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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 9 with Solutions
समय: 3 घंटे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य और आवश्यक निर्देश:
- इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’ कुल प्रश्न 13 हैं।
- ‘खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर: देते हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर: दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर: देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर: क्रमशः लिखिए।
खण्ड – ‘अ’
वस्तुपरक प्रश्न (40 अंक)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (1 x 10 = 10)
महासागर, बर्फ की चोटी सहित पूरा पर्यावरण और धरती की सतह के नियमित गर्म होने की प्रक्रिया को ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं। पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक तौर पर वातावरणीय तापमान में वृद्धि देखी गई है। पर्यावरणीय सुरक्षा एजेंसी के अनुसार, पिछले शताब्दी में 1.4 डिग्री फॉरेनहाईट (0.8 डिग्री सेल्सियस) के लगभग धरती के औसत तापमान में वृद्धि हुई है। ऐसा भी आकलन किया गया है कि अगली शताब्दी तक 2 से 11.5 डिग्री की वृद्धि हो सकती है।
ग्लोबल वार्मिंग के बहुत सारे कारण हैं, इसका मुख्य कारण ग्रीनहाउस गैस है जो कुछ प्रक्रियाओं द्वारा कुछ इंसानों की पैदा की हुई है। जनसंख्या विस्फोट, अर्थव्यवस्था और ऊर्जा के इस्तेमाल की वजह से 20वीं सदी में ग्रीनहाउस गैसों को बढ़ते देखा गया है। वातावरण में कई सारी ग्रीनहाउस गैसों के निकलने का कारण औद्यौगिक क्रियाएँ हैं, क्योंकि लगभग हर जरूरत को पूरा करने के लिए आधुनिक दुनिया में औद्योगिकीकरण की जरूरत है।
पिछले कुछ वर्षों में कॉर्बनडाई ऑक्साइड (CO2) और सल्फरडाई ऑक्साइड (SO2) 10 गुना से अधिक बढ़ा है। ऑक्सीकरण चक्रण और प्रकाश संश्लेषण सहित प्राकृतिक और औद्योगिक प्रक्रियाओं के अनुसार कॉर्बनडाई ऑक्साइड का निकलना बदलता रहता है। कार्बनिक सामानों की अधिक सड़न से वातावरण में मिथेन नाम का ग्रीन हाउस गैस भी निकलता है। दूसरे ग्रीनहाउस गैस हैं – नाइट्रोजन का अधिक ऑक्साइड, हैलो कार्बन्स, CFCs क्लोरिन और ब्रोमाईन कम्पाउंड आदि। ये सभी वातावरण में एक साथ मिल जाते हैं और वातावरण के रेडियोएक्टिव संतुलन को बिगाड़ते हैं। उनके पास गर्म विकीकरण को सोखने की क्षमता है जिससे धरती की सतह गर्म होने लगती है।
अंर्टाटिका में ओजोन परत में कमी आना भी ग्लोबल वार्मिंग का एक कारण है। CFCs गैस के बढ़ने से ओजोन परत में कमी आ रही है। ये ग्लोबल वार्मिंग का मानवजनित कारण है। CFCs गैस का इस्तेमाल कई जगहों पर औद्यौगिक तरल सफाई में एरोसॉल प्रणोदक की तरह और फ्रिज में होता है, जिसके नियमित बढ़ने से ओजोन परत में कमी आती है।
ओजोन परत का काम धरती को नुकसानदायक किरणों से बचाना है। जबकि, धरती की सतह की ग्लोबल वार्मिंग बढ़ना इस बात का संकेत है कि ओजोन परत में क्षरण हो रहा है। हानिकारक अल्ट्रावॉइलेट सूरज की किरणें जीवमंडल में प्रवेश कर जाती हैं और ग्रीनहाउस गैसों के द्वारा उसे सोख लिया जाता है जिससे अंततः ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ोतरी होती है। अगर आँकड़ों पर नजर डालें तो ऐसा आकलन किया गया है कि अंर्टाटिका (25 मिलियन किलोमीटर) की छेद का दोगुना ओजोन परत में छेद है। सर्दी और गर्मी में ओजोन क्षरण का कोई खास चलन नहीं है।
वातावरण में एरोसॉल की मौजूदगी भी धरती की सतह के तापमान को बढ़ाती है। वातावरणीय ऐरोसॉल में फैलने की क्षमता है तथा वो सूरज कि किरणों को और अधोरक्त किरणों को सोख सकती है। ये बादलों के लक्षण और माइक्रोफिजीकल बदलाव कर सकते हैं। वातावरण में इसकी मात्रा इंसानों की वजह से बढ़ी है। कृषि से गर्द पैदा होता है, जैव-ईंधन के जलने से कार्बनिक छोटी बूँदे और काले कण उत्पन्न होते हैं और विनिर्माण प्रक्रियाओं में बहुत सारे विभिन्न पदार्थों के जलाए जाने से औद्योगिक प्रक्रियाओं के द्वारा ऐरोसॉल पैदा होता है। परिवहन के माध्यम से भी अलग-अलग प्रदूषक निकलते हैं जो वातावरण में रसायनों से रिएक्ट करके एरोसॉल का निर्माण करते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने के साधनों के कारण कुछ वर्षों में इसका प्रभाव बिल्कुल स्पष्ट हो चुका है। अमेरिका के भूगर्भीय सर्वेक्षणों के अनुसार, मोंटाना ग्लेशियर राष्ट्रीय पार्क में 150 ग्लेशियर हुआ करते थे लेकिन इसके प्रभाव की वजह से अब सिर्फ 25 ही बचे हैं। जलवायु परिवर्तन से तूफान अब और खतरनाक और शक्तिशाली होता जा रहा है। तापमान अंतर से ऊर्जा लेकर प्राकृतिक तूफान बहुत ज्यादा शक्तिशाली होते जा रहे हैं। 1895 के बाद से साल 2012 को सबसे गर्म साल के रूप में दर्ज किया गया है और साल 2003 के साथ 2013 को 1880 के बाद से सबसे गर्म साल के रूप में दर्ज किया गया।
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बहुत सारे जलवायु परिवर्तन हुए हैं जैसे गर्मी के मौसम में बढ़ोतरी, ठंड के मौसम में कमी सारे तापमान में वृद्धि, वायु- चक्रण के रूप में बदलाव, जेट स्ट्रीम बिन मौसम बरसात, बर्फ की चोटियों का पिघलना, ओजोन परत में क्षरण, भयंकर तूफान, चक्रवात, बाढ़, सूखा आदि।
सरकारी एजेंसियों, व्यापारिक नेतृत्व, निजी क्षेत्रों और एनजीओ आदि के द्वारा, कई सारे जागरुकता अभियान और कार्यक्रम चलाये और लागू किये जा रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग के द्वारा कुछ ऐसे नुकसान हैं जिनकी भरपाई असंभव है (बर्फ की चोटियों का पिघलना)। हमें अब पीछे नहीं हटना चाहिए और ग्लोबल वार्मिंग के मानव जनित कारकों को कम करने के द्वारा हर एक को इसके प्रभाव को घटाने के लिए अपना बेहतर प्रयास करना चाहिए।
हमें वातावरण से ग्रीनहाउस गैसों का कम से कम उत्सर्जन करना चाहिए और उन जलवायु परिवर्तनों को अपनाना चाहिए जो वर्षों से होते आ रहे हैं। बिजली की ऊर्जा के बजाए शुद्ध और साफ ऊर्जा के इस्तेमाल की कोशिश करनी चाहिए अथवा सौर, वायु और जियोथर्मल से उत्पन्न ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहिए। तेल जलाने और कोयले के इस्तेमाल, परिवहन के साधनों और बिजली के सामानों के स्तर को घटाने से ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को घटाया जा सकता है।
(क) किस आधार पर कहा जा सकता है कि धरती के तापमान में निरंतर वृद्धि हो रही है?
