CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 8 with Solutions

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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 8 with Solutions

समय: 3 घंटे
अधिकतम अंक : 80

सामान्य और आवश्यक निर्देश:

  1. इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’ कुल प्रश्न 13 हैं।
  2. ‘खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर: देते हैं।
  3. खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
  4. प्रश्नों के उत्तर: दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
  5. दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर: देना अनिवार्य है।
  6. यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर: क्रमशः लिखिए।

खण्ड – ‘अ’
वस्तुपरक प्रश्न (40 अंक)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (1 × 10 = 10)
गंगा हमारी प्रवाहमान संस्कृति की प्रतीक रही है। उसके आँचल में अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक परम्पराएँ अनंतकाल से फल-फूल रही हैं। गंगा पुरातन काल से ही एक स्नेहमयी जननी की भांति अपने पवित्र जल से समस्त भारतवासियों का पालन-पोषण करती आ रही है। वास्तविकता तो यह है कि गंगा के बिना भारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हम सब भारतवासी संसार से विरक्त हो सकते हैं, मोह-माया का त्याग कर सकते हैं पर गंगा मैया से अपना नाता किसी भी प्रकार से नहीं तोड़ सकते।

गंगा तो वो सजीव ममता की अविरल धारा है जो अपना हाथ पकड़कर मानव को सागर तक ले जाती है और वहाँ से वह संपूर्ण जगत के तट पर पहुँच जाता है। गंगा का द्वार सबके लिए हमेशा खुला रहता है। मनुष्य की मृत्यु के पश्चात् शरीर की राख गंगा नदी में बहाई जाती है, ये उसे भी स्वीकार कर लेती है। निरंतर प्रवाहमयी यह नदी पापियों का उद्धार करने वाली नदी है।

भारतीय धर्मग्रंथों में इसे पवित्र नदी मान माता का दर्जा दिया गया है। गंगा केवल नदी ही नहीं, एक संस्कृति है। गंगा नदी के तट पर अनेक पवित्र तीर्थों का निवास है। इसका उद्गम स्थल हिमालय में स्थित गंगोत्री नामक स्थान है। हिमालय की बर्फ पिघलकर इसमें आती रहती है। अत: इस नदी में पूरे वर्ष जल रहता है। यह सदा अपने शुद्ध और पवित्र जल से करोड़ों लोगों की प्यास बुझाती है।

समस्त चर-अचर प्राणी इसके जल पर निर्भर हैं। लाखों एकड़ जमीन इस जल से सिंचित होती है। गंगा नदी पर फरक्का आदि कई बाँध बनाकर बहुउद्देशीय परियोजना लागू की गई हैं। गंगा नदी के पानी की पवित्रता के कारण हर शुभ कार्य पर इसका प्रयोग किया जाता है। आमतौर पर पानी ऑक्सीजन की कमी में खराब हो जाता है लेकिन गंगा नदी का पानी कभी भी खराब नहीं होता है।

गंगा नदी में मछली, सर्प और डॉल्फिन भी पाई जाती हैं। मकर सक्रांति पर लाखों की संख्या में लोग गंगा नदी में स्नान करने के लिए जाते हैं। लेकिन मानवीय गतिविधियों और पूजा की सामग्री नदी के पानी में डालने से गंगा नदी का पानी दूषित होता जा रहा है। हम सबको चाहिए कि हम सब मिलकर गंगा नदी को साफ-सुथरा रखें।
(क) गंगा को हमारी प्रवाहमान संस्कृति का प्रतीक क्यों बताया गया है?
(i) क्योंकि उसके आँचल में अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक परम्पराएँ फल-फूल रही हैं।
(ii) क्योंकि उसके आँचल में अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक परम्पराएँ फल-फूल नहीं रही हैं।
(iii) क्योंकि वह माता है।
(iv) क्योंकि वह निरंतर प्रवाहमान है।
उत्तर:
(i) क्योंकि उसके आँचल में अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक परम्पराएँ फल-फूल रही हैं।

(ख) भारतीय धर्मग्रंथों में गंगा नदी को किसका दर्जा दिया गया है?
(i) पत्नी का
(ii) माता का
(iii) पिता का
(iv) कन्या का
उत्तर:
(ii) माता का

(ग) गंगा को सजीव ममता की अविरल धारा क्यों कहा गया है?
(i) क्योंकि वह माता है
(ii) क्योंकि वह जननी है
(iii) क्योंकि वह मानव को सागर तक ले जाती है।
(iv) क्योंकि वह पवित्र नदी है
उत्तर:
(iii) क्योंकि वह मानव को सागर तक ले जाती है।

(घ) गंगा का उद्गम स्थल है-
(i) गंगोत्री
(iii) पर्वत
(ii) यमुनोत्री
(iv) पर्वतमाला
उत्तर:
(i) गंगोत्री

(ङ) गंगा नदी पर कौनसा बाँध बना हुआ है?
(i) सरक्का
(ii) बरक्का
(iii) परक्का
(iv) फरक्का
उत्तर:
(iv) फरक्का

(च) इस नदी में वर्ष भर जल क्यों भरा रहता है?
(i) क्योंकि हिमालय की बर्फ पिघलकर इसमें आती रहती है।
(ii) क्योंकि इसमें समुद्र का पानी आता है।
(iii) क्योंकि इसमें झरने का पानी आता है।
(iv) क्योंकि इसमें नदी का पानी आता है।
उत्तर:
(i) क्योंकि हिमालय की बर्फ पिघलकर इसमें आती रहती है।

(छ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
(I) मनुष्य की मृत्यु के पश्चात् उसकी राख गंगा नदी में बहाई जाती है।
(II) गंगा का द्वार सभी के लिए खुला रहता है। वह अमीर-गरीब में भेदभाव नहीं करता।
(III) मनुष्य की मृत्यु के पश्चात् उसकी आत्मा धरती पर ही रह जाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही हैं?
(i) केवल ( I )
(ii) केवल (III)
(iii) और (III)
(iv) (I) और (II)
उत्तर:
(iii) और (III)

(ज) आमतौर पर पानी क्यों खराब हो जाता है?
(i) ऑक्सीजन की अधिकता के कारण
(ii) कार्बन की अधिकता के कारण
(iii) ऑक्सीजन की कमी के कारण
(iv) कार्बन की कमी के कारण
उत्तर:
(iii) ऑक्सीजन की कमी के कारण

