CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 6 with Solutions

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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 6 with Solutions

समय: 3 घंटे
अधिकतम अंक : 80

सामान्य और आवश्यक निर्देश:

  1. इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’ कुल प्रश्न 13 हैं।
  2. ‘खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर: देते हैं।
  3. खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
  4. प्रश्नों के उत्तर: दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
  5. दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर: देना अनिवार्य है।
  6. यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर: क्रमशः लिखिए।

खण्ड – ‘अ’
वस्तुपरक प्रश्न (40 अंक)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्य को चुनकर लिखिए। (1 x 10 = 10)
अगर कोई जिंदगी में सच न बोलने, सच स्वीकार न करने और सच का साथ न देने की कोई विवशता बताकर अपने हर कार्य, विचार और मकसद को सही साबित करने के लिए छल-छद्म और झूठ का सहारा ले और फिर भी सीना तानकर खुद को सच्चाई का रहनुमा साबित करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो, तो इससे किसका भला होगा?

वह यही करते रहे। फिर बलती उम्र में अचानक एक दिन उनको अपनी जिंदगी में पीछे मुड़कर झाँकने का विचार आया। जब जागो, तभी सबेरा। अब ये वाकई ईमानदार और समाज में रहनुमा बनकर समाजसेवा कर सकते हैं। जीवन का सबसे बड़ा सच अपने कार्य और कर्तव्य को ईमानदारी से समझना और समाज की बेहतरी के लिए सोचना है। वे सोचने लगे, ढलती उम्र में अब क्यों उनकी जिंदगी के इस कटु सच को स्वीकार करने के प्रति उत्सुकता बढ़ रही है?

कुछ दार्शनिकों का कहना है कि आत्म-शक्ति से कमजोर, परम्परा और निहित स्वार्थ को महत्व देना मानवीय सरोकारों से खुद को दूर करने जैसा है। आमतौर पर जिंदगी के सच से रूबरू होने और उसे स्वीकार करने का साहस हर किसी के पास नहीं होता। यह चेतना का उदारवादी लक्षण और भाव है, जो कहीं-कही और कभी-कभी ही दिखता है। अपने प्रति संवेदनहीन बने रहना मानव जीवन का सबसे बड़ा सच है। समाज को अपनी औकात दिखाने के लिए मुखौटे को ही वास्तविक रूप देने में न जाने कितने छल-छद्मों का सहारा हम लेते हैं। यह जिंदगी का सबसे बड़ा यथार्थ है, जो हम स्वयं से और समाज से छिपाने के लिए कृत्रिमता का सहारा लेते रहते हैं।

(क) जीवन का सबसे बड़ा सच किसे बताया गया है?
(i) अपने कर्तव्य को ईमानदारी से समझना।
(ii) अपने कर्तव्य को ईमानदारी से न समझना।
(iii) जिंदगी में सच न बोलना।
(iv) सच स्वीकार न करना।
उत्तर:
(i) अपने कर्तव्य को ईमानदारी से समझना।

(ख) परंपरा और निहित स्वार्थ को महत्व देने का क्या अर्थ है?
(i) जिंदगी से रूबरू होना
(ii) मानवीय सरोकारों से दूर होना
(iii) सच को स्वीकार करना
(iv) अपने कर्तव्य का पालन करना
उत्तर:
(ii) मानवीय सरोकारों से दूर होना

(ग) सच से रूबरू होने का साहस किसमें होता है?
(i) जो सच बोलते हैं
(ii) जो सच को स्वीकार नर्हीं करता
(iii) जो उदारवादी होता है
(iv) जो सच को अपनी विवशता मानता है
उत्तर:
(iii) जो उदारवादी होता है

(घ) मानव जीवन का सबसे बड़ा सच क्या है?
(i) दुसरे के प्रति संवेदनहीन बनना
(ii) स्वयं के प्रति संवेदनहीन होना
(iii) स्वयं के प्रति संवेदनहीन न होना
(iv) ईमानदार रहना
उत्तर:
(iii) स्वयं के प्रति संवेदनहीन न होना

(ङ) जिंदगी का यथार्थ किसे बताया गया है?
(i) कृत्रिमता का सहारा लेना
(ii) कृत्रिमता का सहारा न लेना
(iii) साहसी न होना
(iv) कायरता को स्वीकार करना
उत्तर:
(i) कृत्रिमता का सहारा लेना

(च) किस प्रवृत्ति से किसी का भला नहीं हो सकता?
(i) स्वयं को सही सिद्ध करने के लिए झूठ का सहारा लेना।
(ii) स्वयं को सही सिद्ध करने के लिए सच का सहारा लेना।
(iii) स्वयं को सही सिद्ध करने के लिए सच का सहारा न लेना।
(iv) झूठ का सहारा लेने के लिए स्वयं को सही सिद्ध करना।
उत्तर:
(i) स्वयं को सही सिद्ध करने के लिए झूठ का सहारा लेना।

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(छ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) मनुष्य सच का साथ न देकर स्वयं को समाज का रहनुमा मान लेता है।
(II) झूठ का सहारा लेते हुए वह बिना कुछ सोचे-समझे कुछ भी करने को तैयार रहता है।
(III) झूठ का सहारा लेने पर ही वह उन्नति के शिखर पर पहुँचता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही हैं?
(i) केवल I
(ii) केवल III
(iii) I और II
(iv) II और III
उत्तर:
(iii) I और II

(ज) ‘सीना तानना’ मुहावरें का अर्थ है?
(i) गर्व से छाती चौड़ी होना
(ii) सीना तानकर सोना
(iii) चादर तानना
(iv) आराम करना
उत्तर:
(i) गर्व से छाती चौड़ी होना

(झ) ‘आत्मशक्ति’ में प्रयुक्त समास है-
(i) अव्ययीभाव समास
(ii) कर्मधारय समास
(iii) तत्पुरुष समास
(iv) द्विगु समास
उत्तर:
(iii) तत्पुरुष समास

(ञ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A) : झूठ का सहारा लेकर मनुष्य अपने हर कार्य को सीना तानकर सही सिद्ध करता है।
कारण (R) : अपनी औकात दिखाने के लिए मनुष्य झूठ का सहारा लेता है और स्वयं को महान दिखाने का प्रयास करता है।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चयन द्वारा दीजिए- (1 x 5 = 5)

चिड़िया को लाख समझाओ
कि पिंजड़े के बाहर
धरती बड़ी है, निर्मम है,
वहाँ हवा में उसे

