगोर के लिए प्रयुक्त किया गया है। शांतिनिकेतन पर उनसे मिलने-जुलने वालों का तांता लगा रहता था, इसलिए उन्होंने स्थान परिवर्तन का मन बनाया था। क्योंकि उनका स्वास्थ भी ठीक न था।
(ख) श्रीनिकेतन, तीन मंजिला।
व्याख्यात्मक हल :
स्थान-परिवर्तन करके गुरुदेव श्रीनिकेतन गए। वहाँ का मकान पुराना और तिमंजिला था।
(ग) लोहे की चक्करदार सीढ़ियों से तीसरी मंजिल पर जाने के कारण।
व्याख्यात्मक हल :
श्रीनिकेतन के मकान की सीढ़ियाँ लोहे की व चक्करदार थीं जिस पर चढ़ना उनके लिए परेशानी खड़ी कर देती थी।

7. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-
(क) परमधाम भेजने का अर्थ स्पष्ट करते हुए यह बताइए कि उस समय कन्याओं के साथ ऐसा क्यों होता था?
(ख) सेनापति ‘हे’ के लिए किस बात को कलंक की बात बताया गया था? पठित पाठ के आधार पर लिखिए।
(ग) प्रेमचंद जैसे साहित्यकार की फोटो में उनके फटे जूते देखकर परसाई की मनोदशा पर टिप्पणी कीजिए।
(घ) किसमें एक विचित्र सा आकर्षण होता है?
उत्तर-
(क) लड़कियों का जन्म अशुभ माना जाता था।
व्याख्यात्मक हल :
परमधाम भेजने का अर्थ उन्हें मार देना है। उस समय लड़कियों के साथ भेदभाव किया जाता था। उन्हें लड़कों से कमतर आँका जाता था। इसलिए उन्हें पैदा होते ही मार दिया जाता था।

(ख) वृद्धावस्था में मैना के सौन्दर्य पर मोहित होना।
व्याख्यात्मक हल :
सेनापति ‘हे’ ने अपनी रिपोर्ट में नाना साहब की पुत्री देवी मैना पर दया दिखाने की बात को पार्लियामेंट की ‘हाउस ऑफ लाईस’ सभा ने ‘हे’ का देवी मैना पर मोहित होना मानकर उसे कलंक की बात कही।

(ग) प्रेमचंद जैसे महान कथाकार, उपन्यास-सम्राट, युग-प्रवर्तक की दशा की कल्पना परसाई जी ने नहीं की थी।
व्याख्यात्मक हल :
प्रेमचंद जैसे साहित्यकार की फोटो में उनके फटे जूते देखकर परसाई जी का मन रोने को करता है। उन्हें प्रेमचन्द जैसे महान साहित्यकार की बदहाली से बहुत दुःख होता है। उनके पास विशेष अवसरों पर पहनने के लिए भी अच्छे कपड़े और जूते नहीं थे। उनकी आर्थिक दुरावस्था की कल्पना से लेखक और भी अधिक दुःखी हो रहे

(घ) एक विचित्र सा आकर्षण होता है।
कभी-कभी लगता है, जैसे सपने में सब देखा होगा।
व्याख्यात्मक हल :
बचपन का समय मनुष्य के जीवन का सबसे सुखद समय होता है। अतः बचपन से जुड़ी प्रत्येक स्मृति में बहुत आकर्षण होता . है। जिसके कारण वह समय एक सपने जैसा लगता है।

8. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
माँ की समझाइश के बाद
दक्षिण दिशा में पैर करके मैं कभी नहीं सोया
और इससे इतना फायदा जरूर हुआ
दक्षिण दिशा पहचानने में
मुझे कभी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा
मैं दक्षिण में दूर-दूर तक गया
और मुझे हमेशा माँ याद आई
दक्षिण को लाँघ लेना सम्भव नहीं था
होता छोर तक पहुँच पाना
तो यमराज का घर देख्ध्र लेता।।
(क) माँ के समझाने का कवि को क्या लाभ हुआ?
(ख) कवि दक्षिण में दूर-दूर तक क्यों गया? वहाँ उसे क्या समझ आया?
(ग) कवि को किस बात का अफसोस रह गया?
उत्तर-

