CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 10 with Solutions

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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 10 with Solutions

समय: 3 घंटे
अधिकतम अंक : 80

सामान्य और आवश्यक निर्देश:

  1. इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’ कुल प्रश्न 13 हैं।
  2. ‘खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर: देते हैं।
  3. खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
  4. प्रश्नों के उत्तर: दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
  5. दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर: देना अनिवार्य है।
  6. यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर: क्रमशः लिखिए।

खण्ड – ‘अ’
वस्तुपरक प्रश्न (40 अंक)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 10 = 10)
मनुष्य अपने भविष्य के बारे में चिंतित है। सभ्यता की अग्रगति के साथ ही चिंताजनक अवस्था उत्पन्न होती जा रही है। इस व्यावसायिक युग में उत्पादन की होड़ लगी हुई है। कुछ देश विकसित कहे जाते हैं। कुछ विकासोन्मुख। विकसित देश वे हैं जहाँ आधुनिक तकनीक का पूर्ण उपयोग हो रहा है। ऐसे देश नाना प्रकार की सामग्री का उत्पादन करते हैं और उस सामग्री की खपत के लिए बाजार ढूँढ़ते रहते हैं।

अत्यधिक उत्पादन क्षमता के कारण ही ये देश विकसित और अमीर हैं। विकासोन्मुख या गरीब देश उनके समान ही उत्पादन करने की आकांक्षा रखते हैं और इसलिए उन सभी आधुनिक तरीकों की जानकारी प्राप्त करते हैं। उत्पादन- क्षमता बढ़ाने का स्वप्न देखते हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि सारे संसार में उन वायुमंडल प्रदूषण यंत्रों की भीड़ बढ़ने लगी है जो विकास के लिए परम आवश्यक माने जाते हैं।

इन विकास-वाहक उपकरणों ने अनेक प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न कर दी हैं। वायुमंडल विषाक्त गैसों से ऐसा भरता जा रहा है कि संसार का सारा पर्यावरण दूषित हो उठा है जिससे वनस्पतियों तक के अस्तिव संकट उत्पन्न हो गए हैं।

अपने बढ़ते उत्पादन को खपाने के लिए हर शक्तिशाली देश अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ा रहा है और आपसी प्रतिद्वंद्वता इतनी बढ़ गई है कि सभी ने मारणास्त्रों का विशाल भंडार बना रखा है। विज्ञान और तकनीकों के विकास से अणु बमों की अनेक संहारकारी किस्में ईजाद हुई हैं। ये यदि किसी सिरफिरे राष्ट्रनायक की झक के कारण सचमुच युद्ध क्षेत्र में प्रयुक्त होने लगें तो पृथ्वी जीवा शून्य हो जाएगी। कहीं भी थोड़ा-सा प्रमाद हुआ तो मनुष्य का नामलेवा कोई नहीं रह जाएगा।

एक ओर जहाँ मनुष्य की बुद्धि ने धरती को मानव शून्य बनाने के भयंकर मारणास्त्र तैयार कर दिए हैं वहीं दूसरी ओर मनुष्य ही इस भावी मानव – विनाश की आशंका से सिहर भी उठा है। उसका एक समझदार समुदाय इस प्रकार की कल्पना मात्र से आतंकित हो गया है कि न जाने किस दिन संसार इस विनाश लीला का शिकार हो जाए।

इतिहास साक्षी है कि बहुत-सी जीवन – प्रजातियाँ विभिन्न कारणों से हमेशा-हमेशा के लिए विलुप्त हो गईं, बहुत-सी आज भी क्रमशः विलुप्त होने की स्थिति में हैं, पर उनके मन में कभी अपनी प्रगति के नष्ट हो जाने की आंशका हुई थी या नहीं, हमें नही मालूम। शायद मनुष्य पहला प्राणी है जिसमें थोड़ा-बहुत देखने की शक्ति है।

अन्य जीवों में यह शक्ति थी ही नहीं। यह विशेष रूप से ध्यान देने की बात है कि सिर्फ मनुष्य ही है जो अपने भविष्य के बारे में चिंतित है। यह सभी जानते हैं कि आधुनिक विज्ञान और तकनीकी ने मनुष्य को बहुत कुछ दिया है। उसी की कृपा से संसार के मनुष्य एक-दूसरे के निकट आए हैं, अनेक पुराने संस्कार जो गलतफहमी पैदा और सुसंस्कृत बनाने के अनगिनत साधन बढ़े हैं, फिर भी मनुष्य चिंतित है। जो अंधाधुंध प्रकृति के मूल्यवान भंडारों की लूट मचाकर आराम और संपन्नता प्राप्त कर रहे हैं, वे बहुत परेशान नही हैं।

वे यथास्थिति भी बनाए रखना चाहते हैं और यदि संभव हो तो अपनी व्यक्तिगत, परिवारगत और जातिगत संपन्नता अधिक से अधिक बढ़ा लेने के लिए परिश्रम भी कर रहे हैं। ऐसे सुखी लोग ‘मनुष्य का भविष्य’ जैसी बातों के कारण परेशान नहीं हैं। पर जो लोग अधिक संवेदनशील हैं और मनुष्य जाति को महानाश की ओर बढ़ते देखकर विचलित हो उठते हैं, वे ही परेशान हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए-

(क) विकसित देश कौनसे देश कहलाते हैं?
(i) जो आधुनिक तकनीक का पूर्ण उपयोग करते हैं।
(ii) जो उत्पादन क्षमता बढ़ाने का स्वप्न देखते हैं।
(iii) जो आधुनिक तकनीक का पूर्ण उपयोग नहीं करते हैं
(iv) जो आधुनिक तरीकों की जानकारी रखते हैं।
उत्तर:
(i) जो आधुनिक तकनीक का पूर्ण उपयोग करते हैं।

(ख) संसार में वायुमंडल प्रदूषण के यंत्र क्यों बढ़ते जा रहे हैं?
(i) व्यावसायिक युग के लिए
(ii) विकास के लिए
(iii) प्रदूषण के लिए
(iv) महानाश के लिए
उत्तर:
(ii) विकास के लिए

(ग) मारण अस्त्रों के भंडार के दिन-प्रतिदिन बढ़ने का कारण क्या है?
(i) उत्पाद बढ़ाना
(ii) अस्त्रों की संख्या बढ़ाना
(iii) होड़ करना
(iv) प्रतिद्वंदता का बढ़ना
उत्तर:
(iv) प्रतिद्वंदता का बढ़ना