अपने जिस्म की गंध तक नहीं मिलेगी।
यूँ तो बाहर समुद्र है, नदी है, झरना है,
पर पानी के लिए भटकना है
यहाँ कटोरी में भरा जल गटकना है।

बाहर दाने का टोटा है
यहाँ चुग्गा मोटा है।
बाहर बहेलिए का डर हैं
यहाँ निद्वंद्व कंठ स्वर है।

फिर भी चिड़िया मुक्ति का गाना गाएगी,
मारे जाने की आशंका से भरे होने पर भी
पिंजड़े से जितना अंग निकल सकेगा

निकालेगी,
हरसू जोर लगाएगी
और पिंजड़ा टूट जाने या खुल जाने पर उड़
जाएगी।

(क) पिंजड़े के बाहर के संसार को निर्मम क्यों कहा गया है?
(i) क्योंकि वहाँ कमजोर को हमेशा दबाने का प्रयास किया जाता है।
(ii) क्योंकि वहाँ उसे आकाश में उड़ने के अवसर मिलते हैं।
(iii) क्योंकि पिंजरे में उसे दाना-पानी मिलता है।
(iv) क्योंकि वहाँ सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
उत्तर:
(i) क्योंकि वहाँ कमजोर को हमेशा दबाने का प्रयास किया जाता है।

(ख) पिंजड़े में चिड़िया कैसे रह सकती है?
(i) डर-डर कर
(ii) निडर होकर
(iii) साहसी बनकर
(iv) प्रसन्न होकर
उत्तर:
(ii) निडर होकर

(ग) बाहर का संसार निर्मम और सुविधाओं का अभाव होने पर भी चिड़िया बाहर क्यों जाना चाहती है?
(i) क्योंकि उसे बाहर ही रहना है।
(ii) क्योंकि उसे पिंजड़े का दाना पानी पसंद नहीं है।
(iii) क्योंकि उसे स्वतंत्र रहना पसंद है।
(iv) क्योंकि उसे पिंजड़े में रहना पसंद है।
उत्तर:
(iii) क्योंकि उसे स्वतंत्र रहना पसंद है।

(घ) ‘और पिंजड़ा टूट जाने या खुल जाने पर उड़ जाएगी’ पंक्ति में किसके बारे में कहा गया है?
(i) कवि के
(ii) दुनिया के
(iii) बहेलिए के
(iv) चिड़िया के
उत्तर:
(iv) चिड़िया के

(ङ) काव्यांश का समुचित शीर्षक होगा
(i) चिड़िया का स्वप्न
(ii) चिड़िया
(iii) स्वप्न
(iv) मुक्ति
उत्तर:
(i) चिड़िया का स्वप्न

अथवा

गणतन्त्र हर तूफान से गुजरा हुआ है
पर तिरंगा प्यार से फहरा हुआ है
जिंदगी के साथ में
चलते ही जाना,
हर गरीबी बेबसी में
ढूंढ पाना;
अपने जीने का बहाना
जंग की कठिनाइयों से
उबर आना
फिर किसी परिणाम तक
जाने का रस्ता
एक बनाना
दर्द में विश्वास सा ठहरा हुआ है।
यह तिरंगा प्यार से फहरा हुआ है।
कितना पाया और क्या खोया
इस गणित में कैसा जाना
स्वर्ण चिड़िया उड़ गई तो
कैसा उसका दुःख मनाना
ताल दो मिलकर
कि कलयुग में नया भारत बनाना
सिर उठाना
गर्व से जय हिन्द गाना
मुश्किलों की
धूप में ईमान-सा गहरा हुआ है।
यह तिरंगा प्यार से फहरा हुआ है।

(क) ‘गणतन्त्र हर तूफान से गुजरा हुआ है’ पंक्ति में किस तूफान की ओर संकेत किया गया है?
(i) चीन और पाकिस्तान के साथ किये गए युद्ध व अन्य आंतरिक समस्याएँ
(ii) बाढ़ का प्रकोप
(iii) सूखा
(iv) दलों का मतभेद
उत्तर:
(i) चीन और पाकिस्तान के साथ किये गए युद्ध व अन्य आंतरिक समस्याएँ

(ख) हर गरीबी और बेबसी में क्या ढूंढ़ना है?
(i) घोर निराशा
(ii) खोई हुई चीजें
(iii) जीवन को बेहतर ढंग से जीने का अवसर।
(iv) बेबस होकर बैठ जाना
उत्तर:
(iii) जीवन को बेहतर ढंग से जीने का अवसर।

(ग) तिरंगा दर्द में किसके समान ठहरा हुआ है?
(i) विश्वास की तरह
(ii) दवाई की तरह
(iii) हवा की तरह
(iv) मुसाफिर की तरह
उत्तर:
(i) विश्वास की तरह

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(घ) काव्यांश के अनुसार कौनसी गणित में पड़ना सही नहीं है?
(i) जीवन में क्या-क्या पाया है
(ii) जीवन में क्या-क्या मिला और क्या खो गया है
(iii) जीवन में क्या खो गया
(iv) जीवन में क्या पाना चाहते थे
उत्तर:
(ii) जीवन में क्या-क्या मिला और क्या खो गया है

(ङ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) हर गरीबी और बेबसी में अपने जीने का बहाना ढूँढ लेना चाहिए न कि निराश होकर बैठना चाहिए।
(II) कलयुग में नया भारत बनाने के लिए हमें फिर से सर उठाकर मुश्किलों का सामना करना होगा।
(III) सोने की चिड़िया के उड़ने पर उसका दुःख मनाना चाहिए।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही हैं/ हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल III
(iii) I और II
(iv) II और III
उत्तर:
(iii) I और II

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए। (1× 5 = 5)
(क) समाचारों को संकलित करने वाला होता है-
(i) संवाददाता
(ii) संपादक
(iii) रिपोर्टर
(iv) लेखक
उत्तर:
(ii) संपादक

(ख) भारत में रेडियो की शुरुआत हुई-
(i) 1857 में
(ii) 1930 में
(iii) 1936 में
(iv) 1892 में
उत्तर:
(iv) 1892 में

(ग) मुद्रित समाचार की विशेषता है-
(i) यह सुनते ही विलीन हो जाता है
(ii) इसका माध्यम आवाज है
(iii) इसमें क्रमिकता होती है
(iv) यह स्थायी होता है
उत्तर:
(iv) यह स्थायी होता है