(क) दिशा ज्ञान-दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल नहीं हुई।
(ख) यमराज का घर ढूँढ़ने-दक्षिण दिशा का कोई छोर नहीं, पृथ्वी गोल है।
(ग) यमराज का घर न देख पाने का, दक्षिण के अंतिम छोर तक पहुँचने का

9. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-
(क) बच्चों को किस प्रकार की सुख-सुविधाएँ मिलनी चाहिए? ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ पाठ के आलोक में लिखिए।
(ख) बादलों के आने पर आकाश कैसा लगने लगा? “मेघ आए” कविता के अनुसार लिखिए।
(ग) कवि ने चने की बिते के बराबर क्यों कहा है?’चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता के अनुसार स्पष्ट कीजिए।
(घ) आप की समझ में कवि की बच्चों के काम पर जाने की चिंता कितनी उपयुक्त है? ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
(क) शिक्षा, खेलने के लिए आँगन एवं बगीचे किताबें, खिलौने।
व्याख्यात्मक हल:
बच्चों को काम पर भेजे जाने के स्थान पर पढ़ने-लिखने का पूरा मौका मिलना चाहिए, ताकि वे शिक्षा प्राप्त कर अपने जीवन को संवार सकें। उन्हें खेलने-कूदने का उचित अवसर मिलना चाहिए ताकि वे तन-मन से स्वस्थ बन सकें। उन्हें अपने मातापिता, सगे-सम्बन्धियों और पास-पड़ोस से पूरा प्रेम मिलना चाहिए। ऐसा होने से ही उनके व्यक्तित्व का समुचित विकास हो सकेगा।

(ख) रंग-बिरंगा सुन्दर।
व्याख्यात्मक हल : बादलों के आने पर आकाश रंग-बिरंगा दिखाई देने लगता है। बरसात के मेघ बहुत घने होते हैं। उनके पीछे से आती सूर्य की रोशनी से उनमें अनेक आशाएँ दिखाई पड़ती हैं। कभी-कभी इन्द्रधनुष की आभा भी दिखाई देती है। इसी आभा के कारण आकाश रंग-बिरंगा और अलग-अलग रूपों से सजा हुआ दिखाई देता है।

(ग) उसके आकार के कारण। चने का पौधा कम ऊँचाई वाला होता है ।
व्याख्यात्मक हल :
चने का पौधा कद में छोटा, ठिगना और कम ऊँचाई वाला होता है, जो एक बालिश्त (बिते/बहुत छोटे) के बराबर होगा। उसके छोटे आकार के ही कारण कवि ने बिते के बराबर कहा है।

(घ) बिल्कुल उपयुक्त है।
देश का भविष्य उज्ज्वल कैसे होगा, जहाँ बच्चे शिक्षा ग्रहण करने की आयु में काम करेंगे।
व्याख्यात्मक हल :
बच्चों को काम पर भेजना उनके साथ घोर अन्याय है। बचपन भविष्य की नींव होती है। इस पर ही देश का भविष्य निर्भर करता है। जिस समाज में बच्चों के विकास को कुचला जाता है वह समाज अन्यायी तथा अविकसित है तथा पिछड़ेपन का जीताजागता उदाहरण है। जो किसी बड़े हादसे के ही समान है।

