CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 11 with Solutions

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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 11 with Solutions

समय: 3 घंटे
अधिकतम अंक : 80

सामान्य और आवश्यक निर्देश:

  1. इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’ कुल प्रश्न 13 हैं।
  2. ‘खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर: देते हैं।
  3. खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
  4. प्रश्नों के उत्तर: दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
  5. दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर: देना अनिवार्य है।
  6. यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर: क्रमशः लिखिए।

खण्ड – ‘अ’
वस्तुपरक प्रश्न (40 अंक)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प का चुनकर कीजिए। (1 × 10 = 10)
दुनिया शायद अभी तक के सबसे बड़े संकट से जूझ रही है। मौजूदा दौर की महामारी ने हर किसी के जीवन में हलचल मचा दी है। इस पर महामारी ने जीवन की सहजता को पूरी तरह बाधित कर दिया है। भारत में इतनी अधिक आबादी है कि इसमें किसी नियम कायदे को पूरी तरह से अमल में लाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है।

इसमें महामारी के संक्रमण को रोकने के मकसद से पूर्णबंदी लागू की गई और इसे कमोबेश कामयाबी के साथ अमल में भी लाया गया। लेकिन यह सच है कि जिस महामारी से हम जूझ रहे हैं उससे लड़ने में मुख्य रूप से हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता की ही बड़ी भूमिका है। लेकिन असली चिंता बच्चों और बुजुर्गों की हो आती है।

इस मामले में ज्यादातर नागरिकों ने जागरूकता और सहजबोध की वजह से जरूरी सावधानी बरती है। लेकिन इसके समानान्तर दूसरी कई समस्याएँ खड़ी हुई हैं। मसलन आर्थिक गतिविधियाँ जिस बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, उसने बहुत सारे लोगों के सामने संकट और ऊहापोह की स्थिति पैदा कर दी है।

एक तरफ नौकरी और उसकी तनख्वाह पर निर्भर लोगों की लाचारी यह है कि उनके सामने यह आश्वासन था कि नौकरी से नहीं निकाला जाएगा, वेतन नहीं रोका जाएगा, वहीं उनके साथ हुआ उल्टा। नौकरी गई, कई जगहों पर तनख्वाह नहीं मिली या कटौती की गई और किराए के घर तक छोड़ने की नौवत आ गई।

इस महामारी का दूसरा असर शिक्षा जगत पर पड़ा है, उसका तार्किक समाधान कैसे होगा, यह लोगों के लिए समझना मुश्किल हो रहा है। खासतौर पर स्कूली शिक्षा पूरी तरह से बाधित होती दिख रही है। यों इसमें किए गए वैकल्पिक इंतजामों की वजह से स्कूल भले बंद हों, लेकिन शिक्षा को जारी रखने की कोशिश की गयी है। स्कूल बंद होने पर बहुत सारे शिक्षकों को वेतन की चिंता प्राथमिक नहीं थी, बच्चों के भविष्य की चिंता उन्हें सता रही है।

हालांकि एक खासी तादाद उन बच्चों की है, जो लैपटॉप या स्मार्ट फोन के साथ जीते हैं, लेकिन दूसरी ओर बहुत सारे शिक्षक ऐसे भी हैं, जिन्हें कम्प्यूटर चलाना नहीं आता। उन सबके सामने चुनौती है ऑनलाइन कक्षाएँ लेने की। सबने हार नहीं मानी और तकनीक को खुले दिल से सीखा। इस तरह फिलहाल जो सीमा है, उसमें पढ़ाई-लिखाई को जारी रखने की पूरी कोशिश की जा रही है। ( जनसत्ता से साभार)
(क) उपरोक्त गद्यांश किस विषयवस्तु पर आधारित है?
(i) बेरोजगारी
(ii) शिक्षा की समस्या
(iii) आर्थिक संकट
(iv) महामारी का प्रभाव
उत्तर:
(iv) महामारी का प्रभाव

(ख) पूर्णबन्दी लागू क्यों की गई?
(i) संक्रमण को रोकने के लिए
(ii) लोगों की आवाजाही रोकने के लिए
(iii) नियम लागू करने के लिए
(iv) लोगों द्वारा नियम नहीं मानने के कारण
उत्तर:
(i) संक्रमण को रोकने के लिए

(ग) हमें बच्चों और बुजुर्गों की चिंता क्यों है?
(i) कमजोर और अक्षम होने के कारण
(ii) प्रतिरोधक क्षमता के अभाव के कारण
(iii) अधिक बीमार रहने के कारण
(iv) बीमारी का अधिक प्रभाव पड़ने के कारण
उत्तर:
(ii) प्रतिरोधक क्षमता के अभाव के कारण

(घ) स्कूली शिक्षा को जारी रखने की कोशिश क्यों की जा रही है?
(i) प्राइवेट स्कूल के दबाव के कारण
(ii) शिक्षा जारी रखने के लिए
(iii) बच्चों की चिंता के कारण
(iv) शिक्षकों के वेतन के लिए
उत्तर:
(iii) बच्चों की चिंता के कारण

(ङ) ऑनलाइन शिक्षा एक चुनौती कैसे है?
(i) शिक्षक की अकुशलता के कारण
(ii) तकनीकी रूप से योग्य नहीं होना
(iii) साधन नहीं होने के कारण
(iv) अभिभावकों की रुचि नहीं होना
उत्तर:
(i) शिक्षक की अकुशलता के कारण

(च) शिक्षकों ने तकनीक को खुले दिल से क्यों सीखा?
(i) ऑनलाइन पढ़ाने की मजबूरी के कारण
(ii) अपनी सैलरी के कारण
(iii) बच्चों की चिंता के कारण
(iv) अभिभावकों के भय से
उत्तर:
(iii) बच्चों की चिंता के कारण

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(छ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) महामारी के समय में भी शिक्षकों ने बच्चों की शिक्षा के प्रति चिंता व्यक्त कर अपने शिक्षक होने का बोध कराया।
(II) उन्होंने अपनी सैलरी की चिंता न करते हुए अपने शिक्षक होने का कर्तव्य का बसूखी निर्बाह किया।
(III) उनमें तकनीक सीखने की हिम्मत नहीं थी।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही हैं?
(i) केवल I
(ii) केवल III
(iii) I और II
(iv) II और III
उत्तर:
(i) केवल I

(ज) जीवन की सहजता के बाधित होने से आप क्या समझते हैं?
(i) जीवन में कठिनाई उत्पन्न हो जाना
(ii) जीवन में संकट उत्पन्न हो जाना
(iii) जीवन में संघर्ष का बढ़ जाना
(iv) जीवन में आराम नही होना
उत्तर:
(iii) जीवन में संघर्ष का बढ़ जाना

(झ) भारत में नियम-कानून लागू करना चुनौती क्यों है?
(i) लोग अधिक होने से
(ii) अनपढ़ होने से
(iii) नियम नहीं मानने से
(iv) नियम-कानून की समझ नहीं होने से
उत्तर:
(i) लोग अधिक होने से

(ञ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A) : महामारी के आने से लोगों के सामने उहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई द्य कुछ की नौकरी चली गई और कुछ को तनख्वाह ही नहीं मिली।
कारण (R) : महामारी ने जीवन की सहजता को पूरी तरह बाधित कर दिया। लोगों के जीवन में हलचल मच गई है।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पद्यांशों में किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प द्वारा चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)