(घ) कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान कीजिए।

कॉलम ‘क’ कोलम ‘ख’
(a) इंटरनेट का पहला दौर (I) छह ककार
(b) भारत का पहला छापाखाना (II) 1982
(c) समाचार लेखन (III) विचारपरक लेखन
(d) स्तंभ लेखन (IV) गोवा में

(i) (a) – (IV), (b) – (III), (c) – (I), (d) – (II)
(ii) (a) – (II), (b) – (IV), (c)-I, (d) – (III)
(iii) (a)- (II), (b)- (I), (c)-(IV), (d ) – (III)
(iv) (a)- (I), (b)- (II), (c)- (III), (d)-(IV)
उत्तर:
(ii) (a) – (II), (b) – (IV), (c)-I, (d) – (III)

(ङ) भारत में इन्टरनेट का पहला दौर कब से आरंभ हुआ माना जा सकता है?
(i) 1994 से
(ii) 1993 से
(iii) 1995 से
(iv) 1992 से
उत्तर:
(iv) 1992 से

प्रश्न 4.
दिए गए काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए। (1 × 5 = 5)
उहाँ राम लछिमनहि निहारी। बोले बचन मनुज अनुसारी।
अर्ध राति गइ कपि नहिं आयउ। राम उठाइ अनुज उर लायक।
सकहु न दुखित देखि मोहि काऊ। बंधु सदा तव मृदुल सुभाऊ।
मम हित लागि तजेहु पितु माता। सहेहु बिपिन हिम
आतप बाता।
(क) काव्यांश में कवि ने राम के किस रूप का वर्णन किया है?
(i) मर्यादापुरुषोत्तम रूप का
(ii) सामान्य मनुष्य के रूप का
(iii) ईश्वर स्वरूप का
(iv) मर्यादित रूप का
उत्तर:
(ii) सामान्य मनुष्य के रूप का

(ख) राम विचलित क्यों हो गए?
(i) अपने परिवार के बारे में सोचकर
(ii) लक्ष्मण को मूर्च्छित देखकर
(iii) हनुमान को देखकर
(iv) माँ को यादकर
उत्तर:
(ii) लक्ष्मण को मूर्च्छित देखकर

(ग) मम हित लागि तजेहु पितु माता’ पंक्ति किसे संबोधित कर के कही गई है?
(i) लक्ष्मण को
(ii) हनुमान को
(iii) राम को
(iv) कवि को
उत्तर:
(i) लक्ष्मण को

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(घ) विचलित राम क्या करने लगे?
(i) हनुमान को देखने लगे
(ii) बेहोश लक्ष्मण से मोहपूर्ण बातें करने लगे।
(iii) स्वयं रोने लगे
(iv) संजीवनी को देखकर प्रसन्न होने लगे।
उत्तर:
(ii) बेहोश लक्ष्मण से मोहपूर्ण बातें करने लगे।

(ङ) काव्यांश के कवि हैं-
(i) तुलसीदास
(ii) आलोक धन्वा
(iii) कुँवर नारायण
(iv) रघुवीर सहाय
उत्तर:
(i) तुलसीदास

प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प को चुनिए – (1 × 5 = 5)
व्यक्ति-विशेष के ष्टिकोण से, असमान प्रयत्न के कारण, असमान व्यवहार को अनुचित नहीं कहा जा सकता। साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता का विकास करने का पूरा प्रोत्साहन देना सर्वथा उचित है। परंतु यदि मनुष्य प्रथम दो बातों में असमान है तो क्या इस आधार पर उनके साथ भिन्न व्यवहार उचित हैं?

उत्तम व्यवहार के हक की प्रतियोगिता में वे लोग निश्चय ही बाजी मार ले जाएँगे, जिन्हें उत्तम कुल, शिक्षा, पारिवारिक ख्याति, पैतृक संपदा तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठा का लाभ प्राप्त है। इस प्रकार पूर्ण सुविधा संपन्नों को ही ‘उत्तम व्यवहार’ का हकदार माना जाना वास्तव में निष्पक्ष निर्णय नहीं कहा जा सकता।

क्योंकि यह सुविधा – संपन्नों के पक्ष में निर्णय देना होगा। अतरू न्याय का तकाजा यह है कि जहाँ हम तीसरे (प्रयासों की असमानता, जो मनुष्यों के अपने वश की बात है) आधार पर मनुष्यों के साथ असमान व्यवहार को उचित ठहराते हैं, वहाँ प्रथम दो आधारों (जो मनुष्य के अपने वश की बातें नहीं हैं) पर उनके साथ असमान व्यवहार नितांत अनुचित है। और हमें ऐसे व्यक्तियों के साथ यथासंभव समान व्यवहार करना चाहिए। दूसरे शब्दों समाज को यदि अपने सदस्यों से अधिकतम उपयोगिता प्राप्त करनी है, तो यह तो संभव है, जब समाज के सदस्यों को आरंभ से ही समान अवसर एवं समान व्यवहार उपलब्ध कराए जाएँ।

(क) लेखक किस असमान व्यवहार को अनुचित नहीं मानता?
(i) जो व्यक्ति विशेष के ष्टिकोण से असमान प्रयत्न के कारण किया जाता है
(ii) जो व्यक्ति विशेष के ष्टिकोण से असमान प्रयत्न के कारण नहीं किया जाता है
(iii) जो व्यक्ति विशेष के ष्टिकोण से समान प्रयत्न के कारण किया जाता है
(iv) जो समाज के द्वारा किया जाता है
उत्तर:
(i) जो व्यक्ति विशेष के ष्टिकोण से असमान प्रयत्न के कारण किया जाता है

(ख) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A) उत्तम व्यवहार प्रतियोगिता में उच्च वर्ग बाजी मार जाता है।
कथन (R) उच्च वर्ग को शिक्षा, पारिवारिक ख्याति, पैतृक संपदा व प्रतिष्ठा का लाभ प्राप्त होता है।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।

(ग) न्याय का तकाजा किसे कहा गया है?
(i) वंश परंपरा के आधार पर असमान व्यवहार न करना
(ii) वंश परंपरा के आधार पर असमान व्यवहार करना
(iii) सामाजिक उत्तराधिकार के आधार पर असमान व्यवहार करना
(iv) वंश परंपरा को बढ़ावा देना
उत्तर:
(i) वंश परंपरा के आधार पर असमान व्यवहार न करना

