CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 4 with Solutions

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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 4 with Solutions

समय: 3 घंटे
अधिकतम अंक : 80

सामान्य और आवश्यक निर्देश:

  1. इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’ कुल प्रश्न 13 हैं।
  2. ‘खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर: देते हैं।
  3. खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
  4. प्रश्नों के उत्तर: दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
  5. दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर: देना अनिवार्य है।
  6. यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर: क्रमशः लिखिए।

खण्ड – ‘अ’
वस्तुपरक प्रश्न (40 अंक)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वांधिक उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 x 10 = 10)
हमारे बाल्काल के संस्कार ही जीवन का ध्येय निर्धारित करते हैं, अतः यदि शैशव में हमारी संतान एसेसे व्यक्तियों की छाया में ज्ञान प्राप्त करेगी, जिनमें चरित्र तथा सिद्धांत की विशेषता नहीं है जिनमें संस्कारजनित अनेक दोष है, तो फिर विद्यार्थियों के चरित्र पर भी उसी की छाप पड़ेगी और भविष्य में उनके घ्येय भी उसी के अनुसार स्वार्थमय तथा अस्थिर होंगे। शिक्षा एक ऐसा कर्तव्य नहीं है जो किसी पुस्तक को प्रथम से अंतिम पृष्ठ तक पढ़ाने से ही पूर्ण हो जाता हो, वरन् वह ऐसा कर्त्तव्य है जिसकी परिधि सारे जीवन को घेरे हुए है पुस्तकें ऐसे साँचे है जिनमें ढालकर उसे सुडौल बनाया जा सकता है।

यह वास्तव में आश्चर्य का विषय है कि हम अपने साधारण कार्यों के लिए करने वालों में जो योग्यता देखते है, वैसी योग्यता भी शिक्षकों में नहीं ढूँढते। जो हमारी बालिकाओं, भविष्य की माताओं का निर्माण करेंगें उनके प्रति हमारी उदासीनता को अक्षम्य ही कहना चाहिए। देश-विदेश समाज-विंशेष तथा संस्कृति-विशेष के अनुसार किसी के मानसिक विकास के साधन और सुविधाएँ उपस्थित करते हुए उसे विस्तृत संसार का ऐसा ज्ञान करा देना ही शिक्षा है, जिससे वह अपने जीवन में सामंजस्य का अनुभव करे सके और उसे अपने क्षेत्र-विशेष के साथ ही बाहर

उपयोगी बना सके। यह महत्त्वपूर्ण कार्य ऐसा नहीं है जिसे किसी विशिष्ट संस्कृति से अनभिज्ञ चंचल चित्त और शिथिल चरित्र वाले सुचारू रूप से संपादित कर सकें। परन्तु प्रश्न है कि इस महान उत्तरदायित्व के योग्य व्यक्ति कहाँ से लाए जाएँ? पढ़ी-लिखी महिलाओं की संख्या उँगलियों पर गिनने योग्य है और उनमें भी भारतीय संस्कृति के अनुसार शिक्षिताएँ बहुत कम है, जो हैं उनके जीवन के घ्येयों में इस कर्त्तव्य की छाया का प्रवेश भी निषिद्ध समझा जाता है। कुछ शिक्षिकावर्ग को उनके संकीर्ण दृष्टिकोण के कारण अन्य महिलाएँ अध्यापन-कार्य तथा उसे जीवन का लक्ष्य बनाने वाली महिलाओं को अवज्ञा और अनादर की दृष्टि से देखने लगी हैं।

अतः जीवन के आदि से अंत तक कभी किसी अवकाश के क्षण में उनका ध्यान इस आवश्यकता की ओर नहीं जाता, जिसकी पूर्ति पर उनकी संतान का भविष्य निर्भर है। अपने सामाजिक दायित्वों को समझा जाना चाहिए। यह समाज में आज सबसे बड़ी कमी है।

(क) संस्कारजनित दोषों से युक्त व्यक्तियों से ज्ञान प्राप्त करने पर विद्यार्थियों का चरित्र कैसा हो जाता है?
(i) स्वार्थी और अस्थिर
(ii) स्वार्थी
(iii) अस्थिर
(iv) स्वार्थी और स्थिर
उत्तर:
(i) स्वार्थी और अस्थिर

(ख) शिक्षा किस प्रकार का कर्तव्य नही है?
(i) पुस्राक पढ़ाने से अपूर्ण होने वाला
(ii) पुस्तक पद़ाने से पूर्ण होने वाला
(iii) पुस्तक न पढ़ाने से पूर्ण होने वाला
(iv) पुस्तक न पदूने से अपूर्ण होने वाला
उत्तर:
(ii) पुस्तक पद़ाने से पूर्ण होने वाला

(ग) आज का समाज किसके प्रति उदासीन है?
(i) समाज के प्रति
(ii) नागरिकों के प्रति
(iii) भविष्य निर्माण करने वाली शिक्षिकाओं के प्रति
(iv) माताओं के प्रति
उत्तर:
(iii) भविष्य निर्माण करने वाली शिक्षिकाओं के प्रति

(घ) शिक्षा क्या है?
(i) आवश्यकतानुसार सामंजस्य न बिंगना
(ii) आवश्यकतानुसार सामंजस्य बिदाना
(iii) सामंजस्य न बिठना
(iv) साधन उपलख्ध न कराना
उत्तर:
(ii) आवश्यकतानुसार सामंजस्य बिदाना

(ङ) समाज में सबसे बड़ी कमी क्या है?
(i) सामाजिक दायित्चों को न समझना
(ii) असामाजिक दायित्यों को न समझना
(iii) सामाजिक दायित्वों को समझना
(iv) सामाजिक-असामाजिक दायित्वों को न समझना
उत्तर:
(i) सामाजिक दायित्चों को न समझना

(च) हमम योग्यता किसमें देखते हैं?
(i) असाधारण कायौं के लिए योग्यता देखना
(ii) साधारण कार्यों के लिए योग्यता न देखना
(iii) साधारण कायों के लिए योग्यता देखना
(iv) साधारण कार्यों के लिये अयोग्यता देखना
उत्तर:
(iii) साधारण कायों के लिए योग्यता देखना

