CBSE Class 11 Hindi डायरी लिखने की कला

CBSE Class 11 Hindi डायरी लिखने की कला

डायरी :

डायरी सिर्फ ऐसे ही निजी सत्यों को शब्द देने का ज़रिया हो, जिनकी जिंदगी और रूप में अभिव्यक्ति वर्जित है। वह एक तरह का व्यक्तिगत दस्तावेज़ भी है, जिसमें अपने जीवन के खास क्षणों, किसी समय विशेष में मन के अंदर कौंध जानेवाले विचारों, यादगार मुलाकातों और बहस-मुबाहिसों को हम दर्ज कर लेते हैं। अपनी कई तरह की स्मृतियों को हम कैमरे की मदद से भी रिकॉर्ड करते हैं, पर खुद अपना पाठ तैयार करना और जो कुछ घटित हुआ, सबकी कहानी कहना एक ऐसा तरीका है, जो हमें आनेवाले दिनों में उन लम्हों को दुबारा जीने का मौका देता है। आज की तेज़ रफ़्तार जिंदगी में यह तरीका सचमुच नायाब है। जिंदगी की तेज़ रफ़्तार में इस बात की आशंका हमेशा बनी रहती है कि सतही और फ़ौरी किस्म की चिंताओं के अनवरत मामलों के बीच गहरे आशय वाली घटनाओं और वैचारिक उत्तेजनाओं को हम भूल जाएँ।

डायरी हमें भूलने से बचाती है। यात्राओं के दौरान डायरी लिखना तो बहुत ही उपयोगी साबित होता है। एक लंबे सफ़र का वृत्तांत अगर आप सफ़र से लौट कर लिखना चाहें, तो शायद पूरे अनुभव का दो-तिहाई हिस्सा ही बच-बचा कर शब्दों में उतर पाएगा, लेकिन अगर आपने सफ़र के दरम्यान प्रतिदिन अपनी डायरी लिखी है, तो अपने तजुर्बे को लगभग मुकम्मल तौर पर दुहरा पाना आपके लिए संभव होगा। डायरी लिखना अपने साथ एक अच्छी दोस्ती कायम करने का बेहतरीन ज़रिया है। डायरी लेखन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

1. डायरी या तो किसी नोटबुक में या पुराने साल की डायरी में लिखी जानी चाहिए। पुराने साल की डायरी में पहले की पड़ी हुई तिथियों की जगह अपने हाथ से तिथि डालें। यह सुझाव इसलिए दिया जा रहा है कि आप कहीं मौजूदा साल की डायरी में तिथियों के अनुसार बने हुए सीमित स्थान से अपने को बंधा हुआ न महसूस करें। सभी दिन एक समान नहीं होते। ऐसे में डायरी का किसी निश्चित तिथि के साथ दिया गया सीमित स्थान हमारे लिए बंधन बन जाएगा। इसीलिए नोटबुक या पुराने साल की डायरी अधिक उपयोगी साबित हो सकती है। उसमें अपनी सुविधा के अनुसार तिथियाँ डाली जा सकती हैं और स्थान का उपयोग किया जा सकता है।

2. लेखन करते हुए आप स्वयं तय करें कि आप क्या सोचते हैं और खुद को क्या कहना चाहते हैं। यह तय करते हुए आपको यथासंभव सभी तरह के बाहरी दबावों से मुक्त होना चाहिए। अपनी दिनभर की घटनाओं, मुलाकातों, खयालातों इत्यादि में से कौन-कौन सी आपको दर्ज करने लायक लगती हैं, किन्हें आप किन-किन वजहों से भविष्य में भी याद करना चाहेंगे यह विचार कर लेने के बाद ही उन्हें शब्दबद्ध करने की ओर बढ़ें।

3. डायरी निजी वस्तु है और यह मान कर ही उसे लिखा जाना चाहिए कि वह किसी और के द्वारा पढ़ी नहीं जाएगी। अगर आप किसी और को पढ़वाने की बात सोच कर डायरी लिखते हैं, तो उसका आपकी लेखन-शैली, विषय-वस्तु के चयन और बातों के बेबाकपन पर पूरा असर पड़ेगा। इसलिए यह मानते हुए डायरी लिखें कि उसका पाठक आपके अलावा कोई और नहीं है।

4. यह कतई ज़रूरी नहीं कि डायरी परिष्कृत और मानक भाषा-शैली में लिखी जाए। परिष्कृत और मानकता का दबाव कथ्य के स्तर पर कई तरह के समझौतों के लिए आपको बाध्य कर सकता है। डायरी-लेखन में इस समझौता परस्ती के लिए कोई जगह नहीं है। डायरी का डायरीपन इसी में है कि आप जो कुछ दर्ज करना चाहते हैं और जिस तरीके से दर्ज करना चाहते हैं, करें। इस सिलसिले में भाषाई शुद्धता कितनी बरकरार रहती है और शैली-सौंदर्य कितना सध पाता है, इसकी चिंता न करें। आपके अंदर के स्वाभाविक वेग से शैली जो रूप ग्रहण करती है, वही डायरी की उचित शैली है।