दूर-दूर से आते हैं घन
लिपट शैल में छा जाते हैं
मानव की ध्वनि सुनकर पल में
गली-गली में मंडराते हैं
जग में मधुर पुरातन परिचय
श्याम घरों में घुस आते हैं,
है ऐसी ही कथा मनोहर
उन्हें देख गिरिवर गाते हैं !
ममता का यह भीगा अंचल
हम जग में फिर कब पाते हैं
अश्रु छोड़ मानस को समझा
इसीलिए विरही गाते हैं
सुख-दुःख के मधु – कटु अनुभव को
उठो हृदय, फुहियों से धो लो,
तुम्हें बुलाने आया सावन,
चलो – चलो अब बंधन खोलो
पवन चला, पथ में हैं नदियाँ,
उछल साथ में तुम भी हो लो
प्रेम-पर्व में जगा पपीहा !
तुम कल्याणी वाणी बोलो !
आज दिवस कलरव बन आया,
केलि बनी यह खड़ी निशा है;
हेर हेर अनुपम बूँदों को
जगी झड़ी में दिशा-दिशा है !
बूँद-बूँद बन उतर रही है
यह मेरी कल्पना मनोहर,
घटा नहीं प्रेमी मानस में
प्रेम बस रहा उमड़-घुमड़ कर
भ्रान्ति-भांति यह नहीं दामिनी,
याद हुई बातें अवसर पर,
तर्जन नहीं आज गूंजा है
जड़-जग का गूंजा अभ्यंतर !
इतने ऊँचे शैल-शिखर पर
कब से मूसलाधार झड़ी है;
सूखे वसन, हिया भीगा है
इसकी चिंता हमें पड़ी है !
बोल सरोवर इस पावस में,
आज तुम्हारा कवि क्या गाए
कह दे श्रृंग सरस रुचि अपनी,
निर्झर यह क्या तान सुनाए;
बाँह उठाकर मिलो शाल,
ये दूर देश से झोंके आए
रही झड़ी की बात कठिन यह,
कौन हठीली को समझाए !
अजब शोख यह बूँदा बाँदी,
पत्तों में घनश्याम बसा है
झाँके इन बूँदों से तारे,
इस रिमझिम में चाँद हँसा है !
जय कहता है मचल-मचलकर
अपना बेड़ा पार करेंगे
हिय कहता है, जागो लोचन,
पत्थर को भी प्यार करेंगे ॥ (केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’)

(क) उपरोक्त काव्यांश का वर्ण्य विषय क्या है?
(i) प्रकृति
(ii) बादल
(iii) पावस ऋतु
(iv) जन-जीवन
उत्तर:
(iii) पावस ऋतु

(ख) कवि बार – बार किससे प्रश्न कर रहा है?
(i) बादल से
(ii) प्रकृति से
(iii) पहाड़ से
(iv) नदी से
उत्तर:
(ii) प्रकृति से

(ग) मानव की ध्वनि सुनकर पल में गली-गली में मँडराते हैं – पंक्ति में निहित अलंकार है-
(i) उपमा
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अनुप्रास
उत्तर:
(iii) मानवीकरण

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(घ) ‘सूखे वसन, हिया भीगा है’ का अर्थ है-
(i) पैर भीगे हैं, किन्तु हाथ सूखे हैं
(ii) अभ्यन्तर हृदय भीगा गया है, किन्तु कपड़े सूखे हैं
(iii) तन ऊपर से भीगा गया है, किन्तु मन सूखा ही रह गया है
(iv) मैदान भीगे हैं, परन्तु पहाड़ों पर मूसलाधार वृष्टि हो रही है
उत्तर:
(i) पैर भीगे हैं, किन्तु हाथ सूखे हैं

(ङ) ‘केलि बनी यह खड़ी निशा है’ का अर्थ है:
(i) रजनी उपहास व क्रीड़ा कर रही है।
(ii) राका केले के वृक्ष की भांति रास्ता रोके खड़ी है
(iii) रात्रि अपनी छटा के चरम पर पहुँच कर खड़ी है
(iv) विभावरी फूलों के हार की भाँति खड़े हो स्वागत कर रही है
उत्तर:
(iii) रात्रि अपनी छटा के चरम पर पहुँच कर खड़ी है

अथवा

मैं तो सांसों का पंथी हूँ
साथ आयु के चलता
मेरे साथ सभी चलते हैं
बादल भी, तूफान भी
कलियाँ देखी बहुत, फूल भी
लतिकाएँ भी तरु भी
उपवन भी, वन भी, कानन भी
घनी घाटियाँ, मरु भी
टीले भी, गिरि-श्रृंग तुंग भी
नदियाँ भी, निर्झर भी
कल्लोलिनियाँ, कुल्याएं भी
देखे सरि-सागर भी
इनके भीतर इनकी-सी ही
प्रतिमाएं मुस्कात हर
प्रतिमा की धड़कन में
अनगिनत कलाएं गातीं
अनदेखी इन आत्माओं से
परिचय जनम-जनम का
मेरे साथ सभी चलते हैं
जाने भी, अनजान भी
सूर्योदय के भीतर मेरे
मन का सूर्योदय है
किरणों की लय के भीतर
मेरा आश्वस्त हृदय है
मैं न सोचता कभी कौन
आराध्य, किसे आराधूं
किसे छोड़ दूँ और किसे
अपने जीवन में बांधूं
दृग की खिड़की खुली हुई
प्रिय मेरा झांकेगा ही
मानस – पट तैयार, चित्र
अपना वह आंकेगा हीं
अपनो को मैं देख रहा हूँ
अपने लघु दर्पण में
मेरे साथ सभी चलते हैं
प्रतिबिंबन, प्रतिमान भी
दूर्वा की छाती पर जितने
चरण – चिन्ह अंकित हैं
उतने ही आंसू मेरे
सादर उसको अर्पित हैं
जितनी बार गगन को छूते
उन्नत शिखर अचल के
उतनी बार हृदय मेरा
पथ में एकाकीपन मिलता
वही गीत है हिय का
पथ में सूनापन मिलता है
वही पत्र है प्रिय का
दोनों को पढ़ता हूँ मैं
दोनों को हृदय लगाता
दोनों का सौरभ – कण लेकर
फिर आगे बढ़ जाता
मेरा रक्त, त्वचा यह मेरी
और अस्थियाँ बोलें
मेरे साथ सभी चलते हैं
आदि और अवसान भी। (केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’)

(क) साँसों का मुसाफिर किसे कहा गया है?
(i) कवि
(ii) मनुष्य
(iii) प्रकृति
(iv) जीवन
उत्तर:
(iv) जीवन

(ख) देखे सरि-सागर भी – पंक्ति में ‘ सरि-सागर’ का अर्थ है:
(i) समस्त सागर
(ii) सरिता – गागर
(iii) नदी – नीरनिधि
(iv) सुर-सागर
उत्तर:
(i) समस्त सागर

(ग) ‘मन का सूर्योदय’ से आप क्या समझते हैं?
(i) खिन्नता
(ii) प्रसन्नता
(iii) आसन्नता
(iv) भिन्नता
उत्तर:
(ii) प्रसन्नता

(घ) अपनों को मैं देख रहा हूँ अपने लघु दर्पण में – पंक्ति में लघु दर्पण किसे कहा गया है?
(i) हृदय
(ii) आँखें
(iii) मस्तिष्क
(iv) जीवन
उत्तर:
(iv) जीवन