(घ) पुराने संस्कारों के परिमार्जन का क्या कारण है?
(i) आधुनिक विज्ञान
(ii) तकनीकी विकास
(iii) आधुनिक विज्ञान और तकनीकी विकास
(iv) प्रतियोगिता की होड़
उत्तर:
(iv) प्रतियोगिता की होड़

(ङ) किस प्रकार के लोग मानव जाति के भावी विनाश को लेकर आशंकित हैं?
(i) जो अंधाधुंध प्रकृति के भंडारों का दोहन कर सम्पन्नता में जीते हैं।
(ii) जो मानव जाति को महाविनाश की ओर बढ़ते देख विचलित हैं।
(iii) जो दीर्घजीवी हैं।
(iv) जो सुसंस्कृत हैं।
उत्तर:
(ii) जो मानव जाति को महाविनाश की ओर बढ़ते देख विचलित हैं।

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(च) किस प्रकार के लोग विवेकी नहीं हैं?
(i) जो प्रकृति का अनवरत दोहन कर रहे हैं।
(ii) जो विनाश से विचलित हैं।
(iii) जो सुविधा सम्पन्न हैं।
(iv) जो निर्धन नहीं हैं।
उत्तर:
(i) जो प्रकृति का अनवरत दोहन कर रहे हैं।

(छ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) मारण अस्त्रों के युद्ध क्षेत्र में प्रयोग करने से पृथ्वी जीवनशून्य हो जाएगी।
(II) मारण अस्त्रों के प्रयोग से होने वाले नुकसान से मानव समाज का एक अंश चिंतित है।
(III) मारण अस्त्रों के प्रयोग से शत्रु का विनाश होगा।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा / कौन-से सही हैं?
(i) केवल (I)
(ii) केवल (III)
(iii) (I) और (II)
(iv) (II) और (III)
उत्तर:
(iii) (I) और (II)

(ज) मनुष्य को किस प्रकार का प्राणी बताया गया है?
(i) वर्तमान देखने वाला
(ii) भूत देखने वाला
(iii) कुछ न देखने वाला
(iv) भविष्य देखने वाला
उत्तर:
(iv) भविष्य देखने वाला

(झ) वनस्पतियों के अस्तित्व पर संकट आने का क्या कारण है?
(i) वायुमंडल में विषाक्त गैसों का होना
(ii) वायुमंडल का स्वच्छ होना
(iii) पर्याप्त खेती के उपकरण न होना
(iv) उत्पादन क्षमता का न बढ़ना
उत्तर:
(i) वायुमंडल में विषाक्त गैसों का होना

(ञ) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) : आधुनिक और तकनीकी विकास में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में मनुष्य जाति महाविनाश की ओर बढ़ रही है।
कारण (R) : अपने उत्पादन को खपाने के लिए शक्तिशाली देश ने आपसी प्रतिद्वंदिता बढ़ाने के लिए मारण अस्त्रों का विशाल भंडार बनाया हुआ है।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है, लेकिन कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(iv) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चयन द्वारा दीजिए। (1 × 5 = 5)

जिस-जिससे पथ पर स्नेह मिला उस-उस राही को
धन्यवाद।
जीवन अस्थिर, अनजाने ही हो जाता पथ पर मेल कहीं
सीमित पग-डग, लम्बी मंजिल तय कर लेना कुछ खेल
नहीं
दाएँ-बाएँ सुख-दुःख चलते सम्मुख चलता पथका
प्रमाद
जिस-जिससे पथ पर स्नेह मिला उस-उस राही को
धन्यवाद।
साँसों पर अवलम्बित काया, जब चलते-चलते चूर हुई,
दो स्नेह – शब्द मिल गए, मिली नव स्फूर्ति, थकावट दूर
हुई।
पथ के पहचाने छूट गए, पर साथ-साथ चल रही याद
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,
उस-उस राही को धन्यवाद।
जो साथ न मेरा दे पाए उनसे कब सूनी हुई डगर
मैं भी चलूँ यदि तो भी क्या राही मर, लेकिन राह अमर
इस पथ पर वे ही चलते हैं जो चलने का पा गए स्वाद
जिस-जिससे पथ पर स्नेह मिला उस-उस राही को धन्यवाद।
कैसे चल पाता यदि न मिला होता मुझको आकुल अन्तर?
कैसे चल पाता यदि मिलते, चिर- तृप्ति अमरता – पूर्ण प्रहर !
आभारी हूँ मैं उन सबका, दे गए व्यथा का जो प्रसाद-
जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला,
उस-उस राही को धन्यवाद।

(क) कवि ने जीवन को कैसा माना है?
(i) अस्थिर
(ii) स्थिर
(iii) स्नेही
(iv) अमर
उत्तर:
(i) अस्थिर

(ख) कवि के अनुसार मंजिल तय करना खेल क्यों नहीं है?
(i) क्योंकि पग सीमित हैं
(ii) क्योंकि मंजिल लंबी है
(iii) क्योंकि पग सीमित हैं और मंजिल लंबी है
(iv) क्योंकि पग असीमित हैं।
उत्तर:
(iii) क्योंकि पग सीमित हैं और मंजिल लंबी है

(ग) कवि ने किसे धन्यवाद कहा है?
(i) जिस जिसने उसका साथ दिया
(ii) जिस जिसने उसे स्नेह दिया
(iii) जिस जिसने उसका नाम लिया
(iv) जिस जिसने उसका साथ दिया और उससे स्नेह किया
उत्तर:
(iv) जिस जिसने उसका साथ दिया और उससे स्नेह किया

(घ) व्यथा का प्रसाद देने वालों को कवि क्या देना चाहता है?
(i) धन्यवाद
(ii) प्रसाद
(iii) करुणा
(iv) प्रसन्नता
उत्तर:
(i) धन्यवाद

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(ङ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) हमें अपने पथ पर चलने वाले हर राही को धन्यवाद देना चाहिए।
(II) पथ पर साथ चलने वाले भले ही पीछे छूट गए पर उनकी याद साथ ही चलती रहती हैं।
(III) कवि एकांत में रहना चाहता है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही हैं?
(i) केवल (I)
(ii) केवल (III)
(iii) (I) और (II)
(iv) (II) और (III)
उत्तर:
(iii) (I) और (II)