(i) पर्यावरण और धरती की सतह की गर्म होने की प्रक्रिया से
(ii) कार्बनडाई आक्साइड के बढ़ने की प्रक्रिया से
(iii) कार्बनिक सामानों के सड़ने की प्रक्रिया से
(iv) पर्यावरणीय अध्ययन की प्रक्रिया से।
उत्तर:
(iv) पर्यावरणीय अध्ययन की प्रक्रिया से।
(ख) ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ने के क्या कारण हो सकते हैं?
(i) जनसँख्या विस्फोट
(ii) पर्यावरण परिवर्तन
(iii) औद्योगिक विकास
(iv) तकनीकी विकास
उत्तर:
(iii) औद्योगिक विकास
(ग) मानवजनित कारण से आप क्या समझते हैं?
(i) मानव से उत्पन्न
(ii) मानव द्वारा उत्पन्न
(iii) मानव के द्वारा
(iv) मानव द्वारा उत्पन्न कारण
उत्तर:
(iv) मानव द्वारा उत्पन्न कारण
(घ) तूफान अब ज्यादा खतरनाक क्यों हो गए हैं?
(i) क्योंकि जलवायु परिवर्तित हो गई है
(ii) क्योंकि धरती का तापमान बढ़ गया है
(iii) क्योंकि ये अब तापमान अंतर से ऊर्जा लेते हैं
(iv) क्योंकि ग्लेशियर समाप्त हो रहे हैं
उत्तर:
(iii) क्योंकि ये अब तापमान अंतर से ऊर्जा लेते हैं
(ङ) ग्लोबल वार्मिंग का जलवायु पर क्या प्रभाव पड़ा?
(i) तूफान शक्तिशाली हो गए
(ii) गर्मी बढ़ गई
(iii) बर्फ जम गई
(iv) मौसम चक्र बिगड़ गया
उत्तर:
(iv) मौसम चक्र बिगड़ गया
(च) मानवजनित कारकों को कम करने का क्या परिणाम होगा?
(i) तापमान में कमी होगी
(ii) वायु चक्रण के रूप में परिवर्तन होगा
(iii) ग्लोबल वार्मिंग में कमी होगी
(iv) बिन मौसम बरसात होगी
उत्तर:
(iii) ग्लोबल वार्मिंग में कमी होगी
(छ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
(I) ग्लोबल वार्मिंग मानवजनित कारण
(II) ओजोन परत में कमी आना ग्लोबल वार्मिंग का एक कारण है।
(III) ओजोन परत धरती को नुकसानदायक कारणों से नहीं बचा पाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा / कौन-से सही हैं?
(i) केवल (I)
(ii) केवल (III)
(iii) (I) और (II)
(iv) (II) और (III)
उत्तर:
(iii) (I) और (II)
(ज) एरोसोल की नियमित वृद्धि का दुष्प्रभाव क्या है?
(i) बिन मौसम बरसात
(ii) ओजोन परत में कमी आया
(iii) प्रदूषण में कमी आना
(iv) रेडियोएक्टिव किरणों की वृद्धि
उत्तर:
(ii) ओजोन परत में कमी आया
(झ) अंटार्टिका क्या है?
(i) देश
(ii) महादेश
(iii) महासागर
(iv) ग्लेशियर
उत्तर:
(ii) महादेश
(ञ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) : हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट सौर किरणों के जीवमंडल में प्रवेश करना ही ग्लोबल वार्मिंग की वृद्धि के लिए उत्तरदायी है।
कारण (R) : ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि जलवायु को परिवर्तित कर रही है, और अनेक प्राकृतिक आपदाओं को जन्म दे रही है।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं, तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है, लेकिन कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) उसी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं, तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चयन द्वारा दीजिए- (1 x 5 = 5)
(i) सिखलायेगा वह, ऋत एक ही अनल है,
जिंदगी नहीं वह, जहाँ नहीं हलचल है।
जिनमें दाहकता नहीं, न तो गर्जन है,
सुख की तरंग का जहाँ अंध वर्जन है,
जो सत्य राख में सने, रुक्ष, रूठे हैं
छोड़ो उन को, वे सही नहीं, झूठे हैं।
(ii) वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा सँभालो,
चट्टानों की छाती से दूध निकालो।
है रुकी जहाँ भी धार, शिलाएँ तोड़ो,
पीयूष चंद्रमाओं को पकड़ निचोड़ो।
चढ़ तुंग शैल-शिखरों पर सोम पियो रे !
योगियों नहीं, विजयी के सदृश जियो रे !
(iii) छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाये,
मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाये।
दो बार नहीं यमराज कण्ठ धरता है,
मरता है जो, एक ही बार मरता है।
तुम स्वयं मरण के मुख पर चरण धरो रे !
जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे !
(iv) स्वातंत्र्य जाति की लगन, व्यक्ति की धुन है,
बाहरी वस्तु यह नहीं, भीतरी गुण है।
नत हुए बिना जो अशनि – घात सहती है,
स्वाधीन जगत में वही जाति रहती है।
वीरत्व छोड़ पर का मत चरण गहो रे !
जो पड़े आन, खुद ही सब आग सहो रे !
(v) आँधियाँ नहीं जिसमें उमंग भरती हैं,
छातियाँ जहाँ संगीनों से डरती हैं,
शोणित के बदले जहाँ अश्रु बहता है,
वह देश कभी स्वाधीन नहीं रहता है।
पकड़ो आयल, अन्धड़ पर उछल चढ़ो रे!
किरिचों पर अपने तन का चाम मढ़ो रे !
(vi) स्वर में पावक यदि नहीं, वृथा वन्दन है,
वीरता नहीं, तो सभी विनय क्रन्दन है।
सिर पर जिसके असिघात, रक्त – चन्दन है,
भ्रामरी उसी का करती अभिन्दन है।
दानवी रक्त से सभी पाप धुलते हैं,
ऊँची मनुष्यता के पथ भी खुलते हैं।
(क) कवि किसके समान जीने को कहता है?