(ङ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
(I) यह आवश्यक नहीं कि एकाकी होने पर मनुष्य जीना ही छोड़ दे।
(II) मनुष्य का एकाकीपन उसके हृदय मे वास करता है।
(III ) एकांत में रहने पर मनुष्य अपने हृदय के गीत को ही अपना जीवन संगीत बना लेता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है / हैं?
(i) केवल I
(ii) केवल III
(iii) I और II
(iv) II और III
उत्तर:
(iv) II और III

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए। (1 × 5 = 5)
(क) किसी भी माध्यमों के लेखन के लिए किसे ध्यान में रखना होता है?
(i) माध्यमों को
(iii) जनता को
(ii) लेखक को
(iv) बाजार को
उत्तर:
(i) माध्यमों को

(ख) आधुनिक माध्यमों में सबसे पुराना माध्यम है?
(i) अखबार
(ii) रेडियो
(iii) टेलीविजन
(iv) सिनेमा
उत्तर:
(i) अखबार

(ग) नेट साउंड किस माध्यम से संबन्धित है?
(i) इंटरनेट
(ii) टेलीविजन
(iii) रेडियो
(iv) सिनेमा
उत्तर:
(ii) टेलीविजन

(घ) कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान कीजिए।

कॉलम -(क) कोलम-(ख)
(a) स्वतंत्र पत्रकार (I) समाचार लेखन
(b) संवाददाता (II) फ्रीलांसर
(c) उल्टा पिरामिड शैली (III) विशेष रिपोर्ट
(d) खेजी रिपोर्ट (IV) पूर्णाकालिक पत्रकार

(i) (a) – (IV), (b)-(III), (c)-(I), (d)-(II)
(ii) (a ) – (II), (b)-(IV), (c)-I, (d)-(III)
(iii) (a)-(II), (b)-(I), (c)-(IV), (d)-(III)
(iv) (a)-(I), (b)-(II), (c)-(III), (d)-(IV)
उत्तर:
(ii) (a ) – (II), (b)-(IV), (c)-I, (d)-(III)

(ङ) समाचार लेखन के कितने प्रकार होते हैं?
(i) चार
(ii) पाँच
(iii) छह
(iv) तीन
उत्तर:
(iii) छह

प्रश्न 4.
दिए गए काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)

अर्ध राति गइ कपि नहिं आयउ। राम उठाइ अनुज उर
लायऊ ॥
सकहु न दुखित देखि मोहि काऊ। बंधु सदा तव मृदुल सुभाऊ ॥
मम हित लागि जेहु पितुं माता। सहेहु बिपिन हिम
आतप बाता ॥
सो अनुराग कहाँ अब भाई। उठहु न सुनी मम बच बिकलाई ॥
जौं जनतेउँ बन बंधु बिछोहू। पितु बचन मनतेउँ नहिं ओहू ॥
सुत ति नारि भवन परिवार। होहिं जाहिं जग बारहिं
बारा ॥
अस बिचारि जियँ जागहु ताता। मिलइ न जगत सहोदर
भ्राता ॥
जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हीना ॥
अस मम जिवन बंधु बिनु तोहि। जौं जड़ दैव जिआवै मोही ॥

(क) राम लक्ष्मण के किस स्वभाव का स्मरण करते हैं?
सही विकल्प छाँटिए:
(i) भाईचारा
(ii) कोमल
(iii) प्रेममयी
(iv) सेवा-भाव
उत्तर:
(ii) कोमल

(ख) राम के अनुसार लक्ष्मण ने उनके हित के लिए क्या-क्या सहन किया? सटीक विकल्प छाँटिए :
(i) जंगल में भूख, प्यास, कमजोरी
(ii) जंगल में सीता हरण, युद्ध, शक्ति
(iii) जंगल में जाड़ा, ताप, आंधी-तूफान
(iv) जंगल में काँटे, जंगली जानवर, कीट-पतंगे
उत्तर:
(iii) जंगल में जाड़ा, ताप, आंधी-तूफान

(ग) इस संदर्भ में किस क्षति को राम ने बड़ी क्षति माना है?
(i) भार्या को खो देना
(ii) तात का ना आना
(iii) भ्राता को खो देना
(iv) कपि का ना आना
उत्तर:
(iii) भ्राता को खो देना

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(घ) लक्ष्मण की अनुपस्थिति में राम को अपना जीवन कैसा प्रतीत होता है? सटीक विकल्प का चयन कीजिए:
(i) निरर्थक
(ii) अपमानित
(iii) लाचार
(iv) कठोर
उत्तर:
(i) निरर्थक

(ङ) राम यदि जानते कि वनागमन के क्या परिणाम होंगे, तब वे क्या नहीं करते? सही विकल्प का चयन कीजिए:
(i) रावण से युद्ध न करते
(ii) लक्ष्मण को वन में साथ न लाते
(iii) माँ के वचन का पालन न करते
(iv) पिता के वचन का पालन न करते
उत्तर:
(iv) पिता के वचन का पालन न करते

प्रश्न 5.
दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 x 5 = 5)
इसी प्रकार स्वतंत्रता पर भी क्या कोई आपत्ति हो सकती है? गमनागमन की स्वाधीनता, जीवन तथा शारीरिक सुरक्षा की स्वाधीनता के अर्थों में शायद ही कोई ‘स्वतंत्रता’ का विरोध करे। इसी प्रकार संपत्ति के अधिकार, जीविकोपार्जन के लिए आवश्यक औज़ार व सामग्री रखने के अधिकार जिससे शरीर को स्वस्थ रखा जा सके, के अर्थ में भी ‘स्वतंत्रता’ पर कोई आपत्ति नहीं हो सकती। तो फिर मनुष्य की शक्ति के सक्षम एवं प्रभावशाली प्रयोग की भी स्वतंत्रता क्यों न प्रदान की जाए?

जाति-प्रथा के पोषक, जीवन, शारीरिक सुरक्षा तथा संपत्ति के अधिकार की स्वतंत्रता को तो स्वीकार कर लेंगे, परंतु मनुष्य के लक्षण एवं प्रभावशाली प्रयोग की स्वतंत्रता देने के लिए जल्दी तैयार नहीं होंगे, क्योंकि इस प्रकार की स्वतंत्रता का अर्थ होगा अपना व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता किसी को नहीं है, तो उसका अर्थ उसे ‘दासता’ में जकड़कर रखना होगा, क्योंकि ‘दासता’ केवल कानूनी पराधीनता को ही नहीं कहा जा सकता।

‘दासता’ में वह स्थिति भी सम्मिलित है जिससे कुछ व्यक्तियों को दूसरे लोगों के द्वारा निर्धारित व्यवहार एवं कर्तव्यों का पालन करने के लिए विवश होना पड़ता है। यह स्थिति कानूनी पराधीनता न होने पर भी पाई जा सकती है। उदाहरणार्थ, जाति प्रथा की तरह ऐसे वर्ग होना संभव है, जहाँ कुछ लोगों को अपनी इच्छा के विरुद्ध पेशे अपनाने पड़ते हैं।

(क) दासता में कौन-सी अवधारणा सम्मिलित नहीं है? सही विकल्प का चयन कीजिए:
(i) स्वाधीनता के साथ जीना
(ii) कानूनी पराधीनता का होना
(iii) इच्छा के विरुद्ध कार्य करना
(iv) दूसरों द्वारा निश्चित कार्य करना
उत्तर:
(i) स्वाधीनता के साथ जीना