(घ) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) आरंभ से ही समाज के सदस्यों को समान अवसर उपलब्ध कराने चाहिए।
(II) समान अवसर उपलब्ध होने पर सदस्यों से अधिकतम उपयोगिता को प्राप्त किया जा सकता है।
(III) समान अवसरों को देना आवश्यक नहीं है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा / कौन से सही हैं?
(i) केवल I
(ii) केवल III
(iii) I और II
(iv) II और III
उत्तर:
(iii) I और II

(ङ) किसे निष्पक्ष निर्णय नहीं कहा जा सकता?
(i) सुविधा संपन्न को उत्तम व्यवहार का हकदार मानना
(ii) सुविधा संपन्न के पक्ष में निर्णय देना
(iii) सुविधा संपन्न होना
(iv) किसी के पक्ष में निर्णय सुनाना
उत्तर:
(iv) किसी के पक्ष में निर्णय सुनाना

प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)
(क) आनंदा की पढाई में कौन बाधक बन रहा था?
(i) उसके पिता
(ii) उसकी माँ
(iii) उसके मित्र
(iv) दत्ता जी राव
उत्तर:
(i) उसके पिता

(ख) लेखक की माँ ‘बरहेला सूअर’ किसे कहती हैं?
(i) लेखक को
(ii) लेखक के पिता को
(iii) दत्ता जी राव को
(iv) मास्टर जी को
उत्तर:
(ii) लेखक के पिता को

(ग) लेखक के पिता के ऊपर किसकी बातों का असर पड़ा?
(i) लेखक का
(ii) लेखक की माँ का
(iii) लेखक के पिता जी का
(iv) दत्ता जी राव का
उत्तर:
(iv) दत्ता जी राव का

(घ) ‘सिल्वर वेडिंग’ कहानी का मुख्य पात्र आप किसे मानते हैं?
(i) किशनदा को
(ii) भूषण को
(iii) चड्डा को
(iv) यशोधर पंत की
उत्तर:
(iv) यशोधर पंत की

(ङ) यशोधर पंत को अपने बड़े बेटे की प्रतिभा किस स्तर की लगती है?
(i) निम्न स्तर की
(ii) साधारण स्तर की
(iii) उच्च स्तर की
(iv) मध्यम स्तर की
उत्तर:
(ii) साधारण स्तर की

(च) बिखरे परिवार के प्रति यशोधर बाबू के लगाव को बच्चे किस दृष्टि से मूर्खतापूर्ण मानते हैं?
(i) सामाजिक दृष्टि से
(ii) सांस्कृतिक दृष्टि से
(iii) राजनीतिक दृष्टि से
(iv) आर्थिक दृष्टि से
उत्तर:
(iv) आर्थिक दृष्टि से

(छ) सिन्धु घाटी सभ्यता में कुंड बने हैं-
(i) पत्थरों के
(ii) लकड़ियों के
(iii) पक्की ईंटों के
(iv) सीमेंट के
उत्तर:
(iii) पक्की ईंटों के

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(ज) मोहनजोदड़ो का फैलाव माना गया है-
(i) लगभग 10 हेक्टेयर क्षेत्र में
(ii) लगभग 50 हेक्टेयर क्षेत्र में
(iii) लगभग 100 हेक्टेयर क्षेत्र में
(iv) लगभग 200 हेक्टेयर क्षेत्र में
उत्तर:
(iv) लगभग 200 हेक्टेयर क्षेत्र में

(झ) ‘जूझ’ कहानी के कथानायक ने कहाँ जाने के लिए संघर्ष किया?
(i) पाठशाला
(ii) शहर
(iii) खेत
(iv) गाँव
उत्तर:
(i) पाठशाला

(ञ) ‘जूझ’ कहानी में लेखक के मन की पीड़ा कौन समझ रहा था?
(i) लेखक की माँ
(ii) लेखक के पिता
(iii) लेखक के दादा
(iv) लेखक के शिक्षक
उत्तर:
(i) लेखक की माँ

खंड ‘ब’
वर्णनात्मक प्रश्न (40 अंक)

प्रश्न 7.
दिये गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचानात्मक लेख लिखिए। (6)
(क) रेलवे प्लेटफार्म पर एक घंटा
(ख) जिंदगी जिंदादिली का नाम है
(ग) हमारा मोहल्ला
(घ) भारत में कृषि के लिए चुनौतियाँ
उत्तर:
(क) रेलवे प्लेटफार्म पर एक घंटा
रेलवे स्टेशन एक ऐसा स्थान है जहाँ पर अनेक रेलगाड़ियाँ अनेक यात्रियों को लेकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाती हैं। बैसे यदि रेलवे स्टेशन को यात्रियों का मिलन स्थल कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। अभी पिछले सप्ताह ही मुझे अपने एक मित्र को लेने रेलवे स्टेशन जाना पड़ा था। मैं प्लेटफार्म टिकट लेकर रेलवे स्टेशन के नियत प्लेटफार्म पर पहुँच गया। बहाँ जाने पर पता लगा कि गाड़ी एक घंटा देरी से आ रही है। अब प्रतीक्षा के अलावा कुछ नहीं हो सकता था। उस समय प्लेटफार्म पर काफी भीड़ थी। सब तरफ से लोग आते-जाते नजर आ रहे घे।

कहीं कुली सामान के साथ दुधर से उधर जा रहे थे। कुछ लोग बुक-स्टाल पर तो कुछ खाने-पीने की दुकानों पर नजर आ रहे थे। चाय गर्म, चाय गर्म की आवाज लगाते हुए कुछ रेहड़ी वाले घूम रहे थे। बच्चे वहीं उछल-कूद कर रहे थे। अपना समय बिताने के लिए मैने भी एक डुक स्टाल से पत्रिका खरीदी और पढ़ने लगा साथ ही गर्म चाय का लुत्फ लेने लगा।

अधिकांश महिलाएँ सामान के साथ बैठी हुई थीं और एक-दूसरे से बातचीत करने में मशगूल थीं। इतने में ही उद्सोषणा हुई कि रेलगाड़ी प्लेटफार्म पर आ रही है। सभी यात्री अपने-अपने समान के साथ गाड़ी में चढ़ने के लिए तैयार हो गए। वहाँ अफरातफरी मच गई। चढ़ने वाले यात्रियों के कारण यात्री उतर ही नहीं पा रहे थे। तभी मुझे मेरा मित्र आता हुआ दिखाई दिया। उसके साथ में घर की ओर चल दिया।