(i) योगियों के
(ii) भोगियों के
(iii) विजयी व्यक्तियों के
(iv) राजाओं के
उत्तर:
(iii) विजयी व्यक्तियों के
(ख) ‘भले व्योम फट जाए’ पंक्ति का अर्थ है-
(i) कितनी ही मुसीबत आ जाए।
(ii) मूसलाधार वर्षा हो जाए।
(iii) आसमान दो टुकड़ों में बँट जाए।
(iv) आसमान से फूलों की वर्षा हो जाए।
उत्तर:
(i) कितनी ही मुसीबत आ जाए।
(ग) ‘है रुकी जहाँ भी धार’ प्रतीक है-
(i) पानी की धारा का
(ii) मार्ग में आने वाली बाधाओं का
(iii) नदी की धार के बीच में आई चट्टान का
(iv) रास्ते में पड़ने वाले तालाब का
उत्तर:
(ii) मार्ग में आने वाली बाधाओं का
(घ) जगत में वह जाति स्वतंत्र कभी नहीं हो सकती जो-
(i) अन्याय का विरोध करती है और दूसरों के आगे नहीं झुकती।
(ii) झुककर अन्याय के कोड़े सहती जाती है और कुछ नहीं बोलती।
(iii) बिना झुके कोड़े सहती जाती है पर अपनी आन को बचाए रखती है।
(iv) अन्याय सहते हुए आन को बचाने की कोशिश करती है।
उत्तर:
(ii) झुककर अन्याय के कोड़े सहती जाती है और कुछ नहीं बोलती।
(ङ) ‘जो सत्य राख में सने’ पंक्ति में राख किसका प्रतीक है-
(i) लकड़ी के बाद शेष वस्तु का
(ii) जलकर भस्म होने का
(iii) झूठ का
(iv) पराजय का
उत्तर:
(iii) झूठ का
अथवा
मैं नीर भरी दुख की बदली !
स्पंदन में चिर निस्पंद बसा,
क्रंदन में आहत विश्व हँसा,
नयनों में दीपक से जलते,
पलकों में निर्झणी मचली !
मेरा पग पग संगीत भरा,
श्वासों में स्वप्न पराग झरा,
नभ के नव रंग बुनते दुकूल,
छाया में मलय बयार पली !
मैं क्षितिज भृकुटि पर घिर धूमिल,
चिंता का भार बनी अविरल,
रज-कण पर जल-कण हो बरसी,
नव जीवन – अंकुर बन निकली !
पथ न मलिन करता आना,
पद चिह्न न दे जाता जाना,
सुधि मेरे आगम की जग में,
सुख की सिहरन हो अंत खिली !
विस्तृत नभ का कोई कोना,
मेरा न कभी अपना होना,
परिचय इतना इतिहास यही,
उमड़ी कल थी मिट आज चली
(क) ‘क्रंदन में आहत विश्व हँसा कथन का भाव है कि-
(i) बादलों के गरजने पर लोग हँसने लगे।
(ii) बादलों के गरजने से चारों ओर चीख-पु – पुकार मच गई।
(iii) बादलों के गरजने से विरहिणी आहत हुई।
(iv) बादलों के गरजने से गर्मी से तप्त लोग प्रसन्न हुए।
उत्तर:
(iv) बादलों के गरजने से गर्मी से तप्त लोग प्रसन्न हुए।
(ख) ‘नभ के नवरंग बुनते दुकूल’ का आशय है कि-
(i) बादलों के लिए कपड़े बुनते हैं।
(ii) बादलों के साठ उड़ते रहते हैं।
(iii) बादलों को रंगीन आभा देते हैं।
(iv) प्रिय के दुपट्टे जैसा लगता है।
उत्तर:
(iii) बादलों को रंगीन आभा देते हैं।
(ग) कवयित्री. किस रास्ते पर चलना चाहती है?
(i) स्वच्छ और चिन्ह रहित
(ii) मलिन और पद सहित
(iii) मलिन
(iv) पद सहित
उत्तर:
(i) स्वच्छ और चिन्ह रहित
(घ) काव्यांश के अनुसार महादेवी जी का जीवन किससे भरा हुआ है?
(i) प्रसन्नता से
(ii) वेदना से
(iii) खुशी से
(iv) आनंद से
उत्तर:
(iv) आनंद से
(ङ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
(I) अपनी विरह वेदना को कवयित्री आँसुओं के रूप में बहाना चाहती हैं।
(II) कवयित्री ने स्वयं को आँसुओं से भरी हुई बदली के रूप में अभिव्यक्त किया है।
(III) कवयित्री ने अपने दुःख को पानी के रूप में अभिव्यक्त किया है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा / कौन-से सही हैं?
(i) केवल I
(ii) केवल III
(iii) I और II
(iv) II और III
उत्तर:
(iii) I और II
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1 × 5 = 5)
(क) लोकप्रिय लेखकों के लेखों की नियमित श्रृंखला
(i) स्तम्भ लेखन कही जाती है।
(ii) समाचार लेखन
(iii) सूचना लेखन
(iv) कोई नहीं
उत्तर:
(i) स्तम्भ लेखन कही जाती है।
(ख) शीर्षक, मुखड़ा और निकाय किसके अंग हैं?
(i) फीचर के
(ii) आलेख के
(iii) नाटक के
(iv) समाचार लेखन के
उत्तर:
(iv) समाचार लेखन के
(ग) जब कोई एंकर शब्दों के माध्यम से किसी खबर को दर्शकों को बताता है तो उसे क्या कहते हैं?
(i) संपादक
(ii) ड्राई एंकर
(iii) लेखक
(iv) कवि
उत्तर:
(ii) ड्राई एंकर
(घ) कॉलक ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान कीजिए।
कॉलम ‘क’ | कोलम ‘ख’ |
(a) बीबीसी | (I) श्रव्य माध्यम |
(b) एओएल | (II) हिंदी की साइट |
(c) रेडियो | (III) समाचार लेखन |
(d) छह ककार | (IV) अमेरिका ऑनलाइन |
(i) (a) – (IV), (b)-(III), (c) – (I), (d)-(II)
(ii) (a) – (II), (b)-(IV), (c)-(I), (d)-(III)
(iii) (a)-(II), (b)-(I), (c)-(IV), (d)-(III)
(iv) (a)-(I), (b)-(II), (c)-(III), (d)-(IV)
उत्तर:
(ii) (a) – (II), (b)-(IV), (c)-(I), (d)-(III)
(ङ) खेल और सिनेमा किसके प्रकार हैं?
(i) फीचर के
(ii) आलेख के
(iii) कहानी के
(iv) विशेष रिपोर्ट के
उत्तर:
(iv) विशेष रिपोर्ट के
प्रश्न 4.
दिए गए काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए। (1 x 5 = 5)
हो जाए न पथ में रात कहीं,
मंजिल भी तो है दूर नहीं
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी
चलता है।
दिन जल्दी-जल्दी ढलता हैं?
(क) कवि के मन की आशंका क्या है?
(i) पथिक के घर पहुँचने से पहले रात न हो जाए
(ii) पथिक जल्दी घर पहुंचे
(iii) उसकी मंजिल दूर है
(iv) वह थका हुआ है
उत्तर:
(i) पथिक के घर पहुँचने से पहले रात न हो जाए
(ख) कवि के मन में कौनसी आशा है?