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(छ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
(I) शिक्षा एक ऐसा कर्तव्य है, जिसकी परिधि ने मानव के सारे जीवन को घेरा हुआ है।
(II) महिला शिक्षक के द्वारा अध्यापन करने पर समाज द्वारा उसे अनादर की दृष्टि से देखा ज्ञाता है।
(III) पढ़ा-लिखा नर ही अपने परिवार को उन्नत कर सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही हैं?
(i) केवल (I)
(ii) केवल (III)
(iii) (I) और (II)
(iv) (II) और (III)
उत्तर:
(iii) (I) और (II)

(ज) हमारे जीवन का ध्येय कौन निर्धारित करता है?
(i) हमारी शिक्षा
(ii) हमारे बचपन के संस्कार
(iii) हमारे युखावस्था के संस्कार
(iv) हमारे माता-पिता
उत्तर:
(ii) हमारे बचपन के संस्कार

(झ) किस प्रकार की महिलाओं को अवज्ञा और अनादर की दृष्टि से देखा जाता है?
(i) अध्यापन कार्य करने बाली महिलाओं को
(ii) घर का कार्य करने वाली महिलाओं को
(iii) लक्ष्य निर्माण करने वाली महिलाओं को
(iv) सभी विकल्प सही हैं
उत्तर:
(i) अध्यापन कार्य करने बाली महिलाओं को

(ञ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पदिए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से एक सही विकल्प चुनकर लिख्ञिए।
कथन (A) : आज मनुष्य की सबसे बड़ी कमी उसके द्वारा सामाजिक दायित्वौं को न समझ पाना ही है।
कारण (R) : असाधारण कार्य करते समय व्यक्ति की योग्यता को देखना समाज की प्रवृत्ति बन गई है।
(i) कधन (A) तथा कारण (R) दोनों सही है, तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है, लेकिन कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत है।
(iv) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(iv) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्य द्वारा चयन दीजिए। (1 x 5 = 5)
अर्जुन देखो, किस तरह कर्ण सारी सेना पर टूट रहा, किस तरह पांडवों का फौरण होकर अंशंक वह लूट रहा। द्रेखो, जिस तरफ, उघर उसके ही बाण दिखाई पड़ते हैं, बस, जिधर सुनो, केवल उसकी हुँकार सुनाई पड़ती है। कैसी करालता। क्या लाघव! कैसा पौरुष। कैसा प्रहार। किस गौरव से यह वीर द्विरद कर रहीं समर-वन में विहार।

व्यूहों पर व्यूह फाटे जते, संग्राम उजड़ता जाता है, ऐसी को नर्ही कमलवन में भी कुंजर कूम मचाता है। इस पुरुष-सिंह का समर देख मेरे तो हुए निहाल नयन, कुछ बुरा न मानो, कहता हूँ में आज एक चिर गूक्ष वचन। कर्ण के साध्य तेरा वल भी में खेंब ज्ञानता हूँ आया हैँ, मन ही मन तुझसे बड़ा वीर पर, इसे मानता आया हुँ। औ’ देख चरम वीरता आज तो यही सोचता हुँ मन में। हैं भी जो कोई जीत सके, इस अनुल धनुर्धर को रण में?
(क) पद्यांश में कौन किसकी प्रशंसा कर रहा है?
(i) कृष्ण कण्ण की
(ii) कर्ण कृष्ग की
(iii) अर्जुन कृष्ण की
(iv) कृष्ण अर्जुन की
उत्तर:
(i) कृष्ण कण्ण की

(ख) कृष्ण ने कर्ण को कमलवन में किसके समान बताया है?
(i) धूम मचाते सिंह के समान
(ii) विहार करते हाथी के समान
(iii) कर्ण के समान
(iv) वीर पुरुष के समान
उत्तर:
(ii) विहार करते हाथी के समान

(ग) श्रीकृष्ण अर्जुन से कौन-से गूढ़ वचन की बात कह रहे हैं?
(i) अर्जुन को बड़ा वीर मानना।
(ii) कर्ण को बड़ा वीर मानना।
(iii) स्वयं को बड़ा वीर मानना।
(iv) स्वयं को कर्ण से बड़ा वीर मानना।
उत्तर:
(ii) कर्ण को बड़ा वीर मानना।

(घ) ‘क्या कोई ऐसा वीर है जो इस अद्भुत धनुर्धर को युद्ध में जीत सके’ काव्यांश की कौन-सी पंक्ति में यह कहा गया है?
(i) व्यूहों पर व्यूह फाटे जाते, संग्राम उजड़ता जाता है,
(ii) कुछ बुरा न मानो, कहता हूँ मैं आज एक चिर गूढ़ वचन।
(iii) कर्ण के साथ तेरा बल भी मैं खूब जानता हूँ आया हूँ,
(iv) हैं भी जो कोई जीत सके, इस अतुल धनुर्धर को रण में?’
उत्तर:
(iv) हैं भी जो कोई जीत सके, इस अतुल धनुर्धर को रण में?’

(ङ) उपर्युक्त काव्यांश के लिए उचित शीर्षक लिखिए-
(i) वीर कर्ण
(ii) वीर अर्जुन
(iii) वीर कृष्ण
(iv) वीर राम
उत्तर:
(i) वीर कर्ण

अथवा

जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है।
सहसा भूली याद तुम्हारी उर में आग लगा जाती है,
विरहाताप भी मधुर मिलन के सोये मेघ जगा जाती है।
मुझको आग और पानी में रहने का अभ्यास बहुत है।
धन्य-धन्य मेरी लघुता को जिसने तुम्हें महान बनाया,
धन्य तुम्हारी स्नेह कृपणता जिसने मुझे उदार बनाया।
मेरी अंध भक्ति को केवल इतना मंद प्रकाश बहुत है।
जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है।
अगणित शलभों के दल एक ज्योति पर लकर मरते।
एक बूँद की अभिलाषा में कोटि-कोटि चातक तप करते,
शशि के अपास सुधा थोड़ी है पर चकोर की प्यास बहुत है।
जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत हैं।
आ! जीवन के थके पखेरू, बढ़े चलो हिम्मत मत हारो
पंखों में भविष्य बंदी है मत अतीत की ओर निहारो,
क्या चिन्ता धरती यदि छूटि उड़ने को आकाश बहुत है।
जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा मि, विश्वास बहुत है।