(ख) जिंद्गी जिंदादिली का नाम है
एक शायर ने क्या खूब लिखा है-

“जिंदगी जिन्दादिली का नाम है,
मुद्दादिल क्या ख्खाक जिया करते हैं।’

जिंदगी उसी की है जो पूरे उत्साह और जोश के साध इसे जीता है। वास्तव में देखा जाए तो इस प्रकार के मनुष्य ही संसार में असली जीवन जीने का मजा लेते हैं। जो लोग हमेशा निराशा में जीते है, उनका जीवन निरर्थक होता है। इस प्रकार के लोग खुद तो निराश और हतोत्साहित रहते ही हैं साथ-ही-साथ अपने साथ रहने वाले व्यक्ति को भी निराश कर देते हैं। ऐसे व्यक्ति जीवन में कभी सफल नहीं होते। इसके विपरीत जो व्यक्ति हिम्मत और साहस से जीते हैं, वे हर सफलता प्राप्त करते हैं।

कायर व्यक्ति तो कभी भी अपने किसी काम में कोई. जोखिम नहीं उठाता क्योंकि वह इससे डरता है। इसके विपरीत जो व्यक्ति उत्साह से जीता है वह हर मुश्किल का सामना करता है और अंततः सफलता प्राप्त करता है। जीवन का असली आनंद भी वही उताता है जो डर को दूर भगा देता है और दु;ख को सहन करने की शक्ति रखता है। अतः कितनी भी बाधाएँ या मुसीबतें आएँ, सबका मुकाबला करते हुए उसाह से ही जीना सही मायने में जीना है।

(ग) हमारा मोहलल्ला
वह मेरा मोहल्ला ही नहीं है मेरा घर है, वह मेरी पहचान है। इसके साथ मेरी अच्छी यादें जुड़ी हैं और वे हमेशा मेरे जीवन का हिस्सा बनी रहेंगी। मेरे लिए मेरा मोहल्ला एक ऐसा स्थान है जहाँ मैंने अपने बचपन का अधिकांश समय गुजारा हैं। यह एक ऐसी जगह है जिससे मैं प्यार करता हैं और मेरा सारा जीवन गुजारना चाहता हैँ। यह एक ऐसी जगह है जिससे मे जुड़ा हुआ हूँ। मुझे इस जगह के बारे में सब कुछ पसंद है – हमारे रहने के घर से लेकर अपने स्कूल तक, मेरे पड़ोस से लेकर स्थानीय बाजार तक, सुंदर स्मारकों से मनोरम भोजन तक।

सब कुछ यहाँ बहुत अच्छा है सेकिन मैं इस मोहल्ला के बारे में सबसे ज्यादा जो पसंद करता हैं वे हैं यहाँ के लोग। यहॉं के लोग बहुत मददगार और मिलनसार है। जब भी मेरे पित्ता आधिकारिक काम से बाहर रहते हैं तो हमारे पड़ोस की आंटी हमेशा मेरी माँ को सहायता प्रदान करने के लिए तैयार रहती है। यहां के लोग बहुत जोशीले और मैत्रीपूर्ण हैं। जब भी मेरा परिवार कहीं बाहर जाते तो हमारे पड़ोस की आंटी हमेशा ध्यान रखती हैं। मै यहाँ अपना सारा जीवन व्यतीत करना चाहता हूँ। मुझे नहीं लगता कि में किसी अन्य जगह इतनी खुशी और शांति से रह सकता हूँ।

(घ) भारत में कृषि के लिए चुनौतियाँ
आज जब देश में महाँगाई अपने पैर पसारे हुए है तो अधिकांश जनता भुखमरी में अपना जीवन बिता रही है। आने वाले समय में तो स्थिति और भी बदतर हो सकती है। दिनों-दिन बढ़ने वाला वैश्विक तापमान कृषि क्षमता को लगातार गिराता जा रहा है। देखा जाए तो कृषि के लिए बिजली, पानी और ऊर्जा अत्यंत ही महत्वपूर्ण हैं। तापमान वृद्धि अधिकांश जलाशयों को सुखा रही है और मानव को जल संकट की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है।

खाद्य सुरक्षा, पानी और बिजली के बीच यह समस्या जलवायु परिवर्तन के कारण हो रही है ऐसा भी अनुमान लगाया जा रहा है कि आनेवाले समय में कृषि के लिए बिजली की खपत कहीं ज्यादा बढ़ने वाली है और इस माँग को पूरा करना तो सबसे बड़ी समस्या के रूप में हमारे सामने है। इसका जवाब खोजने के लिए हमें पानी और बिजली के उपयोग को युक्तिसंगत बनाना होगा। इसके लिए भूजल को सिंचाई के काम में लेना होगा पर वह भी तब तक टिकाऊ नहीं है जब तक कि भूजल का संरक्षण नहीं किया जाए। साथ ही साथ किसानों को भी बीजों की पारंपरिक परंपरा की ओर आना होगा तभी इस समस्या को दूर किया जा सकता है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) कहानी लेखन में पात्र के चरित्र चित्रण का क्या महत्व है? उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
(ख) नाटक में स्वीकार और अस्वीकार की अवधारणा का क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
(ग) कविता के दो महत्वपूर्ण घटकों के बारे में बताइए
उत्तर:
(क) किसी भी कहानी में पात्र के चरित्र चित्रण का अत्यधिक महत्व है। पात्रों के बिना कहानी की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आधुनिक कहानी में घटना और व्यापार के स्थान पर पात्र और उसका संघर्ष ही कहानी की धुरी बन गई। है और संपूर्ण कहानी उसी के चारों ओर घूमती है कहानी छोटा आकार और तीव्र प्रभाव लिए हुए होती है इसलिए इसमें पात्र के सबसे अधिक प्रभावपूर्ण पक्ष और उसके व्यक्तित्व की झलक प्रस्तुत की जाती है। अज्ञेय की कहानी ‘शत्रु’ और जैनेन्द्र की कहानी ‘खेल’ में मनोवैज्ञानिक आधार पर चरित्र चित्रण किया गया है इसलिए इन कहानियों के पात्र सजीव, स्वाभाविक और विश्वसनीय लगते हैं और पाठक की भी उसमें रूचि जाग्रत होती है।