(i) कहीं रात न हो जाए
(ii) मंजिल पास ही है
(iii) रास्ता संकटग्रस्त न हो
(iv) न जाने घर कब पहुँचेगा
उत्तर:
(ii) मंजिल पास ही है
(ग) दिन जल्दी-जल्दी ढलता है पंक्ति में क्या व्यग्रता है?
(i) दिन के ढलने की
(ii) रात के होने की
(iii) लक्ष्य को पाने की
(iv) घर न पहुँच पाने की
उत्तर:
(iii) लक्ष्य को पाने की
व्याख्यात्मक हल-कवि चाहता है कि दिन ढलने से पहले उसका लक्ष्य पूरा हो जाए इसलिए उसके मन में व्यग्रता है।
(घ) कवि ने ‘पथिक’ का प्रयोग किसके लिए किया है?
(i) आलसी मनुष्य के लिए
(ii) स्वयं के लिए
(iii) लक्ष्य प्राप्त करने वालों के लिए
(iv) जीवन पथ पर बढ़ने वालों के लिए
उत्तर:
(iv) जीवन पथ पर बढ़ने वालों के लिए
(ङ) काव्यांश के कवि हैं-
(i) हरिवंशराय बच्चन
(ii) अलोक धन्वा
(iii) उमाशंकर जोशी
(iv) महादेवी वर्मा
उत्तर:
(i) हरिवंशराय बच्चन
प्रश्न 5.
दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए। (1 × 5 = 5)
लेकिन इस बार मैंने साफ इंकार कर दिया। नहीं फेंकना है मुझे बाल्टी भर-भर कर पानी इस मेंढक मंडली पर। जब जीजी बाल्टी भरकर पानी ले गई उनके बूढ़े पाँव डगमगा रहे थे, हाथ काँप रहे थे, तब भी मैं अलग मुँह फुलाए खड़ा रहा। शाम को उन्होंने लड्डू मठरी खाने को दिए तो मैंने उन्हें हाथ से अलग खिसका दिया। मुँह फेरकर बैठ गया, जीजी से बोला भी नहीं। पहले भी वे तमतमाईं, लेकिन ज्यादा देर तक उनसे गुस्सा नहीं रहा गया।
पास आकर मेरा सर अपनी गोद में लेकर बोलीं, “ देख भईया रूठ मत। मेरी बात सुन यह सब अन्धविश्वास नहीं है। हम इन्हें पानी नहीं देंगे तो इंद्र भगवान हमें पानी कैसे देंगे?” मैं कुछ नहीं बोला। फिर जीजी बोलीं। ” तू इसे पानी की बरबादी समझता है पर यह बरबादी नहीं है। यह पानी का अर्ध्य चढ़ाते हैं, जो चीज मनुष्य पाना चाहता है उसे पहले देगा नहीं तो पाएगा कैसे? इसीलिए ऋषि-मुनियों ने दान को सबसे ऊँचा स्थान दिया है।
(क) लेखक ने क्या करने से इंकार किया?
(i) इंद्र सेना पर पानी डालने से
(ii) लड्डू – मठरी खाने से
(iii) पानी की बर्बादी करने का
(iv) जीजी से बात करने का
उत्तर:
(i) इंद्र सेना पर पानी डालने से
व्याख्यात्मक हल-लेखक का मानना था कि इंद्र सेना पर पानी डालना केवल पानी की बर्बादी है।
(ख) लेखक इंद्र सेना पर पानी डालने को क्या समझता था?
(i) पानी की बर्बादी
(ii) प्रसन्नता
(iii) तमतमाना
(iv) पाखंड
उत्तर:
(i) पानी की बर्बादी
(ग) जीजी के अनुसार इंद्र सेना को बुलाना क्या था?
(i) पानी को बहाना
(ii) पानी का अर्घ्य चढ़ाना
(iii) अन्धविश्वास
(iv) पाखंड
उत्तर:
(ii) पानी का अर्घ्य चढ़ाना
व्याख्यात्मक हल-जीजी का मानना था कि इंद्र सेना पर पानी का अर्घ्य देने से वर्षा अच्छी होती है।
(घ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) : स्वयं को इंद्र भगवान की सेना कहने वाले किशोरों को सब मेढक मंडली कहते थे।
कारण (R) : मेढक मंडली के द्वारा पानी की बर्बादी को लेखक अंधविश्वास मानता था।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं, तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है, लेकिन कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(iv) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
(ङ) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
(I) लेखक अपनी बड़ी बहिन से नाराज था।
(II) लेखक की बड़ी बहिन मेढक मंडली पर पानी डालना इंद्र देवता पर जल का अर्घ्य चढ़ाना मानती थीं।
(III) लेखक अन्धविश्वासी था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही हैं?
(i) केवल (I)
(ii) केवल (III)
(iii) (I) और (II)
(iv) (II) और (III)
उत्तर:
(iii) (I) और (II)
प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)
(क) यशोधर बाबू अपने जीवन में किससे प्रभावित थे?
(i) कृष्णानंद पांडे
(ii) कृष्णानंद वर्मा
(iii) कृष्णानंद शर्मा
(iv) कृष्णानंद गुप्ता
उत्तर:
(i) कृष्णानंद पांडे
व्याख्यात्मक हल-कृष्णानंद पांडे यशोधर बाबू के गुरु थे। वे वातावरण को हल्का बनाने के लिए हासपरिहास करते थे। यशोधर बाबू भी इसी परम्परा का निर्वाह करते थे।
(ख) ‘डायरी के एक पन्ने’ में किट्टी कौन है?
(i) लेखिका की सहेली
(ii) लेखिका की बहिन
(iii) लेखिका की गुड़िया
(iv) लेखिका की माँ
उत्तर:
(iii) लेखिका की गुड़िया
(ग) ‘जूझ’ कहानी के नायक का मन किसके लिए तरसता था?
(i) भैंस चराने के लिए
(ii) पाठशाला जाने के लिए
(iii) खेतों में पानी देने के लिए
(iv) कुएँ पर जाने के लिए
उत्तर:
(ii) पाठशाला जाने के लिए
(घ) ‘जूझ’ शीर्षक से कथानायक की कैसी प्रवृत्ति का पता चलता है?
(i) संघर्षमयी प्रवृत्ति
(ii) अकर्मण्य प्रवृत्ति
(iii) निराशाजक प्रवृत्ति
(iv) हतोत्साहित होना
उत्तर:
(i) संघर्षमयी प्रवृत्ति
(ङ) देसाई के बाड़े का बुलावा लेखक के लिए कैसी बात थी?
(i) शर्म की
(ii) झिझक की
(iii) सम्मान की
(iv) निंदा की
उत्तर:
(iii) सम्मान की
(च) यशोधर बाबू किसकी पुस्तकें पढ़ते हैं?
(i) सीताप्रेस गोरखपुर की
(ii) गीताप्रेस हरिद्धार की
(iii) गीताप्रेस गोरखपुर की
(iv) गीताप्रेस मथुरा की
उत्तर:
(iii) गीताप्रेस गोरखपुर की
(छ) माँ की मृत्यु के बाद यशोधर बाबू किसके पास रहे?