(क) प्रिय की याद अचानक कवि के मन में आकर कौनसा विश्वास जगा जाती है?
(i) प्रिय से मिलने का
(ii) प्रिय को याद करने का
(iii) विरह व्यथा का
(iv) मिलन और विरह का
उत्तर:
(i) प्रिय से मिलने का

(ख) कवि को किसने उदार बना दिया है?
(i) प्रिय मिलन ने
(ii) अतीत की यादों ने
(iii) प्रिय की स्नेह कृपणता ने
(iv) चकोर की प्यास ने
उत्तर:
(iii) प्रिय की स्नेह कृपणता ने

(ग) कवि की प्रिया को किसने महान बना दिया है?
(i) प्रिय की स्नेह कृपणता ने
(ii) कवि की लघुता ने
(iii) कवि की गुरुता ने
(iv) कवि के विरह ने
उत्तर:
(ii) कवि की लघुता ने

(घ) कवि ने जीवन को किसके समान बताया है?
(i) अतीत के
(ii) बंदी के
(iii) प्रकाश के
(iv) थके हुए पंछी के
उत्तर:
(iv) थके हुए पंछी के

(ङ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
(I) अपने प्रिय के प्रति अपार भक्ति के लिए थोड़ा सा ध्यान ही कवि के लिए पर्याप्त है।
(II) एक बूँद पानी के लिए करोड़ों चातकों का तप करना कवि के विश्वास को अधिक दृढ़ कर रहा।
(III) कवि एकांत में रहना चाहता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही हैं?
(i) केवल (I)
(ii) केवल (III)
(iii) (I) और (II)
(iv) (IT) और (III)
उत्तर:
(iii) (I) और (II)

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए- (1 x 5 = 5)
(क) पत्रकार के प्रकार होते हैं-
(i) एक
(ii) दो
(iii) तीन
(iv) चार
उत्तर:
(iii) तीन
व्याख्यात्मक हल: पत्रकार तीन प्रकार के होते हैं-पूर्णकालिक, अंशकालिक और फ्रीलांसर।

(ख) स्तम्भ लेखन किस प्रकार के लेखन का रूप है?
(i) प्रेरणादायक
(ii) विवरणात्मक
(iii) संक्षिप्त
(iv) विचारपरक
उत्तर:
(iv) विचारपरक

(ग) अखबार के पाठक किस स्तम्भ के जरिये विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करते हैं?
(i) सम्पादकीय पृष्ठ
(ii) साक्षात्कार
(iii) ओप एड
(iv) विशेष रिपोर्ट
उत्तर:
(i) सम्पादकीय पृष्ठ
व्याख्यात्मक हल: इसमें पाठकों के पत्र प्रकाशित होते हैं।

(घ) कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान कीजिए।

कॉलम ‘क’ कोलम ‘ख’
(a) साप्ताहिक पत्रिका (I) विशेष रिपोर्ट
(b) एकरेखीय माध्यम (II) सप्ताह में एक बार
(c) तथ्यों की खोज (III) विशेष लेखन
(d) खास विषय पर लेखन (IV) रेडियो

(i) (a)-(IV), (b)-(III), (c)-(I), (d)-(II)
(ii) (a)-(II), (b)-(IV), (c)-(I), (d)-(III)
(iii) (a)-(II), (b)-(I), (c)-(IV), (d)-(III)
(iv) (a)-(I), (b)-(II), (c)-(III), (d)-(IV)
उत्तर:
(ii) (a)-(II), (b)-(IV), (c)-(I), (d)-(III)

(ङ) समाचार लेखन में कितने ककार होते हैं?
(i) तीन
(ii) चार
(iii) पाँच
(iv) छह
उत्तर:
(iv) छह
व्याख्यात्मक हल: समाचार लेखन में छह ककार होते हैं-क्या, किसके, कहाँ, कब, क्यों, और कैसे

प्रश्न 4.
दिए गए काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 x 5 = 5)
आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है
कैसा
यानी कैसा लगता है
(हम खुद इशारे से बताएँगे कि क्या ऐसा?)
सोचिए
बताइए
थोड़ी कोशिश करिए
(यह अवसर खो देंगे?)
आप जानते हैं कि कार्यक्रम रोचक बनाने के वास्ते
हम पूछ-पूछकर उसको रुला देंगे
इंतजार करते हैं आप भी उसके रो पड़ने का करते हैं?
(यह प्रश्न पूछा नही जाएगा)
(क) ‘आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है’-प्रश्न कौन कर रहा है?
(i) मीडिया
(ii) अपाहिज
(iii) जनता
(iv) कवि
उत्तर:
(i) मीडिया

(ख) अपाहिज को रुलाना मीं्डिया की किस विशेषता की और संकेता करता है?
(i) संवेद्नशीलता
(ii) संबेदनहीनता
(iii) रुलाना
(iv) हैँसाना
उत्तर:
(ii) संबेदनहीनता

(ग) काव्यांश से कार्यक्रम संचालकों की कौनसी मानसिकता उजागर होती है?
(i) उनकी करुणा
(ii) उनकी व्यावसाखिकता
(iii) उनकी सामाजिकता
(iv) उनकी व्यंग्यात्मकता
उत्तर:
(ii) उनकी व्यावसाखिकता

(घ) दर्शकों की मानसिकता कैसी बताई गई है?
(i) स्वयं को श्रेष्ट बताना
(ii) दूसरों पर दया दिखाना
(iii) किसी की पीड़ा का आनंद लेना
(iv) स्वर्य की पीड़ा दिखाना
उत्तर:
(iii) किसी की पीड़ा का आनंद लेना

(ङ) काव्यांश के कवि है-
(i) आलोक धन्वा
(ii) शमशेरबहादुर सिंह
(iii) नागार्जुन
(iv) रघुबीर सहाय
उत्तर:
(iv) रघुबीर सहाय

प्रश्न 5.
दिए गए काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 x 5 = 5)
उन लोगों के दो नाम थे-इंदर सेना या मेंबक-मंडली। बिलकुल एक दूसरे के विपरीत। जो लोग उनके नश्स्वरुप शरीर, उनकी उछल-कूद, उनके शोर-शराबे और उनके कारण गली में होने बाले कीचड़ काँदो से चिक्ते थे, वे उन्हें कहते थे मेंळक-मंडली। उनकी अगवानी गालियों से होती थी।

