I Want Something In A Cage Summary In English
Mr. Purcell ran a shop of pets. One day a strange man came there. He bought two doves. But soon after coming out of the shop, he let the doves free. This strange act made Mr. Purcell uneasy. His shop began to appear to him a haunted house.
The shop had all kinds of pets. On the shelves, there were many cages. Mr. Purcell considered himself a professional man.
There was always some noise in the shop. This was created by the sounds of different animals on the shop. There seemed to be everywhere a flicker of life. The life in cages did not trouble Mr. Purcell’s customers. They praised the caged animals and called them cute. Mr. Purcell showed his concern about the well-being of birds and animals in his shop. He dealt in fish food and bird seed and prescribed remedies for ailing canaries. He wore large glasses which magnified his eyes. His looks made the author compare him to a wise owl.
The noise in the shop did not trouble Mr. Purcell. He was as used to it as to the ticking of a clock. The customers who came to buy a pet also did not mind this noise. But a man had bought two doves and let them free. He had found the shop depressing. He asked the owner if all the noise did not upset him.
This man had shiny shoes. His suit was cheap. His dress was ill-fitting but new. He had close cropped hair and unsteady eyes. He didn’t seem very clear as to what he wanted. He had been just released from prison.
So he wanted to buy an animal which could give him a taste of freedom. His eyes fell on a pair of doves. He knew that the doves love to fly high in the air. He did not buy the doves because he loved them. He wanted to have the pleasure of freeing some animals. This urge was so great that for this he spent all his money. This he had earned after working hard as a prisoner for ten years. The amount was five dollars.
After buying the doves, this new customer talked to Mr. Purcell for a little while. Mr. Purcell offered to advise him about the care and feeding of the doves. The man, however, was not interested in that. He said ‘Bah’ with disdain and went out of the shop. It was so because he was not interested in keeping the doves. As soon as he came out, he opened the cage. He let the doves fly high in the sky. Mr. Purcell saw it and felt vaguely insulted.
I Want Something In A Cage Summary In Hindi
मि. पुरसेल पैट (पालतू) पशु पक्षियों की दुकान चलाता था। एक दिन वहाँ एक अजीब व्यक्ति आया। उसने दो फाख्ता खरीदीं। पर दुकान से निकलने के बाद शीघ्र ही उसने उन्हें मुक्त कर दिया। इस अजीब व्यवहार ने मि. पुरसेल को परेशान कर दिया। उसे अपनी दुकान भुतैली लगने लगी।
उस दुकान में सभी तरह के पालतू पशु-पक्षी थे। शेल्फ के ऊपर बहुत से पिंजरे थे। मि. पुरसेल अपने आपको एक प्रोफेशनल व्यक्ति मानते थे।
दुकान में सदा ही कुछ शोर रहता था। यह शोर दुकान में रहने वाले विभिन्न जानवरों से होता था। हर स्थान पर जीवन की थिरकन मालूम होती थी। पिंजरों में बंद जीवन से मि. पुरसेल के ग्राहकों को कोई परेशानी न थी। वे पिंजरे में कैद जानवरों की प्रशंसा करते और उन्हें सुन्दर बताते। मि. पुरसेल अपनी दुकान के जीवों (पक्षियों और पशुओं) के कल्याण के बारे में अपनी चिंता जताते। वह मछली-दाना और पक्षीदाना बेचता और बीमार कैनारियों (पक्षी) के लिए दवाई या इलाज बताता। वह बड़ा सा चश्मा पहनता जिससे उसकी आँखें बड़ी लगतीं। उसकी शकल के कारण लेखक उसकी तुलना एक बुद्धिमान उल्लू से करता है।
दुकान का शोर मि. पुरसेल को परेशान नहीं करता था। वह इसका ऐसा ही आदी था जैसे कि घड़ी की टिक-टिक का। जो लोग कोई पैट खरीदने आते थे, वे भी उस शोर को नजरंदाज करते थे। परंतु एक व्यक्ति ने दो फाख्ता खरीदीं और उन्हें मुक्त कर दिया। उसने दुकान को चित्त-उदास करने वाली पाया। उसने दुकान मालिक से पूछा था कि यह शोर क्या उसे परेशान नहीं करता।
उस व्यक्ति के जूते चमकीले थे। उसको सूट सस्ता था। उसके कपड़े ठीक फिट नहीं थे, पर वे नऐ थे। उसके बाल बहुत छोटे थे और आँखें अस्थिर थीं। उसे क्या चाहिए इसके बारे में वह स्पष्ट नहीं था। वह अभी-अभी जेल से मुक्त होकर आया था।
अत: वह ऐसा जीव खरीदना चाहता था जो उसे स्वतंत्रता का स्वाद दे सके। उसकी आँखें फाख्ता के एक जोड़े पर पड़ीं। उसे पता था कि फाख्ता आसमान में ऊँचा उड़ना चाहते थे। अतः उसने फाख्ता खरीद लीं इसलिए नहीं कि उसे उन पक्षियों से प्यार था। वह कुछ जीवों की मुक्ति का आनंद लेना चाहता था। यह इच्छा इतनी उग्र थी कि इसके लिए उसने अपना सारा धन दे दिया। इसे उसने जेल में रहकर दस वर्ष तक कठिन मेहनत करके अर्जित किया था। यह राशि पाँच डालर थी।
फाख्ता खरीदने के बाद, इस नए ग्राहक ने कुछ देर मि. पुरसेल से बातें कीं। मि. पुरसेल ने उसे फाख्ता के रख-रखाव और भोजन के बारे में बताना चाहा। परंतु उस व्यक्ति को उसमें कोई रुचि न थी। उसने घृणा के साथ कहा, ‘बाह’ और दुकान के बाहर निकल गया। यह इसलिए क्योंकि उसकी रुचि फाख्ता को अपने पास रखने की नहीं थी। जैसे ही वह बाहर निकला, उसने पिंजरा खोल दिया। उसने फाख्ता को मुक्त आकाश में ऊँचा उड़ा दिया। मि. पुरसेल ने यह देखा और उसे लगा कि जैसे उसका घोर अपमान कर दिया गया हो।’