(ख) मनुष्य के प्रभावशाली प्रयोग से लेखक का तात्पर्य है। सही विकल्प छाँटिए:
(i) उसे शारीरिक स्वतंत्रता प्रदान की जाए।
(ii) उसे अपनी इच्छा से कार्य करने की स्वतंत्रता दी जाए।
(iii) उसे अपनी मर्ज़ी से जाति के चयन का अधिकार मिले
(iv) उसे शारीरिक – सुरक्षा तथा संपत्ति का अधिकार दिया जाए।
उत्तर:
(ii) उसे अपनी इच्छा से कार्य करने की स्वतंत्रता दी जाए।

(ग) जाति – प्रथा के पोषक यदि मनुष्य के लक्षण एवं प्रभावशाली प्रयोग की स्वतंत्रता दें, तब इसका क्या परिणाम होगा? सही विकल्प छाँटिए :
(i) दासता को बढ़ावा मिलेगा
(ii) स्वतंत्रता को बढ़ावा मिलेगा
(iii) कानूनी – पराधीनता बढ़ जाएगी
(iv) लोकतांत्रिक मूल्य सुदृढ़ होंगे
उत्तर:
(iv) लोकतांत्रिक मूल्य सुदृढ़ होंगे

(घ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) : केवल कानूनी पराधीनता को ही दासता नहीं कहा जा सकता।
कारण (R) : दूसरे लोगों के द्वारा जिस व्यवहार को निर्धारित किया जाता है।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।

(ङ) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) स्वतंत्रता पर किसी को कोई आपत्ति नहीं है।
(II) मनुष्य को उसकी शक्ति के सक्षम और प्रभावशाली प्रयोग की भी स्वतंत्रता प्रदान की जानी चाहिए।
(III) कानूनी पराधीनता को ही असल में दासता कहा जा सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा / कौन-से सही हैं?
(i) केवल I
(ii) केवल III
(iii) I और II
(iv) II और III
उत्तर:
(iii) I और II

प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए। ( 1 × 10 = 10)
(क) कहानी ‘सिल्वर वैडिंग’ में किशनदा की मृत्यु के संदर्भ में ‘जो हुआ होगा’ से कहानीकार का क्या तात्पर्य रहा है? सटीक विकल्प का चयन कीजिए।
(i) लेखक मृत्यु से बहुत दुःखी है।
(ii) लेखक को मृत्यु का कारण पता है।
(iii) लेखक मृत्यु के कारण से अपरिचित है।
(iv) लेखक को मृत्यु से कोई अंतर नहीं पड़ता है।
उत्तर:
(iii) लेखक मृत्यु के कारण से अपरिचित है।

(ख) “सिंधु सभ्यता साधन-संपन्न थी, पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था।” प्रस्तुत पंक्ति से तात्पर्य है – ‘अतीत में दबे पाँव’ पाठ के आधार पर सटीक विकल्प का चयन कीजिए-
(i) इस सभ्यता में राजा प्रजा की तरह सादगी से रहता था।
(ii) इस सभ्यता में साधन बहुत थे जो देखने में आकर्षक थे।
(iii) इस सभ्यता में सभी प्रकार के साधन थे, किंतु दिखावा नहीं था।
(iv) इस सभ्यता में सभी लोग संपन्न थे और वे दिखावा नहीं करते थे।
उत्तर:
(iii) इस सभ्यता में सभी प्रकार के साधन थे, किंतु दिखावा नहीं था।

(ग) किशनदा के रिटायर होने पर यशोधर बाबू उनकी सहायता नहीं कर पाए थे। क्योंकि कहानी ‘सिल्वर वैडिंग’ से सही विकल्प छाँटिए-
(i) यशोधर बाबू की पत्नी किशनदा से नाराज़ थीं।
(ii) क्योंकि यशोधर बाबू के घर में किशनदा के लिए स्थान का अभाव था।
(iii) यशोधर बाबू का अपना परिवार था जिसे वे नाराज़ नहीं करना चाहते थे।
(iv) किशनदा को यशोधर बाबू ने अपने घर में स्थान देना चाहा था जिसे किशनदा ने स्वीकार नहीं किया।
उत्तर:
(iii) यशोधर बाबू का अपना परिवार था जिसे वे नाराज़ नहीं करना चाहते थे।

(घ) ‘अतीत में दबे पाँव’ पाठ के अनुसार – “सिंधु सभ्यता की खूबी उसका सौंदर्य-बोध है जो राज – पोषित या धर्म-पोषित न होकर समाज – पोषित था।” ऐसा इसलिए कहा गया है, क्योंकि सही विकल्प छाँटिए:
(i) सिंधु घाटी सभ्यता में सौंदर्य के प्रति चेतना अधिक थी।
(ii) सिंधु घाटी सभ्यता में राजा से बड़ा स्थान लोगों के कार्यों को था।
(iii) सिंधु घाटी सभ्यता में धर्म का महत्व न था, अतः समाज सर्वोपरि था।
(iv) सिंधु घाटी सभ्यता में अमीर-गरीब न थे, अतः समाज में समानता थी।
उत्तर:
(ii) सिंधु घाटी सभ्यता में राजा से बड़ा स्थान लोगों के कार्यों को था।

(ङ) “टूटे-फूटे खंडहर, सभ्यता और संस्कृति के इतिहास के साथ-साथ धड़कती जिंदगियों के अनछुए समयों के भी दस्तावेज़ होते हैं। ” – ‘ अतीत में दबे पाँव’ पाठ के अनुसार इस कथन का भाव हो सकता है: सटीक विकल्प का चयन कीजिए:
(i) ऐतिहासिक इमारतों में बीते हुए जीवन के चिन्ह महसूस होते हैं।
(ii) ऐतिहासिक इमारतों, कला, खान-पान इत्यादि में सदा जीवंतता होती है।
(iii) पुरातन इमारतों के अध्ययन मात्र से इतिहास की व्याख्या संभव हो पाती है।
(iv) इतिहास की समझ हेतु केवल सभ्यता और संस्कृति को जानना आवश्यक होता है।
उत्तर:
(i) ऐतिहासिक इमारतों में बीते हुए जीवन के चिन्ह महसूस होते हैं।

(च) ‘जूझ’ पाठ के अनुसार कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की धारणा में क्या बदलाव आया? सही विकल्प छाँटिए:
(i) अकेलापन डरावना है।
(ii) अकेलापन उपयोगी है।
(iii) अकेलापन अनावश्यक है।
(iv) अकेलापन सामान्य प्रक्रिया है।
उत्तर:
(ii) अकेलापन उपयोगी है।

(छ) सिंधु घाटी की अनूठी विशेषता है-
(i) जल निकासी का उन्नत प्रबंध
(ii) कच्चे व पक्के मकान
(iii) प्रसिद्ध जल कुंड
(iv) प्रसिद्ध उपासना केंद्र
उत्तर:
(i) जल निकासी का उन्नत प्रबंध

(ज) कहानी ‘सिल्वर वैडिंग’ के अनुसार-“यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती हैं लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं।” यशोधर बाबू की असफलता का क्या कारण था ? सही विकल्प का चयन कीजिए:
(i) किशनदा उन्हें भड़काते थे।
(ii) पत्नी बच्चों से अधिक प्रेम करती थी।
(iii) पीढ़ी के अंतराल के कारण।
(iv) वे परिवर्तन को सहजता से स्वीकार नहीं कर पाते थे।
उत्तर:
(iv) वे परिवर्तन को सहजता से स्वीकार नहीं कर पाते थे।