वे होते थे दस-बारह बरस से सोलह-अठारह बरस के लड़के, साँचला नंगा बदन सिफे एक जाँचिया या कभी-कभी सिर्फ लंगोटी। एक जगह इकट्डे होते थे। पहला जयकारा लगता था, “बोल गंगा मैया की जय।” जयकारा सुनते ही लोग सावथान हो जाते थे। स्त्रियाँ और लड़कियां छज्जे, बारजे से झाँकने लगती थी और यह विचित्र नंग-धडंग टोली उछलती-कूदती समवेत पुकार लगाती थी।
(क) गाँव से पानी मौंगने वालों के क्या नाम घे?
(i) इंदर सेना
(ii) मेंछक मंडली
(iii) मंडली
(iv) इंदर सेना या मेंछक मंडली
उत्तर:
(iv) इंदर सेना या मेंछक मंडली

(ख) ये होग पानी क्यों माँगते थे?
(i) पानी न बरसाने के लिए
(ii) अकाल न पड़ने के लिए
(iii) याढ़ लाने के लिए
(iv) सूखा पझने के लिए
उत्तर:
(ii) अकाल न पड़ने के लिए

(ग) इंदर सेना के जयकारे का क्या प्रभाव पड़ता था?
(i) लोग पानी देने लगते थे
(ii) बच्चे भागने लगते थे
(iii) घरों के दरवाजे खुलने लगते थे
(iv) लोग इनके क्रियाकलाप को देखने लगते थे
उत्तर:
(iv) लोग इनके क्रियाकलाप को देखने लगते थे

(घ) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए ।
(I) दस बारह से सोलह अठारह बरस के बच्चे इंदर सेना में सम्मिलित होते थे।
(II) नंग-धड़ंग ये बच्चे गंगा मैया का जयकारा लगाते हुए उछलते हुए चलते जाते थे।
(III) ये बच्चे बड़े विचित्र होते थे।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही हैं?
(i) केवल (I)
(ii) केवल (III)
(iii) (I) और (II)
(iv) (II) और (III)
उत्तर:
(iii) (I) और (II)

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(ङ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) अंधविश्वासों से देश का बहुत नुकसान होता है।
कारण (R) : इंदर सेना को पानी देने जैसे पाखंडों के कारण ही हम अंग्रेजों से पिछड़ गए और उनके गुलाम बन गए।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं, तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है, लेकिन कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं, तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए। (1 x 10 = 10)
(क) सन् 1984 में भारतीय दूरदर्शन के प्रथम धारावाहिक ‘हम लोग’ का लेखन किसने किया था?
(i) मनोहरश्याम जोशी
(ii) ओम थानवी
(iii) यशोधर पंत
(iv) किशनदा
उत्तर:
(i) मनोहरश्याम जोशी

(ख) मनोहरश्याम जोशी की मृत्यु कब हुई?
(i) सन् 2003
(ii) सन् 2005
(iii) सन् 2006
(iv) सन् 2008
उत्तर:
(iii) सन् 2006

(ग) दावत चलते समय यशोधर बाबू संध्या क्यों करने लगे?
(i) आशीर्वाद लेने के लिए
(ii) भजन सुनने के लिए
(iii) धन्यवाद व्यक्त करने के लिए
(iv) पार्टी से बचने के लिए
उत्तर:
(iv) पार्टी से बचने के लिए

(घ) सिन्धु का इलाका किससे मिलता-जुलता है?
(i) बाड़मेर से
(ii) जैसलमेर से
(iii) राजस्थान से
(iv) बीकानेर से
उत्तर:
(iii) राजस्थान से

(ङ) महाकुंड के तीन तरफ किसके कक्ष बने हुए हैं?
(i) पुरुषों के
(ii) स्त्रियों के
(iii) बच्चों के
(iv) साधुओं के
उत्तर:
(iv) साधुओं के

(च) कुंड में पानी के लिए किसकी व्यवस्था थी?
(i) नहर की
(ii) तालाब की
(iii) कुएँ की
(iv) नदियों की
उत्तर:
(iii) कुएँ की

(छ) बसंत पाटिल को लेखक ने अपना दोस्त बनाने की कोशिश क्यों की?
(i) क्योंकि वह बहुत होशियार छात्र था
(ii) क्योंकि वह शांत स्वभाव का था
(iii) क्योंकि वह कक्षा का मॉनिटर था
(iv) सभी विकल्प सही हैं
उत्तर:
(iv) सभी विकल्प सही हैं

(ज) लेखक की कक्षा का सबसे शरारती बच्चा कौन था?
(i) चव्हाण का लड़का
(ii) लेखक
(iii) बसंत पाटिल
(iv) राजा
उत्तर:
(i) चव्हाण का लड़का

(झ) यशोधर बाबू दिल्ली कब आए?
(i) मैट्रिक होने के बाद
(ii) इंटरमीडिएट के बाद
(iii) पिता की मृत्यु के बाद
(iv) माँ की मृत्यु के बाद
उत्तर:
(i) मैट्रिक होने के बाद

(ञ) महाकुंड किस काम आता था?
(i) सामूहिक स्नान के
(ii) पशुओं के स्नान के
(iii) बच्चों के स्नान के
(iv) राजा के स्नान के
उत्तर:
(i) सामूहिक स्नान के

खंड ‘ब’
वर्णनात्मक प्रश्न (40 अंक)

प्रश्न 7.
दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए।
(क) समाचार पत्र : ज्ञान का भंडार
(ख) समय की मांग : संयुक्त परिवार
(ग) परनिंदा
(घ) सावन की पहली झड़ी
उत्तर:
(क) समाचार पत्र ज्ञान का भंडार:
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अपने आसपास, समाज और देश विदेश की जानकारी के लिए उसके मन में निरंतर जिज्ञासा बनी रहती है। उसकी यह जिज्ञासा शांत करने का सबसे सस्ता और सर्वसुलभ साधन है- समाचार पत्र समाचार पत्र में छपी हुई खबरें चित्रों के साथ प्रकाशित होती हैं, जो सबको आकर्षक लगती हैं। सुबह होते ही समाचार पत्र वितरक इन्हें सबके घरों तक पहुंचाते हैं। लोगों की तो सुबह इनसे ही आरंभ होती है। कई लोग तो सुबह की चाय भी इसके साथ ही लेते हैं, कुछ लोगों की तो आँखें ही इन्हें पढ़कर खुलती हैं। यह एक ऐसा साधन है जो सबको बड़ी ही सरलता से प्राप्त हो जाता है।