(i) विधवा बुआ के पास
(ii) विधवा चाची के पास
(iii) विधवा मामी के पास
(iv) विधवा मौसी के पास
उत्तर:
(i) विधवा बुआ के पास
(ज) सिंधु घाटी सभ्यता को कौनसी संस्कृति कहा गया है?
(i) थल संस्कृति
(ii) जल संस्कृति
(iii) नभ संस्कृति
(iv) अटल संस्कृति
उत्तर:
(ii) जल संस्कृति
(झ) मोहन जोदड़ो की सभ्यता किस पर आधारित थी?
(i) असमानता पर
(ii) समानता पर
(iii) जांत-पांत पर
(iv) भेदभाव पर
उत्तर:
(ii) समानता पर
(ञ) राजस्थान के कुलधारा गाँव के लोग कैसे थे?
(i) कायर
(iii) दुर्बल
(ii) निर्बल
(iv) स्वाभिमानी
उत्तर:
(iv) स्वाभिमानी
खंड ‘ब’
वर्णनात्मक प्रश्न (40 अंक)
प्रश्न 7.
दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए। (6)
(क) बारिश बिन छतरी
(ख) सैर के दौरान घटी हुई घटना
(ग) सफर में बस का टायर पंक्चर होना
(घ) मेरी माँ की ममता
उत्तर:
(क) बारिश बिन छतरी:
मुझे याद है 15 जुलाई, 2020 का वह ऐतिहासिक दिन जो अविस्मरणीय घटना के रूप में मेरे मानस पटल पर मेरी अंतिम साँस तक अटल रहेगा। शुक्रवार का दिन था। सवेरे सात बजे मैं घर से स्कूल के लिए निकला। आसमान पर बादलों का नामोंनिशान तक नहीं था। माँ ने मुझे कहा था की छाता ले जाओ पर मैंने मना कर दिया। हर बार बरसात के मौसम में एक दो छाते मेरी लापरवाही की वजह से किसी और का भला कर रहे होते। मैं घर से निकला ही था की अचानक बादलों ने मेरे सिर पर छाता तान दिया।
मैं जितना आगे बढ़ता जाता बादल भी उसी गति से मेरा पीछा करते जा रहे थे। मुझे ऐसा लग रहा था कि माँ की बात न मानने की सजा बादल मुझे दे रहे हैं। मुझे ऐसा लग रहा था कि वे मेरे घर से निकलने का ही इंतजार कर रहे थे। मुझे स्कूल के लिए देर हो रही थी इसलिए मैं कहीं शरण भी नहीं ले सकता था। भीगते-भीगते मैं स्कूल पहुँच तो गया पर गीले कपड़ों में मुझे ठण्ड लगने लगी थी। आज पहले कालांश में गणित का टेस्ट और था।
कंगाली में आटा गीला होने वाली बात हो गई थी। गणित का भार भी मुझे बिना वजह ढोना पड़ता था। गणित भी मेरे लिए भूतप्रेत से कम नहीं है। गणित के शिक्षक के सामने मेरी जुबान भी नहीं खुलती थी। पर उनके देखने मात्र से ही मे कपड़े सूख गए। उस दिन मेरा टेस्ट नहीं हुआ। अगले दिन स्कूल जाने का मेरा बिल्कुल मन नहीं था पर माँ ने कहा कि गणित के शिक्षक ने उन्हें फोन किया था कि मुझे आज टेस्ट देने के लिए स्कूल जाना होगा। मन मारकर मैं गया और टेस्ट दिया।
(ख) सैर के दौरान घटी हुई घटना:
अभी पिछले सप्ताह की बात है। मैंने अपने दो मित्रों के साथ आमेर घूमने का कार्यक्रम बनाया। नियत समय पर हम लोग गाड़ी लेकर निकल पड़े। मौसम भी सुहाना था। धूप-छाँव की स्थिति थी। मंद-मंद हवा चल रही थी। खाते-पीते गाना गाते हम आमेर के रास्ते पर चल पड़े। बातें करते-करते हम कब आमेर पहुँच गए इसका पता ही नहीं चला। वहाँ पहुँच कर हमने निश्चय किया कि आमेर मंदिर तक का रास्ता गाड़ी से ही तय करेंगे। अबकी बार ड्राइविंग करने का निर्णय मैंने लिया।
मैं बड़े धीरे-धीरे और सावधानी से गाड़ी को चढ़ाई पर ले जा रह था। अचानक ही जोर के धक्के से गाड़ी रुक गई और नीचे की ओर जाने लगी। हम सब घबरा गए। मैंने जल्दी से हैण्ड ब्रेक खींचा और गाड़ी को नीचे जाने से रोका। हम सभी मित्रों के चेहरे पर चिंता के भाव स्पष्टतया नजर आने लगे थे। हमारी गाड़ी को रुका हुआ देखकर पुलिस का एक सिपाही हमारे पास आया और उसने हमारी चिंता का कारण पूछा। हमारे बताते ही उन्होंने हमें नीचे उतरने को कहा और स्वयं इंजन का निरीक्षण करने लगे। पाँच मिनट बाद ही गाड़ी का इंजन शुरू हो गया। हमने उनका धन्यवाद किया और बढ़ चले आगे की ओर। बस कुछ ही पलों में हम मंदिर के सामने थे। वहाँ हमने दर्शन किए और फिर खूब मजे किए। शाम को चार बजे हम अपने घर लौट आये।
(ग) सफर में बस का टायर पंक्चर होना गत वर्ष मेरे ममेरे भाई की शादी थी। नवम्बर का महीना था। उस महीने में शादियाँ बहुत थीं इसलिए रेलगाड़ी में आरक्षण मिला नहीं सो हमने बस से जाने का निश्चय किया। मैं, मेरा छोटा भाई, माताजी, पिताजी और दादाजी, हम सब नियत दिन बस से यात्रा करने के लिए बस स्टैंड पहुँच गए। बस चलने का समय शाम 6 बजे का था और सात बजे तक वह वहां से चली ही नहीं। लगभग सवा सात बजे बस लखनऊ के लिए रवाना हुई। 9 बजे बस एक स्थान पर रुकी। वहां पर हमने खाना खाया। साढ़े नौ बजे बस गंतव्य के लिए रवाना हुई। हमें नींद आने लगी थी। बस के सभी यात्री ऊंघने लगे थे। बस में हिचकोले खाते हुए सोने का मजा ही कुछ ओर है।
अचानक हिचकोले आने बंद हो गए। आँख खुली तो देखा कि बस रुकी हुई है। खिड़की से बाहर झाँका तो दूर तक बीहड़ वन और अँधेरे के खाना अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। आधा घंटा हो चुका था और बस रवाना ही नहीं हुई थी। ड्राइवर ने बताया कि टायर पंक्चर हो गया है। सर्दी बढ़ती जा रही थी और साथ-साथ हमारे मन की घबराहट भी क्योंकि ड्राइवर ने बताया कि नए टायर का इंतजाम सुबह तक ही हो पायेगा इसलिए सबको बस में ही रात गुजारनी होगी। वन में और बस में रात बिताने का यह नितांत नया अनुभव था। खैर सोते जागते ऊँघते किसी तरह रात गुजरी और सुबह की किरण एक नयी आशा के साठ आई। बस का टायर बदला गया और हम अपने गंतव्य पहुंचे।
(घ) मेरी माँ की ममता:
माँ का रिश्ता दुनिया में सबसे ऊपर होता है। शास्त्रों में माँ को भगवान माना गया है। जिस प्रकार भगवान हमारा पालन-पोषण करते हैं, हमारी हर इच्छा को पूरा करते हैं, वैसे ही हमारी माँ भी हमारी रक्षा, पालन-पोषण करती है, और स्वयं कष्ट सहकर हमें कष्टों से बचाती है। मेरी माँ दुनिया में सबसे प्यारी है। वे मेरी हर जरूरत का ख्याल रखती है। मैं भी अपनी माँ की सेवा करता हूँ। मेरी माँ घर में सबसे पहले जग जाती हैं। घर की साफ-सफाई और स्नान-पूजा से निवृत्त हो वे मुझे उठाती हैं। मेरे स्नानादि करने के बाद माँ मेरे लिए नाश्ता तैयार करती हैं, और मुझे स्कूल जाने के लिए तैयार करती हैं। मुझे नाश्ता कराती हैं, और स्कूल में खाने के लिए हमारे बस्ते में खाने का सामान रखती हैं।
अनेक बार मैं अपना खाना अपने मित्रों के साथ बाँट लेता हूँ। मेरे सभी मित्र मेरी माँ के द्वारा बनाए गए खाने की तारीफ करते हैं। उनकी तारीफ सुनकर मैं बहुत खुश होता हूँ। मेरी माँ वास्तव में बहुत स्वादिष्ट भोजन बनाती हैं। उसे देखकर ही भूख खुल जाती है। मेरी माँ मेरे मित्रों को भी बहुत प्यार करती हैं। मेरे सभी मित्र उनका आदर करते हैं। मैं और मेरी छोटी बहिन माँ की आज्ञा का पालन करते हैं, और छुट्टी में के दिन घर की साफ-सफाई में उनका हाथ बाँटते हैं। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है, कि मुझे हर जन्म में मेरी माँ ही माँ के रूप में मिलें।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) नाटक में कथावस्तु के महत्व को प्रतिपादित कीजिए।
(ख) कहानी के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
(ग) कविता अन्य कलाओं की तरह सिखाई क्यों नहीं जा सकती?
उत्तर:
(क) नाटक में कथावस्तु का बहुत महत्व है। वास्तव में कथावस्तु को ‘नाटक’ की संज्ञा दी गई है। इसे अंग्रेजी में ‘प्लाट’ कहते हैं। कथा सभी रचनाओं की रीढ़ होती है इसलिए यह सभी प्रबंधात्मक रचनाओं में अनिवार्य है। भारतीय आचार्यों द्व नाटक में तीन प्रकार की कथाओं का नि रण किया है प्रख्यात, उत्पाद्य और मिस्र प्रख्यात कथा इतिहास, पुराणों से प्राप्त कथा प्रख्यात कथा होती है और कल्पना पर आश्रित कथा उत्पाद्य कथा होती है। मिस्रं प्रख्यात कथा में इतिहास और कल्पना दोनों का ही योग होता है।
इनके आधारों पर नाटक कथा को मुख्य, गौण और प्रासंगिक भागों में बाँटा गया है। प्रासंगिक के दो भाग पताका और प्रकरी हैं। पताका मुख्य कथा के साथ-साथ चलती है और प्रकरी बीच में ही समाप्त हो जाती है नाटक को अपनी कथावस्तु की योजना में पात्रों और घटनाओं में इस प्रकार संगति बैठानी होती है कि पात्र अपने अभिनय के साथ न्याय कर सकें।
(ख) कहानी का इतिहास उतना ही पुराना है जितना मानव इतिहास। कहानी मानव स्वभाव और प्रकृति का अंग है। जैसे-जैसे आदिम मानव ने अपना विकास आरम्भ किया वैसे-वैसे ही कहानी ने अपना विकास किया। कथावाचक कथा सुनाते थे। उनकी कथा का कथानक युद्ध, प्रेम और प्रतिशोध आदि के किस्से होते थे। मानव मन कल्पना के सागर में गोते लगाता है इसलिए उसकी कथाओं में कल्पनाओं का भंडार होता था। सच्ची घटनाओं पर आधारित कहानी सुनाते-सुनाते मनुष्य उसमें कल्पनाओं का मिश्रण करने लगा। इसका प्रमुख कारण यह था कि मनुष्य को अच्छा लगता है, वह उसे ही सुनना चाहता है। प्राचीनकाल से कहानी ने विराट स्वरूप धारण कर लिया था क्योंकि पूर्व समय में इसके अतिरिक्त मनोरंजन का कोई और साधन नहीं था। इस प्रकार कहानी प्राचीन समय से आज तक अपना प्रभुत्व जमाए हुए है।
(ग) कविता अन्य कलाओं की तरह सिखाई नहीं जा सकती। चित्रकला में रंग, कूंची, कैनवास और संगीत में वाद्य यंत्र, स्वर, ताल आदि की आवश्यकता पड़ती है परन्तु कविता में किसी बाह्य उपकरण की आवश्यकता भी नहीं होती और न ही किसी बाह्य उपकरण की मदद ली जा सकती है। कवि के सामने एक प्रमुख समस्या यह भी होती है कि उसकी सीमा केवल शब्दों तक ही निर्धारित होती है। उसे अपनी इच्छानुसार ही शब्दों को जुटाकर उसे लयबद्ध करना होता है इसलिए अन्य कलाओं की तरह इसे सिखाया नहीं जा सकता।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में दीजिए। (4 × 2 = 8)
(क) प्रिंट (मुद्रित) माध्यमों के लेखन में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
(ख) समाचार लेखन करते समय किन छह सवालों का जवाब देने की कोशिश की जाती है? स्पष्ट कीजिए।
(ग) विशेष लेखन में विशेषज्ञता किस प्रकार हासिल की जा सकती है?
उत्तर:
(क) प्रिंट (मुद्रित) माध्यम में लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- मुद्रित माध्यमों में लेखक को जगह (स्पेस) का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए। जैसे किसी अखबार या पत्रिका के संपादक ने अगर 250 शब्दों में रिपोर्ट या फीचर लिखने को कहा है, तो उस शब्द-सीमा का ध्यान रखना पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि अखबार या पत्रिका में असीमित जगह नहीं होती।
- मुद्रित माध्यम के लेखक या पत्रकार को इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है कि छपने से पहले आलेख में मौजूद सभी गलतियों और अशुद्धियों को दूर कर दिया जाए, क्योंकि एक बार प्रकाशन के बाद वह गलती या अशुद्धि वहीं चिपक जाएगी। उसे सुधारने के लिए अखबार या पत्रिका के अगले अंक का इंतजार करना पड़ेगा।
- भाषा सरल, सहज तथा बोधगम्य होनी चाहिए।
- शैली रोचक होनी चाहिए।
(ख) किसी समाचार को लिखते हुए जिन छह सवालों का जवाब देने की कोशिश की जाती है, वे हैं-
- क्या हुआ ?