अथवा

हँस ली दो क्षण खुशी मिली गर
वरना जीवन-भर क्रंदन है।
किसका जीवन हँसी-खुशी में
इस दुनिया में रहकर बीता?
सदा-सर्वदा संघर्षों को
इस दुनिया में किसने जीता?
खिलता फूल म्लान हो जाता
हँसता-रोता चमन-चमन है।
कितने रोज चमकते तारे
दूर तलक धरती की गाथा
मौन मुखर कहता कण-कण है।
यदि तुमको सामर्थ्य मिला तो
मुसकाओं सबके संग जाकर।
कितने रह-रह गिर जाते हैं,
हँसता शशि भी छिप जाता है,
जब सावन घन घिर आते हैं।
उगता-ढलता रहता सूरज
जिसका साक्षी नील गगन है।
आसमान को छूने वाली,
वे ऊँची-ऊँची मीनारें।
मिट्टी में मिल जाती हैं वे
छिन जाते हैं सभी सहारे।
यदि तुमको मुसकान मिली तो
थामो सबको हाथ बढ़ाकर।
झाँको अपने मन- दर्पण में
प्रतिबिंबित सबका आनन है।

(क) जीवन में कवि क्या करने की सलाह दे रहा है?
(i) अवसर मिलने पर हँसने की
(ii) घबराने की
(iii) निराश होने की
(iv) उदास होने की
उत्तर:
(i) अवसर मिलने पर हँसने की

(ख) पद्यांश में संसार की किस वास्तविकता को प्रस्तुत किया गया है?
(i) संसार की विपदा को
(ii) संसार की नश्वरता को
(iii) संसार की गहनता को
(iv) संसार की विशालता को
उत्तर:
(ii) संसार की नश्वरता को

(ग) धरती का कण-कण कौनसी गाथा सुनाता है?
(i) सामर्थ्य होने पर सबको सहारा देने का
(ii) सबके साथ मुस्कुराने का
(iii) सहारा दूर होने का
(iv) सामर्थ्यानुसार सहारा देने और सबके साथ मुस्कुराने का।
उत्तर:
(iv) सामर्थ्यानुसार सहारा देने और सबके साथ मुस्कुराने का।

(घ) पद्यांश में से चन्द्रमा का पर्याय बताइए।
(i) प्रतिबिंब
(ii) सावन
(iii) शशि
(iv) धरती
उत्तर:
(iii) शशि

(ङ) ‘उगता ढलता रहता सूरज’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
(i) जीवन में अच्छा समय भी आता है
(ii) जीवन में बुरा समय भी आता है
(iii) जीवन एक – सा रहता है
(iv) जीवन में अच्छा और बुरा समय आता-जाता रहता है।
उत्तर:
(iv) जीवन में अच्छा और बुरा समय आता-जाता रहता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए। (1 x 5 = 5)
(क) मुद्रण की शुरुआत कहाँ से हुई थी?
(i) जापान
(ii) चीन
(iii) अमरीका
(iv) रूस
उत्तर:
(ii) चीन

(ख) रेडियो कैसा माध्यम है?
(i) एकरेखीय
(ii) द्विरेखीय
(iii) त्रिरेखीय
(iv) पंचरेखीय
उत्तर:
(i) एकरेखीय
व्याख्यात्मक हल : क्योंकि रेडियो में श्रोता केवल सुन सकता है, अपने विचार प्रकट नहीं कर सकता।

(ग) टेलीविजन पर खबर कितने हिस्सों में बंटी हुई होती है?
(i) चार
(ii) तीन
(iii) दो
(iv) एक
उत्तर:
(iii) दो
व्याख्यात्मक हल : पहला हिस्सा वह जहाँ से एंकर बिना दृश्य को पढ़ता है और दूसरा वह जहाँ से परदे पर एंकर के स्थान पर खबर से संबंधित दृश्य दिखाए जाते हैं।

(घ) वह लेख जिसमें किसी मुद्दे के प्रति समाचार पत्र की अपनी राय प्रकट होती है, उसे कहते हैं-
(i) स्तम्भ लेखन
(ii) सम्पादकीय लेखन
(iii) साक्षात्कार
(iv) सभी विकल्प सही हैं।
उत्तर:
(ii) सम्पादकीय लेखन

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(ङ) कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान कीजिए।

कॉलम-(क) कोलम-(ख)
(a) ऑप एड (I) विशेष रिपोर्ट
(b) रीडिफ डॉटकॉम (II) विचारपरक लेख
(c) इन डेप्थ रिपोर्ट (III) फीचर लेखन
(d) आत्मनिष्ठ लेखन (IV) इंटरनेट पत्रकारिता

(i) (a ) – (IV), (b)-(III), (c)-(I), (d)-(II)
(ii) (a)- (II), (b)-(IV), (c)-(I), (d)-(III)
(iii) (a)-(II), (b)-(I), (c)-(IV), (d)-(III)
(iv) (a ) – (I), (b)-(II), (c)-(III), (d)-(IV)
उत्तर:
(ii) (a)- (II), (b)-(IV), (c)-(I), (d)-(III)

प्रश्न 4.
दिए गए काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए। (1 x 5 = 5)

प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे
भोर का नभ
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला पड़ा है)
बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से
कि जैसे धुल गई हो
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने
नील जल मै या किसी की
गौर झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो।
और..
जादू टूटता है इस उषा का अब
सूर्योदय हो रहा है।

(क) काव्यांश में नभ को किसके समान बताया गया है?
(i) नीले शंख के
(ii) नीले जल से
(iii) सूर्योदय से
(iv) धूल से
उत्तर:
(i) नीले शंख के

(ख) कवि ने भोर के नभ को राख से लीपा हुआ चौका क्यों कहा गया है?
(i) क्योंकि उसका रंग नीला था
(ii) क्योंकि वह राख से लीपा हुआ था
(iii) क्योंकि उसका रंग सफेद और नीले रंग का मिश्रित रूप था
(iv) क्योंकि उसका रंग सफेद था
उत्तर:
(iii) क्योंकि उसका रंग सफेद और नीले रंग का मिश्रित रूप था

(ग) गोरी देह के झिलमिलाने की समानता किससे की गई है?
(i) नीले शंख से
(ii) नीले जल से
(iii) लाल केसर से
(iv) सुबह के सूरज से
उत्तर:
(iv) सुबह के सूरज से