लाखों लोगों को तो इनसे ही रोजगार मिलता है। कुछ लोगों की तो जीविका ही इनसे चलती है। समाचार पत्र भी अनेक प्रकार के होते हैं-प्रतिदिन छपने वाले समाचार पत्र दैनिक, सप्ताह में एक बार छपने वाले साप्ताहिक, पन्द्रह दिन में एक बार छपने वाले पाक्षिक, माह में एक बार छपने वाले मासिक समाचार पत्र कहलाते हैं। कुछ स्थानों पर तो सुबह और शाम को अलग-अलग समाचार पत्र छापे जाने लगे हैं।

समाचार पत्र हमें देश दुनिया के समाचारों के साथ-साथ खेल जगत, मौसम, बाजार संबंधी, फिल्मी दुनिया की खबरें भी देते हैं। इसके अतिरिक्त इनमें बच्चों से संबंधित कहानियाँ और अन्य मनोरंजक खबरें भी मिलती हैं, विज्ञापन के द्वारा हमें विभिन्न वस्तुओं की भी जानकारी मिलती है। अतः इन्हें ज्ञान का भंडार कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा।

(ख) समय की मांग : संयुक्त परिवार:
समय निरंतर परिवर्तनशील है। आदि काल से अब तक हर दिशा में अनेक परिवर्तन हुए हैं। संयुक्त परिवारों के स्थान पर अब एकल परिवार आ गए हैं। ग्रामीणों का अच्छी नौकरी की चाह में शहरों की ओर पलायन, उच्च शिक्षा की चाहत, विदशों में बसने की चाह आदि के कारण संयुक्त परिवार विघटित होकर एकल परिवारों में बंट चुके हैं। दिनोंदिन इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी होती जा रही है। इन एकल परिवारों में बच्चों के लालन-पालन, शिक्षा-दीक्षा में बड़ी कठिनाई आती है।

जहाँ माता और पिता दोनों ही नौकरीपेशा हों वहाँ या तो बच्चे आया के भरोसे पलते हैं या छोटी-सी उम्र में ही क्रेच में पलने को विवश होते हैं। पहले यही काम संयुक्त परिवारों में दादी, ताई, बुआ और चाची के नेतृत्व में इतनी आसानी से हो जाता था कि बच्चे कब बड़े हो जाते थे इसका पता ही नहीं लग पाता था।

इसके अतिरिक्त बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास, बड़ों के प्रति सम्मान और छोटों के प्रति प्यार और सहयोग की भावना का विकास करने में भी संयुक्त परिवार अहम भूमिका निभाते थे। संयुक्त परिवारों के बुजुर्गों की हर आवश्यकता का ध्यान रखने के लिए घर के बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी आगे रहते थे। एक-दूसरे के सुख-दुःख को बाँटना, आपस में हँसी-मजाक करना तो संयुक्त परिवारों का जैसे अनिवार्य अंग ही बना हुआ था।

इससे लोग स्वस्थ रहते थे आज एकल परिवारों के चलते हँसी-मजाक का वो माहौल तो जैसे गायब ही हो गया है। जहाँ संयुक्त परिवारों में व्यक्ति को एकाकीपन का एहसास ही नहीं होता था वही एकल परिवारों में तो व्यक्ति के पास एकाकी रहने के अलावा कोई अन्य रास्ता भी नहीं है। आज बच्चे दिशाहीन होते जा रहे हैं, लोग स्वार्थी हो गए हैं, सामाजिक संबंधों का स्थान अब स्वार्थ ने ले लिया है, अतः वर्तमान समय को देखते हुए संयुक्त परिवार आवश्यक हो गए हैं।

(ग) परनिंदा:
प्रशंसा और निंदा करना मनुष्य के स्वभाव में है। जो उसे अच्छा लगता है, उसकी प्रशंसा और जो बुरा लगता है, उसकी निंदा, उसके मुँह से निकल ही जाती है। निंदा वह रहस्यमय कार्य-व्यापार है जो समाज से छिपाकर और दिल खोलकर किया जाता है। निंदा रस समाज में सबसे व्यापक रस है। निंदा और प्रशंसा की यदि तुलना की जाए तो प्रशंसा के विषय कम मिलते हैं जबकि निंदा के विषय असंख्य निंदा करने वाले तो भगवान की निंदा करने से भी पीछे नहीं हटते। भगवान के इस रंगीन जगत से प्रभावित होने वाले बहुत-से होंगे, पर इसे अधूरा बताने वाले दार्शनिकों की भी कमी नहीं है।

निंदा करने वाले तटस्थ भाव से निंदा करते हैं और अपने विवेक को ताक पर रख देते हैं। यदि ऐसा नहीं होगा तो अच्छा और आदर्श निंदक भी नहीं बना जा सकता। अच्छे निंदक बनने का काम भी एक तपस्या है। सबसे पहले यह जानना चाहिए कि जिसकी निंदा की जा रही है और जिसके सामने निंदा की जा रही है, उनके संबंध कैसे हैं, कहीं वह उसका रिश्तेदार तो नहीं। ऐसे मामले में सावधानी से काम लेना चाहिए। निंदा रस मनोरंजन का सबसे सस्ता और उत्तम साधन है। आनंद का इससे अच्छा साधन हो ही नहीं सकता। निंदा करने वाला कभी पछताता नहीं है अतः निंदा लोकरक्षक और लोकरंजन है।

(घ) सावन की पहली झड़ी:
जेठ और आषाढ़ की भयंकर गर्मी से पूरा संसार तप रहा है। भयंकर लू के कारण पल-भर भी चैन नहीं मिलता। बिजली हर समय नदारद रहती है। जब हवा का चलना बंद हो जाता है, तो घुटन सी होने लगती है। पसीने से सारा शरीर तर-बतर हो जाता है। न रात को चैन है, न दिन को। घर के सभी प्राणी बिस्तर पर करवटें लेते-लेते कब सो जाते हैं, पता ही नहीं चलता। सभी लोग भगवान से वर्षा के लिए प्रार्थना करते हैं। अब तो सावन का महीना भी लग गया है, लेकिन वर्षा का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं है, केवल गर्मी ही गर्मी है। लेकिन आज सुबह जब आँखें खुलीं तो ऐसा महसूस हुआ।