- किसके साथ हुआ ?
- कब हुआ ?
- कहाँ हुआ ?
- कैसे हुआ ?
- क्यों हुआ ?
इस क्या, किसके (या कौन), कब कहाँ, कैसे और क्यों को ही छह ककारों के रूप में जाना जाता है। समाचार के मुखड़े (इंट्रो) यानी पहले पैराग्राफ या शुरुआती दो-तीन पंक्तियों में आमतौर पर तीन या चार ककारों को आधार बनाकर खबर लिखी जाती है। ये चार ककार हैं- क्या, कौन, कब और कहाँ? इसके बाद समाचार की बॉडी में और समापन के पहले बाकी दो ककारों-कैसे और क्यों – का जवाब दिया जाता है। इस तरह छह ककारों के आधार पर समाचार तैयार होता है। इनमें से पहले चार ककार – क्या, कौन, कब और कहाँ-सूचनात्मक और तथ्यों पर आधारित होते हैं, जबकि बाकी दो ककारों – कैसे और क्यों-में विवरणात्मक, व्याख्यात्मक और विश्लेषणात्मक पहलू पर जोर दिया जाता है।
(ग) विशेष लेखन के किसी भी विषय में विशेषज्ञता इस प्रकार हासिल की जा सकती है-
- जिस भी विषय में विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हैं, उसमें आपकी वास्तविक रुचि होनी चाहिए।
- उच्चतर माध्यमिक (+2) और स्नातक स्तर पर उसी या उससे जुड़े विषय में पढ़ाई करें।
- अपनी रुचि के विषय में पत्रकारीय विशेषज्ञता हासिल करने के लिए उन विषयों से संबंधित पुस्तकें खूब पढ़नी चाहिए।
- विशेष लेखन के क्षेत्र में सक्रिय लोगों के लिए खुद को अपडेट रखना बेहद जरूरी होता है। इसके लिए उस विषय से जुड़ी खबरों और रिपोर्टों की कटिंग करके फाइल बनानी चाहिए।
- उस विषय के प्रोफेशनल विशेषज्ञों के लेख और विश्लेषणों की कटिंग भी सहेजकर रखनी चाहिए।
- एक तरह से उस विषय में जितना संभव हो, संदर्भ सामग्री जुटाकर रखनी चाहिए।
- उस विषय का शब्दकोश और इनसाइक्लो- पीड़िया भी आपके पास होनी चाहिए।
- विषय विशेष से जुड़े सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों और संस्थाओं की सूची, उनकी वेबसाइट का पता, टेलीफोन नंबर और उसमें काम करने वाले विशेषज्ञों के नाम और फोन नंबर अपनी डायरी में रखने चाहिए।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) “ कैमरे में बंद अपाहिज” कविता सामाजिक संवेदनशून्यता को दर्शाती है। कैसे?
(ख) ‘बादल राग जीवन-निर्माण के नए राग का सूचक है।’ स्पष्ट कीजिए।
(ग) फिराक की रुबाइयों में हिंदी का घरेलू रूप दिखाई देता है। उदाहरण द्वारा सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
(क) कैमरे में बंद अपाहिज’ समाज के उन तथाकथित व्यापारियों पर तीखा व्यंग्य करती है जो अपाहिजों के दर्द को सिर्फ इसलिए कुरेदते हैं जिससे उनका व्यापार अधिक से अधिक फैले। इस प्रकार के मीडियाकर्मी केवल अपने चैनल की टी. आर. पी. को बढ़ाने के लिए अपाहिजों की मजबूरी और दीनता को बार-बार जनता के सामने उभारते हैं जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग उनके चैनल से चिपके रहें। ऐसा करके वे वास्तव में संवेदनहीनता का साक्षात् उदाहरण देते हैं। इस प्रकार किसी भी मजबूर अपाहिज के दर्द को बार-बार कुरेद कर उन्हें और अधिक दुखी करते हुए अपने व्यापार को बढ़ाना अत्यंत ही क्रूर कर्म है। इससे अधिक घिनौना कर्म कोई हो ही नहीं सकता।
(ख) इस कविता के कवि ने लघु-मानव की खुशहाली का राग गया है। वह आम व्यक्ति के लिए बादल का आह्वान क्रांति के रूप में करता है। किसान मजदूर की आकांक्षाएँ बादल को नवनिर्माण के राग के रूप में पुकार रही हैं। क्रांति हमेशा वंचितों को प्रतिनिधित्व करती है। बादलों के अंग-अंग में बिजलियाँ सोई हैं, वज्रपात से शरीर आहत होने पर भी वे हिम्मत नहीं हारते। गरमी से हर तरफ सब कुछ रुखा-सूखा और मुरझाया – सा है। धरती के भीतर सोए अंकुर नवजीवन की आशा में सिर ऊँचा करके बादल की उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं। क्रांति जो हरियाली लाएगी, उससे सबसे उत्फुल्ल नए पौधे, छोटे बच्चे ही होंगे।
(ग) फिराक गोरखपुरी उर्दू के शायर हैं। उनकी रुबाइयों को पढ़कर लगता है कि उन्हें हिंदी भाषा का भी ज्ञान था। उन्होंने अपनी रुबाइयों में हिंदी भाषा के लोक प्रचलित रूपों का बहुत ही स्वाभाविक रूप से प्रयोग किया है। ‘चाँद का टुकड़ा’, ‘लोका देना’, कपडे पिन्हाना’ आदि घरेलू हिंदी के ही उदाहरण हैं। घरेलू शब्दों के प्रयोग के कारण ही उनकी रुबाइयों को अनपढ़ व्यक्ति भी पढ़कर उनका आनंद उठा सकता है। कुछ उदाहरण के उच्चारण तो बहुत ही सुंदर बन पड़े हैं। जैसे ‘बालक तो हई चाँद पे ललचाया है।’ इस पंक्ति में ‘हई’ शब्द का उच्चारण अत्यंत ही सुंदर और स्वाभाविक है।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 2 = 4 )
(क) उषा के कौनसे जादू को सूर्योदय तोड़ रहा है?