(घ) कवि ने अँधेरे को किसके समान माना है?
(i) लाल खड़िया के
(ii) काली सिल के
(iii) सूर्य की लालिमा के
(iv) केसर के
उत्तर:
(ii) काली सिल के

(ङ) कवि ने सुबह की लालिमा की तुलना किससे की है?
(i) प्रात:काल से
(ii) लाल खड़िया से
(iii) कलि स्लेट से
(iv) अँधेरे से
उत्तर:
(ii) लाल खड़िया से

प्रश्न 5.
दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए। (1 x 5 = 5)
यह विडंबना की ही बात है कि इस युग में भी ‘जातिवाद’ के पोषकों की कमी नहीं है। इसके पोषक कई आधारों पर इसका समर्थन करते हैं। समर्थन का एक आधार यह कहा जाता है कि आधुनिक सभ्य समाज ‘कार्य-कुशलता’ के लिए श्रम-विभाजन को आवश्यक मानता है, और चूँकि जाति-प्रथा भी श्रम-विभाजन का ही दूसरा रूप है इसलिए इसमें कोई बुराई नहीं है। इस तर्क के संबंध में पहली बात तो यही आपत्तिजनक है कि जाति-प्रथा श्रम-विभाजन के साथ-साथ श्रमिक-विभाजन का भी रूप लिए हुए है।
(क) गद्यांश में किसे विडम्बना कहा गया है?
(i) जातिवाद के पोषक को
(ii) श्रम विभाजन को
(iii) श्रमिक विभाजन को
(iv) कार्य कुशलता को
उत्तर:
(i) जातिवाद के पोषक को

(ख) जातिवाद के पोषकों के अनुसार कार्यकुशलता के लिए किसे आवश्यक माना गया है?
(i) जाति प्रथा को
(ii) श्रम विभाजन को
(iii) श्रमिक विभाजन को
(iv) कार्य कुशलता को
उत्तर:
(ii) श्रम विभाजन को

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(ग) जाति प्रथा में श्रम के साथ-साथ किसका विभाजन होता है?
(i) कार्य का
(ii) श्रम का
(iii) श्रमिक का
(iv) मजदूर का
उत्तर:
(iii) श्रमिक का

(घ) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) आज के जाग्रत युग में भी कुछ जातिवाद के समर्थक लोग कार्यकुशलता के लिए इसे आवश्यक मानते हैं।
(II) जातिवाद श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रमिकों का भी विभाजन करती है।
(III) वर्तमान युग में जातिवाद जीवन की अनिवार्यता बन गई है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा / कौन-से सही हैं?
(i) केवल (I)
(ii) केवल (III)
(iii) (I) और (II)
(iv) (II) और (III)
उत्तर:
(iii) (I) और (II)

(ङ) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) : जाति प्रथा मनुष्य को अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार काम का चुनाव नहीं करने देती जिससे समाज में भेदभाव बढ़ जाता है।
कारण (R) : जाति प्रथा जन्म से ही मनुष्य को किसी काम-धंधे से बाँध देती है।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है, लेकिन कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए। (1 x 10 = 10)
(क) ‘जूझ’ पाठ के लेखक की माँ क्या चाहती थीं?
(i) लेखक सातवीं कक्षा तक पढ़ाई कर लें
(ii) लेखक पाँचवी कक्षा तक पढ़ाई कर लें
(iii) लेखक छठी कक्षा तक पढ़ाई कर लें।
(iv) लेखक दसवीं कक्षा तक पढ़ाई कर लें।
उत्तर:
(i) लेखक सातवीं कक्षा तक पढ़ाई कर लें

(ख) ऑफिस से निकलकर यशोधर बाबू कहाँ चले जाते थे?
(i) क्वार्टर में
(ii) बिरला मन्दिर
(iii) गोल मार्किट
(iv) पहाड़ी पर
उत्तर:
(ii) बिरला मन्दिर

(ग) यशोधर बाबू गोल मार्किट में ही क्यों रहना चाहते थे?
(i) क्योंकि वहाँ से उनकी यादें जुड़ी हुई थीं।
(ii) क्योंकि वे बच्चों को सामाजिक बनाना चाहते थे।
(iii) क्योंकि उन्हें पैसा बचाना था।
(iv) क्योंकि उनका घर सुंदर था।
उत्तर:
(i) क्योंकि वहाँ से उनकी यादें जुड़ी हुई थीं।

(घ) ‘जूझ’ उपन्यास को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया-
(i) 1950 में
(ii) 1960 में
(iii) 1948 में
(iv) 1955 में
उत्तर:
(i) 1950 में

(ङ) लेखक पांचवी कक्षा की तैयारी कितने महीने में करने का विश्वास दिलाता है?
(i) एक
(ii) दो
(iii) तीन
(iv) चार
उत्तर:
(ii) दो

(च) ‘जूझ’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है-
(i) झूलना
(ii) जूझना
(iii) संघर्ष
(iv) प्रशंसा
उत्तर:
(iii) संघर्ष

(छ) मोहनजोदड़ो में एक पंक्ति में कितने स्नानागार थे?
(i) 6
(ii) 8
(iii) 10
(iv) 12
उत्तर:
(ii) 8

(ज) कुंड में पानी रोकने के लिए किस चीज का प्रयोग किया गया?
(i) सीमेंट और रेत का
(ii) रेत और चिराड़ी का
(iii) चूने और चिराड़ी का
(iv) चूने और सीमेंट का
उत्तर:
(iii) चूने और चिराड़ी का

(झ) छोटे टीलों पर बनी बस्ती को क्या कहकर पुकारा जाता था?
(i) नीचे क्षेत्र
(ii) नीचा नगर
(iii) नीचा घर
(iv) पुराना घर
उत्तर:
(ii) नीचा नगर

(ञ) सिन्धु सभ्यता की खूबी क्या थी?
(i) उसका राज पोषित होना
(ii) उसका धर्म पोषित होना
(iii) उसका समाज पोषित होना
(iv) उसका मानव पोषित होना
उत्तर:
(iii) उसका समाज पोषित होना

खंड ‘ब’
वर्णनात्मक प्रश्न (40 अंक)