(झ) “काश, कोई तो होता जो मेरी भावनाओं को गंभीरता से समझ पाता। अफ़सोस, ऐसा व्यक्ति मुझे अब तक नहीं मिला….। ‘डायरी के पन्ने’ पाठ की पंक्ति में इस कथन का भाव है: सही विकल्प छाँटिए:
(i) एन.फ्रेंक किसी संवेदनशील व्यक्ति की खोज में थी।
(ii) एन.फ्रेंक अकेलेपन से त्रस्त थी और उसे कोई समझ नहीं पा रहा था।
(iii) एन.फ्रेंक एक तहखाने में कैद थी और उसे कोई समझ नहीं पा रहा था।
(iv) एन.फ्रेंक सबसे मज़ाक की पात्र थी और उसे कोई समझ नहीं पा रहा था।
उत्तर:
(i) एन.फ्रेंक किसी संवेदनशील व्यक्ति की खोज में थी।

(ञ) ‘सिल्वर वेडिंग’ कहानी में क्या नजर आता है?
(i) पीढ़ी का अन्तराल
(ii) बच्चों का परिवार के प्रति लगाव
(iii) पति-पत्नी का लगाव
(iv) बच्चों के प्रति पिता का लगाव
उत्तर:
(i) पीढ़ी का अन्तराल

खंड ‘ब’ 
वर्णनात्मक प्रश्न (40 अंक)

प्रश्न 7.
दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए। (6)
(क) अचानक जब हमारी मेट्रो रुक गई
(ख) मसूरी के रास्ते बस का खराब होना
(ग) नदी किनारे बरसात में घिर जाना
(घ) एक कामकाजी औरत की शाम
उत्तर:

  • भूमिका
  • विषय वस्त्त
  • भाषा

(क) अचानक जब हमारी मेट्रो रुक गई:
रोज की तरह सुबह 7:00 बजे ऑफिस जाने के लिए मैं घर से निकला। चारबाग स्टेशन पहुँचकर मैं मेट्रो का इंतजार कर रहा था। मेरे चेहरे पर ऑफिस जल्दी पहुँचने की लकीरें स्पष्ट नजर आ रही थी। करीब 7: 15 बजे मेट्रो आई। मैंने टिकट खरीदा और अब मुझे मेट्रो में बैठने की जल्दी थी। स्टेशन पर आया हुआ हर व्यक्ति मेट्रो में सवार होने के लिए बेताब था। मैने जल्दी से मेट्रो के अंदर प्रवेश किया और अपनी सीट पर जाकर बैठ गया।

मेट्रो के चलते ही मैंने निश्चितता की साँस ली कि अपने नियत समय पर ऑफिस पहुँच जाऊँगा। अचानक एक झटके के साथ मेट्रो रुक गई और मैं अपने विचार से बाहर निकला। ड्राइवर से पूछने पर पता चला कि आगे पटरी उखड़ी हुई है। मेट्रो में बैठे हुए प्रत्येक सदस्य की आँखों में चित्ता के भाव थे। ड्राइवर ने मेट्रो को चलाने की बहुत कोशिश करी परन्तु वह नहीं चली। लगभग आधे घंटे की मशक्कत के बाद वहाँ पर मेट्रो ठीक करने वाला एक समूह आया। उन लोगों ने अपना काम शुरू किया। सुबह का समय था और हर व्यक्ति को अपने ऑफिस पहुँचने की जल्दी थी तो सबके चेहरे पर चिता की लकीरें साफ नजर आ रही थी।

मेरे सामने ऐसा पहली ही बार हुआ था कि चलते-चलते अचानक से मेट्रो रूक गई हो। करीबर 2 घंटे मेट्रो में फंसे रहे और वह टस से मस नहीं हुई। न तो मेट्रो में कोई लाइट चल रही थी और न ही वहाँ पर किसी तरह की हवा आ रही थी अंदर बैठे हुए लोग बड़े ही बेताब थे और बार-बार अपनी घड़ी देख रहे थे। बच्चे अपने माता-पिता से ट्रेन चलने की जिद कर रहे थे। 3 घंटे के इंतजार के बाद मेट्रो की तकनीकी खराबी सही हुई और वह चल पड़ी। मैंने और अंदर बैठे हुए सभी लोगों ने ठंडी सांस भरी और सबके चेहरे पर खुशी छलकती हुई साफ नजर आ रही थी।

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(ख) मसूरी के रास्ते बस का खराब होना:
पिछले महीने की बात है, मैंने अपने मित्रों के साथ मसूरी जाने का कार्यक्रम बनाया था। हम सभी मित्र नियत समय पर बस स्टैंड पर पहुँचे और टिकट लेकर बस में बैठ गए। हैंसते-गाते सफर कट रहा था। उस दिन मौसम भी बड़ा सुहावना था। वैसे भी रास्ते का सफर सुहाना ही होता है और जब मित्र साथ हो तो कहने ही क्या। घुमावदार रास्तों से बस निकल रही थी। एक तरफ ऊँचे-ऊँचे पहाड़ और दूसरी तरफ खाई।

वास्तव में पहाड़ी रास्तों पर गाड़ी चलने वाले भी जितने सधे हुए हाथों से गाड़ी चलाते हैं, वह तारीफे काबिल है। हम सभी मित्र यात्रा का आनन्द ले रहे थे कि अचानक जोर का ब्रेक लगा और गाड़ी रुक गई। हमें लगा कि ड्राइवर ने गाड़ी रोकी है, पर अचानक बस पीछे की ओर जाने लगी। ड्राइवर ने बताया कि बस का एक टायर पंक्चर हो गया है। यह सुनकर हम सभी सभी यात्रियों की साँस जैसे रुक सी गई। बस थी कि पीछे ही सरकती जा रही थी। बस में बैठे हुए बच्चे रोने लगे।

हमें अपनी मौत साफ नजर आ रही थी। अचानक ही मेरे एक मित्र ने एक उपाय सुझाया और हम धीरे-धीरे करके बस से नीचे उतरे। फिर हम सभी मित्रों ने पीछे की ओर जाकर बस को रोकने का प्रयास किया। अब तो बस में बैठे हुए सभी यात्रियों को समझ में आने लगा था की कि बस को किस प्रकार रोका जाए। बस में बैठे हुए कुछ युवाओं ने नीचे उतर कर कुछ पत्थर टायर के पास लगाकर बस को रोका जिससे वह पीछे नहीं सरके धीरे-धीरे हमने सभी यात्रियों को नीचे उतारा फिर ड्राइवर ने बस का टायर बदला। एक घंटे की मेहनत के बाद बस का टायर बदल गया। सबके चेहरे पर संतोष की चमक नजर आ रही थी हम सभी यात्री बस में बैठे और बस चल पड़ी अपने गंतव्य स्थान की ओर।

(ग) नदी किनारे बरसात में घिर जाना:
मैं अपने परिवार के साथ हरिद्वार घूमने गया था। एक रात खाना खाकर हम सब गंगा के किनारे टहल रहे थे। आसमान साफ था। चन्द्रमा की किरणें गंगा नदी के सौन्दर्य में चार चाँद लगा रही थी। हम सब चाँदनी रात का आनन्द लेने के लिए नाव में बैठकर घूमने लगे। जैसे ही हमारी नाव नदी के बची में पहुँची, अचानक ही आसमान में बादल घिर आये। उन्हें देखकर हमने नाव को किनारे की ओर घुमाया पर अचानक ही वर्षा की मोटी-मोटी बूँदें गिरने लगी।