(ख) किसी भी नाटक में स्वीकार के स्थान पर अस्वी कार का महत्व अधिक होता है क्योंकि स्वीकार तत्वों के आ जाने से नाटक अधिक सशक्त हो जाता है। किसी भी दो चरित्रों के आपस में मिलने पर उनके विचारों के आदान-प्रदान में टकराहट का होना स्वाभाविक ही है। वर्तमान स्थिति के प्रति असंतुष्टि प्रतिरोध, अस्वीकार जैसे नकारात्मक तत्व ही नाटक को सशक्त बनाते हैं क्योंकि रंगमंच कभी भी यथास्थिति को स्वीकार नहीं करता। इसी कारण नाटककारों को राम की अपेक्षा रावण के चरित्र ने अधिक लुभाया। जब भी किसी विचार, व्यवस्था या तत्कालीन समस्या को नाटक में सहज ही स्वीकार किया जाता है तो वह नाटक न तो अधिक सशक्त बन पाता है और न ही दर्शकों को आकर्षित कर पाता है।

(ग) कविता के कुछ महत्वपूर्ण घटक होते हैं, जिनके बिना कविता की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इन्हीं में से दो महत्वपूर्ण घटक निम्नलिखित हैं- भाषा- यह कविता का महत्वपूर्ण घटक है क्योंकि इसी के माध्यम से ही कवि अपने विचारों और संवेदनाओं की अभिव्यक्ति करता है। छंद – छंद कविता का महत्वपूर्ण घटक इसलिए है। क्योंकि यही कविता को कवित्व रूप प्रदान करते हैं। किसी भी कविता को पद्य शैली में लाने में ये महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 6 with Solutions

प्रश्न 9.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए- (4 × 2 = 8)
(क) ‘आतंकवाद एक चुनौती’ विषय पर फीचर लिखिए।
(ख) ‘वर्तमान शिक्षा और भविष्य’ विषय पर आलेख लिखिए।
(ग) एंकर बाइट और एंकर पैकेज को समझाइए।
उत्तर:
(क) ‘आतंक’ और ‘डर’ दोनों ही एक दूसरे के पर्याय हैं। लोगों में डर उत्पन्न करने के लिए ही आतंक को लोगों के सामने लाया जाता है। आतंक का प्रमुख उद्देश्य भय उत्पन्न करना है। आतंकवाद के कई रूप हैं- राजनीतिक आतंकवाद, आर्थिक आतंकवाद, धार्मिक आतंकवाद आदि। हमारे देश में आतंकवाद ने अपना स्थान निर्धारित कर लिया है। आज भारत में कोई भी स्थान आतंकवाद से अछूता नहीं है। इसने सब जगह अपनी जड़ें मजबूती से जमा ली हैं भारत की प्रतिष्ठित प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी जाने अनजाने ही आतंकवाद की भेंट चढ़ गई। समय बीतने के साथ-साथ ही उनके पुत्र राजीव गाँधी भी इसी आतंकवाद की भेंट चढ़ गए।

भारत में संसद भवन पर हमला, मुंबई में आतंकी हमले होना भी आतंकवाद की ही देन हैं। आज भारत आतंक के साए में ही जी रहा है। कब कहाँ से आतंकी हमला हो जाए इसका कुछ भी पता नहीं। आतंकवाद आज एक ऐसी लाइलाज बीमारी हो गया है जिसका समय रहते यदि इलाज नहीं किया गया तो विश्व से मानवता का नामोनिशान ही मिट जाएगा। आतंकवाद एक ऐसा भस्मासुर बन गया है जिसे भगवान शंकर भी दूर नहीं कर सकते। आज प्रत्येक नागरिक का प्रमुख कर्त्तव्य है एकजुट होकर आतंकवाद को दूर करने का प्रयास करे तथा सरकार की हर संभव मदद करें।

(ख) आज प्रत्येक व्यक्ति की प्रमुख चिंता है ऐसी उन्नत शिक्षा प्राप्त करना जो हमें आत्मनिर्भर बना सके, रोजगार दिला सके आदि। आज की शिक्षा प्रणाली उस विशाल सरोवर के समान है जो दूर से देखने पर जल से पूर्णतया भरा हुआ दिखाई देता है पर प्यासे की प्यास बुझाने में असफल है। आज शिक्षा प्रणाली में ज्ञान की प्राप्ति करना कठिन हो गया है। आज सर्वत्र व्याप्त भ्रष्टाचार, गुंडागर्दी उन्ही लोगों में अधिक है जो उच्च शिक्षा प्राप्त है। आज शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य मात्र धन कमाना रह गया है।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली में आदर्शों और मानव मूल्यों का कोई स्थान नहीं रह गया है। इस दिशाहीन शिक्षा को प्राप्त कर अनेक वैज्ञानिक अपने ज्ञान को लक्ष्यहीन दिशा में ले जाते हैं और मानवता के लिए खतरा बन जाते हैं। शिक्षा ने व्यक्ति को इतना स्वार्थी बना दिया है कि उसे स्वयं के फायदे के अलावा कुछ नजर नहीं आता। उनकी बुद्धि आज इतनी संकुचित हो गई है कि उन्हें केवल स्वयं का ही लाभ-हानि दिखाई देता है। वर्तमान शिक्षा में मानव मूल्यों और आदर्शों का स्थान स्वार्थ ने ले लिया है जिससे व्यक्ति एकाकी, अशांत, तनावयुक्त और उच्छृंखल हो गया है। उसने अपने लिए ऐसे मूल्य स्थापित कर लिए हैं जिसे दूसरों से कोई सरोकार नहीं है। आज की शिक्षा में मनुष्य विनम्रता और परोपकार का दिखावा तो करता पर वो वास्त विकता से कोसों दूर है।

(ग) एंकर बाइट- बाइट यानी कथन। टेलीविजन पत्रकारिता में बाइट का काफी महत्व है। टेलीविजन में किसी भी खबर को पुष्ट करने के लिए इससे संबंधित बाइट दिखाई जाती है। किसी घटना की सूचना देने और उसके दृश्य दिखाने के साथ ही उस घटना के बारे में प्रत्यक्षदर्शियों या संबंधित व्यक्तियों का कथन दिखा और सुनाकर खबर को प्रामाणिकता प्रदान की जाती है।