10. बच्चन जी के समान, यदि आपको तेज वर्षा में कहीं निकलना पड़े, तो आप किनकिन परिस्थितियों पर विचार करेंगे तथा उनके उस प्रकार चल पड़ने से आप क्या प्रेरणा ग्रहण करते हैं?
उत्तर-
-वर्षा की भूमि
-रुकने की संभावना
-कार्य की आवश्यकता
-समय के महत्व व सीमा का निर्धारण
-वर्षा के बचाव के साधनों का प्रयोग
(छत्र अन्य मूल्यपरक बिंदुओं का उल्लेख भी कर सकते हैं।)
व्याख्यात्मक हल:
यदि मुझे बारिश में कहीं निकलना पड़े, तो मैं सर्वप्रथम मार्ग में बारिश के कारण आ सकने वाली बाधाओं पर विचार करूंगा। साथ ही उनसे बचने के उपाय भी सोच्चूंगा। यदि कार्य अति महत्वपूर्ण है, तो बिना परिस्थितियों पर विचार किए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ जाऊँगा। साथ ही वर्षा से बचाव के साधन जैसे छाता या रेनकोट का उपयोग भी करूंगा। बच्चन जी के इस प्रकार चल पड़ने से हम उनके दृढ़ निश्चयी और वक्त के पाबंद होने का गुण सीखते हैं। साथ ही अपने इस कृत्य से वे हमें आत्मनिर्भर होने और तुरंत निर्णय लेने का भी सबक सिखाते हैं, जिनके सीख जाने। पर व्यक्ति कैसे भी विपरीत परिस्थिति का सामना करने को सहर्ष तैयार हो जाता है। वह अपने काम को समय पर पूरा करता है और अपने कार्य की पूर्णता के लिए समाज की परवाह नहीं करता है।
खण्ड ‘घ’ : लेखन

11. निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर 200 से 250 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए-
(क) विद्यार्थी एवं पाश्चात्य संस्कृति [संकेत बिन्दु-
(1) भूमिका,
(2) पाश्चात्य परिधान पसंद किए जाते हैं,
(3) ‘वैलेन्टाइन’ आदि का मनाया जाना,
(4) युवाओं के मन,
(5) उपसंहार]

अथवा

(ख)  मजहब नहीं सिखाता आपस में भेद रखना [संकेत बिन्दु-
(1) भूमिका,
(2) विभिन्नता में एकता,
(3) धार्मिक एकजुटता,
(4) हमारा कर्तव्य,
(5) उपसंहार]

अथवा

(ग) मिट्टी के अनेक रूप [संकेत बिन्दु-
(1) भूमिका,
(2) आम धारणा, शिशु के लिए मिट्टी,
(3) सैनिक के लिए मिट्टी,
(4) आध्यात्मिक दृष्टिकोण,
(5) उपसंहार]
उत्तर-
(क) विद्यार्थी एवं पाश्चात्य संस्कृति
(1) भूमिका. उपसंहार
(2) विषयवस्तु
(3) भाषा की शुहता
व्याख्यात्मक हल :
आज का विद्यार्थी भारतीय संस्कृति से परामुखी होकर पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित होता जा रहा है। पश्चिम . की चमक-दमक उसे अपनी ओर खींच रही है। पश्चिमी भाषा और वेष-भूषा धारण करने पर ही वह स्वयं को सभ्य समझता है। वर्तमन समय मेंजवावीं अंग्रेजी नहीं बोल पाता और भारतीय परिधान नहीं पहना है, अन्य उसके साथ रहना तो दूर बात करना भी अपनी शान के खिलाफ समझते हैं।

पाश्चात्य वेष-भूषा से प्रभावित विद्यार्थी वर्ग अपने लक्ष्य से भटक गया है। उसके लिए साज-सज्जा ही महत्वपूर्ण हो गई है। वह पढ़ाई को भूलकर फैशन की ओर भाग रहा है। भारतीय परिधान उसे अच्छे नहीं लगते हैं। विद्यार्थी वर्ग में क्या लड़का क्या लड़की सभी पाश्चात्य परिधान पसंद करते हैं। इन परिधानों को धारण करते समय वे यह भी भूल जाते हैं कि वे अपनी संस्कृति को ताक पर रख रहे हैं। आज की छात्राएँ छोटे-छोटे वस्त्रों को धारण करके विद्यालय जाती हैं। अंग प्रदर्शन उनके लिए फैशन है।