5. आखिरी, पर बहुत अहम बात ये कि डायरी नितांत निजी स्तर की घटनाओं और भावनाओं का लेखा-जोखा होने के साथ-साथ, आपके मन के आईने में आपके दौर का अक्स भी है। वह अपने जिन अनुभवों को वहाँ दर्ज करते हैं, उनमें आपकी नज़र से देखा-परखा गया समकालीन इतिहास किसी-न-किसी मात्रा में मौजूद रहता है। डायरी लिखते हुए अगर यह बात हमारे बीच में रहे, तो अपने काम के महत्त्व को लेकर हम अधिक आश्वस्त हो सकते हैं।

पाठं से संवाद

प्रश्नः 1.
निम्नलिखित में से तीन अवसरों की डायरी लिखिए –
(क) आज आपने पहली बार नाटक में भाग लिया।
(ख) प्रिय मित्र से झगड़ा हो गया।
(ग) परीक्षा में आपको सर्वोत्तम अंक मिले हैं।
(घ) परीक्षा में आप अनुत्तीर्ण हो गए हैं।
(ङ) सड़क पर रोता हुआ 10 वर्षीय बच्चा मिला।
(च) कोई ऐसा दिन जिसकी आप डायरी लिखना चाहते हैं।
उत्तरः
(क) दिनांक 20 जनवरी, 2016 – आज का दिन मेरे लिए बहुत प्रसन्नता एवं उपलब्धि का है। मैं किसी नाटक में अभिनय करना चाहता था। आज मेरी यह इच्छा पूरी हुई। इस अवसर ‘अधिकार का रक्षक’ शीर्षक नाटक रंगमंच पर प्रस्तुत किया गया। यह नाटक वर्तमान समय के राजनीतिक नेताओं के दोहरे चरित्र का पर्दाफाश करता है। इसमें संपादक बना जो नेता के समक्ष कार्य की अधिकता का बोझ (चुनाव के दौरान) उठाने में असमर्थता व्यक्त करता । है। इसमें मुझे अपनी दीनता का अभिनय करना था। मैं स्वयं को दीन-हीन, साधनहीन संपादक ही अनुभव कर रहा था। नाटक की समाप्ति पर मुझे भरपूर प्रशंसा मिली।

(ख) 2 फरवरी, 2017-मोहन मेरा प्रिय मित्र है। आज मेरा उसी से झगड़ा हो गया। वह मेरे हर निर्णय का विरोध करने लगा है। मैं उसके परिवर्तित व्यवहार का कारण नहीं जान सका हूँ। इस झगड़े से बहुत दुखी हूँ।

(ग) 27 मार्च, 2017-आज मुझे पता चला कि मुझे सर्वोत्तम अंक मिले हैं तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मुझे सर्वोत्तम अंक पाने की कल्पना तक न थी। अतः मुझे हर्ष मिश्रित आश्चर्य की सुखद अनुभूति हुई है। मेरे मित्रों के बधाई-फ़ोन लगातार आ रहे हैं।

(घ) 25 मार्च, 2017-आज मेरा परीक्षा परिणाम आया है। अनुत्तीर्ण होने का परिणाम सुनकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। मेरे मित्रों ने मुझे ढाढस दिलाया। बाद में मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ। मैं खेलों में ज़्यादा ध्यान देता रहा। अतः अनुत्तीर्ण हो गया अपनी गलती को सुधारने के प्रति सचेष्ट रहूँगा।

(ङ) 15 अगस्त, 2016 -आज जब मैं पार्क की ओर जा रहा था तो मुझे सड़क पर एक दस वर्षीय बालक रोता हुआ दिखाई दिया। मैं उसके पास गया और उससे रोने का कारण पूछा। वह अपने माता-पिता से बिछुड़ गया था। मैं उसे अपने घर ले गया। वहाँ उसे कुछ खिलाया-पिलाया तथा उससे उसका पता पूछकर उसे उसके घर छोड़ आया। अब वह खुश था। मुझे भी संतोष हुआ।

(च) 10 फरवरी 2017-आज का दिन मेरे जीवन में विशेष महत्त्वपूर्ण रहा। आज मुझे स्कूल की फुटबॉल टीम का कप्तान चुना गया। यह मेरी योग्यता एवं क्षमता की स्वीकृति थी। मैं अपनी उपलब्धि पर बहुत प्रसन्न हूँ।

प्रश्नः 2.
नीचे दिए गए कथनों के सामने ‘सही’ या ‘गलत’ का चिन्ह लगाते हुए कारण भी दें –
(क) डायरी नितांत वैयक्तिक रचना है।
(ख) डायरी स्वलेखन है इसलिए उसमें किसी घटना का एक ही पक्ष उजागर होता है।
(ग) डायरी निजी अनुभूतियों के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक परिप्रेक्ष्य का भी ब्योरा प्रस्तुत करता है।
(घ) डायरी अंतरंग साक्षात्कार है।
(ङ) डायरी हमारी सबसे अच्छी दोस्त है।
उत्तरः
(क) (सही)
(ख) (सही)
(ग) (सही)
(घ) (सही)
(ङ) (सही)
कारण –
(क) इसमें लेखक अपने व्यक्तिगत सुख-दु:ख, अनुभव का वर्णन करता है।
(ख) डायरी में लिखनेवाले व्यक्ति का ही पक्ष हमारे सामने आता है।
(ग) डायरी लिखने वाला व्यक्ति अपनी अनुभूतियों के साथ तत्कालीन घटनाओं पर भी टिप्पणी करता है।
(घ) डायरी में लेखक अपने साथ ही संवाद स्थापित करता है।
(ङ) डायरी हमारे सुख-दुःख की साथी होती है।

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