प्रश्न 7.
दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए। (6)
(क) संयम ही सदाचार है
(ख) समय मूल्यवान है
(ग) बालश्रम : टूटता बचपन
(घ) काश ! मैं उड़ पाता।
उत्तर:
(क) संयम ही सदाचार है:
‘संयम’ का शाब्दिक अर्थ है- उचित नियंत्रण जो व्यक्ति उचित आचरण करता है, वह संयमी कहलाता है। दूसरे अर्थों में अच्छे आचरण वाले को सदाचारी कहा जाता है। अब ऐसा नहीं होता। कि सदाचारी मनुष्य का मन चंचल न हो या उसके मन में कोई कल्पना नहीं हो अथवा उसने वैराग्य ले लिया है, बल्कि मन सदाचारी का भी भटकता है, पर वह अपने मन की उचित इच्छा का आदर करता है और अनुचित इच्छा का निरादर करता है, तभी वह संयमी कहलाता है।

सच्चे अर्थों में यही सद्नीति भी है, और इसी सद्नीति को नैतिकता कहा जाता है। नैतिकता का एकमात्र अर्थ है, समाज की दृष्टि में जो उचित आचरण है, उसे अपनाया जाए और जो अनुचित आचरण है, उसका बहिष्कार किया जाए। प्राय: अहिंसा, प्रेम, शांति, सहयोग, मित्रता, ईमानदारी, निष्पक्षता आदि गुणों को सदाचार के अंतर्गत रखा जाता है।

इसके विपरीत हिंसा, घृणा, असहयोग, लोभ, पक्षपात आदि दुर्गुण हमेशा से ही सदाचार के विरोधी रही हैं। इन्हें अपनाने वाला मनुष्य कभी भी संसार में न तो किसी का मान पाने योग्य होता है, और न ही अपना ही कोई काम सफलतापूर्वक कर पाता है। अतः सदाचारी बनने के लिए यह आवश्यक है, कि इन दुर्गुणों का त्याग कर अच्छे मार्ग पर चला जाए।

(ख) समय मूल्यवान है:
यह कथन अक्षरशः सत्य है, कि समय मूल्यवान होता है। समय में वह शक्ति होती है, जो पल भर में राजा को रंक और रंक को राजा बना देता है। दिन के उजाले में अयोध्या के राजा बनने वाले श्रीराम को भी रात ही रात में समय ने वनवासी बना दिया। हमें समय एक बार ही मिलता है, अतः उसका प्रयोग उसी पल कर लेना चाहिए नहीं तो पछताने के अलावा कुछ नहीं रह जाता है, सही कहा गया है कि – ‘ अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत।’ समय पर अपना काम न करने वाला मनुष्य वास्तव में अपने अमूल्य समय को तो नष्ट करता ही है, साथ ही वह अपने विकास में भी बाधक बन जाता है।

समय निरंतर गतिशील है, यह किसी के लिए नहीं रुकता। अत: इसे जानते हुए इसका उचित उपयोग करना चाहिए। जो मनुष्य का सम्मान करता है। वह अपनी शक्ति को कई गुना बढ़ा लेता है। यदि विद्यार्थी समय का उचित प्रयोग करें तो उन्हें सफलता प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता। इसी प्रकार यदि कार्यालय के सभी कर्मी समय से अपना काम करेंगे सभी कार्य सुविधा से संपन्न होते चले जाएँगे।

गाँधी जी समय के पाबंद थे, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, स्वामी विवेकानंद, जैसी महान विभूतियाँ समय के पाबंद होने के कारण ही उन्नति के शिखर को प्राप्त करते चले गए। मनुष्य के साथ-साथ सृष्टि भी समय की पाबंद है। यदि वह एक दिन धुरी पर घूमना भूल जाए। धरती पर महाविनाश हो सकता है। अतः समय को नष्ट करने वाला मनुष्य अपने विनाश का स्वयं कारण बनता है।

(ग) बालश्रमः टूटता बचपन:
बालश्रम आज के समय की सबसे संगीन समस्या है। कोई भी बच्चा कभी भी अपनी सहमति सें मजदूर नहीं बनता, बल्कि उसकी मजबूरी उससे यह काम करवाती है। हमारे देश में निर्धनों का अनुपात अधिक है। उनमें से भी कुछ तो ऐसे हैं, जिन्हें पीने के पानी भी नसीब नहीं होता।

किसी के माँ-बाप निर्धन हैं, तो कोई अनाथ है। उन्हें अपना पेट पालने के लिए मजदूरी करनी पड़ती है। हालाँकि इस प्रकार के बच्चों के पालन-पोषण का दायित्व सरकार का है, और कानून भी बालश्रम की अनुमति नहीं देता पर देश के पास इतने साधनों का अभाव है, कि वह इन सबसे रहने खाने और पहने की व्यवस्था करे। हमारे देश की बढ़ती हुई आबादी इसके लिए पूर्णतया जिम्मेदार है। अनेक लोक जैसे-तैसे मजदूरी करके अपना और अपने परिवार को पेट भरते हैं।

बच्चों का भूखा पेट ही उनसे मजदूरी करवाता है। देश में इसे कैसे रोका जाए, इसके लिए कोई भी ठोस समाधान नहीं है। केवल कानून बनाकर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री करने वाली सरकार को हर बच्चे को हथोड़े के स्थान पर किताब और पेंसिल पकड़ानी होगी और इनकी रोटी की जिम्मा स्वयं लेना होगा, तभी हम इसे देश के बालश्रम दूर करने में सफल होंगे अन्यथा ये घुन की तरह हमारे देश की उन्नति में बाधक ही बनी रहेगी। बच्चे देश का भविष्य होते हैं, पर यदि देश का भविष्य ही भूखा- नंगा रहकर सड़क पर सोता है, तो ऐसे देश की भविष्य की तस्वीर तो हमारे सामने ही है। अतः इस समस्या का पूर्णतया निदान आवश्यक है।

(घ) काश मैं उड़ पाता:
पक्षियों को आकाश में उड़ता हुआ देखकर हर किसी के मन में यह विचार जरूर आता है, कि काश! मैं उड़ पाता। यदि मैं पक्षियों की तरह आकाश में उड़ पाता, तो कितना मजा आता। मैं रोज पाठशाला में आकाश में उड़ता हुआ, सबसे पहले पहुँचूँगा, मुझे ट्रैफिक की कोई चिंता नहीं होगी। मैं अलग-अलग पेड़ों पर बैठूंगा, बहुत सारे फल खाऊँगा। मुझे किसी भी जगह पहुँचने में देरी नहीं होगी। भीड़ की वजह से मुझे कोई मुश्किल नहीं होगी।

