पानी रे पानी Summary Class 5 Hindi

पानी रे पानी Summary Class 5 Hindi

पानी रे पानी पाठ का सारांश

पानी हम हर काम में इस्तेमाल करते हैं लेकिन शायद ही कभी इसके बारे में सोचते हैं, जैसे—यह कहाँ से आता है? कहाँ चला जाता है? भूगोल की किताब में जलचक्र के बारे में बताया जाता है। समुद्र से उठी भाष बादल बनकर पानी में बदलती है और फिर वर्षा होती है। वर्षा का जल समुद्र में वापस मिलकर जलचक्र की प्रक्रिया पूरी करता है।

हमारे घरों में, स्कूल में, दफ्तरों में, कारखानों आदि में नलों के माध्यम से पानी आता है। और मुसीबत यह है कि इन नलों में अब पूरे समय पानी नहीं आता। कभी देर रात में आता है तो कभी सुबह-सुबह। पानी की आवश्यकता तो सभी को है। अतः लोग नींद की परवाह किए बिना बाल्टियाँ, बर्तन, घड़े आदि लेकर नलों पर इकट्ठे हो जाते हैं। कभी-कभी पानी को लेकर लोगों में आपस में तकरार भी हो जाती है।

इन्हीं झगड़ों से बचने के लिए कई घरों में लोग नलों के पाइप में मोटर लगवा लेते हैं। इससे कई घरों का पानी, खींचकर एक ही घर में आ जाता है। और आसपास के घरों का हक छिन जाता है। पानी की दिक्कत से बचने के लिए अब ज्यादातर घर यही करने लगे हैं। परिणामस्वरूप पानी की कमी बढ़ गई है और सबको इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है। देश के बड़े-बड़े शहरों में भी लोग पानी की कमी के कारण कष्ट का सामना कर रहे हैं। देश के कई हिस्सों में तो गर्मी में अकाल जैसी स्थिति बन जाती है। और बरसात में कई इलाके बाढ़ में डूब जाते हैं। यह बाढ़ न गाँवों को छोड़ती है न मुंबई जैसे बड़े शहरों को। कुछ दिनों के लिए सब कुछ थम-सा जाता है।

इस प्रकार अकाल और बाढ़ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इन्हें ठीक से समझना जरूरी है। तभी हम इन समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।
हम गुल्लक में पैसा जमा करते हैं ताकि इन्हें जरूरत पड़ने पर उपयोग में ला सकें। ठीक उसी प्रकार हम पानी को धरती की गुल्लक में जमा कर सकते हैं। हमारे गाँव में, शहर में जो छोटे-बड़े तालाब, झील आदि हैं वे धरती की गुल्लक में पानी भरने का काम करते हैं। इनमें जमा पानी जमीन के नीचे छिपे जल के भंडार में धीरे-धीरे रिसकर, छनकर जा मिलता है। इससे हमारा भूजल भंडार समृद्ध होता जाता है। पानी का यह खजाना हमें दिखता नहीं, लेकिन इसी खजाने से हम बरसात का मौसम बीत जाने के बाद पूरे साल भर तक अपने उपयोग के लिए घरों में, खेतों में, पाठशाला में पानी निकाल सकते हैं।

लेकिन आज परिस्थिति बदल गई है। जमीन के लालच में हम अपने तालाबों को कचरे से पाटकर, भरकर समतल बना देते हैं ताकि उस पर मकान, बाज़ार, स्टेडियम आदि खड़े हो सकें। इसी लालच के कारण हमें पानी की दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। गर्मी के दिनों में सूखे नल मिलते हैं और बरसात में डूबी बस्तियाँ। इसीलिए यदि हमें इन समस्याओं से बचना है तो अपने आसपास के जलस्रोतों की, तालाबों की और नदियों आदि की रखवाली अच्छे ढंग से करनी पड़ेगी। हमें जरूरत है जलचक्र ठीक से समझने की, बरसात में उसे थामने की, अपने भूजल भंडार को सुरक्षित रखने की और अपनी गुल्लक भरते रहने की। तभी हम पानी की कमी से उबर पाएंगे।

शब्दार्थ : बेवक्त-असमय। तू-तू मैं-मैं-झगड़ा, तकरार। हक-अधिकार। थम जाना-रुक जाना। विशाल-बहुत बड़ा। समृद्ध-धनी।

Class 5 Hindi Notes