हम नाव को किनारे पर लाने का प्रयास करने लगे। एक तो बारिश ऊपर से तेज हवा ऐसा लग रहा था कि प्रकृति हमारे साथ खिलवाड़ कर रही है। हमने पूरे जी-जान से नाव को किनारे की ओर घुमाया और वहाँ से चले। जब नाव किनारे पर लगी तब कहीं जाकर हमने चैन की साँस ली पर खतरा अभी टला नहीं था। किनारे पर पहुँचकर जब हमने नाव को बाँधने का प्रयास किया तो नाव आगे सरकने लगी।

अब समस्या थी कि बारिश में घर कैसे पहुँचा जाए। कोई रिक्शा भी नहीं दिख रहा था। भीगते-भीगते जैसे-तैसे हम घर पहुँचे। हमारे परिवारजन हमें लेकर चिंतित थे पर हमें देखकर पे निश्चिन्त हो गए। हमने अपने-अपने कपड़े बदले पर बारिश ने हम पर अपना असर दिखा दिया था। हम सभी को तेज जुकाम हो गया था। खैर धीरे-धीरे हमारा स्वास्थ्य सही हुआ पर उस बारिश को हम जिंदगी भर नहीं भूल सकते।

(घ) एक कामकाजी औरत की शाम:
हमारे देश में मध्यमवर्गीय परिवारों के अपने घर-परिवार को भली प्रकार से चलाने के लिए पति-पत्नी दोनों ही धन कमाने के लिए काम करते हैं, इसलिए समाज में कामकाजी औरतों की संख्या में निरंतर वृद्धि होती जा रही है। कामकाजी औरतों की जिंदगी पुरुषों की अपेक्षा अधिक कठिन है। घर के साथ-साथ उसे बाहर भी संभालना होता है। जब कार्यस्थल से वह अपने घर आती है तो घर के लिए फल-सब्जियाँ, किराने का सामान आदि लेती हुई पहुँचती है और घर जाते ही अपने काम में जुट जाती है।

दिनभर की थकी हारी जब वह कुछ आराम करना चाहती है तो सबसे पहले उसे अपने लिए चाय तैयार करनी पड़ती है। यदि वह संयुक्त परिवार में होती है तो उसे अपने परिवारजनों की फरमाइश भी पूरी करनी होती है चाय पीते हुए वह अपने बच्चों व घर के बड़ों से बातचीत करती है। यदि उस समय कोई मिलने-जुलने वाला आ जाता है तो वह आगंतुक की सेवा भी करती है।

अपने बच्चों को स्कूल का कार्य करवाना और रात के खाने की तैयारी में लगना उसका अगला कदम होता है। कभी-कभी औपचारिकतावश उसे आस-पड़ोस के घरों में भी आना-जाना पड़ता है। कामकाजी औरत की जिंदगी चक्करधिन्नी की तरह होती है जो हर पल घूमती रहती है। वह हर पल चाहती है कि उसे भी घर में रहने वाली औरतों के समान कभी शाम मिले पर ऐसा नहीं हो पाता क्योंकि उनका जीवन घड़ी की सुइयों के साथ-साथ चलता रहता है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए।। (3 x 2 = 6)
(क) कविता की रचना के लिए शब्द कितना आवश्यक है?
(ख) कहानी में कथानक क्या है? उदाहरण देकर समझाइए।
(ग) नाटक साहित्य की अन्य विधाओं से अलग कैसे है?
उत्तर:
(क)

  • शब्द कविता का मेरुदंड है।
  • विभिन्न शब्दों के उचित मेल से ही कविता बनती है।
  • एक शब्द में ही अनेक अर्थ छिपे रहते हैं। शब्दावली होने पर ही कविता लिखना सरल हो पाता है।
  • वनाओं और संवेदनाओं को शब्दों के द्वारा ही आकार मिलता है।

कविता भाषा में होती है, इसलिए भाषा का सम्यक ज्ञान जरूरी है। भाषा शब्दों से बनती है शब्दों का एक विन्यास होता है जिसे वाक्य कहा जाता है। भाषा प्रचलित एवं सहज हो पर संरचना ऐसी कि पाठक को नई लगे। कविता में संकेतों का बड़ा महत्त्व होता है। इसलिए चिन्हों (‘) यहाँ तक कि दो पंक्तियों के बीच का खाली स्थान भी कुछ कह रहा होता है वाक्यगठन की जो विशिष्ट प्रणालियाँ होती हैं, उन्हें शैली कहा जाता है। इसलिए विभिन्न काव्य शैलियों का ज्ञान भी जरूरी है।

(ख) कहानी का केन्द्रीय बिंदु उसका कथानक होता है
अर्थात् कथानक कहानी का वह संक्षिप्त रूप होता है जिसमें आरंभ से अंत तक सभी घटनाओं और पात्रों का समावेश किया जाता है कहानी और कथानक में थोड़ा अंतर होता है। उदाहरण के लिए प्रेमचंद की कहानी ‘कफन’ 10-12 पृष्ठों की कहानी है, पर इसका कथानक 10-12 पंक्तियों में लिखा जा सकता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि कथानक कहानी का प्रारंभिक नक्शा होता है। यह लगभग उसी प्रकार का होता है, जैसे किसी मकान को बनाने के से पहले उसका नक्शा बनाया जाता है।

कभी-कभी कहानीकार के हाथ में कथानक का एक सूत्र आ जाता है, फिर यह उसे विस्तार देने में जुट जाता है। यह विस्तार कल्पना के आधार पर भी किया जा सकता है प्रायः कथानक में प्रारंभ, मध्य और अंत कथानक का पूरा स्वरूप होता है। कथानक में इसके तत्व भी रहते हैं। इनसे कहानी रोचक बनी रहती है। कथानक की पूर्णता की शर्त भी यही होती है कि कहानी नाटकीय ढंग से अपने उद्देश्य को पूरा करने के बाद समाप्त होता हो।

(ग)

  • नाटक को दृश्य काव्य भी कहा जाता है।
  • अन्य विधाएँ केवल लिखित रूप में ही अपनी पूर्णता को प्राप्त करती है।
  • नाटक अपने लिखित रूप से अगले चरण (चंचन) तक अधूरा रहता है।

नाटक कृत्यों और दृश्यों के माध्यम से मंचित किया जाता है। इसमें कथानक, परिस्थितियाँ, स्पष्टीकरण आदि स्वतः स्पष्ट होते हैं प्रत्येक पात्र के संवाद अलग-अलग लिखे होते हैं नाटक अभिव्यक्ति केन्द्रित तथा भावप्रधान होते हैं तथा कलाकारों की अभिव्यक्ति कला, संवाद सम्प्रेषण, आवाज आदि इसमें प्रमुख भूमिका अदा करती हैं। अभिनय द्वारा किसी भाव, घटना सामाजिक राय आदि प्रस्तुत की जाती हैं। नाटक में सभी प्रकार के चरित्रों का समावेश होता है, जैसे- नायक-नायिका, खलनायक, लघुचरित्र इत्यादि।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में दीजिए। (4 x 2 = 8)
(क) विशेष लेखन क्या है? विशेष लेखन की भाषा शैली संबंधी विशेषता का वर्णन करते हुए उसके महत्वपूर्ण क्षेत्रों का उल्लेख कीजिए।
(ख) विशेष रिपोर्ट को स्पष्ट कीजिए।
(ग) प्रिंट माध्यमों की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
(क) अखबारों के लिए समाचारों के अलावा खेल, अर्थ व्यापार, सिनेमा या मनोरंजन आदि विभिन्न क्षेत्रों और विषयों संबंधित घटनाएँ, समस्याएँ आदि से संबंधित लेखन विशेष लेखन कहलाता है। इस प्रकार के लेखन की भाषा और शैली समाचारों की भाषा शैली से अलग होती है। विशेष लेखन किसी विशेष विषय पर या जटिल एवं तकनीकी क्षेत्र से जुड़े विषयों पर किया जाता है, जिसकी अपनी विशेष शब्दावली होती है।

इस शब्दावली से संवाददाता को अवश्य परिचित होना चाहिए। उसे इस तरह लेखन करना चाहिए कि रिपोर्ट को समझने में परेशानी न हो। आज खेल, कारोबार, सिनेमा, मनोरंजन, फैशन, स्वास्थ्य विज्ञान, पर्यावरण, शिक्षा, जीवनशैली, रहन-सहन जैसे क्षेत्र विशेष लेखन हेतु महत्वपूर्ण हैं।

(ख) समाचार-पत्रों तथा पत्रिकाओं में सामान्य समाचारों के अतिरिक्त गहरी छानबीन, विश्लेषण एवं व्याख्या पर आधारित विशेष रिपोर्ट भी छपती हैं इस प्रकार की विशेष रिपोर्टों के लिए किसी घटना या समस्या की गहरी छानबीन की जाती है तथा उससे संबंधित तथ्यों को एकत्र किया जाता है। तथ्यों का विश्लेषण कर उसके परिणाम, प्रभाव तथा कारणों पर भी प्रकाश डाला जाता है विशेष रिपोर्ट चार प्रकार की होती हैं-

  • खोजी रिपोर्ट-इसमें रिपोर्टर गहरी छानबीन कर ऐसी सूचनाएँ प्रस्तुत करता है जो सार्वजनिक रूप से पहले मौजूद नहीं थीं।
  • इन डेप्थ रिपोर्ट इसके अंतर्गत सार्वजनिक रूप में उपलब्ध सूचनाओं, तथ्यों की गहरी छानवीन कर तथ्यों को प्रकाशित किया जाता है।
  • विश्लेषणात्मक तथा विवरणात्मक रिपोर्ट- विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में जो किसी घटना, समस्या से जुड़े तथ्यों की व्याख्या पर और विवरणात्मक रिपोर्ट में घटना, समस्या के विस्तृत विवरण को प्रस्तुत किया जाता है।

(ग) प्रिंट माध्यमों के वर्ग में अखबारों, पत्रिकाओं, पुस्तकों आदि को शामिल किया जाता है हमारे दैनिक जीवन में इनका विशेष महत्व है। प्रिंट माध्यमों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • प्रिंट माध्यमों के छपे शब्दों में स्थायित्व होता है।
  • हम उन्हें अपनी रुचि और इच्छा के अनुसार धीरे-धीरे पढ़ सकते हैं।
  • पढ़ते-पढ़ते कहीं भी रुककर सोच-विचार कर सकते हैं।
  • इन्हें बार-बार पढ़ा जा सकता है।
  • इसे पढ़ने की शुरुआत किसी भी पृष्ठ से की जा सकती है।
  • इन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखकर संदर्भ की भाँति प्रयुक्त किया जा सकता है।
  • यह लिखित भाषा का विस्तार है, जिसमें लिखित भाषा की सभी विशेषताएँ निहित हैं।

लिखित और मौखिक भाषा में सबसे बड़ा अंतर यह है कि लिखित भाषा अनुशासन की माँग करती है। बोलने में एक स्वतरूस्फूर्तता होती है लेकिन लिखने में भाषा, व्याकरण, वर्तनी और शब्दों के उपयुक्त इस्तेमाल का ध्यान रखना पड़ता है। इसके अलावा उसे एक प्रचलित भाषा में लिखना पड़ता है ताकि उसे अधिक-से-अधिक लोग समझ पाएँ। मुद्रित माध्यमों की अन्य विशेषता यह है कि यह चिंतन, विचार और विश्लेषण का माध्यम है।

इस माध्यम से आप गंभीर और गूढ़ बातें लिख सकते हैं क्योंकि पाठक के पास न सिर्फ उसे पढ़ने, समझने और सोचने का समय होता है बल्कि उसकी योग्यता भी होती है। असल में, मुद्रित माध्यमों का पाठक वही हो सकता है जो साक्षर हो और जिसने औपचारिक या अनौपचारिक शिक्षा के जरिये एक विशेष स्तर की योग्यता भी हासिल की हो।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए। (3 x 2 = 6)
(क) ‘कवितावली’ के कविता के आधार पर सिद्ध कीजिए कि तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमताओं की अच्छी समझ थी।
(ख) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’-कविता का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में प्रकट करें।
(ग) ‘कविता के बहाने’-कविता के प्रतिपाद्य के बारे में अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
(क)

  • पहले छंद में उन्होंने दिखलाया है कि संसार के अच्छे-बुरे समस्त लीला प्रवंचों का आधार पेट की आग का दारुण व गहन यथार्थ है। श्रम के अलग-अलग रूप हैं पर सबका लक्ष्य एकमात्र पेट की भूख है।
  • दूसरे छंद में प्रकृति और शासन की विषमता से उपजी बेकारी व गरीबी की पीड़ा का यथार्थपरक चित्रण करते हुए उसने दशानन (रावण) से उपमित करते हैं गरीबी रूपी रावण ने सबको दुःखी कर रखा है।

(ख)

  • दूरदर्शन पर एक अपाहिज का साक्षात्कार, व्यावसायिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए दिखाया जाता है। 1
  • दूरदर्शन पर एक अपाहिज व्यक्ति को प्रदर्शन की वस्तु मानकर उसके मन की पीड़ा को कुरेदा जाता है, उसे खुलआम भुनाया जाता है।
  • साक्षात्कारकर्ता को उसके निजी सुख-दुःख से कुछ लेना-देना नहीं होता।
  • दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले इस प्रकार के अधिकांश कार्यक्रम केवल संवेदनशीलता का दिखावा करते हैं।
  • बिना किसी लोक मर्यादा के उसका फायदा उठाने से नहीं चूकते।
  • उनकी कथनी और करनी में पूर्णतः अन्तर होता है।

(ग)

  • कविता में कवित्व शक्ति का वर्णन है।
  • कविता चिड़िया की उड़ान की तरह कल्पना की उड़ान है, लेकिन चिड़िया के उड़ने की अपनी सीमा है, जबकि कवि अपनी कल्पना के पंख पसारकर देश और काल की सीमाओं से परे उड़ जाता है।
  • फूल कविता लिखने की प्रेरणा तो बनता है, लेकिन कविता तो बिना मुरझाए हर युग मैं अपनी खुशबू बिखेरती रहती है।
  • कविता बच्चों के खेल के समान है ओर समय और काल की सीमाओं की परवाह किए बिना अपनी कल्पना के पंख पसारकर उठने की कला बच्चे भी जानते हैं।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 x 2 = 4)
(क) ‘उषा’-कविता गाँव की सुबह का गतिशील चित्रण है। कैसे ?
(ख) भाव सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए:
जो मुझको बदनाम करें हैं, काश वे इतना सोच सकें।
मेरा परदा खोले हैं या अपना परदा खोले हैं।।
(ग) बच्चे किस बात की आशा में नीड़ों से झाँक रहे होंगे ? ‘एक गीत’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
(क)

  • कविता में नीले नभ को राख से लिपे गीले चौक के समान बताया गया है।
  • दूसरे बिंब में उसकी तुलना काली सिल से की गई है।
  • तीसरे में स्लेट पर लाल खड़िया चाक का उपमान है।
  • लीपा हुआ आँगन काली सिल या स्लेट गाँव के परिवेश से ही लिए गए हैं।
  • प्रात:कालीन सौंदर्य क्रमशः विकसित होता
  • धीरे-धीरे लालिमा भी समास हो जाती है और सुबह का नीला आकाश नील जल का आभास देता है।
  • सूर्य की स्वर्णिम आभा गौरवर्णी देह के नील जल में नहाकर निकलने की उपमा।

(ख) यहाँ निंदा करने वाले कवि का परदा खोलना चाहते हैं अर्थात् बुराई करना चाहते हैं पर इससे उनकी कमिया खुद ही उजागर होती जा रही है।

(ग) पक्षियों के बच्चे दिनभर अपनी माँ की प्रतीक्षा में इस आशा से नीड़ों से झाँकते रहते हैं कि शाम को लौटते समय वे उनके लिए भोजन लेकर आएगी और उन्हें ममता का मधुर स्पर्श प्रदान करेगी।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए। (3 x 2 = 6)
(क) डॉ. भीमराव आंबेडकर के भाषण के अंश ‘श्रम विभाजन और जातिप्रथा’ तथा ‘मेरी कल्पना का आदर्श समाज’ आपने पढ़े हैं। जातिप्रथा की समस्या के उन्मूलन का उपाय लोकतांत्रिक मूल्य हैं। सिद्ध कीजिए।

(ख) पाठ ‘काले मेघा पानी दे’ तथा कहानी ‘पहलवान की ढोलक’ ग्रामीण जीवन को उकेरती हैं। दोनों पाठों की आँचलिक जीवन-शैली पर विचार प्रस्तुत कीजिए।

(ग) निबंध ‘बाज़ार दर्शन’ के मुख्य पात्र भगत जी और कहानी ‘नमक’ की नायिका सफ़िया बेगम के चरित्र के मानवीय गुणों में समानताएँ हैं। किन्ही दो समानताओं को रेखांकित कीजिए।
उत्तर:
(क) डॉ. अम्बेडकर की कल्पना के आदर्श समाज के मुख्यतः तीन बिन्दुओं स्वतंत्रता, समता एवं भ्रातृता यानी भाईचारा पर आधारित है। ये तीनों मूल्य लोकतांत्रिक मूल्य ही हैं।

(ख) ‘काले मेघा पानी दे पाठ में गाँव की गर्मी और पानी से उपजी समस्या तथा ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में महामारी के दौरान ग्रामीण पृष्ठभूमि को उकेरा गया है।

(ग) भगत जी की चारित्रिक विशेषताएँ-

  • पंसारी की दुकान का सामान ( जीरा और नमक) खरीदना। से केवल अपनी जरूरत
  • निश्चित समय पर चूरन बेचने के लिए निकलना।
  • छह आने की कमाई होते ही चूरन बेचना बंद कर देना।
  • बचे हुए चूरन को बच्चों को मुफ्त बाँट देना।
  • सभी का जय जय राम कहकर स्वागत करना।
  • बाजार की चमक-दमक से आकर्षित न होना।
  • समाज को संतोषी जीवन की शिक्षा देना।

साफिया की चारित्रिक विशेषताएँ-

  • ईमानदार साफिया ईमानदार भी है जब साफिया को यह पता चलता है कि पाकिस्तान से भारत नमक ले जाना गैरकानूनी है उसने तय किया कि प्रेम की इस भेंट को वह चोरी से नहीं ले जाएगी।
  • दृढनिश्चयी साफिया का स्वभाव दृढ़ निश्चयी है वह किसी भी कीमत पर लाहौरी नमक को भारत ले जाना चाहती है इसलिए वह सही गलत सभी तरीकों पर विचार करती है।
  • निडर – साफिया निडर भी है। यह जानते हुए भी कि नमक ले जाना गैरकानूनी है वह बिना झिझके कस्टम वालों के सामने नमक की पुड़िया रख देती है।
  • वायदे को निभाने वाली – साफिया सैयद है सैयद होने के नाते वह अपने किये वायदे को किसी भी कीमत पर पूरा करना चाहती है।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 x 2 = 4)
(क) लुट्टन पहलवान ढोलक क्यों बजाता था?
(ख) बाज़ार के जादू के चढ़ने-उतरने का मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? ‘बाज़ार दर्शन’-पाठ के आधार पर उत्तर लिखिए।
(ग) भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया?
उत्तर:
(क) लुट्टन सिंह जब जवानी के जोश में आकर चाँद सिंह नामक मैंजे हुए पहलवान को ललकार बैठा, तो सारा जनसमूह, राजा और पहलवानों की समूह आदि की यह धारणा थी कि यह कच्चा किशोर जिसने कुश्ती कभी सीखी नहीं है, पहले दाँव में ही ढेर हो जाएगा। हालांकि लुट्टन सिंह की नसों में बिजली और जीत का जज्बा उबाल खा रहा था।

उसे किसी की परवाह न थी हाँ ढोल की थाप मैं उसे एक-एक दाँव-पेंच का मार्गदर्शन जरूर मिल रहा था। उसी थाप का अनुसरण करते हुए उसने ‘शेर के बच्चे’ को खूब धोया, उठा उठा कर पटका और हरा दिया। इस जीत में एकमात्र ढोल ही उसके साथ था। अतः जीतकर वह सबसे पहले ढोल के पास दौड़ा और उसे प्रणाम किया।

(ख) बाजार का जादू चढ़ने पर मनुष्य बाजार की आकर्षक वस्तुओं के मोह जाल में फँस जाता है बाजार के इसी आकर्षण के कारण ग्राहक सजी-धजी चीजों को आवश्यकता न होने पर भी खरीदने के लिए लालायित हो जाता है। इसी मोहजाल में फँसकर वह ऐसी गैर-जरूरी वस्तुएँ खरीद लेता है जो कुछ समय बाद घर के किसी कोने की शोभा बढ़ाती हैं, परन्तु जब यह जादू उतरता है तो उसे एहसास होता है कि जो वस्तुएँ उसने आराम के लिए खरीदी थीं, उल्टा वे तो उसके आराम में खलल डाल रही है।

(ग) भक्तिन का वास्तविक नाम लक्ष्मी था, हिन्दुओं के अनुसार लक्ष्मी धन की देवी है प्रायः नाम व्यक्तित्व का परिचायक होता है किन्तु भक्तिन गरीब थी, उसका पूरा जीवन ससुराल वालों की सेवा करने और पति की मृत्यु के बाद संघर्ष करते हुए व्यतीत हुआ। इस प्रकार उसके नाम का वास्तविक अर्थ और उसके जीवन का यथार्थ दोनों परस्पर भिन्न थे। इसलिए निर्धन भक्तिन सबको अपना असली नाम लक्ष्मी बताकर उपहास का पात्र नहीं बनना चाहती थी।