यदि मैं उड़ पाता तो मुझे आकाश के बादलों को नजदीक से देखने का मौका मिलेगा। ऊपर आकाश से नीचें जमीन का नजारा कैसा होता है, यह मै देख पाऊँगा। मैं बहुत सारी जगहों पर जाऊँगा। मैं विदेश घूमकर आऊँगा। मुझे इंद्रधनुष नजदीक से देखने का मौका मिलेगा। पक्षी मेरे मित्र बन जाएँगे। उनके जीवन को अच्छे तरह से समझने का मौका मुझे मिलेगा। काश ! मैं उड़ पाता। तो मुझे बहुत ज्यादा आनंद होता।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 10 with Solutions

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3 x 2 = 6 )
(क) शब्द को नाटक का महत्वपूर्ण अंग क्यों माना गया है?
(ख) नाटक की कोई चार विशेषताएँ लिखिए।
(ग) कहानी के बुनियादी तत्वों में द्वंद्व का क्या महत्व है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) वैसे तो शब्द साहित्य की सभी विधाओं के लिए आवश्यक तत्त्व है, पर नाटक और कविता के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। नाटक के संसार में शब्द अपनी एक नई, निजी और अलग अस्मिता रखता है। नाटयशास्त्र में वाचित अर्थात् बोले जाने वाले शब्द को नाटक का शरीर कहा गया है। कहानी और उपन्यास शब्दों के माध्यम से किसी स्थिति, वातावरण या कथानक का वर्णन करते हैं, या अधिक उसका चित्रण कर पाते हैं।

यही कारण है, कि इसे वर्णित या नरैटिव विधा कहा जाता है। नाटकों में शब्द अभिनय को जीवंत बना देते हैं। नाटककार के लिए यह जरूरी होता है, कि वह ऐसी सांकेतिक और संक्षिप्त भाषा का प्रयोग करे। जो अधिक क्रियात्मक हो और उन शब्दों में दृश्य बनाने की भरपूर क्षमता हो और वह अपने शाब्दिक अर्थ से ज्यादा व्यंजना की ओर ले जाए।

(ख) नाटक की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • नाटक की एक ऐसी विधा है, जो वर्तमान काल में घटित होती है, भले ही उसकी कहानी भूतकाल या भविष्यत् काल से संबंधित हो पर उसे वर्तमान काल में ही घटित होना पड़ता है।
  • नाटककार को पहले घटनाओं को चुनाव करना पड़ता है, और फिर उन्हें एक निश्चित क्रम में रखना होता है।
  • एक अच्छा नाटक वही होता है जो कथा को आपसी बहस-मुबाहिसों से आगे बढ़ाए।
  • एक अच्छे नाटक में लिखे गए या बोले गए शब्दों से अधिक ध्वनित करने की शक्ति होनी चाहिए।
  • नाटक और रंगमंच जैसी विधा का सृजन मूलत: अस्वीकार के भीतर से ही होता है।

(ग) कहानी के बुनियादी तत्वों में द्वंद्व का बहुत महत्व है। द्वंद्व ही कथानक को आगे बढ़ाने में सहायक होता है। उद्धरण के तौर पर अगर दो व्यक्ति किसी बात पर सहमत हैं तो उनके बीच कोई द्वंद्व ही नहीं होगा और बात यहीं समाप्त हो जाएगी पर यदि असहमति का भाव होगा तो बातचीत सरलता से आगे बढ़ती जाएगी। किसी भी कहानी में द्वंद्व दो विरोधी तत्वों का टकराव या किसी की खोज में आने वाली बाधाओं, अंतद्वंद्वों आदि के कारण होता है। कहानीकार कथानक में द्वंद्व के बिंदुओं को जितना स्पष्ट रखेगा कहानी भी उतनी ही सफलता से आगे बढ़ती जाएगी।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में दीजिए। (4 × 2 = 8)
(क) फीचर लेखन को समझाते हुए इसके नेता और निष्कर्ष पर प्रकाश डालिए।
(ख) फीचर लेखन संबंधित मुख्य बातों पर प्रकाश डालिए।
(ग) संवाददाता के प्रमुख कार्यों का उल्लेख करते हुए संपादक के कार्य बताइए।
उत्तर:
(क) ‘जब कोई लेखक सूचना या समाचार को इस सजीव और रोचक तरीके से प्रस्तुत करता है कि उसका चेहरा पूरी तरह उभर आए, तो उसे फीचर कहते हैं। इसमें कथा शैली, पात्र – योजना, मार्मिकता तथा शैली की रोचकता की विशेष भूमिका होती है। फीचर लेखन का मुख्य कार्य पात्रों के द्वारा घटना का प्रस्तुतीकरण है। इसकी शैली आकर्षक होनी चाहिए ताकि एक पाठक इसे पूर्ण तन्मयता और एकाग्रता के साथ रुचि लेकर पढ़ सके। जिस प्रकार भाषा शैली फीचर लेखन के लिए आवश्यक है उसी प्रकार नेता और निष्कर्ष भी इसके आवश्यक तत्व हैं-

नेता – वह बिंदु जिसके आगे-पीछे पूरी घटना चलती है, नेता कहलाती है। यह महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है क्योंकि इसी के द्वारा फीचर लेखन अन्य लेखन से अलग होता है। निष्कर्ष – समापन की भूमिका इसी के द्वारा निभाई जाती है। इसमें घटना से जुड़े प्रसंगों, प्रश्नों व विचार की कल्पना की जाती है। पूरा लेख पढ़कर लेखक अपने विचार इसमें प्रकट करता है।

(ख) फीचर लेखन संबंधित मुख्य बातें निम्नलिखित हैं-

  • सजीव बनाने के लिए फीचर में विषय से जुड़े हुए कुछ लोगों की उपस्थिति जरुरी होती है।
  • कहानी के विभिन्न पहलुओं को उन पात्रों के माध्यम से बताना चाहिए।
  • कहानी को बताने का अंदाज ऐसा हो कि पाठक यह अनुभव करे कि वह स्वयं उसे देख और सुन रहा है।
  • फीचर मनोरंजक होने के साथ-साथ सूचनात्मक भी होना चाहिए।
  • फीचर शोध रिपोर्ट नहीं है अतः इससे तथ्यों, सूचनाओं और विचारों पर आधारित कथात्मक विवरण और विश्लेषण होना चाहिए।
  • इसे किसी बैठक या सभा की कार्यवाही रिपोर्ट की तरह नहीं लिखा जाना चाहिए।
  • फीचर किसी न किसी थीम पर आधारित होना चाहिए और उससे संबंधित सभी विचार आपस में सहसंबन्धित होने चाहिए।
  • फीचर कहीं से भी आरंभ किया जा सकता है क्योंकि इसका कोई निश्चित ढांचा नहीं होता।
  • इसका प्रारम्भ, मध्य और अंत आपस में बंधे हुए होने चाहिए।