ठंडी-ठंडी हवा चल रही हो। मैं शीघ्र ही विस्तर से उठकर बाहर गया। देखा तो आकाश में घने काले बादल छाए हुए थे। सूर्य देवता कहीं नजर नहीं आ रहे थे। ठंडी-ठंडी बयार चल रही थी और नीले-काले बादलों से गढ़-गड़ की आवाज आ रही थी। थोड़ी देर में हल्की-हल्की बूंदा बाँदी होने लगी। मेरा मन खुशी से झूम उठा। अचानक हवा चलनी बंद हो गई। मस्त हाथियों जैसे काले-काले बादल जोर-जोर से गरजने लगे। वर्षों की मोटी-मोटी बूंदें टपकने लगीं। इससे पहले कि घर के बाहर बिखरा हुआ सामान भीतर रख पाते, मूसलाधार बारिश शुरू हो गई।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) कविता निर्माण में बिंब और छंद के महत्व पर प्रकाश डालिए।
(ख) एक नाटक के लिए जरूरी होता है उसका कथ्य- इस कथन की पुष्टि कीजिए।
(ग) कहानी के संवाद लिखते समय ध्यान देने योग्य बिंदु लिखिए।
उत्तर:
(क) किसी भी कविता में बिंब और छंद का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इनके द्वारा किसी भी कविता को रोचक और मनोरंजक बनाया जाता है। ये कविता को इंद्रियों से पकड़ने में सहायक होते हैं। हम इंद्रियों के माध्यम से ही बाहरी दुनिया को जानते और समझते हैं। बाह्य संवेदनाएँ ही मन के स्तर पर बिंब के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं कुछ विशेष शब्दों को सुनकर अनायास ही मन के अंदर कौंधने वाले स्मृति चित्र बिंब का निर्माण करते हैं “तट पर बगुलों की वृदधाएँ विधवाएँ जप ध्यान में मगन मंथर धारा में बहता जिनका अदृश्य गति अंतर रोदन”।

इसी प्रकार छंद भी कविता का अनिवार्य तत्व है। मुक्त छंद की कविता के लिए अर्थ का निर्वाह आवश्यक होता है। तभी कविता में लयात्मकता आती है। नागार्जुन की कविता ‘बादल को घिरते देखा है’, धूमिल की कविता ‘मोचीराम’ आदि इसके अनूठे उदाहरण हैं। बाबू जी सच कहूँ मेरी निगाह में न कोई छोटा है न कोई बड़ा है, मेरे लिए हर आदमी एक जोड़ी जूता है, जो मेरे सामने मरम्मत के लिए खड़ा है।

(ख) किसी भी नाटक के लिए उसका कथ्य बहुत आवश्यक होता है। इसके अभाव में नाटक की कल्पना भी नहीं की जा सकती। एक नाटककार को शिल्प और संरचना की पूरी जानकारी और समझ का होना आवश्यक है क्योंकि ऐसा होने पर ही नाटककार किसी कहानी के रूप को किसी शिल्प और संरचना में पिरोने में सफल हो सकता है। नाटक मंच पर मंचित होता है इसलिए उसमें कथ्य अहम भूमिका का निर्वाह करता है।

एक नाटककार ही कथ्य के आधार पर घटनाओं, स्थितियों अथवा दृश्यों का चुनाव कर उन्हें उचित कर्म में रखने में सफल होता है। यदि कथ्य ही नहीं होगा तो नाटककार किस प्रकार घटनाओं का चुनाव करेगा। अतः किसी भी नाटक को शून्य से शिखर तक ले जाने में कथ्य का महत्वपूर्ण योगदान है।

(ग) कहानी में संवाद लिखते समय ध्यान देने योग्य बिंदु निम्नलिखित हैं-
कहानी के संवाद पात्रों के स्वभाव और पृष्ठभूमि के अनुकूल हों।
संवाद आदर्शों और स्थितियों के अनुकूल होने चाहिए।
संवाद छोटे होने चाहिए।
वे उद्देश्य के प्रति लक्षित होने चाहिए।
संवाद लिखते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि वे अनावश्यक विस्तार लिए हुए न हों।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 4 with Solutions

प्रश्न 9.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में दीजिए। (4 × 2 = 8)
(क) स्तम्भ लेखन पर टिप्पणी लिखिए।
(ख) फीचर और समाचार में अंतर बताइए।
(ग) विशेष लेखन में ‘डेस्क’ को समझाइए।
उत्तर:
(क) स्तम्भ लेखन विचार परक लेखन का एक प्रमुख रूप है। कुछ लेखक अपनी वैचारिक रुझान के लिए प्रसिद्ध होते हैं। उनकी लेखन शैली भी विकसित होती है इसलिए इस प्रकार के लेखकों की लोकप्रियता को देखते हुए इन्हें समाचार पत्र में एक नियमित स्तम्भ लिखने की जिम्मेदारी दी जाती है। यहाँ लेखक को अपने लेखन के विषय को चुनने और उसमें अपने विचार व्यक्त करने की पूरी छूट होती है। इसमें लेखक के अपने विचार व्यक्त होते हैं। इन स्तंभों की लोकप्रियता इनके लेखकों के नाम से ही होती है। कुछ स्तम्भ तो इतने लोकप्रिय हो जाते हैं कि समाचार पत्र इन्हीं स्तम्भों के नाम से जाने जाते हैं। इनकी एक कमी यह होती है कि इनमें केवल प्रसिद्ध लेखकों को ही स्थान मिलता है नए लेखकों को नहीं।