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(झ) किस अवसर पर लाखों की संख्या में लोग गंगा स्नान के लिए जाते हैं-
(i) मकर संक्रांति पर
(ii) सूर्य संक्रांति पर
(iii) चंद्र संक्रांति पर
(iv) उपरोक्त सभी पर
उत्तर:
(i) मकर संक्रांति पर

(ञ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) : गंगा नदी को पावन नदी मानकर माँ की संज्ञा दी गई है। ये सभी प्राणीजन को स्वीकार करती है।
कारण (R) : गंगा केवल एक नदी ही नहीं अपितु एक संस्कृति है जो अनेक पापियों
(i) का उद्धार करती है। कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है, लेकिन कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(i) का उद्धार करती है। कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चयन द्वारा दीजिए- (1 x 5 = 5)
नीलाम्बर परिधान हरित तट पर सुंदर है,
सूर्य-चन्द्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर है,
नदियाँ प्रेम प्रवाह, फूल तारे मंडल हैं,
बंदीजन खग- -वृंद शेषफन सिंहासन है,
करते अभिषेक पयोद हैं, बलिहारी इस वेष की,
हे मातृभूमि तू सत्य ही, सगुण मूर्ति सर्वेश की।
जिसकी रज में लोट-लोटकर बड़े हुए हैं,
घुटनों के बल सरक सरक कर खड़े हुए हैं,
परमहंस सम बाल्यकाल में सब सुख पाए,
जिसके कारण धूल भरे हीरे कहलाए,
हम खेले कूदे हर्षयुत, जिसकी प्यारी गोद में।
हे मातृभूमि तुझको निरख, मग्न क्यों न हो मोद में?
पाकर तुझसे सभी सुखों को हमने भोगा,
तेरा प्रत्युपकार कभी क्या हमसे होगा?
तेरी ही यह देह, मुझसे बनी हुई है,
बस तेरे ही सुरस सार से सनी हुई है।
फिर अंत समय तू ही इसे अचल देख अपनाएगी,
हे मातृभूमि, यह अंत में तुझसे ही मिल जाएगी।

(क) कवि मातृभूमि के कैसे स्वरूप का गुणगान कर रहे हैं?
(i) मनमोहक स्वरूप का
(ii) निरख स्वरूप का
(iii) सुरस स्वरूप का
(iv) अचल स्वरूप का
उत्तर:
(i) मनमोहक स्वरूप का

(ख) कवि के अनुसार नदियों में किसका प्रवाह है?
(i) जल का
(ii) प्रेम का
(iii) तारों का
(iv) बादलों का
उत्तर:
(ii) प्रेम का

(ग) ‘रज’ का क्या अर्थ है?
(i) बादल
(ii) पयोद
(iii) मिट्टी
(iv) धरती
उत्तर:
(iii) मिट्टी

(घ) कवि का जीवन कैसे बीता?
(i) खेलते हुए
(ii) पलते हुए
(iii) चलते हुए
(iv) मिट्टी में घुटने के बल चलते हुए
उत्तर:
(iv) मिट्टी में घुटने के बल चलते हुए

(ङ) ‘प्रत्युपकार’ में प्रयुक्त उपसर्ग है-
(i) प्रति
(ii) प्र
(iii) उपकार
(iv) कार
उत्तर:
(i) प्रति

अथवा

एक दिन सहसा
सूरज निकला
अरे क्षितिज पर नहीं,
नगर के चौक
पर अंतरिक्ष से नहीं
फटी मिट्टी से।
छायाएँ मानव जन की
बिखर गए हों
दसों दिशा में
कुछ क्षण का वह उदय अस्त।
केवल एक प्रज्वलित क्षण की
दृश्य सोख लेने वाली दोपहरी
फिर?
छायाएँ मानव जन की
दिशाहीन
सब ओर पड़ी वह सूरज
नहीं उगा था पूरब में, वह
धूप बरसी
बरसा सहसा बीचों-बीच नगर के
काल सूर्य के रथ के
पहियों के ज्यों अरे टूटकर
नहीं मिटी लंबी हो होकर
मानव ही सब भाप हो गए।
छायाएँ तो अभी लिखी हैं।
झुलसे हुए पत्थरों पर
उजड़ी सड़कों की गच पर।

(क) ‘एक दिन सहसा सूरज निकला’ पंक्ति में किस सूरज का उल्लेख है?
(i) अणुबम
(ii) चाँद
(iii) झुलसाता हुआ
(iv) शांत
उत्तर:
(i) अणुबम
व्याख्यात्मक हल-अमरीका ने जब जापान के दो शहरों पर अणुबम गिराया था तब ऐसा लगा था की मानों सूरज आसमान से चमकता हुआ धरती पर आ गिरा हो।

(ख) वह दुर्घटना कहाँ हुई थी?
(i) जापान में
(ii) अमरीका में
(iii) चीन में
(iv) हिरोशिमा में
उत्तर:
(iv) हिरोशिमा में

(ग) उसे कुछ क्षण का उदय – अस्त क्यों कहा गया है?
(i) क्योंकि अचानक ही सूर्य उदय हुआ था
(ii) क्योंकि अचानक ही सूर्य अस्त हुआ था
(iii) क्योंकि अचानक ही विस्फोट होकर पल भर में सब कुछ नष्ट हो गया था
(iv) क्योंकि सूर्य जल रहा था
उत्तर:
(iii) क्योंकि अचानक ही विस्फोट होकर पल भर में सब कुछ नष्ट हो गया था

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(घ) ‘मानव ही सब भाप हो गए’ इस कथन का आशय है-
(i) सब मनुष्य भाप बनकर उड़ गए।
(ii) सब मनुष्य चले गए
(iii) सब मनुष्य शांत हो गए
(iv) सब मनुष्य राख बन गए
उत्तर:
(iv) सब मनुष्य राख बन गए

(ङ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) झुलसे हुए पत्थर और उजड़ी सड़क परमाणु विस्फोट का प्रमाण है।
(II) खाली पड़े मैदान और बंजर पड़ी जमीन इस बात का प्रमाण हैं कि परमाणु बम का विस्फोट कितना घातक है।
(III) एकांत में रहने पर मनुष्य अपने हृदय के गीत को ही अपना जीवन संगीत बना लेता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा / कौन-से सही हैं?
(i) केवल I
(ii) केवल III
(iii) I और II
(iv) II और III
उत्तर:
(iii) I और II