(ग) संवाददाता का प्रमुख कार्य होता है विभिन्न स्थानों से खबरें लाना। संपादक संवाददाताओं और रिपोर्टरों द्वारा विभिन्न स्थानों से लाई गई समाचार सामग्री की सभी अशुद्धियों को दूर कर उसे त्रुटिहीन और प्रस्तुतीकरण योग्य बनाते हैं। वे अधिक महत्वपूर्ण तथ्यों और घटनाओं को पहले और कम महत्वपूर्ण घटनाओं को बाद में छापते हैं। ऐसा करते समय उन्हें समाचार – पत्र की नीति, आचार-संहिता और जन-कल्याण का विशेष ध्यान रखना होता है।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए। (3 x 2 = 6)
(क) भ्रातृशोक में हुई राम की दशा को कवि ने प्रभु नर लीला की अपेक्षा सच्ची मानवीय अनुभूति के रुप में रचा है। क्या आप इससे सहमत हैं?
(ख) ‘बादल राग’ कविता जीवन निर्माण के एक नए राग का सूचक है? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ग) ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) लक्ष्मण के मूर्च्छित होने पर राम को जिस तरह विलाप करते दिखाया गया है, वह ईश्वरीय लीला की बजाय आम व्यक्ति का विलाप अधिक लगता है। राम के द्वारा कही गईं अनेक बातें ऐसी ही हैं जो उन्हें एक आम व्यक्ति ही सिद्ध करती हैं। उनका कहना ‘यदि मुझे तुम्हारे वियोग का पता होता तो मैं तुम्हें अपने साथ नहीं लाता। मैं अयोध्या जाकर परिवारजनों को क्या मुँह दिखाऊँगा, माता को क्या जवाब दूँगा आदि।’ इस प्रकार की बातें ईश्वरीय व्यक्तित्व वाले व्यक्ति के लिए कहना संभव नहीं है क्योंकि वह तो होनी को जानता है।

उसका कारण व परिणाम भी उसे पहले से ही पता होता है इसलिए वह आम आदमी के समान इस तरह शोक नहीं व्यक्त करता। राम का लक्ष्मण के बिना खुद को अधूरे समझने का विचार आम आदमी ही कर सकता है अलौकिक मानव नहीं। अतः लक्ष्मण के लिए इस प्रकार प्रलाप करना उनकी सच्ची मानवीय अनुभूति के अनुरूप ही है और हम यह कह सकते हैं कि यह विलाप राम की नर लीला की अपेक्षा मानवीय अनुभूति अधिक है।

(ख) इस कविता में कवि ने लघु- मानव की खुशहाली का राग गाया है। वह आम व्यक्ति के लिए बादल का आह्वान क्रांति के रूप में करता है। किसान मजदूर की आकांक्षाएँ बादल को नवनिर्माण के राग के रूप में पुकार रही हैं। क्रांति हमेशा वंचितों का प्रतिनिधित्व करती है। बादलों के अंग-अंग में बिजलियाँ सोई हैं, वज्रपात से शरीर आहत होने पर भी वे हिम्मत नहीं हारते। गरमी से हर तरफ सब कुछ रूखा-सूखा और मुरझाया – सा है। धरती के भीतर सोए अंकुर नवजीवन की आशा में सिर ऊँचा करके बादल की उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं। क्रांति जो हरियाली लाएगी, उससे सबसे उत्फुल्ल नए पौधे, छोटे बच्चे ही होंगे।

(ग) यह कविता प्रेम के महत्व पर प्रकाश डालती है। कवि के अनुसार प्रेम की तरंग ही मनुष्य के जीवन में उत्साह, उमंग और भावना की हिलोर उत्पन्न कर देती है। प्रेम के कारण मनुष्य को दिन जल्दी-जल्दी ढलता हुआ सा महसूस होता है। अपने प्रियजनों से मिलने की उमंग से ही कदमों में तेजी आ जाती है और पक्षियों के पंखों में तीव्रता आ जाती है। यदि जीवन में कोई प्रिय प्रतीक्षा करता न मिले तो जीवन शिथिल हो जाता है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 x 2 = 4)
(क) ‘परदे पर वक्त की कीमत है’ कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नजरिया किस रूप में रखा है?
(ख) ‘कविता एक खिलना है फूलों के बहाने।
(ग) फिराक की रुबाइयों में उभरे घरेलू जीवन के बिम्बों के सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) कवि कहना चाहता है कि मीडिया के लोग केवल सहानुभूति अर्जित करना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि अपंग व्यक्ति के साथ-साथ दर्शक भी रोने लगे परन्तु वे इस रोने वाले दृश्य को ज्यादा देर तक नहीं दिखाना चाहते। यदि वह ऐसा करेंगे तो उनका समय और पैसा दोनों बरबाद होगा। समय और पैसे की बरबादी वे नहीं करना चाहते।

(ख) कवि के अनुसार कविता भी फूलों के समान ही महकती है, खिलती है और लोगों को आनंदित करती है। उसने फूलों से खिलना, महकना और आनंदित होना सीखा है पर कविता की महक, ताजगी और सरसंता का आनंद जड़ प्रकृति नहीं ले सकती। अतः कविता फूल से भी अधिक चेतन और आनंदमयी है।