(ख) समाचार में रिपोर्टर अपने विचार डालने में स्वतंत्र होते हैं जबकि फीचर लेखन में लेखक अपनी राय, दृष्टिकोण और अपनी भावनाओं को जाहिर करने के लिए पूर्ण स्वतंत्र होता है फीचर समाचार की तरह पाठकों को तात्कालिक घटनाक्रम से अवगत नहीं कराता है। समाचार की भाषा अपेक्षाकृत सरल नहीं होती जबकि फीचर की भाषा काफी हद तक कथात्मक होती है। समाचारों में शब्दों की सीमा निर्धारित होती है जबकि फीचर में ऐसा नहीं होता। सामान्यतः अखबारों में छपने वाले फीचर 250 से 2000 शब्दों के होते हैं। समाचार उलटे पिरामिड शैली में लिखे जाते हैं जबकि फीचर के लिए कोई निश्चित ढाँचा नहीं होता है। फीचर में फोटो, रेखांकन, ग्राफिक्स आदि का होना आवश्यक होता है जबकि समाचार में ऐसा नहीं होता।

(ग) विशेष लेखन का अर्थ होता है सामान्य लेखन से हटकर लिखना। अधिकतर समाचार पत्र के अतिरिक्त टी.वी और रेडियो चैनल में विशेष लेखन के लिए जो अलग से स्थान होता है, उसे ‘डेस्क’ कहा जाता है। इस डेस्क में काम करने वाले पत्रकारों का समूह भी अलग-अलग होता है। समाचार पत्रों और अन्य माध्यमों में व्यापार, कारोबार और खेल की खबरों के लिए अलग- अलग डेस्क निर्धारित होती है। इन सभी डेस्कों पर काम करने वाले उपसंपादक और संवाददाता संबंधित विषय या क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्ही दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) क्या तुलसी युगीन समस्याएँ वर्तमान समाज में भी विद्यमान हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
(ख) ‘बात सीधी थी पर कविता में भाषा के विषय में व्यंग्य करके कवि क्या सिद्ध करना चाहता है?
(ग) बार- बार पूछे जाने पर भी अपाहिज अपने दुःख के बारे में क्यों नहीं बताता?
उत्तर:
(क) आज से लगभग 500 वर्ष पूर्व तुलसी ने जो भी कहा था, वह आज के समाज में भी प्रासंगिक है। उन्होंने तत्कालीन समाज में समय की मूल्यहीनता, नारी की सामाजिक स्थिति और समाज में आर्थिक दुरावस्था का चित्रण किया है। ये समस्याएँ आज भी विद्यमान हैं। लोग अपने जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लोए आज भी अनैतिक कृत्य करते हैं। नारी के प्रति नकारात्मक सोच आज भी विद्यमान है।

नारी की स्थिति में आज कुछ बदलाव तो आए हैं पर आज भी वह सुरक्षित नहीं है। भ्रूणहत्या, नारी का शोषण आज भी होता है। जाति-धर्म के नाम पर भेदभाव आज भी विद्यमान है। हाँ व्यापार जगत, कृषि जगत, शिक्षा जगत, वाणिज्य जगत और रोजगार आदि के क्षेत्र में आज बदलाव आए हैं जो सुखद हैं पर फिर भी तुलसीयुगीन समस्याएँ आज भी समाज में विद्यमान हैं

(ख) बात सीधी थी पर कविता में कवि ने भाषा के विषय में व्यंग्य करके यह सिद्ध करना चाहा है, कि लोग किसी बात को कहने के क्रम में भाषा को सीधे, सरल और सहज शब्दों में न कहकर तोड़ मरोड़कर, उलट-पलटकर, शब्दों को घुमा फिराकर कहते हैं, जिससे भाषा क्लिष्ट होती जाती है और बात बनने की बजाय बिगड़ती और उलझती चली जाती है। इससे हमारा कथ्य और भी जटिल होता जाता है, क्योंकि बात सरल बनने की जगह पेचीदी बन जाती है।

(ग) अपाहिज अकारण और अप्रासंगिक प्रश्न सुनकर प्रश्नकर्ता की नियत को नहीं समझ पाता। उसका आग्रह देखकर वह संदेह से भर जाता है। वह स्वयं इतना दुखी नहीं है जितना प्रश्नकर्ता उसे समझता है। प्रश्नकर्ता के प्रश्न इतने बेहुदे हैं कि उन्हें सुनकर अपाहिज मौन रह जाता है। जहाँ तक दुखों का प्रश्न है तो वे कोई ताजा-ताजा दुःख तो है नहीं कि उन्हें रो-रोकर बताया जाए उसने अपनी नियति को अपनी स्थिति को स्वीकार करके सुख से जीना सीख लिया है। वह अपनी अपाहिजी को याद नहीं करना चाहता। इन सब कारणों से वह अपने दुःख के बारे में कुछ नहीं बताना चाहता। वह प्रदर्शन की सामग्री तो कदापि नहीं बनना चाहता।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) भोर के नभ को ‘राख से लीपा, गीला चौका’ की संज्ञा क्यों दी गई है?
(ख) ‘शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ’-‘ आत्मपरिचय’ के आधार पर इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ग) बच्चन के संकलित गीत में दिन ढलते समय पथिकों और पक्षियों की गति में तीव्रता और कवि की गति में शिथिलता के कारण लिखिए।
उत्तर:
(क) भोर के समय ओस के कारण आकाश में नमी
होती है और वह धुंधला होता है। राख से लीपा हुआ चौका भी मटमैले रंग का और नमीयुक्त होता है। भोर के नभ और राख से लिपा हुए चौके में यह समानता होती है कि दोनों का रंग एक जैसा होता है। चौके को लीपे जाने पर वह स्वच्छ हो जाता है, ठीक इसी प्रकार भोर का नभ भी पवित्र और स्वच्छ होता है इसलिए भोर के नभ को ‘राख से लीपा, गीला चौका’ की संज्ञा दी गई है।

(ख) कवि की वाणी शीतल है, पर उसके मन में विद्रोह और असंतोष का भाव भरा हुआ है। इसके पीछे प्रमुख कारण है कि वह समाज की व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है। उनके अनुसार संसार में प्रेमभाव का अभाव है, इसलिए प्रेमरहित संसार को वह स्वीकार नहीं करा पाता। यदि असंतुष्टता वह अपनी वाणी के माध्यम से व्यक्त करता है। वह अपने कवित्व धर्म की पूरी तरह पालना करता है, और साथ-ही-साथ समाज को जाग्रत करने का प्रयास भी कर रहा है।