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए- (1 x 5 = 5)
(क) पत्रकारिता का मूल तत्व है-
(i) नई सूचनाएँ प्रदान करना
(ii) प्रेरणा देना
(iii) खबर छापना
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(i) नई सूचनाएँ प्रदान करना

(ख) स्तम्भ लेखन की विशेषता है-
(i) खबर छापना
(ii) कुछ न लिखना
(iii) चित्र बनाना
(iv) लेखक के विचारों की अभिव्यक्ति
उत्तर:
(iv) लेखक के विचारों की अभिव्यक्ति

(ग) विशेषीकृत पत्रकारिता के अंतर्गत आते हैं-
(i) संसदीय पत्रकारिता
(ii) फोटो पत्रकारिता
(iii) खेल पत्रकारिता
(iv) (i) व (iii) दोनों
उत्तर:
(iv) (i) व (iii) दोनों

(घ) कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान कीजिए।

कॉलम ‘क’ कोलम ‘ख’
(a) खेल, सिनेमा (I) संपादन का सिद्धांत
(b) इंडिया टुडे (II) विशेष लेखन
(c) तथ्यों की शुद्धता (III) समाचार का तत्व
(d) नवीनता (IV) नेट साइट

(i) (a)-(IV), (b)-(III), (c)-(I), (d)-(II)
(ii) (a)-(II), (b)-(IV), (c)-(I), (d)-(III)
(iii) (a)-(II), (b)-(I), (c)-(IV), (d)-(III)
(iv) (a) – (I), (b)-(II), (c)-(III), (d)-(IV)
उत्तर:
(ii) (a)-(II), (b)-(IV), (c)-(I), (d)-(III)

(ङ) सरकार के काम-काज पर नजर रखना और उसमें होने वाली गड़बड़ियों को सबके सामने लाना पत्रकारिता कहलाती है-
(i) पत्रकारिता
(ii) रेखांकन
(iii) वाचडॉग
(iv) स्तंभ लेखन
उत्तर:
(iii) वाचडॉग

प्रश्न 4.
दिए गए काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए- (1 x 5 = 5)
बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
नीड़ों से झाँक रहे होंगे
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
मुझसे मिलने को कौन विकल?
मैं होऊं किसके हित चंचल?
यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है,
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है !

(क) काव्यांश के अनुसार पक्षी का शाम को जल्दी-जल्दी घर लौटने का क्या कारण है?
(i) प्रतीक्षारत बच्चों को भोजन कराना।
(ii) दिन का ढलना
(iii) रात होना
(iv) रास्ता भूलना
उत्तर:
(i) प्रतीक्षारत बच्चों को भोजन कराना।

(ख) कवि को घर लौटने की जल्दी क्यों नहीं है?
(i) क्योंकि उसका कोई घर नहीं है
(ii) क्योंकि उसके घर पर कोई प्रतीक्षारत नहीं है
(iii) क्योंकि वह सबके साथ रहता है
(iv) क्योंकि लोग उसके साथ हैं
उत्तर:
(ii) क्योंकि उसके घर पर कोई प्रतीक्षारत नहीं है

(ग) घोंसले में से झाँकते हुए बच्चे किसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं?
(i) कवि की
(ii) रात होने की
(iii) अपनी माँ की
(iv) दिन ढलने की
उत्तर:
(iii) अपनी माँ की

(घ) कवि के पैरों को कौन – सा प्रश्न शिथिल कर रहा है?
(i) दिन जल्दी-जल्दी ढलता है
(ii) बच्चे प्रत्याशा में होंगे
(iii) भरता उर में विह्वलता है
(iv) मुझसे मिलने को कौन विकल?
उत्तर:
(iv) मुझसे मिलने को कौन विकल?

(ङ) कवि के व्याकुल होने का कारण है
(i) उसका अकेलापन
(ii) उसका अधूरापन
(iii) उसका दुकेलापन
(iv) उसका काम पर जाना
उत्तर:
(i) उसका अकेलापन

प्रश्न 5.
दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए- (1 x 5 = 5)
पर वह स्वयं कोई सहायता नहीं दे सकती, इसे मानना अपनी हीनता स्वीकार करना है। इसी से वह द्वार पर बैठकर बार-बार कुछ बताने का आग्रह करती है। कभी उत्तर-पुस्तकों को बांधकर, कभी अधूरे चित्र को कोने में रखकर, कभी रंग की प्याली धोकर और कभी चटाई को आँचल से झाड़कर वह जैसी सहायता पहुँचाती है, उससे भक्तिन का अन्य व्यक्तियों अधिक बुद्धिमान होना प्रमाणि हो जाता है।

वह जानती है कि जब दूसरे मेरा हाथ बंटाने की कल्पना तक नहीं कर सकते, तब वह सहायता की इच्छा को क्रियात्मक रूप देती है, इसी से मेरी किसी पुस्तक के प्रकाशित होने पर उसके मुख पर प्रसन्नता की आभा वैसे ही उद्भासित हो उठती है जैसे स्विच दबाने से बल्ब में छिपा आलोक।

वह सूने में उसे बार-बार छूकर, आँखों के निकट ले जाकर और सब ओर घुमा-फिराकर मानों अपनी सहायता का अंश खोजती है और उसकी दृष्टि में व्यक्त आत्मघोष कहता है कि उसे निराश नहीं होना पड़ता। यह स्वाभाविक भी है। किसी चित्र को पूरा करने में व्यस्त, मैं जब बार-बार कहने पर भी भोजन के लिए नहीं उठती, तब वह कभी दही का शरबत, कभी तुलसी की चाय वहीँ देकर भूख का कष्ट नहीं सहने देती।
(क) भक्तिन किसे अपनी हीनता मानती थी?
(i) लेखन में महादेवी की सहायता न कर पाने को।
(ii) रंग की प्याली को धोने में।
(iii) चटाई को आँचल से झाड़ने में।
(iv) किताब को बार-बार छूने में।
उत्तर:
(i) लेखन में महादेवी की सहायता न कर पाने को।

(ख) रंग की प्याली धोने और चटाई को झाड़ने का कार्य कर भक्तिन किसका परिचय देती है?
(i) अपनी मजबूरी का
(ii) अपनी बुद्धिमानी का
(iii) अपनी हीनता का
(iv) अपनी कुशलता का
उत्तर:
(ii) अपनी बुद्धिमानी का

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(ग) किसी पुस्तक के प्रकाशित होने पर भक्तिन के मुख की आभा किस के समान उद्भासित होती?
(i) सूरज के
(ii) चाँद के
(iii) बिजली के बल्ब के
(iv) तारों के
उत्तर:
(iii) बिजली के बल्ब के