(ग) ‘फिराक’ की रुबाइयों में घरेलू जीवन का चित्रण हुआ है। इन्होंने कई बिंब उकेरे हैं। एक बिंब में माँ छोटे बच्चे को अपने हाथ में झुला रही है। बच्चे की तुलना चाँद से की गई है। दूसरे बिंब में माँ बच्चे को नहलाकर कपड़े पहनाती है तथा बच्चा उसे प्यार से देखता है। तीसरे बिंब में बच्चे द्वारा चाँद लेने की जिद करना तथा माँ द्वारा दर्पण में चाँद को दिखाना घरेलू जीवन के बिम्बों का अद्भुत वर्णन है।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए। (3 x 2 = 6)
(क) आदर्श समाज के तीन तत्वों में से एक ‘भ्रातृता’ को रखकर लेखक ने अपने आदर्श समाज में स्त्रियों को भी सम्मिलित किया हैं अथवा नहीं? आप इस ‘भ्रातृता’ शब्द से कहाँ तक सहमत हैं? यदि नहीं, तो आप क्या शब्द उचित समझेंगे / समझेगी?
(ख) ‘ढोल में तो जैसे पहलवान की जान बसी थी -‘ पहलवान की ढोलक’ पाठ के आधार पर कथन की सत्यता सिद्ध कीजिए।
(ग) जाति -प्रथा भारतीय समाज में बेरोजगारी व भुखमरी का भी एक कारण कैसे बनती रही है? क्या यह स्थिति आज भी है?
उत्तर:
(क) आदर्श समाज के तीन तत्वों में से एक ‘भ्रातृता’ को रखकर लेखक ने अपने आदर्श समाज में स्त्रियों को भी सम्मिलित किया है। लेखक समाज की बात कर रहा है और समाज स्त्री-पुरुष दोनों से मिलकर बना है। उसने आदर्श समाज में हर आयुवर्ग को शामिल किया है। ‘भ्रातृता’ शब्द संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है- भाईचारा। यह सर्वथा उपयुक्त है। समाज में भाईचारे के सहारे ही संबंध बनते हैं। कोई व्यक्ति एक-दूसरे से अलग नहीं रह सकता। समाज में भाईचारे के कारण ही कोई परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँचता है।

(ख) लुट्टन सिंह जब जवानी के जोश में आकर:
चाँद सिंह पहलवान को ललकार बैठा तो सारा जनसमूह, राजा और पहलवानों का समूह आदि की यही धारणा थी कि यह कच्चा किशोर जिसने कभी कुश्ती सीखी ही नहीं है, यह तो पहले दाँव में ही ढेर हो जाएगा। इन सबसे अनजान लुट्टन सिंह की नसों में बिजली और मन में जीत का जज्बा उबाल खा रहा था।

उसे किसी की भी परवाह न थी। ऐसा लग रहा था कि ढोल की थाप में वह एक-एक दाँव-पेंच का मार्गदर्शन ले रहा हो। उसी थाप का अनुसरण करते हुए उसने ‘शेर के बच्चे’ चाँद सिंह को खूब उठा-उठाकर पटका और हरा दिया। इस जीत में केवल ढोल ही उसके साथ था। अतः जीतने के बाद उसने दौड़कर सबसे पहले ढोल को प्रणाम किया।

(ग) जाति-प्रथा भारतीय समाज में बेरोजगारी व भुखमरी का कारण भी बनती रही है। भारत में जाति प्रथा के कारण व्यक्ति को जन्म के आधार पर एक पेशे से बाँध दिया जाता था। इस निर्णय में व्यक्ति की रुचि, योग्यता या कुशलता का ध्यान नहीं रखा जाता था। उस पेशे से गुजारा होगा या नहीं, इस पर भी विचार नहीं किया जाता था। इस कारण भुखमरी की स्थिति आ जाती थी। इसके अतिरिक्त, संकट के समय भी मनुष्य को अपना पेशा बदलने की अनुमति नहीं दी जाती थी।

भारतीय समाज पैतृक पेशा अपनाने पर ही जोर देता था। उद्योग-धंधों की विकास प्रक्रिया व तकनीक के कारण कुछ व्यवसायी रोजगारहीन हो जाते थे। अतः यदि वह व्यवसाय न बदला जाए तो बेरोजगारी बढ़ती है। आज भारत की स्थिति बदल रही है। सरकारी कानून, सामाजिक सुधार व विश्वव्यापी परिवर्तनों से जाति प्रथा के बंधन काफी ढीले हुए हैं, परंतु समाप्त नहीं हुए हैं। आज लोग अपनी जाति से अलग पेशा अपना रहे हैं।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 x 2 = 4 )
(क) ‘बाजार दर्शन’ पाठ के आधार पर ‘पैसे की व्यंग्य शक्ति’ कथन को स्पष्ट कीजिए।
(ख) हाय, वह अवधूत आज कहाँ है ! ऐसा कहकर लेखक ने आत्मबल पर देह – बल के वर्चस्व की वर्तमान सभ्यता के संकट की ओर संकेत किया है। कैसे?
(ग) भक्तिन की पारिवारिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:
(क) पैसे में व्यंग्य शक्ति होती है। पैदल व्यक्ति के पास से धूल उड़ाती मोटर चली जाए तो व्यक्ति परेशान हो उठता है। वह अपने जन्म तक को कोसता है, परंतु यह व्यंग्य चूरन वाले व्यक्ति पर कोई असर नहीं करता। लेखक ऐसे बल के विषय में कहता है कि यह कुछ अपर जाति का तत्व है। कुछ लोग इसे आत्मिक, धार्मिक व नैतिक कहते हैं।

(ख) अवधूत सांसारिक मोह माया से ऊपर उठा व्यक्ति होता है। जो आत्मबल का प्रतीक होता हैं, परंतु आज मानव आत्मबल की बजाय देहबल, धनबल आदि जुटाने में लगें हैं। आज मनुष्य में आत्मबल का अभाव हो चला है। आज मनुष्य मानवीय मूल्यों को त्यागकर हिंसा, भ्रष्टाचार, कालाबाजारी, घूसखोरी आदि गलत प्रवृत्तियों को अपनाकर अपनी ताकत एवं क्षमता का प्रदर्शन कर रहा है। अनासक्त योगियों के अभाव में ऐसी स्थिति किसी भी सभ्यता के लिए संकट के समान है जहाँ मानवता ध्वस्त होने की कगार पर है।

(ग) भक्तिन झुंसी गाँव के एक गोपालक की इकलौती संतान थी। इसकी माता का देहांत हो गया था। फलतः भक्तिन की देखभाल विमाता ने करी। पिता का उस पर अगाध स्नेह था। पाँच वर्ष की आयु में ही उसका विवाह हैंडिया गाँव के एक ग्वाले के सबसे छोटे पुत्र के साथ कर दिया गया। नौ वर्ष की आयु में उसका गौना हो गया। विमाता उससे ईष्या रखती थी। उसने उसके पिता की बीमारी का समाचार तक उसके पास नहीं भेजा।