भारतीय नारी जिसकी सुन्दरता ढके तन और भारतीय परिधानों में है वे उसे नापसंद करके अनपढ़ और गंवारूपन का परिचायक समझती हैं। पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित विद्यार्थी आज अपने समस्त संस्कारों को ताक पर रखकर ऐसे दिवस मना रहा है, जिनकी भारतीय संस्कृति में कोई मान्यता नहीं है। आज का विद्यार्थी मातृ पितृ दिवस के स्थान पर ‘वैलेन्टाइन डे’ मनाता है। वह सभी कर्म करता है, जो भारतीय संस्कृति में निषिद्ध है।

युवा अपने निर्दिष्ट लक्ष्य से भटककर भौतिकता की ओर भाग रहे हैं। उनके लिए आरामदायक और अहम् भाव को पुष्ट करने वाली वस्तुएँ अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही हैं। वह अपने आत्मिक विकास की ओर ध्यान देना ही भूल गया है, जिसके परिणामस्वरूप उसका नैतिक पतन होता जा रहा है और वह अवनति के गर्त में गिरता जा रहा है। अत: यह आवश्यक है कि विद्यार्थी वर्ग जो देश का भविष्य है, उसे भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूक किया जाए। साथ ही उसे पाश्चात्य संस्कृति के हानिकारक और लाभदायक पक्षों से भी अवगत कराया जाए।
(ख)

अथवा
मजहब नहीं सिखाता आपस में भेद रखना

(1) भूमिका. उपसंहार
(2) विषयवस्तु
(3) भाषा की शुद्धता
व्याख्यात्मक हल : | महाभारत में कहा गया है कि धर्म वह है जो किसी भी धर्म को बुरा नहीं कहता, अपितु सभी धर्मों को समान रूप से सम्मान देता है। सभी धर्म (हिन्दू, सिख, मुस्लिम, ईसाई आदि) हमें प्रेम और भाई-चारे से रहने की शिक्षा देते हैं। हमारा देश अनेक धर्म और सम्प्रदायों का देश है, किन्तु सबमें एक ही बात है कि हम धार्मिक रीति-रिवाजों को अलग-अलग मानते हुए भी देश के लिए एक ही हैं। यह देश हम सबका है किसी धर्म विशेष अथवा जाति विशेष का नहीं है।

अलग-अलग सम्प्रदाय होते हुए भी हम सब भारतमाता की सन्तान हैं। हम सबको अपना देश जान से भी प्यारा है। यह देश एक बगीचे के समान है जिसमें अनेक धर्म और अनेक जातियों के लोग रंग-बिरंगे पुष्पों की भाँति रहते हैं। जैसे बगीचे की सुन्दरता

केवल एक रंग के फूलों से न होकर अनेक रंग के फूलों से बढ़ती है वैसे ही देश भी अनेक धर्म और जातियों के व्यक्तियों से सुशोभित हो रहा है।
हमारे देश के संविधान में किसी को छोटा या बड़ा, अच्छा या बुरा नहीं समझा गया है। यहाँ सभी धर्म और सम्प्रदायों के लिए समान रूप से अधिकार प्राप्त हैं। देश की अदालतों द्वारा सबको निष्पक्ष न्याय पाने का अधिकार है। राष्ट्रीय स्तर पर सभी राष्ट्र के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।