(घ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) : अपनी निष्ठा से कोई न कोई काम ढूंढ निकालना ही भक्तिन की बुद्धिमत्ता है।
कारण (R) : चित्रकारी के दौरान भक्तिन महादेवी जी की हरसंभव सहायता करती थी
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं, तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है, लेकिन कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं, तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।

(ङ) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
(I) भक्तिन स्वयं को हर प्रकार से महादेवी जी की सहायता के योग्य मानती थी।
(II) काम के बीच-बीच में वह उन्हें भूख से बचाने का प्रयास करती थी।
(III) वह स्वयं के खान-पान का भी पूरा पूरा ध्यान रखती थी
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा / कौन-से सही हैं?
(i) केवल (I)
(ii) केवल (III)
(iii) (I) और (II)
(iv) (II) और (III)
उत्तर:
(iii) (I) और (II)

प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 x 10 = 10)
(क) पूरब की बस्ती को रईसों की बस्ती क्यों कहा गया है?
(i) क्योंकि वहाँ के घर बड़-बड़े और सड़कें चौड़ी थीं।
(ii) वहां बहुत सारे घर बने हुए थे।
(iii) वहाँ की नालियाँ संकरी थीं।
(iv) वहां के घरों में आँगन बने हुए थे।
उत्तर:
(i) क्योंकि वहाँ के घर बड़-बड़े और सड़कें चौड़ी थीं।

(ख) ‘जूझ’ किस श्रेणी का उपन्यास है?
(i) आत्मकथात्मक
(ii) सामाजिक
(iii) संस्मरणात्मक
(iv) रेखाचित्र
उत्तर:
(i) आत्मकथात्मक

(ग) ‘जूझ’ मूलतः किस भाषा में लिखा गया है?
(i) हिंदी
(ii) अंग्रेजी
(iii) मराठी
(iv) गुजराती
उत्तर:
(iii) मराठी

(घ) सिन्धु घाटी सभ्यता की विशेष पहचान है-
(i) वहाँ के जलकुंड
(ii) वहाँ की गलियाँ
(iii) वहाँ की सड़कें
(iv) समरूप धूसर ईंटें
उत्तर:
(iii) वहाँ की सड़कें

(ङ) मास्टर ने कक्षा का मॉनीटर किसे बनाया?
(i) वसंत पाटील को
(ii) आनंदा को
(iii) यशवंत को
(iv) गिरीश को
उत्तर:
(i) वसंत पाटील को

(च) मोहनजोदड़ो से कौनसी लिपि मिली है?
(i) लिखित लिपि
(ii) चित्र लिपि
(iii) मौखिक लिपि
(iv) संकेत लिपि
उत्तर:
(ii) चित्र लिपि

(छ) मंत्री नामक अध्यापक क्या पढ़ाते थे?
(i) मराठी
(ii) संस्कृत
(iii) गणित
(iv) अंग्रेजी
उत्तर:
(iii) गणित

(ज) यशोधर बाबू का पालन-पोषण किसने किया था?
(i) माता ने
(ii) पिता ने
(iii) दादी ने
(iv) विधवा बुआ ने
उत्तर:
(iv) विधवा बुआ ने

(झ) यशोधर बाबू किसके प्रतिनिधि हैं?
(i) पुरानी पीढ़ी के।
(ii) नई पीढ़ी के।
(iii) नई विचारधारा के।
(iv) नवयुवकों के।
उत्तर:
(i) पुरानी पीढ़ी के।

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(ञ) यशोधर बाबू को ऐसा कब लगा कि किशनदा उनके अंगों में उतर आए हैं?
(i) जब उनकी पत्नी ने उन्हें उपहार में ऊनी गाउन दिया।
(ii) जब उनकी पुत्री ने उन्हें उपहार में ऊनी गाउन दिया।
(iii) जब उनके पुत्र ने उन्हें उपहार में ऊनी गाउन दिया।
(iv) जब उनके मित्र ने उन्हें उपहार में ऊनी गाउन दिया।
उत्तर:
(iii) जब उनके पुत्र ने उन्हें उपहार में ऊनी गाउन दिया।

खंड ‘ब’
वर्णनात्मक प्रश्न (40 अंक)

प्रश्न 7.
दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- (6)
(क) जब परीक्षा भवन में मुझे नींद आ गई
(ख) जब बाजार में मेरी चप्पल टूट गई
(ग) जब घर पर अचानक मेहमान आए
(घ) टेक्नोलॉजी : वर्तमान समय का वरदान
उत्तर:
(क) जब परीक्षा भवन में मुझे नींद आ गई:
खंड ‘ब’ वर्णनात्मक प्रश्न बात आज से दो वर्ष पहले की है, मैं दसवीं कक्षा में था। बोर्ड की परीक्षाएँ चल रही थीं। उन दिनों मुझे अचानक बुखार आ गया। दो दिन बाद ही मेरी विज्ञान की परीक्षा थी। वो तो अच्छा था कि मैंने परीक्षा की तैयारी पहले से ही की हुई थी। अब तो मुझे केवल दोहरान ही करना था। बुखार की दवाइयों से नींद-ही- नींद आ रही थी। मैंने किसी तरह तैयारी करी और नियत समय पर परीक्षा देने के लिए पहुँच गया। लगभग दो घंटे तक तो सब कुछ सही रहा पर फिर अचानक मुझे नींद आने लगी। मैंने बहुत कोशिश की पर आखिरकार नींद की ही जीत हुई।

परीक्षक ने परीक्षा समाप्त होने से लगभग आधे घंटे पहले मुझे जगाया। मैंने आँखें खोलकर घड़ी पर नजर डाली तो मैं घबरा गया। परीक्षा समाप्त होने में केवल आधा घंटा शेष था। मेरे हाथ-पैर फूल गए, माथे पर पसीने की बूंदे आ गईं। परीक्षक महोदय ने सारी स्थिति को समझकर मुझे पंद्रह मिनट और दिए। मैंने झटपट अपना प्रश्न पत्र पूरा किया और परीक्षक महोदय का धन्यवाद दिया। अब मेरी जान में जान आई और मैंने चैन की सांस ली।

