The Shepherd’s Treasure Summary In English
Once there lived a poor and illiterate shepherd in a village in Iran. He hadn’t been to school because there were very few schools in those days. However, he had a high common sense. He had also a friendly and helpful nature. Many people came to him for advice. They were able to get rid of their Sorrows and troubles.
One day, the king visited the shepherd. He rode on his mule and reached the wise shepherd’s cave. The shepherd welcomed the king in a shepherd’s disguise) warmly. They remained busy in wise conversation and stayed together at night.
Next morning, the king thanked the shepherd for his kind hospitality. The shepherd looked straight into the traveller’s eyes. He addressed him as ‘Your Majesty’. The king was surprised and pleased at his wisdom. Just then, the king appointed the shepherd the governor of a small district.
The new governor (shepherd) won people’s love. He became famous as a fair and wise governor. The governors of other provinces became jealous of him. They could not tolerate his popularity among the people. They were also jealous of the importance the king gave him. They reported that he kept a part of the tax collected into an iron chest. He carried it (the iron chest) with him all the time.
At first the king ignored these reports. But he could not do so for long One thing was certain. It was that the new governor always carried an iron chest with him. So one day the king called the new governor to the palace.
The new governor came to the king’s court. The iron chest was even then fastened behind him on the camel’s back. Everyone was delighted to see it. They thought there were jewels in the chest. So they hoped that the new governor would be proved to be a thief on the opening of the chest. The king asked the new governor what was there in his iron chest. The new governor got the chest opened. It contained an old blanket. The shepherd called it his only treasure and the oldest friend. He carried the blanket all the time because this alone was his real wealth. Everything else belonged to the king.
It was an example of the shepherd’s humility and wisdom. The king realized his wisdom. He made him the governor of a much bigger district as a reward.
The Shepherd’s Treasure Summary In Hindi
किसी समय, ईरान के एक गाँव में एक निर्धन और अनपढ़ गड़रिया रहता था। वह कभी स्कूल नहीं गया क्योंकि उन दिनों स्कूल बहुत कम होते थे। फिर भी उसमें उच्च स्तर की सहज-बुद्धि थी। उसकी प्रकृति भी मैत्रीपूर्ण तथा सहायक थी। बहुत से लोग उसके पास सलाह लेने के लिए आते थे। वे अपने दु:खों तथा कष्टों से छुटकारा पा लेते थे।
एक दिन राजा गड़रिये से मिलने आया। वह खच्चर पर सवार होकर बुद्धिमान गड़रिया की गुफा में पहुँचा। गड़रिया ने राजा (गड़रिया वेशधारी) का गर्मजोशी से स्वागत किया। वे बुद्धिमत्तापूर्ण वाद-विवाद में व्यस्त रहे और रात एक साथ गुजारी।।
अगली सुबह, राजा ने गड़रिया के दयालुतापूर्ण अतिथि-सत्कार के लिए उसका धन्यवाद किया। गड़रिया ने ध्यानपूर्वक यात्री की नजरों में सीधे देखा। उसने उसे ‘महाराज’ कह कर सम्बोधित किया। राजा उसकी बुद्धिमत्ता पर हैरान और प्रसन्न हुआ। उसी समय, राजा ने गड़रिया को एक छोटे जिले का राज्यपाल नियुक्त कर दिया।
नए राज्यपाल (गड़रिया) ने लोगों का स्नेह जीत लिया। वह एक न्यायशील तथा बुद्धिमान राज्यपाल के रुप में प्रसिद्ध हो गया। दूसरे प्रान्तों के राज्यपाल उससे ईष्र्या करने लगे। वे सामान्य लोगों में उसकी प्रसिद्धि को सहन नहीं कर सके। वे इस बात से भी ईर्ष्या करते थे कि राजा उसे महत्त्व देता था। उन्होंने शिकायत की कि एकत्रित किए हुए कर का कुछ भाग छुपा कर वह लोहे की पेटी में, रख लेता है। वह उसे (लोहे की पेटी को) हर समय अपने साथ रखता था।
पहले तो राजा ने इन शिकायतों को नजरंदाज कर दिया। पर वह ऐसा अधिक समय तक न कर सका। एक बात निश्चित थी। वह यह कि नया राज्यपाल सदा एक लोहे की पेटी अपने साथ रखता था। अत: एक दिन राजा ने नये राज्यपाल को महल में बुलाया।
नया राज्यपाल राजा के दरबार में आया। उस समय भी वह लोहे की पेटी उसके पीछे ऊँट की पीठ के ऊपर बंधी हुई थी। इसे देख कर हर व्यक्ति प्रसन्न हो गया। उनका ख्याल था कि पेटी में जवाहरात थे। अत: उन्हें आशा . थी कि पेटी के खोलने पर नया राज्यपाल चोर सिद्ध हो जाएगा। राजा ने नए राज्यपाल से पूछा कि उसकी लोहे की पेटी में क्या रखा हुआ है। नए राज्यपाल ने पेटी खुलवा दी। उसके अन्दर एक पुराना कम्बल था। गड़रिया ने उसे अपना एक मात्र खजाना तथा प्राचीनतम मित्र कहा। वह कम्बल को सदा अपने साथ रखता था क्योंकि केवल यही उसकी वास्तविक संपत्ति थी। बाकी सब राजा का था।
यह गड़रिये की विनम्रता और समझदारी का उदाहरण था। राजा उसकी बुद्धिमत्ता को जान गया। उसने, उसे और भी अधिक बड़े जिले का राज्यपाल बना दिया।