एंकर पैकेज ये किसी भी खबर को संपूर्णता के साथ पेश करने का एक जरिया है। इसमें संबंधित घटना के दृश्य, उससे जुड़े लोगों की बाइट, ग्राफिक के जरिये जरूरी सूचनाएँ आदि होती हैं। टेलीविजन लेखन इन तमाम रूपों को ध्यान में रखकर किया जाता है जहाँ जैसी जरूरत होती है, वहाँ वैसे वाक्यों का इस्तेमाल होता है। शब्द का काम दृश्य को आगग ले जाना है ताकि वह दूसरे दृश्यों से जुड़ सके, उसमें निहित अर्थ को सामने लाए, ताकि खबर के सारे आशय खुल सकें।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)
(क) “कैमरे में बंद अपाहिज” कविता के आधार पर बताइए कि अपाहिज अपने दुःख के बारे में क्यों नहीं बता पाता?
(ख) ‘किशोर और युवा वर्ग समाज के मार्गदर्शक हैं’- पंक्ति की सत्यता ‘पतंग’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ग) भूत कहीं ‘छंद के आधार पर तुलसीदास के भक्त हृदय की विशेषता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
(क) प्रश्नकर्ता
बार-बार अपाहिज से उसकी विकलांगता के बारे में पूछता है। ऐसा करके वह उसके कष्टों को बार-बार उजागर करता है जिसे सुनकर अपाहिज को अपने दुःख याद आने लगते हैं और वह दुखी हो जाता है। वास्तविकता तो यह है कि उसे अपनी विकलांगता का कोई दुःख नहीं है। उसका असली दुःख तो यह है कि उसके दुःख को और अधिक बढ़ा-चढ़ाकर बताया जा रहा है। प्रश्नकर्ता चाहता है कि वह अपने दुःख को समाज के सामने व्यक्त करे जिससे उसे समाज की सहायता और सहानुभूति मिले।

अतः प्रश्नकर्ता उलटे सीधे प्रश्न कर उसकी मानसिक पीड़ा को अधिक बढ़ा देता है। अपाहिज ने अपनी कमजोरी को मन से स्वीकार कर लिया है प्रश्नकर्ता चाहता है कि उसके द्वारा पूछे गए उलटे सीधे प्रश्नों का जवाब अपाहिज बड़ी ही तीव्रता से दे पर अपाहिज की मानसिकता उतनी तीव्र नहीं है क्योंकि अपनी कमी का वह सबके सामने प्रदर्शन नहीं करना चाहता इसलिए वह अपने दुःख ‘के बारे में नहीं बता पाता।

(ख) ‘पतंग’ कविता बच्चों की निर्भीककता और हर्षोल्लास का प्रतीक है। किशोर और युवा वर्ग उत्साह और आशा से भरे हुए होते हैं। उन्हें जब किसी कार्य की धुन लग जाती हैं तो वे उसे पूरा करके ही मानते हैं। अपने मन में अनेक कल्पनाओं को लिए हुए वे उन्हें साकार करने में जी-जान से जुट जाते हैं और उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। किशोर और युवा वर्ग भावी समाज की नींव होते हैं। समाज का विकास तभी संभव है जब मानव एकाग्र होकर समाज की उन्नति के लिए प्रयास करें। यही एकाग्रता किशोर और युवा वर्ग में भरपूर होती है इसलिए किशोर और युवा वर्ग को समाज का मार्गदर्शक कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है। ‘पतंग’ कविता में इसी बात को उजागर किया गया है।

(ग) तुलसीदास ने इस छंद में अपने स्वाभिमान को व्यक्त किया है। वे सच्चे रामभक्त हैं तथा उन्हीं के प्रति समर्पित हैं। उन्होंने किसी भी कीमत पर अपना स्वाभिमान कम नहीं होने दिया और एकनिष्ठ भाव से राम की आराधना की। समाज के कटाक्षों का उन पर कोई प्रभाव नहीं है। उनका यह कहना है कि उन्हें किसी के साथ कोई वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं करना, समाज के मुँह पर तमाचा है। वे किसी के आश्रय में भी नहीं रहते। वे भिक्षायृत्ति से अपना जीवन-निर्वाहह करते हैं तथा मस्जिज् में जाकर सो जाते है। वे किसी की परवाह नहीं करते तथा किसी से लेने-देने का व्यवहार नहीं रखते। वे बाहर से सीधे है, परंतु हुदय में स्वाभिमानी भाव को छिएाए हुए है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) ‘उषा’ कविता के आधार पर सूर्योदय के साथ टूटने वाले जादू को स्पष्ट कीजिए।
(ख) कुंभकरण के द्वारा पूछे जाने पर रावण ने अपनी व्याकुलता के बारे में क्या कहा और कुंभकरण से क्या सुनना पड़ा?
(ग) कौन-सा विचार दिन ढलने के बाद लौट रहे पंथी के कदमों को धीमा कर देता है? ‘बच्चन’ के गीत के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
(क) सूयौदय से पूर्व उषा का दृश्य अत्त्यंत ही मनोहारी होता है। प्रातःकाल में सूर्य की किरणें आकाश की सुंदरता में चार चाँद लगा देती हैं। आकाश का सौँदय इस समय हर पल परिवर्तित होता रहता है। इसे ही उषा का जादू कहा गया है। नीले आकाश का जंख के समान पविन्र, काली स्लेट पर नीली खहिडिया मलना, नीले जल में गोरी नायिका का प्रतिबिंब झिलमिलाना आदि दृश्य उषाकाल के जादू के समान है जो सूर्योंदय के साथ ही लुप्त हो जाता है।

(ख) कुंभकरण के पूहने पर रावण ने उसे अपनी ब्याकुलता के बारे में विस्तारपूर्वक बताया कि किस तरहू उसने माता सीता का हरण किया अय हनुमान ने बड़े-बड़े महान योद्धाओं का संहार कर दिया है। उसकी ऐसी बातें सुनकर कुंभकरण ने उससे कहा कि अरे मूख्ज ! जग्त-जननी को चुराकर अब तू, कल्याण चाहता है। यह संभव नहीं है।

(ग) कवि एकाकी जीवन व्यतीत कर रहा है। शाम के समय उसके मन में विचार उठता हैं कि उसके आने के इंतजार में व्याकुल होने वाला कोई नही है। अतः वह किसके लिए तेजी से घर जाने की कोशिश करे। शाम होते ही रात हो जाएगी और कवि की विरह-ख्यथा बढ़ने से उसका हुदय बेचैन हो जाएगा। इस प्रकार के विचार आते ही दिन छलने के बाद लौट रहे पंथी के कदम धीमे हो जाते है।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) आदर्श समाज की स्थापना में डॉ. अंबेडकर के विचारों की सार्थकता को स्पष्ट कीजिए।
(ख) रिश्तों में हमारी भावना शक्ति बंट जाना विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुद्धि की शक्ति को कमजोर करती है पाठ में जीजी के प्रति लेखक की भावना के संदर्भ में इस कथन के औचित्य को स्पष्ट कीजिए।
(ग) भक्तिन का अतीत परिवार और समाज की किन समस्याओं से जूझते हुए बीता है? ‘भक्तिन’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
(क) डॉ. अंबेडकर ने आदर्श समाज की स्थापना के लिए निम्नलिखित खत्ते कही हैं-