(ख) जब बाजार में मेरी चप्पल टूट गई:
अभी दो दिन पहले मैं अपने कुछ कपड़े खरीदने के लिए बाजार गई थी। लौटते-लौटते शाम हो गई। चलते-चलते अचानक मेरी चप्पल टूट गई। अब तो सब गड़बड़। टूटी चप्पल पैर से बार-बार बाहर निकल रही थी और मेरी नजरें मोची को ढूँढ़ रही थीं। चप्पल से पैर बार-बार निकलने के कारण सड़क के पत्थर मेरे पैरों में चुभ रहे थे। मैं वहीं एक खंभे के सहारे खड़ी हो गई और किसी मोची को ढूँढ़ने लगी।

मुझे घर पहुँचने की चिंता हो रही थी और ऊपर से यह चप्पल टूट गई। मुझे रोना आ रहा था। इतने में ही लगा जैसे किसी ने मेरी सुन ली। सामने से एक मोची अपना सामान बांधकर चला आ रहा था। उसे घर पहुँचने की जल्दी थी। मेरे अनुनय करने पर वह मेरी चप्पल सही करने के लिए तैयार हो गया। उसने मेरी चप्पल थोड़ी ही देर में जोड़ दी। अब मैं खुश हो गई। जल्दी से चप्पल पहनकर मैं घर की ओर चल पड़ी। वहाँ माँ मेरी राह देख रही थीं। मैंने उन्हें सारी बात बताई।

(ग) जब घर पर अचानक मेहमान आए:
गर्मी की छुट्टियाँ चल रही थीं। मेरी बड़ी बहिन की शादी पक्की हो गई थी। उसके लिए रोज खरीददारी हो रही थी। मेरी माँ इसी सिलसिले में चाचीजी के साथ कहीं गई हुई थी। दीदी भी अपनी सहेली के घर गई हुई थी। घर पर केवल मैं और मेरा छोटा भाई था। अचानक दरवाजे की घंटी बजी। मैंने बाहर जाकर देखा दीदी के ससुराल से उसके सास-ससुर आए थे। मैंने उन्हें झटपट आदर सहित अंदर बुलाया और बिठाया। अब मेरे भाई ने उन्हें पानी पिलाया।

मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं उनसे क्या बात करूँ और कैसे उनकी खातिरदारी करूँ। आखिर वे मेरी दीदी के सास-ससुर थे। मैंने अपनी माँ को फोन किया तो उन्होंने बताया कि उन्हें आने में थोड़ा समय लगेगा। अब मैंने उनके लिए चाय बनाई और मेरा भाई उनके लिए झटपट बाजार से समोसे और जलेबी ले आया। मैंने अपने भाई के साथ मिलकर उन्हें चाय-नाश्ता करवाया। थोड़ी ही देर में मेरी माँ और चाचीजी आ गईं। दीदी की सास ने मेरी बहुत तारीफ की। उस दिन मैं बहुत प्रसन्न थी।

(घ) टेक्नोलॉजी : वर्तमान समय का वरदान:
टेक्नोलॉजी मतलब कहे तो एक तरफ लोगों का विकास या इसके विपरीत इस धरती का विनाश। जी हाँ सच ही तो है, एक तरफ टेक्नोलॉजी ने व्यक्ति को इतनी ऊँचाइयों तक पहुँचा दिया है कि वह खुद इस बारे में सोच भी नहीं सकता तो दूसरी तरफ इस टेक्नोलॉजी के कारण प्रकृति को इतना नुकसान पहुँच रहा है कि हमारा अनुमान लगा पाना भी कठिन होता जा रहा है।

आज हर काम रोबोट्स के द्वारा किया जा सकता है और उनसे कराया भी जा रहा है। सकारात्मक नजरिए से तो यह कहना उचित नहीं है कि टेक्नोलॉजी के कारण हमें बहुत नुकसान हुआ है क्योंकि वर्तमान में इसके कारण ही तो आज हम आधुनिक होते जा रहे हैं। जब कोरोनावायरस आया तब बहुत समय से पूरी दुनिया भर के स्कूल बंद हो चुके थे। परंतु फिर भी छात्रों द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई की गई। वर्तमान में ऐसी-ऐसी मशीनें बनाई जा चुकी हैं, जिन की कल्पना करना भी कठिन था।

यह मशीनें कम खपत में कम समय में लोगों द्वारा किए जाने वाले काम से कई गुना ज्यादा काम कर देती हैं। इससे एक तरफ लोगों को फायदा भी पहुँचता जा रहा है तो दूसरी तरफ मजदूर बेरोजगार होते जा रहे हैं। टेक्नोलॉजी के कारण ही आजकल हमारी जिंदगी में हर काम संभव हो पाया है। इसलिए हम इसे एक वरदान भी कह सकते हैं। हम सबको मिलकर अब अपना-अपना योगदान देना होगा कि कहीं हमारे द्वारा किए जा रहे काम से किसी दूसरे को नुकसान तो नहीं पहुँच रहा है। हमारे द्वारा सिर्फ वही कार्य किया जाना चाहिए, जिससे हमारे अलावा दूसरे लोगों को भी फायदा पहुँचे।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3 x 2 = 6)
(क) कविता की संरचना पर प्रकाश डालिए। कविता में शब्द- चयन का क्या महत्व है?
(ख) कहानी में चरमोत्कर्ष का क्या महत्व है? स्पष्ट कीजिए।
(ग) अलंकार की परिभाषा बताते हुए काव्य में इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
(क) साहित्य की जितनी भी विधाएं हैं उनमें कविता की संरचना बड़ी ही विशिष्ट होती है। अर्थ विस्तार के लिए कविता की संरचना में रचनाकार अनेक बिंबों और प्रतीकात्मक शब्दों का प्रयोग करता है इससे कविता में सौन्दर्य आता है। कविता का सृजन एक लय और गति लिए हुए होता है। गीत, मुक्तक, छोटी कविता या बड़ा काव्य, इन सबमें ही प्रवाह और गति का होना आवश्यक होता है।

अतः कविता की रचना प्रक्रिया प्रत्येक कवि की मनःस्थिति के अनुसार होती है। कविता में शब्द चयन का महत्वपूर्ण स्थान होता है क्योंकि कवि अपने हृदय के भावों को सुंदरतम रूप देने के लिए इस प्रकार के विशिष्ट शब्दों का चयन करता है जो उसकी रचना को अधिक प्रभावशाली बनाते हैं। अलंकारों का प्रयोग, शब्द गुण, शब्द शक्ति, छंद, लय, तुक आदि एक कविता को स्वरूप प्रदान करने में सहायक होते हैं।