(ख) ‘मुझसे मिलने को कौन विकल’ ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ कविता के आधार पर पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
(ग) ‘कविता एक खेल बच्चों के बहाने ‘ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) सूर्योदय उषा के अलौकिक सौन्दर्य को धीरे-ध रे नष्ट कर रहा है। सूर्य के उदय होने से पहले आकाश पल-पल परिवर्तित होता रहता है। कवि उस लाल-काली छवि को विभिन्न उपमानों के माध्यम से स्पष्ट कर रहा है। उसने आकाश को नीले शंख के समान बताया है पर जैसे ही सूर्य उदित हुआ वैसे ही उषा के रंग-रूप का वह जादू पूरी तरह से प्रकट नहीं हो पाता। यही अवर्णनीय और अलौकिक सौन्दर्य सूर्योदय की पवन बेला में नष्ट होने लगा है।
(ख) कविता के अनुसार कवि अकेला है। न तो उसे अपने किसी प्रिय की प्रतीक्षा है और न ही कोई प्रिय उसकी प्रतीक्षा कर रहा है इसलिए न तो उसके चित्त में किसी के लिए कोई तरंग है और न ही उसके कदमों में कोई चंचलता है। उसके हृदय में निराशा और उदासी के भाव हैं इसलिए उसका समय भी नहीं कटता।
(ग) कविता बच्चों की आनंदपरक क्रीड़ा के समान शब्दों के खेल खेलती है। शब्दों के माध्यम से कवि मनमाने अर्थ, प्रभाव और सौन्दर्य की रचना करता है। उनका खेल भेदभाव से रहित होता है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए| (3 × 2 = 6)
(क) सर्वग्रासी काल की मार से बचते हुए, वही दीर्घजीवी हो सकता है, जिसने अपने व्यवहार में जड़ता छोड़कर नित बदल रहीं स्थितियों में निरंतर अपनी गतिशीलता बनाए रखी है। ‘शिरीष के फूल’
पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
(ख) भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है?
(ग) आदर्श समाज की स्थापना में डॉक्टर आम्बेडकर के क्या विचार थे?
उत्तर:
(क) सृष्टि का यह एक अटल नियम है कि जिसने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु भी निश्चित है। बुढ़ापा और मृत्यु इस नश्वर संसार के अति प्रामाणिक सत्य है। निश्चित अवधि के बाद हर वस्तु का अंत अनिवार्य है। जड़ता मृत्यु का ही दूसरा नाम है। किसी भी व्यक्ति या वस्तु में जब तक विकसित होने तथा नएपन के स्वागत का मादा है, तब तक वह जीवित रह सकता है। एक वृक्ष का फल ज्यों ही वृक्ष से रस लेकर पक जाता है, उसका वृक्ष से गिरना तय हो जाता है। वह वृक्ष से तभी तक जुड़ा रह सकता, गिरने से बचा रह सकता है, जब तक वह वृक्ष से रस लेकर अपने आप को विकसित कर रहा होता है।
इसी प्रकार एक व्यक्ति जब तक अपने जीवन में कुछ न कुछ प्राप्त करने का प्रयास करता रहता है, अपने प्राणों को उर्ध्वमुखी रखता है, तभी तक चेतना उसके शरीर में विद्यमान रहती है। सामाजिक रूप से भी वही व्यक्ति अधिक सफल और दीर्घजीवी माना जाता है, जो अपने व्यवहार में जड़ता नहीं आने देता। नएपन के स्वागत के लिए हमेशा तैयार रहता है। निरंतर बदल रहीं परिस्थितियों से समन्वय बनाए रखता है। अपने विचारों और सिद्धातों पर अड़कर बैठना ही मृत्यु है, इसलिए जीवित रहने के लिए विचारों की गतिशीलता आवश्यक है।
(ख) भक्तिन की यह विशेषता है कि वह हर बात को चाहे वह शास्त्र की क्यों न हो, अपनी सुविधा के अनुसार ढाल लेती है। अपनी समझ में वह बहुत समझदार है। वह हर बात का अपना अलग ही अर्थ निकाल लेती है। वह सिर घुटाये रखती थीं। लेखिका को उसका ऐसा करना अच्छा नहीं लगता था। जब उन्होंने उसे ऐसा करने से मना कर दिया तो उसने उन्हें शास्त्रों की दुहाई दी। जब लेखिका ने पूछा कि क्या लिखा है तो उसने जवाब दिया कि तीरथ गए मुंडाएं सिद्ध। भक्तिन को यह नहीं पता था कि यह किस शास्त्र में लिखा है। लेखिका जानती थीं कि यह कथन किसी व्यक्ति का है पर वह भक्तिन को को सिर घुटाने से नहीं रोक सकी।
(ग) डॉ. अम्बेडकर ने आदर्श समाज की स्थापना के लिए जन्मजात समानता का विचार दिया है। उनका मानना है कि श्रम विभाजन जन्म और जाति पर न होकर रूचि के आधार पर होना चाहिए। हम उनके इस विचार से पूर्णतया सहमत हैं। अभी तो कुछ लोग जन्म से ही स्वयं को ऊँचा मानते हैं और कुछ लोग स्वयं को नीचा मानते हैं। इससे जाति प्रथा बढ़ती है और समाज में असमानता भी बढ़ती है। यदि सबको अपनी अपनी रूचि के अनुसार काम चुनने का अवसर मिलेगा तो उन्हें सबसे बराबर का सम्मान मिलेगा। ऐसा ही समाज़ सुखी और संतुष्ट होता है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 x 2 = 4)
(क) बाजार में भगत जी के व्यक्तित्व का कौन-सा सशक्त पहलू उभर कर आता है? क्या आपकी नजर में उनका आचरण समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है?
(ख) ‘ढोल’ कहानी के आधार पर गाँव में व्याप्त महामारी की भयावहता को स्पष्ट कीजिए।
(ग) घर-भर की उपेक्षा पाकर भी भक्तिन सौभाग्यशालिनी किस प्रकार थी?
उत्तर:
(क) भगत जी के अंदर समर्पण की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। धन संचय की ओर उनकी लेशमात्र भी रूचि नहीं है। उनका सोचना है कि यदि मनुष्य अपनी आवश्यकतानुसार ही खरीददारी करे, तो महँगाई नहीं बढ़ेगी। महँगाई नहीं बढ़ने से मनुष्यों में असंतोष की भावना भी नहीं होगी और समाज में शांति रहेगी। भगत जी जैसे व्यक्ति समाज में प्रेम और सौहाद्र का संदेश देते हैं जो समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है।
(ख) जाड़े की ऋतु में गाँव में मलेरिया और हैजे का प्रकोप इतना भयानक था कि गांववासी भयभीत रहते थे। उनकी आँखों में खौफ रहता था। रात्रि में गीदड़ और उल्लू की आवाजें रात्रि की भयानकता को और बढ़ा देती थीं। भावी आशंका के डर से कुत्ते रोने लगते थे। अनावृष्टि के कारण अन्न की भी कमी हो गई थी। निर्धनता में औषधि और पथ्य भी लोगों को नसीब नहीं था।
(ग) भक्तिन के ससुराल में सभी नारी सदस्य भक्तिन की घोर उपेक्षा करते थे। जेठानियाँ उसका तिरस्कार करती थीं और हमेशा उस पर नाक-भौं सिकोड़ती रहती थीं। वे सब स्वयं तो दिन-भर निठल्ले बैठकर आराम करती रहती थीं और भक्तिन से पूरे घर का काम करवाया करती थीं। इन सबके बावजूद भी भक्तिन बहुत ही सौभाग्यशालिनी थी। इसका कारण यह था कि उसकी जेठानियाँ अपने पतियों के द्वारा पिटती रहती थीं और भक्तिन का पति उसे कभी छूता भी नहीं था।