भारत को अंग्रेजों से स्वतन्त्र कराने में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि सभी धर्मों के लोगों का पूरा योगदान है। इसलिए हम यह गर्व से कह सकते हैं कि यह देश हम सभी का है। इसके इतिहास में सबके बलिदान की गाथायें स्वर्णाक्षरों में लिखी हुई हैं। किन्तु आज सबसे अधिक अफसोस इस बात का है कि देश में अलगाववादी ताकतें पनप रही हैं जो आपस में फूट डालकर लोगों के मन में जहर का बीज बो रही हैं, मजहब की दुहाई देकर फिरका परस्त अपनी स्वार्थ की रोटियाँ सेंक रहे हैं। देश के लिए यह अच्छा नहीं है। हमें इन अलगाववादी असामाजिक तत्वों को शीघ्र ही पहचानना चाहिए और उनकी बातों में न आकर देश की एकता और शान्ति की प्रयत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए। उर्दू के मशहूर कवि इकबाल की यह पंक्तियाँ हमारे देशवासियों की अखंड एकता की ओर संकेत करती हैं

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।
हम बुलबुले हैं इसकी यह गुलिस्तां हमारा।
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा।

हमारा कर्तव्य है कि हम अपने देश की इस अखण्डता और एकता को सदैव ऐसे ही
बनाए रखें।

(ग)

अथवा
मिट्टी के अनेक रूप

(1) भूमिका. उपसंहार
(2) विषयवस्तु
(3) भाषा की शुद्धता
व्याख्यात्मक हल :
मिट्टी का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अलग ही और महत्वपूर्ण स्थान है। हमारा शरीर पंचभूतों से मिलकर बना है, जिनमें से मिट्टी भी – एक तत्व है। अत: मिट्टी से प्रत्येक व्यक्ति का लगाव होना स्वाभाविक ही है। मिट्टी में ही खेलकर बच्चा बड़ा होता है। मिट्टी ही उसके शरीर को मजबूती प्रदान करती है। वही एक पहलवान अपने अखाड़े की मिट्टी लेता हुआ स्वयं को विश्व विजयी समझता है। मनुष्य के व्यक्तित्व के निर्माण में इस मिट्टी का योगदान सर्वोपरि है।

धूल व मिट्टी में सना हुआ बालक, अपनी माता को बहुत प्यारा लगता है। अपने उस बालक में उसे बाल कृष्ण की छवि दिखाई देती है। अपने बच्चे को उठाकर वह स्नेह से अपने गले से लगा लेती है। उसे स्नेह और दुलार करती है। धूल-मिट्टी में सना हुआ उसका बालक उसे संसार का सबसे सुन्दर बालक प्रतीत होता है। वह बार-बार उसकी नजर उतारती है। वहीं नगरों की महिलाओं की मानसिकता में परिवर्तन आया है। वह धूल लगे अपने बालकों को डाँटती हैं। उन्हें धूल से दूर रहने के लिए समझाती हैं। वे अपने इस व्यवहार से बालक को मिट्टी से दूर करना चाहती हैं। जिसके परिणामस्वरूप मिट्टी से दूर रहने वाले ये बालक मिट्टी में खेलने वाले बालकों की अपेक्षा अधिक कमजोर होते हैं। अत: मिट्टी से दूर करने के स्थान पर माताओं को अपने बच्चों को मिट्टी का महत्व समझाना चाहिए। एक सैनिक के लिए उसके देश की मिट्टी उसकी माता के समान होती है। प्रत्येक सैनिक अपने देश की मिट्टी को अपने माथे से लगाता है। वह अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देता है। युद्ध से वापस लौटता अथवा युद्ध को जाता हुआ सैनिक अपनी मातृभूमि की माटी को छूकर आशीर्वाद अवश्य लेता है। जर्मन की सेना ने भी युद्ध जीतने के बाद अपने देश की मिट्टी पर लेटकर उसके प्रति आभार व्यक्त किया था।