(ग) गीत के अनुसार पथिकों और पक्षियों की गति में तीव्रता इसलिए है क्योंकि उनके प्रिय बन्धु घर पर उनके लौटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वे प्रेम की अधीरता के कारण तेज गति से घर जा रहे हैं। कवि की गति इसलिए शिथिल है क्योंकि कवि अकेला है। उसके घर में कोई उसका अपना नहीं है जो उसकी प्रतीक्षा में व्याकुल हो।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए। (3 x 2 = 6)
(क) भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई थीं? ‘भक्तिन’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ख) ‘बाजार दर्शन’ का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
(ग) एक पिता के रूप में लुट्टन सिंह कैसा था?
उत्तर:
(क) भक्तिन एक देहाती महिला थी। शहर में आने के बाद भी उसमें कोई परिवर्तन नहीं आया बल्कि वह दूसरों को अपने अनुसार बना लेना चाहती थी। उसे ये बिलकुल पसंद नहीं था कि कोई उसके मामले में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप करे। लेखिका का मीठा खाना उसने बिलकुल बंद कर दिया था। गाढ़ी दाल और मोटी रोटी खिलाकर उसने लेखिका की स्वास्थ्य संबंधी चिंता को दूर कर दिया था। अब लेखिका को वह रात के खाने में मकई का दलिया, सुबह मट्ठा, तिल लगाकर बाजरे के बनाए हुए ठंडे पुए, ज्वार के भुने हुए भुट्टे के हरे हरे दानों की खिचड़ी व सफेद महुए की लपसी देने लगी लेखिका इन सबको बड़े ही स्वाद लेकर खाती थीं उसने लेखिका को देहाती भाषा भी सिखा दी थी, इस प्रकार लेखिका भक्तिन के आ जाने से देहाती बन गई थीं।

(ख) ‘बाजार दर्शन’ निबंध में गहन वैचारिकता और साहित्य के लालित्य का संयोग है। कई दशकों पूर्व लिखा गया ये निबंध आज भी बाजारवाद और उपभोक्तावाद को पूर्णतया स्पष्ट करता है इसके लेखक ने अपने परिचितों और मित्रों से जुड़े हुए अनुभवों के आधार पर यह स्पष्ट किया है कि बाजार की जादुई ताकत मनुष्य को अपना दास बना लेती है। यदि हम अपनी आवश्यकताओं को समझकर ही बाजार का उचित उपयोग करेंगे तो हम सही मायने में उसका लाभ उठा सकते हैं।

इसके विपरीत यदि हम इसकी चमक दमक में फँस जाएँगे तो असंतोषी बनकर तृष्णा और ईर्ष्या का शिकार हो जाएँगे। इसी बात को लेखक ने अनेक प्रकार से समझाने का प्रयास किया है। इस प्रकार उन्होंने बाजार का पोषण करने वाले अर्थशास्त्र को अनीति का शास्त्र बताया है।

(ग) लुट्टन सिंह एक योग्य और दायित्वपूर्ण पिता था। अपने बच्चों का लालन-पालन उसने बड़ी ही सावधानी से किया था। उसकी पत्नी की मृत्यु चुकी थी। अतः बच्चों को पालने का पूरा दायित्व उसका ही था। अपने बच्चों को उसने न केवल पहलवानी के गुर सिखाए बल्कि सामाजिकता निभाना भी सिखाया। बच्चों के महामारी के ग्रस्त होने पर उसने उन्हें हर तरह से उत्साहित किया। उन्हें बीमारी से लड़ने का हौसला दिया। वह कभी रोया नहीं और न ही उसने रो धोकर अपनी कमजोरी दिखाई। अपने बच्चों की मृत्यु होने पर भी उसने बड़े ही सम्मान के साथ उन्हें पर सवार करके नदी में विसर्जित किया।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 30-40 शब्दों में लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) ‘आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी । अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे। पहलवान की ढोलक पाठ के आधार पर इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ख) शिरीष के अवधूत रूप के कारण लेखक को किस महात्मा गाँधी की याद आती है और क्यों?
(ग) अम्बेडकर किस आधार पर असमान व्यवहार को उचित मानते हैं और क्यों?
उत्तर:
(क) इस पंक्ति में लेखक ने अमावस्या की काली रात की विभीषिका का भयानक चित्रण किया है। महामारी के कारण गाँव मे चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ है। ऐसी स्थिति में यदि कोई तारा इसे देखकर भावुक हो जाता है तो वह आकाश से टूटकर अपनी रोशनी से गाँव वालों को प्रकाश देने के लिए आता है तो उसकी चमक और शक्ति रास्ते में ही समाप्त हो जाती है। तारे धरती से बहुत दूर हैं। भावुक तारे की असफलता पर सभी तारे खिलखिलाकर हँसने लगते हैं। इस प्रकार जो स्थिर तारे हैं वे तो चमकते हुए लगते हैं और टूटे हुए तारे का वजूद समाप्त हो जाता है।

(ख) शिरीष के अवधूत रूप के कारण लेखक को हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की याद आती है। बाह्य परिवर्तन जैसे धूप, वर्षा, आँधी और लू में शिरीष शांत बना रहता है, और पुष्पित और पल्लवित होता रहता है, इसलिए इस तरु को अवधूत की संज्ञा दी गई है। इस प्रकार गाँधी जी भी हिंसा, लूट-पाट आदि बवंडर के बीच तटस्थ रहते थे। उनके व्यक्तित्व ने समाज को यही सीख दी है कि आत्मबल शारीरिक बल से श्रेष्ठ है, और यही आत्मा की शक्ति है। जिस प्रकार शिरीष वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और कठोर हुआ है, उसी प्रकार गाँधी जी कोमल और कठोर व्यक्तित्व वाले थे। अतः शिरीष का वृक्ष और मनुष्य दोनों ही अवधूत हैं।

(ग) अंबेडकर असमान प्रयत्न के आधार पर असमान व्यवहार को उचित मानते हैं। उनका आशय है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से कम प्रयत्न करता है तो उसे कम सम्मान मिलना भी चाहिए। अधिक प्रयत्न करने पर अधिक सम्मान मिलना चाहिए। इस प्रकार प्रोत्साहन और दंड उचित है। इससे मनुष्य को अपनी क्षमताओं का विकास करने का अवसर मिलता है।