(ख) चरमोत्कर्ष किसी भी रचना का सबसे महत्वपूर्ण तत्व होता है। इसके अभाव में रचना अधूरी रहती है। चरमोत्कर्ष पाठक के लिए हमेशा अहम होता है क्योंकि वह उसी को जानने की लालसा में पूरी कहानी को आरंभ से अंत तक जोड़ लेता है। अनेक बार तो केवल चरमोत्कर्ष को पढ़कर ही कहानी के आरंभ का पता चल जाता है अथवा पूरी की पूरी कहानी ही पता लग जाती है। अनेक द्वंद्व से निकलती हुई जब कहानी अपने निष्कर्ष तक पहुँचती है तभी उसे लिखने का मंतव्य पूरा होता है। प्रायः परिणति ही किसी कहानी का निष्कर्ष या सार बताती है। सभी प्रकार की कहानी में चरमोत्कर्ष का होना आवश्यक होता है क्योंकि इसके न रहने पर कहानी का कोई अस्तित्व नहीं है।

(ग) अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है आभूषण। जिस प्रकार मनुष्य विशेषकर स्त्रियाँ विभिन्न आभूषणों को पहनकर अपने सौंदर्य में चार चाँद लगाती हैं, उसी प्रकार अलंकारों का प्रयोग काव्य के सौंदर्य में निखार लाता है। अर्थात अलंकारों का प्रयोग काव्य के सौंदर्य को बढ़ाने के लिए किया जाता है पर इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि केवल सौंदर्य वृद्धि हेतु ही अलंकारों का उपयोग हो। किसी भी काव्य के भाव पक्ष और भाषा शैली के लिए अलंकारों का अति महत्वपूर्ण स्थान है। अत: काव्य में रमणीयता लाने के लिए अलंकार अधिक महत्वपूर्ण हैं।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में दीजिए। (3 x 2 = 8)
(क) किसी बस दुर्घटना को उल्टा पिरामिड शैली में लिखिए।
(ख) वरिष्ठ नागरिक और उनकी समस्याओं पर समाचार लिखिए।
(ग) ‘बच्चों में बढ़ाएं आत्मविश्वास’ विषय पर लगभग 40-50 शब्दों में फीचर लिखिए।
उत्तर:
(क) उल्टा पिरामिड शैली में समाचार लेखन के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया का अनुसरण किया जाता है-
शीर्षक – इंट्रो (मुखड़ा)
बॉडी – (समापन)
शीर्षक – जयपुर से जोधपुर की ओर जाने वाली विशेष बस आर. जे. 14 टी 1235′ हुई दुर्घटनाग्रस्त।
जयपुर से जोधपुर जाने वाली विशेष बस कल रात नदी में गिर गई। बस में सवार 45 यात्रियों में से 25 यात्रियों की दुर्घटनाग्रस्त हो गए, जिन्हें स्थानीय प्रशासन की मदद से पास के ही सरकारी अस्पताल में पहुँचाया गया। शेष यात्रियों को पुलिस की सहायता से सुरक्षित उनके गंतव्य स्थान पर पहुँचा दिया गया।

इंट्रो (मुखड़ा ) – बस के नदीं में गिरने से 25 यात्रियों के हताहत होने का मामला सामने आया जिसे तुरंत ही स्थानीय लोगों और प्रशासन की मदद से पास के ही सरकारी अस्पताल में पहुँचाया गया। वहाँ पर सभी का इलाज शुरू कर दिया गया है। गंभीर चोट किसी को नहीं लगी हैं। और न ही किसी की मृत्यु हुई है। अन्य यात्रियों को पुलिस ने उचित स्थान पर पहुँचा दिया।

बॉडी – कल रात जयपुर से जोधपुर की ओर जाने वाली बस में 45 यात्री सवार थे। रात तीन बजे . के आस पास जब बस करौली के पुल से गुजर रही थी तो अचानक ही ड्राइवर की आँख लग गई। उसकी जरा सी गलती सवारियों पर भारी पड़ गई और बस पुल की दीवार से टकराती हुई सीधे नदी में गिर गई। सब तरफ जान बचाने के लिए कोलाहल मच गया। शोरगुल को सुनकर आस-पास के निवासी भागे-भागे आए और लोगों को बचाने की जद्दोजहद में जुट गए। लगभग आधे घंटे में स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने आकर लोगों को नदी में से निकाला। ड्राइवर वहाँ से जान बचाकर भाग रहा था पर लोगों ने उसे धर दबोचा।

समापन – इस प्रकार नदी में गिरे हुए लोगों को सकुशल बाहर निकाला गया और उन्हें पास के ही अस्पताल में पहुँचा दिया। किसी को गंभीर चोट . नहीं आने के कारण प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें वहाँ से छुट्टी मिल गई। पुलिस ने सभी को उनके गंतव्य स्थान पर पहुँचा दिया और ड्राइवर को गिरफ्तार कर जेल में भेज दिया।

(ख) संसार में जन्म लेने के बाद बचपन तक का सफर बड़ा ही मधुर होता है पर बड़े होने के बाद मनुष्य कमाने में जुट जाता है और फिर अपनी और अपने परिवार की चिंता में वह पैसे के पीछे भागने लगता है। अपना सारा जीवन वह लिखने-पढ़ने, पैसे कमाने और अपने परिवार को चलाने में बिता देता है। इस प्रकार वह अति व्यस्त जीवन जीता है। इसके बाद अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई से लेकर उन्हें काबिल बनाने में ही उसकी सारी उम्र निकल जाती है। अपने बच्चों की शादी कर वह अपने कर्तव्यों से मुक्त हो जाता है और अपनी सेवानिवृत्ति के पश्चात आराम करना चाहता है। अब वह चाहता है कि अपने बचे हुए पैसों का प्रयोग कर वह अपना जीवन बिना किसी तनाव के बिताना चाहता है।

आजकल समय के बदलने से नई पीढ़ी भी बदल रही है। माता-पिता की सेवा वो सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए करते हैं। ऐसे में बुढ़ापे में उनकी दुर्दशा होने लगती है और वे असहाय हो जाते हैं। कई बार तो बच्चे या तो उन्हें ही घर से निकाल देते हैं या उन्हें घर के ही एक कोने में पटक देते हैं। ऐसे में व्यक्ति अपने उस सम्मान को याद कर दुखी होता रहता है जो उसने पूरी जिंदगी काम करके कमाया। घर में वह बोझ बन जाता है। जब तक उसके पास पैसा होता है तब तक सब उसके अपने होते हैं और पैसा खत्म होने पर अपने भी पराए बन जाते हैं। इलाज के लिए भी उसे दूसरों का मुँह ताकना पड़ता है। उन्हें अकेलेपन के साथ-साथ असुरक्षा का भी भय रहता है। अतः वरिष्ठ नागरिकों की भी समस्याएँ कम नहीं हैं।