आध्यात्मिक विचारधारा वाला व्यक्ति मिट्टी को स्वयं के भीतर मानता है। उसके अनुसार शरीर के निर्माण करने वाले तत्वों में एक तत्व मिट्टी भी है। यह शरीर मिट्टी का बना हुआ है और एक दिन मिट्टी में ही मिल जाएगा। अतः जितना हो सके इस शरीर का उपयोग सदकार्यों और इस मिट्टी के प्रति अपने दायित्वों के निर्वाह में करना चाहिए। मिट्टी का स्वरूप भले ही भिन्न है, किन्तु प्रत्येक के जीवन में उसका स्थान श्रेष्ठ है। प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी रूप में स्वयं को मिट्टी से जुड़ा हुआ पाता है। वह चाहकर भी स्वयं को कभी इससे अलग नहीं रख सकता है।

12. आपका छोटा भाई कुसंगति में पड़ गया था परंतु अब इससे बाहर आना चाहता है। आप उसकी मदद किस प्रकार करेंगे, पत्र लिखकर समझाइए।
उत्तर-
(1) प्रारंभ व अंत की औपचारिकताएँ
(2) प्रस्तुति एवं विषयवस्तु
(3) भाषा-विन्यास
व्याख्यात्मक हल :
नेशनल पब्लिक स्कूल
हॉस्टल, खुर्जा।
दिनांक : 15-04-20…..
प्रिय अनुज
सौरभ
शुभाशीष।
मुझे यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ कि अंतत: तुमने मेरी सलाह मानकर कुसंगत को छोड़ने का निश्चय कर लिया है।

प्रिय भाई यह कोई अत्यधिक कठिन कार्य नहीं है। इसके लिए केवल संयम और धैर्य की आवश्यकता है, फिर तुम देखोगे कि तुम्हारी

कुसंगत के कारण जो अच्छे विद्यार्थी तुमसे दूर रहते थे। वे स्वत: ही तुमसे स्नेह करने लगेंगे।

परंतु तुम्हें गलत राह पर ले जाने वाले अपने साथियों से दूरी बनानी होगी। अपनी शिक्षा पर पूर्ण ध्यान देना होगा। अध्यापकों का कहना

मानना होगा। यह तभी संभव हो पाएगा।

मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम कुसंग छोड़ने में अवश्य सफल होओगे और एक अच्छे विद्यार्थी बनोगे। मेरा आशीष तुम्हारे साथ है। तुम्हारा अग्रज सुभाष

13. दो राष्ट्र प्रेमी मित्रों के बीच देश की वर्तमान व्यवस्था पर हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
(1) विषयवस्तु
(2) प्रस्तुतिः
(3) भाषा-विन्यास
व्याख्यात्मक हल :
प्रकाश : पुष्पेन्द्र, कल रात को नरेन्द्र मोदी का राष्ट्र के नाम सन्देश सुना।
पुष्पेन्द्र : हाँ, सुना, मजा आ गया। अचानक 500 और 1000 के नोट बन्द
करके कालाधन इकट्ठा करने वालों की जड़ हिला दी।
प्रकाश : वह तो ठीक है पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पाकिस्तान पर पड़ेगा। अब वह आतंकवादियों को शरण नहीं दे पायेगा।
पुष्पेन्द्र : हाँ प्रकाश सही कह रहे हो क्योंकि पाकिस्तान के आतंकी संगठन 500 व 1000 के नकली नोटों के द्वारा हमारे युवाओं को आतंकवादी बनाते थे। पर अब धन न होने से उनके मंसूबे ध्वस्त हो जायेंगे।
प्रकाश : ठीक कह रहे हो परन्तु हमारे देश के नेता तो बौखला रहे हैं। क्योंकि काले धन से चुनाव लड़ने की उनकी तैयारी धरी रह गयी।
पुष्येन्द्र : बिल्कुल ठीक कह रहे हो मित्र, उनकी बौखलाहट का मूल कारण यही है।
पुष्पेन्द्र : सही बात है वैसे कुछ अच्छे परिवर्तन करने के लिए थोड़ी बहुत परेशानी तो उठानी पड़ती है।
प्रकाश : कोई बात नहीं राष्ट्र हित में हम इतनी परेशानी तो उठा ही सकते है।

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