  • आदर्श समाज में स्वतंत्रता, समानता और भातृत्य की प्रधानता होगी।
  • किसी भी वांहित परिवर्तन को समाज्ञ के एक छोर से दूसरे छ्छेर वक पहुँचाने के लिए गतिशीलता का होना आवश्यक है।
  • समाज के हित में सभी समान भागीदार हों और उसकी रक्षा के प्रति सजग रहें।
  • अवाध संपक के लिए समाज में पर्याप्त साधन होने चाहिए।
  • डॉ. अंबेडकर के उपरोक्त विचार वास्तव में ही एक स्वस्थ समाज की स्थापना कर सकते हैं पर इसे व्यवहार में लाना कठिन है ब्योंकि जिस वर्ग ने अपने र्वार्थ के लिए समाज पर अधिकार किया हुआ हो उसे आसानी से हटटाया नहीं जा सकता।

(ख) लेख्रक अपनी जीजी से बहुत प्यार करता था। वह उर्हें बहुत मानता था और उनका बहुत सम्मान करता था। दोनों के मध्य गहरा भावनात्मक लगाव था। जिस किसी भी परंपरा को लेखक अंधविश्वास मान कर उसका विरोध करता था, जीजी उसका बड़ी ही गहराई से समर्थन करती थी। इस बजह से दोनों के मध्य भावनात्मक शक्कि बैंटती जाती है। इससे लेखक का विश्वास छगमगाने लगता है। उसने इसे स्वीकार भी किया है और कहा है कि उनके विश्वास का किला अब ढहने लगा है। लेखक की जीजी उसकी बुद्धि शक्षि को उसके भावनात्मक रिश्तों से कमजोर कर देती हैं। अतः वह इनका विरोध नहीं कर पाता। बह कई बार उनका विरोध करने का प्रयास करता है पर जीजी के आगे समर्पण कर देता है।

(ग) भक्रिन ने अपने जीवन में सदैव परेशानिर्यों का ही सामना किया। बचपन में ही माता का साया सर से उठ गया था। पिता घर में सौतेली मौँ ले आए जिन्होने कभी उसे अपनी बेटी स्वीकार नही किया। पांच वर्ष की आयु में विमाता से उसका विवाह कर दिया। विवाह के बाद तीन लड़कियाँ होने के कारण उसे सास और जेटानियों के ताने सुनने पड़ते। उसकी लड़कियों के साथ भेद्भाव किया जाता रहा। 36 वर्घ की अवस्था में पति की मृत्यु हो गई। उसकी संपत्ति हड़पने के लिए ससुराल वालों ने बहुत प्रयास किए पर सफल न हो सके।

उसने अपनी बेटियों का विवाह करवाया और एक को घरजमाई भी बनाया, पर यहाँ भी दुर्भाग्य ने उसका पीछा नहीं छोड़ा और घरजमाई की मृत्यु हो गई। ससुराल बालों ने उसकी विधवा बेटी के साथ अनाचार करने का प्रयास किया। पंचायत ने भी ससुराल वालों का साथ देते हुए उसकी बेटी का वियाह उसी अनाचारी के साथ करवा दिया। इसके पश्चात उसकी सारी संपत्ति नष्ट हो गई और वह गाँव छेड़कर कमाई के लिए शहर आ गई।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित तीन प्रश्न में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) ‘पैसा पावर है’ लेखक ने ऐसा क्यों कहा?
(ख) ‘बाजार दर्शन’ पाठ के आधार पर पैसे की व्यंग्य शक्ति’ को स्पष्ट कीजिए।
(ग) पहलवान की ढोलक’ कहानी का प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) लेखक ने पैसे को पावर कहा है क्योंकि यह क्रय-शक्ति को बढ़ावा देता है। इसके होने पर ही व्यक्ति नई-नई चीजें खरीदता है। दूसरे, यदि व्यक्ति सिर्फ धन ही जोड़ता रहे तो वह इस बैंक-बैलैंस को देखकर गर्व से फूला रहता है। पैसे से समाज में व्यक्ति का स्थान निर्धारित होता है। इसी कारण लेखक ने पैसे को पावर कहा है।

(ख) ‘बाजार दर्शन’ पाठ में ‘पैसे की व्यंग्य शक्ति’ को बताया गया है। लेखक के अनुसार पैसा ही पॉवर है। जिसके पास यह पॉवर नहीं है उसे समाज में भी सम्मानीय स्थान प्राप्त नहीं है और वह स्वयं भी खुद को दूसरों से हीन समझता है। यदि कोई पैसे वाला व्यक्ति किसी महैंगी वस्तु को खरीदता है तो कम पैसे वाला उसके सामने एक संकोच का अनुभव करता है। यदि साइकिल सवार व्यक्ति पर कीचड़ उड़ाती हुई कार फर्राटे से निकल जाए तो साइकिल सवार व्यक्ति खुद शर्मिंदगी का शिकार हो जाता है। उसे लगता है कि कार न होने के कारण उसकी यह दशा हुई है और वह भी कार खरीदने के लिए हरसंभव प्रयास करता है। इन कारणों से बाजार में विलासितापूर्ण वस्तुओं की माँग बढ़ने लगती है और बाजार लाभ कमाने के लिए अधिक पैसे लेकर मांग की पूर्ति करने लगता है।

(ग) ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी व्यवस्था के बदलने के साथ लोक-कला और इसके कलाकार के अप्रासंगिक हो जाने को रेखांकित करती है। राजा साहब के मरते ही नयी व्यवस्था ने जन्म लिया। पुराने संबंध समाप्त कर दिए गए। पहलवानी जैसा लोकखल समाप्त कर दिया गया। यह ‘भारत’ पर ‘इंडिया’ के छा जाने का प्रतीक है। यह व्यवस्था लोक-कलाकार को भूखा मरने पर मजबूर कर देती है।