(ग) हम सब यह जानते हैं कि सफल होने के लिए आत्मविश्वास अत्यंत जरुरी है। यदि यही आत्मविश्वास बच्चों में हो तो वे हर मुश्किल का सामना कर सकते हैं। आजकल के बच्चों में आत्मविश्वास का अभाव है। इसका प्रमुख कारण हैं बच्चों का आत्मनिर्भर न होना। बच्चे अपने काम के लिए या तो अपने माता-पिता पर निर्भर रहते है या इन्टरनेट पर। इस तरह के बच्चे समस्या का सामना नहीं कर पाते। बड़े होने पर भी अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए माता-पिता को चाहिए कि वे उन्हें छोटे-छोटे फैसले खुद करने दें पर साथ-साथ ही उन पर नजर भी रखें कि वे सही रास्ते का ही चयन करें। उनके द्वारा गलती करने पर उन्हें सही राह दिखाएं। बच्चों का मन उस कच्चे घड़े के समान होता है जिसे जो भी आकार दिया जाए, वह वही स्वरूप ग्रहण कर लेता है। अतः आत्मविश्वास की भावना का बीजारोपण उनके मन-मस्तिष्क में बचपन से ही कर देना चाहिए। इस प्रकार के बच्चों का बौद्धक और शारीरिक विकास भी उत्तम होता है।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 8 with Solutions

प्रश्न 10.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए। (3 x 2 = 6)
(क) ‘आत्मपरिचय’ कविता एक ओर जग-जीवन का भार लिए घूमने की बात करती है और दूसरी ओर ‘मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ’-विपरीत से लगते इन कथनों का क्या आशय है?
(ख) बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं, किन्तु कभी-कभी भाषा के चक्कर में ‘सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है’ कैसे?
(ग) तुलसीदास ने अपने युग की जिस दुर्दशा का चित्रण किया है उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
(क) जग-जीवन का भार लेने से कबि एक ओर कहना चाहता है कि वह आम व्यक्ति से अलग नहीं है। सुख-दुःख, हानि-लाभ को झेलते हुए वह अपने सभी सांसारिक दायित्वों का निर्वाह कर रहा है अर्थात् अपनी जीवन यात्रां पूरी कर रहा है। इसी प्रकार वह दूसरी ओर कहता है कि वह इस संसार की ओर कभी ध्यान नहीं देता। इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि वह सांसारिक दायित्वों से मुँह मोड़ रहा है।

वह अपने सभी कर्तव्यों का भली-भांति निर्वाह कर रहा है पर संसार की अनर्गल बातों पर वह ध्यान नहीं देता। वह इन्हें व्यर्थ मानता है और अपना ध्यान केवल प्रेम पर ही केन्द्रित करता है। साधारण मनुष्य अपने जीवन में आई हुई बाधाओं से निराश होकर आगे नहीं बढ़ पाता। इसके विपरीत कवि सांसारिक बाधाओं की परवाह ही नहीं करता। अतः दोनों ही पंक्तियाँ विरोधी होते हुए भी एक दूसरे की पूरक हैं।

(ख) बात और भाषा परस्पर जुड़े हुए होते हैं किन्तु कभी-कभी भाषा के चक्कर में सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है। इसका प्रमुख कारण है उचित शब्दों का प्रयोग न होना। हम जैसा अनुभव करते हैं, उसे यदि वैसा ही कह दिया जाए तो भाषा में कोई अंतर नहीं आता पर मनुष्य अपनी बात को अधिक प्रभावी या चमत्कारिक बनाने के चक्कर में अपनी भाषा को अधिक कठिन बना देता है।

इससे वह मूल बात को नहीं कह पाता। हर शब्द का अपना विशिष्ट अर्थ होता है। शब्दों के चक्कर में पड़कर भाव अपना अर्थ खो देते हैं। कभी-कभी तो ऐसा भी हो जाता है कि श्रोता तक केवल शब्द – शब्द ही पहुँच पाते हैं और उनका अर्थ कहीं खो जाता है।

(ग) तुलसीदास के युग में लोगों के पास आजीविका के साधन नहीं थे। किसान की खेती चौपट रहती थी। भिखारी को भीख नहीं मिलती थी। दान-पुण्य के कार्य भी बंद हो गए थे। व्यापारियों के व्यापार ठप्प हो गए थे। लोगों को नौकरी नहीं मिल रही थी। सब ओर बेरोजगारी फैली हुई थी। लोगों के पास पेट भरने को भोजन नहीं था। बच्चे भूखे रोते रहते थे और माँ-बाप भोजन की आस लगाए रहते थे। आजीविका के साधन न होने से लोग दुखी थे और चिंता में डूबे हुए थे। दरिद्रता रुपी रावण से सब त्रस्त थे। अपनी निर्धनता को दूर करने का उन्हें कोई उपाय नजर नहीं आ रहा था।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्ही दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 x 2 = 4 )
(क) ‘किशोर और युवा वर्ग समाज के मार्गदर्शक हैं’ ‘पतंग’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ख) फिराक की रुबाइयों के अनुसार माँ और बच्चे के स्नेह संबंधों पर टिप्पणी कीजिए।
(ग) ‘बादल राग’ कविता के माध्यम से कवि के दृष्टिकोण में कौन-सा मूल बदलाव दिखाई दिया है?
उत्तर:
(क) कवि ने ‘पतंग’ कविता में बच्चों के उल्लास व निर्भीकता को प्रकट किया है। यह बात सही है कि किशोर और युवा वर्ग उत्साह से परिपूर्ण होते हैं। किसी कार्य को वे एक धुन से करते हैं। उनके मन में अनेक कल्पनाएँ होती हैं। वे इन कल्पनाओं को साकार करने के लिए मेहनत करते हैं। समाज में विकास के लिए भी इसी एकाग्रता की जरूरत है। अत: किशोर व युवा वर्ग समाज के मार्गदर्शक हैं।

(ख) माँ और बच्चे का संबंध वात्सल्य और ममता से भरा हुआ होता है। बच्चा अपनी हर छोटी से छोटी आवश्यकता की पूर्ति के लिए अपनी माँ पर निर्भर होता है। प्रत्येक माँ को अपने बच्चे से विशेष लगाव होता है। वह अपने बच्चे की हर छोटी-बड़ी आवश्यकता का पूरा-पूरा ध्यान रखती है। अपने प्यार और ममता से वह अपने बच्चे का पोषण करती है और उसे बड़ा करती है।

(ग) निराला जी छायावादी कवि थे। उसकी कविता में प्रेम, सौंदर्य, कल्पना, रहस्यवाद, प्रकृति-चित्रण आदि भावों की प्रधानता दिखाई देती थी पर ‘बादल राग’ में उनका प्रगतिवादी पक्ष दिखाई देता है, जिसमें कवि ने दीन-हीन निरीह लोगों का सजीव चित्रण करते हुए पूँजीपतियों के विनाश की कामना की है। वह समाज में परिवर्तन लाना चाहता है। वे पूँजीपतियों को क्रांति से मिटा कर दीन-हीनों के सुखों की कामना करते हैं।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए। (3 x 2 = 6)
(क) जाति भारतीय समाज में श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप क्यों नहीं कही जा सकती है? जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का प्रमुख कारण कैसे बनी हुई है?
(ख) ‘हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार की कठोरता भी कभी-कभी जरुरी हो जाती है’ – ‘ शिरीष के फूल’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ग) ‘पहलवान की ढोलक’ पाठ के आधार पर लुट्टन का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
(क) भारतीय समाज में जातिवाद के आधार पर श्रम विभाजन और अस्वाभाविक है क्योंकि जातिगत श्रम विभाजन श्रमिकों की रुचि अथवा कार्यकुशलता के आधार पर नहीं होता, बल्कि माता के गर्भ में ही श्रम विभाजन कर दिया जाता है जो विवशता, अरुचिपूर्ण होने के कारण गरीबी और अकर्मव्यता को बढ़ाने वाला है।

जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण है क्योंकि भारतीय समाज में श्रम विभाजन का आधार जाति है चाहे श्रमिक कार्य कुशल हो या नहीं उस कार्य में रुचि रखता हो या नहीं इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जब श्रमिकों कार्य करने में न दिल लगे ना दिमाग तो कोई कार्य कुशलतापूर्वक कैसे प्राप्त कर सकता है यही कारण है कि भारत में जतिप्रथा बेरोजगारी का प्रत्यक्ष और प्रमुख कारण बना हुआ है।

(ख) हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार की कठोरता भी कभी-कभी आवश्यक हो जाती है। अपने हृदय की कोमलता को बचाने के लिए मनुष्य को अनेक बार बाहरी तौर से कठोर बनना पड़ता है। यदि वह ऐसा नहीं करता है तो वह विपरीत परिस्थितियों का सामना नहीं कर पाता। शिरीष का पेड़ अपनी सरसता को बचाने के लिए बाहर से कठोरता का आवरण ओढ़ लेता है।

यदि वह कठोर नहीं हो तो वह भीषण गर्मी या लू को सहन नहीं कर पाएगा। उसके फल विशेष रूप से कठोर होते हैं पर अपनी कठोरता के कारण ही वह अपनी सरसता को सुरक्षित रखने में सफल हो पाता है। उदाहरणतया यदि माता-पिता अपने बच्चों के साथ विनम्रता और कठोरता दोनों ही अपनाते हैं तो उनका बच्चा अनुशासित रहता है।

(ग) लुट्टन पहलवान के चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • व्यक्तित्व – लुट्टन लंबे-चौड़े व ताकतवर व्यक्तित्व का स्वामी था। नौ वर्ष की अवस्था में उसके माता-पिता का देहांत हो गया था। बचपन में ही उसका विवाह हो गया था। अतः उसका लालन-पालन उसकी सास ने किया था। वह लंबा चोंगा पहनता था और उसकी पगड़ी अस्त-व्यस्त रहती थी।
  • भाग्यहीन – वह बचपन से ही दुर्भाग्यशाली था। बचपन में माता-पिता की मृत्यु हो गई और युवावस्था में पत्नी चल बसी। उसके दोनों लड़के महामारी के कारण स्वर्ग सिधार गए। अतः वह हमेशा ही भाग्यहीन रहा।
  • निडरता – वह निडर था इसलिए उसने चाँद सिंह जैसे ताकतवर पहलवान को चुनौती दी और उसे हरा दिया। उसने काला खां पहलवान को भी मात दी थी। भयंकर महामारी में भी वह घबराया नहीं और सारी रात अपना ढोल बजाता रहा।
  • सहिष्णुता – वह सहिष्णु था। अपनी सास के अत्याचारों को सहन करने के कारण ही वह पहलवान बन गया। महामारी के समय भी वह दुखी नहीं हुआ। अपने बच्चों की मौत पर भी वह नहीं रोया।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 x 2 = 4 )
(क) भक्तिन की विमाता ने पिता की बीमारी का समाचार देर से क्यों भेजा?
(ख) ‘बाजार दर्शन’ पाठ के आभार पर बताइए कि पैसे की पावर का रस किन दो रूपों में प्राप्त किया जाता है?
(ग) लेखक ने किन विशेषताओं को आदर्श समाज की धुरी माना है और क्यों?
उत्तर:
(क) लछमिन से पिता को अगाध प्रेम था। इस कारण विमाता उससे ईर्ष्या करती थी। दूसरे, लछमिन इकलौती संतान थी। इसलिए पिता की संपूर्ण संपत्ति की वह हकदार थी। विमाता उस संपत्ति में हिस्सा नहीं देना चाहती थी। अतः विमाता ने पिता की मरणांतक बीमारी का समाचार लछमिन को देर से दिया।

(ख) पैसे की पावर का रस निम्नलिखित रूपों में प्राप्त किया जा सकता है –

  • मकान, संपत्ति, कोठी, कार, सामान आदि देखकर।
  • संयमी बनकर पैसे की बचत करके। इससे मनुष्य पैसे के गर्व से फूला रहता है तथा उसे किसी की सहायता की जरूरत नहीं होती।

(ग) लेखक उस समाज को आदर्श मानता है जिसमें स्वतंत्रता, समानता व भाईचारा हो। उसमें इतनी गतिशीलता हो कि सभी लोग एक साथ सभी परिवर्तनों को ग्रहण कर सकें। ऐसे समाज में सभी के सामूहिक हित होने चाहिए तथा सबको सबकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए।