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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 7 with Solutions
समय: 3 घंटे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य और आवश्यक निर्देश:
- इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’ कुल प्रश्न 13 हैं।
- ‘खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर: देते हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर: दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर: देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर: क्रमशः लिखिए।
खण्ड – ‘अ’
वस्तुपरक प्रश्न (40 अंक)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (1 × 10 = 10)
बड़ी चीजें संकटों में विकास पाती हैं, बड़ी हस्तियाँ बड़ी मुसीबतों में पलकर दुनिया पर कब्जा करती हैं। अकबर ने तेरह साल की उम्र में अपने पिता के दुश्मन को परास्त कर दिया था, जिसका एकमात्र कारण यह था कि अकबर का जन्म रेगिस्तान में हुआ था और वह भी उस समय, जब उसके पिता के पास एक कस्तूरी को छोड़कर और कोई दौलत नहीं थी। महाभारत में देश के प्रायः अधिकांश वीर कौरवों के पक्ष में थे, मगर फिर भी जीत पांडवों की हुई, क्योंकि उन्होंने लाक्षागृह की मुसीबत झेली थी, क्योंकि उन्होंने वनवास के जोखिम को पार किया था। विंस्टन चर्चिल ने कहा है कि जिंदगी की सबसे बड़ी सिफ़त हिम्मत है।
आदमी के और सारे गुण उसके हिम्मती होने से पैदा होते हैं। जिंदगी की दो ही सूरतें हैं। एक तो आदमी बड़े-से-बड़े मकसद के लिए कोशिश करे, जगमगाती हुई जीत पर पंजा डालने के लिए हाथ बढ़ाए और अगर असफलताएँ कदम-कदम पर जोश की रोशनी के साथ अँधियाली या जाल बुन रही हों, तब भी वह पीछे को पाँव न हटाए-दूसरी सूरत यह हैं कि उन गरीब आत्माओं का हमजोली बन जाए, जो न तो बहुत अधिक सुख पाती हैं और न जिन्हें बहुत अधिक दुख पाने का ही संयोग है, क्योंकि वे आत्माएँ ऐसी गोधूलि में बसती हैं, जहाँ न तो जीत हँसती है और न कभी हार के रोने की आवाज सुनाई देती है।
इस गोधूलि वाली दुनिया के लोग बँधे हुए घाट का पानी पीते हैं वे जिंदगी के साथ जुआ नहीं खेल सकते। और कौन कहता है कि पूरी जिंदगी को दाँव पर लगा देने में कोई आनंद नहीं है? अगर रास्ता आगे ही निकल रहा हो, तो फिर असली मजा तो पाँव बढ़ाते जाने में ही है। साहस की जिंदगी सबसे बड़ी जिंदगी होती है। ऐसी जिंदगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिलकुल निडर, बिलकुल बेखौफ होती हैं। साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं।
जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्यता को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है। अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना, यह साधारण जीव का काम है। क्रांति करने वाले लोग अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर मद्धिम बनाते हैं।
(क) गद्यांश में अकबर के उदाहरण के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहते हैं?
(i) मुसीबतों में पलकर ही मनुष्य बड़ा बनता है।
(ii) जोखिम को पार करने वाला पीछे रह जाता है।
(iii) पूरी जिंदगी को दाँव पर लगा देने का कोई अर्थ नहीं है।
(iv) जिंदगी की सबसे बड़ी सिफ़त केवल निर्बलता है।
उत्तर:
(i) मुसीबतों में पलकर ही मनुष्य बड़ा बनता है।
(ख) पांडवों की विजय का क्या कारण था?
(i) उनका वन में जाना।
(ii) उनका वनवास के जोखिम को पार करना।
(iii) उनका मुसीबत न झेलना।
(iv) उनका द्यूत में हारना।
उत्तर:
(ii) उनका वनवास के जोखिम को पार करना।
(ग) साहस की जिंदगी को सबसे बड़ी जिंदगी क्यों कहा गया है?
(i) क्योंकि वह मुसीबतों से भरी हुई होती है।
(ii) क्योंकि वह जोखिम से भरी हुई होती है।
(iii) क्योंकि वह निडर और बेखौफ होती है।
(iv) क्योंकि वह साहस से भरी हुई होती है।
उत्तर:
(iii) क्योंकि वह निडर और बेखौफ होती है।
(घ) मनुष्यता को प्रकाश कौन देता है?
(i) जनमत की उपेक्षा करके जीने वाले
(ii) जनमत की उपेक्षा न करके जीने वाले
(iii) पुराने रास्ते पर चलने वाले
(iv) राह में रुकने वाले
उत्तर:
(i) जनमत की उपेक्षा करके जीने वाले
(ङ) इनमें से क्रांतिकारियों का लक्षण है-
(i) अड़ोस – पड़ोस के अनुसार कार्य करने वाला
(ii) दूसरों से अपनी तुलना करने वाला
(iii) तमाशे की परवाह करने वाला
(iv) दूसरों से अपनी तुलना न करने वाला
उत्तर:
(iv) दूसरों से अपनी तुलना न करने वाला
(च) अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना किसका काम है?
(i) साधारण मनुष्य का
(ii) क्रांतिकारी मनुष्य का
(iii) निर्बल मनुष्य का
(iv) दुर्बल मनुष्य का
उत्तर:
(i) साधारण मनुष्य का
(छ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) यदि मनुष्य हिम्मती होता है तो वह गुणों का अर्जन करने में सफल होता है।
(II) पांडवों ने वनवास के जोखिम को पार कर जीत हासिल की।
(III) निराश व्यक्ति में हिम्मत का अभाव होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा / कौन-से सही हैं?
(i) केवल I
(ii) केवल III
(iii) I और II
(iv) II और III
उत्तर:
(iii) I और II
(ज) महाभारत के अधिकांश वीर किसके पक्ष में थे?
(i) पांडवों के
(ii) कौरवों के
(iii) अकबर के
(iv) चर्चिल के
उत्तर:
(ii) कौरवों के
(झ) ‘गोधूलि ‘ शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग है-
(i) गो
(iii) गोधू
(ii) धूलि
(iv) लि
उत्तर:
(i) गो
(ञ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) : साहस की जिंदगी निडर और बेखौफ होती है।
कारण (R) : साहसी मनुष्य जनमत की उपेक्षा कर जीता है। इस प्रकार का मनुष्य ही दुनिया की असली ताकत होता है।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चयन द्वारा दीजिए- (1 × 5 = 5)
दिवसावसान का समय
मेघमय आसमान से उतर रही है
वह संध्या-सुंदरी परी-सी
तिमिरांचल में चंचलता का नहीं कहीं आभास
मधुर-मधुर हैं दोनों उसके अधर, किन्तु गंभीर – नहीं है
उनमें हास-विलास।
हँसता है तो केवल तारा एक
गुँथा हुआ उन घुँघराले काले बालों से,
हृदय-राज्य की रानी का वह करता है अभिषेक।
अलसता की-सी लता
किन्तु कोमलता की वह कली,
सखी नीरवता के कंधे पर डाले बाँह,
छांह – सी अंबर- पथ से चली।
(क) कवि ने पद्यांश में किसका मानवीकरण किया है और उसे किसके समान बताया है?
(i) संध्या का, परी के
(ii) परी का, संध्या के
(iii) कोमलता का, नीरवता के
(iv) अलसता का, अम्बर के
उत्तर:
(i) संध्या का, परी के
(ख) संध्या के समय वातावरण में किसका आभास नहीं है?
(i) अलसता का
(ii) नीरवता का
(iii) चंचलता का
(iv) निस्तब्धता का
उत्तर:
(iii) चंचलता का
(ग) दूर टिमटिमाता हुआ तारा किसका अभिषेक कर रहा है?
(i) गगन का
(ii) क्षितिज का
(iii) संध्या का
(iv) स्वयं का
उत्तर:
(iii) संध्या का
(घ) नीरवता को किसकी सखी बताया गया है?
(i) संध्या की
(ii) सुन्दरी की
(iv) तारे की
(iii) परी की
उत्तर:
(i) संध्या की
(ङ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) बादलों से भरे हुए आकाश से संध्या सुंदर स्त्री के समान उतरती हुई सी प्रतीत हो रही है।
(II) – संध्या के समय वातावरण में नीरवता छाई हुई है।
(III) आकाश में तारें टिमटिमा रहे हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा / कौन-से सही हैं?
(i) केवल I
(ii) केवल III
(iii) I और II
(iv) II और III
उत्तर:
(iii) I और II
अथवा
थका-हारा सोचता मन-सोचता मन।
उलझती ही जा रही है एक उलझन।
अँधेरे में अँधरे से कब तलक लड़ते रहें
सामने जो दिख रहा है, वह सच्चाई भी कहें।
भीड़ अंधों की खड़ी खुश रेवड़ी खाती
अँधेरे के इशारों पर नाचती गाती।
थरा हारा सोचता मन-सोचता मन।
भूखी प्यासी कानाफूसी दे उठी दस्तक
अंधा बन जा झुका दे तम-द्वार पर मस्तक।
रेवड़ी की बाँट में तू रेवड़ी बन जा
तिमिर के दरबार में दरबान – सा तन जा।
थका हारा, उठा गर्दन-जूझता मन।
दूर उलझन ! दूर उलझन ! दूर उलझन !
चल खड़ा हो पैर में यदि लग गई ठोकर
खड़ा हो संघर्ष में फिर रोशनी होकर
मृत्यु भी वरदान है संघर्ष में प्यारे
सत्य के संघर्ष में क्यों रोशनी हारे।
देखते ही देखते तम तोड़ता है दम
और सूरज की तरह हम ठोंकते हैं खम।
(क) थके-हारे मन की उलझन क्या है?
(i) निराशापूर्ण वातावरण को मजबूती से झेलने की
(ii) भ्रष्टाचार के अँधेरे के सामने घुटने टेककर संसार का सुख प्राप्त करने की
(iii) उलझन को झेलने की
(iv) विकल्प (i) और (ii) सही हैं।
उत्तर:
(iv) विकल्प (i) और (ii) सही हैं।
(ख) अंधेरों में अंधों की भीड़ क्यों खुश थी?
(i) क्योंकि उन्हें खाने के लिए रेवड़ी मिल रही थी।
(ii) क्योंकि उनका स्वार्थ पूरा हो रहा था।
(iii) क्योंकि वे नाच-गा रहे थे।
(iv) क्योंकि वे कानाफूसी कर रहे थे।
उत्तर:
(ii) क्योंकि उनका स्वार्थ पूरा हो रहा था।
(ग) भूख-प्यास की विवशता को क्या परामर्श था?
(i) सर झुकाने के स्थान पर संघर्ष करने का।
(ii) घुटने न टेकने का।
(iii) संघर्ष के स्थान पर सर झुकाने का।
(iv) संघर्ष करने का।
उत्तर:
(iii) संघर्ष के स्थान पर सर झुकाने का।
(घ) संघर्ष में विजय किसे मिलती है?
(i) थके-हारे को।
(ii) स्वार्थी व्यक्ति को।
(iii) रेवड़ी खाने वाले को।
(iv) दृढ़ मन वाले को।
उत्तर:
(iv) दृढ़ मन वाले को।
(ङ) काव्यांश में किसे वरदान कहा गया है?
(i) मृत्यु को
(ii) जीवन को
(iii) जन्म को
(iv) संघर्ष को
उत्तर:
(i) मृत्यु को
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के लिए उचित विकल्प चुनिए- (1 x 5 = 5)
(क) समाचारों को छपने योग्य बनाने वाले विभाग को कहते हैं-
(i) लेखन
(ii) सूचना
(iii) मुद्रण
(iv) सम्पादकीय विभाग
उत्तर:
(iv) सम्पादकीय विभाग
(ख) संचार प्रक्रिया में किसी प्रकार की बाधा कहलाती है-
(i) बाधा
(ii) स्वर
(iii) शोर
(iv) रूकावट
उत्तर:
(iv) रूकावट
(ग) भारत में ‘ ब्लिट्ज’ अखबार इस श्रेणी का अखबार
(i) मौखिक
(ii) पेज थ्री
(iii) पेज टू
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ii) पेज थ्री
(घ) कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान कीजिए।
कॉलम ‘क’ | कोलम ‘ख’ |
(a) डेड लाइन | (I) समाचार पत्र की आवाज |
(b) संपादक | (II) समाचार प्रकाशित करने की अंतिम सीमा |
(c) संपादकीय | (III) विशेष लेखन |
(d) सहज, सरल भाषा | (IV) समाचार पत्र का संपादन करने वाला |
(i) (a)-(IV), (b)-(III), (c)-(I), (d)-(II)
(ii) (a)-(II), (b)-(IV), (c)-(I), (d)-(III)
(iii) (a)-(II), (b)-(I), (c)-(IV), (d)-(III)
(iv) (a)-(I), (b)-(II), (c)-(III), (d)-(IV)
उत्तर:
(ii) (a)-(II), (b)-(IV), (c)-(I), (d)-(III)
(ङ) किसी समाचार या घटना का सीधे घटनास्थल से ही प्रसारण किया जाना ……………… कहलाता है।
(i) लाइव
(ii) अलाइव
(iii) ओपन
(iv) बंद
उत्तर:
(i) लाइव
प्रश्न 4.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- (1 x 5 = 5)
सबसे तेज बौछारें गयीं। भादो गया
सवेरा हुआ
अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए
घंटी बजाते हुए जोर-जोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए
पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को
चमकीले इशारों से बुलाते हुए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए
खरगोश की आँखों जैसा लाला सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
कि पतंग ऊपर उठ सके-
दुनिया की सबसे हल्की और रंगीन चीज उड़ सके-
दुनिया का सबसे पतला कागज उड़ सके-
बाँस की सबसे पतली कमानी उड़ सके
कि शुरू हो सके सीटियों, किलकारियों और
तितलियों की इतनी नाजुक दुनिया।
(क) काव्यांश के अनुसार किस ऋतु का आगमन हुआ है?
(i) शरद ऋतु
(ii) वर्षा ऋतु
(iii) ग्रीष्म ऋतु
(iv) वसंत ऋतु
उत्तर:
(i) शरद ऋतु
(ख) खरगोश की आँखों जैसी लालिमा कहाँ है?
(i) चाँद में
(ii) तारों में
(iii) आकाश में
(iv) सूरज में
उत्तर:
(iv) सूरज में
(ग) शरद अपने चमकीले इशारों से किसे पास बुला रहा है?
(i) पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को
(ii) आकाश में उड़ने वाले पंछियों को
(iii) वन में घूमने वाले पशुओं को
(iv) धरा पर चलने वाले मानवों को
उत्तर:
(i) पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को
(घ) शरद के आगमन पर वातावरण कैसा हो गया है?
(i) उत्साह व उमंग से भरा हुआ
(ii) उत्साह और निराशा से भरा हुआ
(iii) उमंग और निराशा से भरा हुआ
(iv) दुःख और करुणा से भरा हुआ
उत्तर:
(i) उत्साह व उमंग से भरा हुआ
(ङ) बच्चों को किसके समान कोमल बताया गया है?
(i) फूलों के
(ii) तितलियों के
(iii) फलों के
(iv) वृक्षों के
उत्तर:
(ii) तितलियों के
प्रश्न 5.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए – (1 x 5 = 5)
रात्री की विभीषिका को सिर्फ पहलवान की ढोलक ही ललकारकर चुनौती देती रहती थीं। पहलवान संध्या से सुबह तक, चाहे जिस ख्याल से ढोलक बजाता हो, किन्तु गाँव के अर्धमृत, औषधि – उपचार – पथ्य – विहीन प्राणियों में वह संजीवनी शक्ति ही भरती थी। बूढ़े – बच्चों-जवानों की शक्तिहीन आँखों के आगे दंगल का दृश्य नाचने लगता था।
स्पंदन – शक्ति – शून्य स्नायुओं में भी बिजली दौड़ जाती थी। अवश्य ही ढोलक की आवाज में न तो बुखार हटाने का कोई गुण था और न महामारी की सर्वनाश शक्ति को रोकने की शक्ति ही, पर इसमें संदेह नहीं कि मरते हुए प्राणियों को आँख मूंदते समय कोई तकलीफ नहीं होती थी, मृत्यु से वे डरते नहीं थे।
(क) पहलवान की ढोलक किसे चुनौती दे रही थी?
(i) रात्रि की विभीषिका को
(ii) रात्रि की चंचलता को
(iii) रात्रि की चाँदनी को
(iv) रात्रि की सघनता को
उत्तर:
(i) रात्रि की विभीषिका को
(ख) पहलवान की ढोलक लोगों में क्या भरती थी?
(i) शक्ति
(ii) संजीवनी शक्ति
(iii) मारक शक्ति
(iv) प्राण शक्ति
उत्तर:
(ii) संजीवनी शक्ति
(ग) ढोलक की थाप में क्या शक्ति थी?
(i) जीवन शक्ति
(ii) मारक शक्ति
(iii) मृत्यु से न डरने की शक्ति
(iv) मृत्यु से डरने की शक्ति
उत्तर:
(iii) मृत्यु से न डरने की शक्ति
(घ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) : अनेक वाद्य यंत्रों की ध्वनि में इतनी शक्ति होती है कि उसे सुनकर शक्तिहीन मनुष्य भी शक्ति का अनुभव करने लगता है।
कारण (R) : ढोलक की ध्वनि मृत्यु के भय को समाप्त कर देती थी।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ङ) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) लुट्टन पहलवान की ढोलक रात की भयावहता . को समाप्त कर देती थी।
(II) भले ही ढोलक महामारी को रोकने में सक्षम नहीं थी। पर लोगों में उत्साह का संचार करती थी।
(III) ढोलक की थाप सुनकर मृत व्यक्ति भी जीवित हो जाता था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन – सा / कौन-से सही हैं?
(i) केवल I
(ii) केवल III
(iii) I और II
(iv) II और III
उत्तर:
(iii) I और II
प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)
(क) गाँव में सबसे पहले किसका कोल्हू शुरू होता था?
(i) दत्ता जी राव का
(ii) लेखक के बाबा का
(iii) लेखक का
(iv) मंत्री का
उत्तर:
(ii) लेखक के बाबा का
(ख) मास्टर लेखक को क्या कहकर पुकारते थे?
(i) वसंत
(ii) पाटिल
(iii) आनंदा
(iv) मंत्री
उत्तर:
(iii) आनंदा
(ग) सिल्वर वेडिंग का आयोजन क्यों हुआ था?
(i) यशोधर बाबू की शादी के पचास साल पूरे होने के उपलक्ष्य में।
(ii) यशोधर बाबू की शादी के पच्चीस साल पूरे होने के उपलक्ष्य में।
(iii) यशोधर बाबू की शादी के तीस साल पूरे होने के उपलक्ष्य में।
(iv) यशोधर बाबू की शादी के पिचहत्तर साल पूरे होने के उपलक्ष्य में।
उत्तर:
(ii) यशोधर बाबू की शादी के पच्चीस साल पूरे होने के उपलक्ष्य में।
(घ) यशोधर बाबू का दफ्तर कितने बजे छूटता था?
(i) सात बजे
(ii) आठ बजे
(iii) चार बजे
(iv) पाँच बजे
उत्तर:
(iv) पाँच बजे
(ङ) ‘अतीत में दबे पाँव’ किस प्रकार की रचना है?
(i) निबंध और यात्रा वृतांत का मिलाजुला रूप
(ii) यात्रा वृतांत और रिपोर्ट का मिलाजुला रूप
(iii) निबन्ध और रिपोर्ट का मिलाजुला रूप
(iv) यात्रा वृतांत और निबन्ध का मिलाजुला रूप
उत्तर:
(ii) यात्रा वृतांत और रिपोर्ट का मिलाजुला रूप
(च) मोहनजोदड़ो में पीने के पानी के लगभग कितने कुएँ मिले हैं?
(i) 500 कुएँ
(ii) 700 कुएँ
(iii) 1700 कुएँ
(iv) 800 कुएँ
उत्तर:
(ii) 700 कुएँ
(छ) हड़प्पा के अधिकतर साक्ष्य क्यों मिट गए?
(i) ध्यान न देने के कारण
(ii) रेल लाइन बिछाने के कारण
(iii) नया शहर बसाने के कारण
(iv) नदियों का पानी आने के कारण
उत्तर:
(ii) रेल लाइन बिछाने के कारण
(ज) खाना खाते-खाते दादा ने मुझसे वचन ले लिया – दादा ने किससे वचन लिया?
(i) वसंत पाटिल से
(ii) आनंदा से
(iii) चव्हाण से
(iv) रणनवरे से
उत्तर:
(ii) आनंदा से
(झ) आनंदा के कक्षाध्यापक कौन थे?
(i) मंत्री
(iii) यशवंत
(ii) सौन्दलगेकर
(iv) केशव कुमार
उत्तर:
(i) मंत्री
(ञ) किसकी दोस्ती के कारण लेखक का पाठशाला में विश्वास बढ़ने लगा?
(i) आनंदा की
(ii) वसंत की
(iii) मंत्री की
(iv) दादा की
उत्तर:
(ii) वसंत की
खंड ‘ब’
वर्णनात्मक प्रश्न (40 अंक)
प्रश्न 7.
दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए। (6)
(क) चोरों से मुठभेड़
(ख) मैं और मेरी नानी
(ग) सैर के दौरान एक अप्रत्याशित घटना
(घ) ‘बच्चों में बढाएं आत्मविश्वास’ विषय पर फीचर लिखिए।
उत्तर:
(क) चोरों से मुठभेड़ मेरा एक मित्र बडा निडर और बहादुर व्यक्ति है। उसके पास बन्दूक का लाइसेन्स है। सोते समय वह अपनी बन्दूक हमेशा अपने पास रखता है। एक दिन रात के समय मैं उसके साथ उसके घर की छत पर सो रहा था। एकाएक उठते हुए शोर और चीख-पुकार सुनकर हमारी आँख खुल गई। खाट पर बैठकर हमने स्थिति को समझने का प्रयास किया। अचानक देखा कि आवाजें पड़ोस के मकान के भीतर से आ रही थीं। हमें ‘चोर-चोर’ की आवाजें सुनाई दीं। साथ ही औरतों और बच्चों की चीख-पुकार और सिसकियाँ भी सुनाई दे रही थीं।
हमने सोचने में समय व्यर्थ नहीं किया और बिस्तर से एकदम उठकर हाथों में लठ्ठ लेकर पड़ोसियों की सहायता के लिए निकल पड़े। जब हम अपने मकान से सड़क पर आए, तो पाया कि सड़क पर कोई व्यक्ति नही था। हमें देखकर बड़ा दुःख हुआ कि अन्य सभी पड़ोसी अपनी-अपनी छतों पर खडे तमाशा देख रहे थे। वे डरे हुए और बेबस से लग रहे थे। नीचे उतरने की हिम्मत किसी में नहीं थी। दो चोर मकान के अंदर घुसे हुए थे उन्होंने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया था। बाहर से जो चीख-पुकार सुनाई दे रही थी, उससे स्पष्ट था कि भीतर चोरों और मकान के लोगों, के बीच संघर्ष चल रहा है।
दरवाजे को बन्द देख हम दोनों एक अन्य मकान की छत पर चढ़कर उस मकान की छत पर कूद गए और ललकारते हुए एकदम चोरों वाले कमरे में पहुँच गए। हमें आया हुआ देखकर चोरों ने भागने का प्रयास किया पर हमने जोर से लठ्ठ उनकी ओर उछाल दिया। लठ्ठ की मार से एक चोर तो वहीं बेहोश होकर गिर पड़ा और दूसरा भागने का प्रयास करने लगा पर फिर सब लोगों ने मिलकर उसे पकड़ लिया। इस समय तक कुछ लोगों ने पुलिस को खबर कर दी थी। पुलिस बल घटना स्थल पर पहुँच गया और उस चोर को पुलिस के हवाले कर दिया गया।
(ख) मैं और मेरी नानी नानी वो शब्द है जिसे सुनने मात्र से ही हमारी आँखों में चमक आ जाती है। नानी, जिसे हर चीज का अनुभव होता है क्यूंकि वो हमारी माँ की माँ होती है। माँ सबके लिए खास होती है तो माँ की माँ यानि नानी तो सबकी प्रिय होती है। नानी का रिश्ता किसी के लिए भी जीवन में बहुत खास होता है। बचपन में हमेशा नानी के घर जाने की जिद किया करते थे। और जब छुट्टियाँ होतीं तो नानी के घर और उनसे मिलने का सोच कर ही बहुत खुश हो जाते।
मेरी नानी मुझे उतना ही प्यार करती थीं। उनकी लिखी हुई हर चिट्ठी मेरे लिए खास होती थी और आज भी जब मैं उनकी लिखी हुई चिट्ठी का एक-एक लफ्ज पढ़ती हूँ तो लगता है कि जैसे कल की ही बात है। जब भी नानी के घर जाते मेरे लिए बहुत सारी मेरी मनपसन्द चीजें पहले से ही लाकर रखती। जिस चीज की मुझे जरूरत होती हमेशा मुझे लेकर देर्ती। सब कुछ जान लेती थीं। उनकी जितनी तारीफ करूँ उतनी कम है।
जब छुट्टियाँ खत्म होने पर वापिस घर जाना हो तब आँखें नम हो जाती। हमारी प्यारी नानी अब तो इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन जहाँ कहीं भी है। मैं यह प्रार्थना करती हूं कि वह हमेशा खुश रहें और मैं जानती हूं कि उनका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ हैं और नानी को हम बहुत याद करते हैं क्योंकि इस दुनिया में बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो दिल के सच्चे और अच्छे होते हैं जो खुद से ज्यादा दूसरों से प्यार करते हैं और उनमें से एक थीं मेरी प्यारी नानी।
(ग) सैर के दौरान एक अप्रत्याशित घटना:
पिछले वर्ष अगस्त का महीना था। सुबह से ही बादल छाए हुए थे। सुंदर शीतल पवन बह रही थी ऐसे सुहावने मौसम में मेरा सैर करने का मन हो आया। मैं अपने मित्रों के घर गया और उनसे अपना इरादा बताया। वे भी सहर्ष सैर को तैयार हो गए। हम लोगों ने वृन्दावन की सैर का निर्णय किया। वृन्दावन हमारे गाँव से लगभग आठ किलोमीटर दूर है। इस सुंदर मौसम में हम लोगों ने पैदल जाने का इरादा किया। हम लोग आपस में हँसी-मजाक करते हुए वृन्दावन की ओर चल पड़े। मार्ग के दोनों ओर हरे-भरे खेत लहरा रहे थे।
किसान खेतों से खर-पतवार निकालने में व्यक्त थे। कुछ दूरी पर हमें गायों का झुण्ड घास चरते दीख पड़ा। चरवाहा पेड़ की छाया में वंशी पर मधुर धुन बजा रहा था। आसमान अभी तक बादलों से ढका हुआ था। इतनी ही देर में हवा एकदम थम गई। वातावरण एकदम शांत हो गया। हम सभी चौंक पड़े, क्योंकि अब ऐसा लग रहा था कि भीषण वर्षा होगी। थोड़ी ही देर में पानी की बड़ी-बड़ी बूँदें गिरने लगीं और देखते-ही-देखते घनघोर वर्षा होने लगी। बिजली बड़े जोर से कड़क कर समूचे आसमान का फेरा लगाकर गायब हो जाती।
हम एकदम सराबोर हो गए। रास्ते में पानी बहने लगा। हमारा आगे बढ़ना अब संभव नहीं दीखता था। अब हवा भी कुछ-कुछ चलने लगी और हमें सर्दी महसूस होने लगी। पेड़ के नीचे हम रुक गए। अब पानी थमने लगा था। बादल हटने शुरू हो गए और धीरे-धीरे धूप निकलने लगी। सड़क का पानी भी बह गया। हम लोग वृन्दावन से केवल दो किलोमीटर दूर थे। वहाँ हमने केवल बांके बिहारीजी के प्रसिद्ध मंदिर में भगवान् के दर्शन किए और अपने सकुशल लौट आने के लिए उन्हें लाख-लाख धन्यवाद दिया। बाहर निकलकर हमने एक तांगा किया और घर लौट पड़े।
(घ) ‘बच्चों में बढाएं आत्मविश्वास’:
हम सब यह जानते हैं कि सफल होने के लिए आत्मविश्वास अत्यंत जरुरी है। यदि यही आत्मविश्वास बच्चों में हो तो वे हर मुश्किल का सामना कर सकते हैं। आजकल के बच्चों में आत्मविश्वास का अभाव है। इसका प्रमुख कारण हैं बच्चों का आत्मनिर्भर न होना। बच्चे अपने काम के लिए या तो अपने माता-पिता पर निर्भर रहते है या इन्टरनेट पर। इस तरह के बच्चे समस्या का सामना नहीं कर पाते। बड़े होने पर भी अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए माता-पिता को चाहिए कि वे उन्हें छोटे-छोटे फैसले खुद करने दें पर साथ-साथ ही उन पर नजर भी रखें कि वे सही रास्ते का ही चयन करें। उनके द्वारा गलती करने पर उन्हें सही राह दिखाएं। बच्चों का मन उस कच्चे घड़े के समान होता है जिसे जो भी आकार दिया जाए, वह वही स्वरूप ग्रहण कर लेता है। अतः आत्मविश्वास की भावना का बीजारोपण उनके मन-मस्तिष्क में बचपन से ही कर देना चाहिए। इस प्रकार के बच्चों का बौद्धिक और शारीरिक विकास भी उत्तम होता है।
प्रश्न 8.
निम्नलिखत तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 x 2 = 6)
(क) कहानी और नाटक के मध्य अंतर को स्पष्ट कीजिए।
(ख) अप्रत्याशित लेखन में किन बातों का ध्यान रखा जाता है?
(ग) रेडियो नाटक की क्या विशेषताएँ होती हैं?
उत्तर:
(क) कहानी और नाटक दोनों ही गद्य की विधाएँ हैं पर फिर भी समानता होते हुए भी इन दोनों में कुछ अंतर हैं जो निम्नलिखित हैं-
- कहानी एक ऐसी गद्य विधा है जो जीवन के किसी अंक विशेष का मनोरंजक चित्रण करती है जबकि नाटक ऐसी गद्य विधा है जो मंच पर अभिनीत की जाती है।
- कहानी का सीधा संबंध लेखक और पाठकों से होता है जबकि नाटक का सीधा संबंध लेखक, निर्देशक, दर्शक और श्रोता से होता है।
- कहानी कही या पढ़ी जाती है जबकि नाटक मंच पर अभिनीत किया जाता है इसलिए ये दर्शनीय होता है।
- कहानी का विभाजन आरंभ, मध्य और अंत के आधार पर होता है जबकि नाटक दृश्यों में विभाजित होता है।
- कहानी में मंच सज्जा, प्रकाश आदि का कोई महत्व नहीं होता जबकि नाटक मंच पर होता है इसलिए इसके लिए मंच सज्जा, प्रकाश आदि का अत्यंत महत्व होता है।
(ख) अप्रत्याशित लेखन ऐसा लेखन होता है जिसके लिए कुछ भी पूर्व निर्धारित नहीं किया जा सकता। अतः इस प्रकार के लेखन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए-
- जिस विषय पर लिखना है उस विषय का लेखक को संपूर्ण ज्ञान होना चाहिए।
- विषय पर लिखने से पहले लेखक को उसकी रूपरेखा तैयार करनी चाहिए।
- जिन तथ्यों को लेखन में शामिल किया जाना है उन तथ्यों का विषय से उचित तालमेल होना चाहिए।
- विचार परस्पर संबंधित और एक दूसरे से जुड़े हुए होने चाहिए।
- अप्रत्याशित लेखन में ‘मैं’ शैली का होना आवश्यक है।
- इस प्रकार के लेखन में लेखक को विषय से हटकर अपने ज्ञान का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से लेखन उबाऊ हो जाता है।
- लेखन के अंत में विषय का पूरा सार होना चाहिए।
(ग) रेडियो नाटकं वे होते हैं जो रेडियो से प्रसारित किये जाते हैं इसलिए इनमें ध्वनि का प्रभाव और संवाद का विशेष महत्व होता है। रेडियो नाटक की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- रेडियो में संवाद का महत्वपूर्ण स्थान होता है इसलिए पात्रों से संबंधित सभी जानकरियां संवादों के माध्यम से मिलती हैं।
- पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ भी संवादों के माध्यम से मिलती हैं।
- नाटक के कथानक को भी संवाद ही प्रस्तुत करते हैं।
- कथा को ध्वनि प्रभावों और संवादों के माध्यम से ही श्रोताओं को सुनाया जाता है।
- संवादों के माध्यम से ही श्रोताओं को संदेश दिया जाता है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए – (4 × 2 = 8)
(क) ‘गुमसुम होती हारमोनियम की धुन’ पर फीचर लिखिए।
(ख) ‘विलुप्त होती गौरैया’ पर फीचर लिखिए।
(ग) कक्षा दसवीं की परीक्षा स्थगित’ विषय का समाचार लिखिए।
उत्तर:
(क) आज समय इतना बदल गया है कि हमें टेबल, हारमोनियम, ढोलक आदि की थाप अब सुनाई ही नहीं देती। एक समय वो था जब टेबल की थाप को सुनकर अनायास ही ‘वाह ताज’ और ढोलक की आवाज पर भजन संध्या और शादी ब्याह के गीत सुनाई देने लगते थे। वीणा के तार, हारमोनियम की मधुर स्वर लहरी आज कही सुनाई ही नहीं देती। लोकगीत, भजन, बॉलीवुड फिल्मों के गानों का हिस्सा होने के बाद भी आज हारमोनियम एक स्वप्न बनकर रह गया है।
पहली सवाक फिल्म में गीत का आधार हारमोनियम ही था। इस फिल्म के गाने ने अपनी ऐसी अमिट छाप छोड़ी कि और फिल्मों में भी हारमोनियम को शामिल किया जाने लगा। फिल्म पड़ोसन, अपनापन आदि इसके अन्य उदाहरण रहे हैं। एक समय वह भी आया जब ढोलक की संगति के लिए हारमोनियम जरुरी बन गया था। इस प्रकार सभी प्रकार के उत्सवों और सामाजिक-धार्मिक आयोजनों में यह एक जरुरी साज बन गया था। अनेक फिल्मों के बैकग्राउंड संगीत के लिए हारमोनियम का प्रयोग किया जाने लगा।
हारमोनियम ने सिनेमा की दुनिया में अनेक फिल्मों के प्रभाव को उच्च शिखर पर पहुँचाया। अब नए नए और आधुनिक संगीत के उपकरणों की भीड़ में डूबता हुआ हारमोनियम जैसा सधा हुआ उपकरण मानों कहीं खो सा गया है। आज जरुरत है उसे भीड़ से बाहर निकालकर उसके अस्तित्व को बचाने की।
(ख) एक समय था जब भोर होने से पहले ही चिड़ियों के चहचहाने से ही हमारी नींद खुलती थी और सवेरा होते ही कई प्रकार की चिड़ियाँ आँगन में मधुर ध्वनि में झंकार करने लगती थीं। इनमें से ही एक प्रमुख पक्षी है छोटी सी चोंच और भूरे पंखों वाली गौरैया। आज इन्सान के सबसे अधिक करीब रहने वाली ये चिड़िया हमारे बीच से कहीं गायब हो गई है। कभी नीम के पेड़ पर फुदकते हुए, कभी दालान में बिछे हुए गेहूँ को अपने मुँह में ले जाते हुए, जमीन पर बिखरे हुए चावल के दाने को अपनी चोंच से ले जाते हुए ये चिड़िया अक्सर ही नजर आ जाती थी।
कभी दीवार पर लगे हुए आइने में अपनी शक्ल पर चोंच मारती तो कभी आँगन में बिछायी हुई खाट के चारों ओर झुंड बनाकर घूमना, सब आज गायब होता जा रहा है। अज उसी गौरैया की आमद कम हो गई है । इसने मानव का हर जगह साथ निभाया है। वह जहाँ-जहाँ भी गया गौरैया उसके साथ रही पर आज विज्ञान के विकास ने पर्यावरण के सामने इतनी विषम परिस्थिति ला दी हैं जिसके दुष्प्रभाव से पशु- – पक्षी के साथ-साथ मानव भी अछूता नहीं है। अधिक तापमान को यह छोटी-सी चिड़िया सहन नहीं कर पाती । आबादी के बढ़ने के कारण आज वन संपदा नष्ट हो रही है और साथ ही लुप्त हो रही है मानव की सहचरी गौरैया । यदि हम इस ओर ध्यान न देंगे तो यह भी गिद्धों के समान केवल इतिहास के पन्नों या गूगल पर ही नजर आएगी।
(ग) नई दिल्ली 2 मार्च 20XX
कल रात सी.बी.एस.ई. के वरिष्ठ सचिव ने संवाददाताओं को जानकारी दी कि आगामी आदेश तक दसवीं बोर्ड की सभी विषयों की परीक्षाएँ स्थगित की जाती हैं। ऐसा करने के पीछे मुख्य कारण कोरोना वायरस है । इस बीमारी का संक्रमण आज देश के अनेक राज्यों में अपने पाँव पसार चुका है। मुख्यतः यह संक्रमण रोग है इसलिए बोर्ड ने बच्चों की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए यह फैसला लिया कि फिलहाल बोर्ड की परीक्षाएँ स्थगित कर दी जाएँ। सी.बी.एस. ई. से संबद्धित सभी विद्यालयों को इस फैसले से संबंधित नोटिस भेज दिया गया है इसलिए विद्यार्थियों को चिंता न करते हुए तनावमुक्त रहना है और इस बीमारी से बचने के उपाय अपनाने चाहिए।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए – (3 x 2 = 6)
(क) कोई भी अपाहिज अपने दुःख को छिपाना अच्छा मानता है उसे सबके सामने दिखाना अच्छा मानता है? कैमरे में बंद अपाहिज’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ख) ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ कविता में व्यक्त प्रेम की अभिव्यक्ति को स्पष्ट कीजिए।
(ग) तुलसीदास ने अपने युग की जिस दुर्दशा का चित्रण किया है, उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
(क) ऐसा शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो अपने दुःख को संसार के सामने प्रकट करने में अपनी महानता समझे। कोई भी अपंग व्यक्ति यह कभी नहीं चाहेगा कि लोग उसकी अपंगता के बारे में बात करें। अंधे को अँधा कहने पर, मोटे को मोटा कहने पर वे लोग बुरा मान जाते हैं। आप गंजे को गंजा कहकर पुकारिए फिर देखिए वह कितना बुरा मानता है।
जब संसार का कोई भी व्यक्ति खुद की कमी को सबको दिखाना नहीं चाहता तो अपाहिज व्यक्ति क्यों किसी को अपनी कमी दिखाएगा। वह कभी नहीं चाहेगा कि लोग उसे अपाहिज देखकर उस पर करुणा, दया या सहानुभूति दिखाएँ। वह भी चाहता है कि उसे भी सामान्य मनुष्य के समान समझा जाए। सब उससे वैसा ही व्यवहार करें जैसा सबके साथ होता है इसलिए वह कभी नहीं चाहेगा कि कोई दूसरा उसके अपाहिजपने का प्रदर्शन करे।
(ख) ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ कविता में प्रेम की अभिव्यक्ति हुई है। कवि का मानना है कि प्रेम की भावना सर्वोपरि होती है। यही मनुष्य के जीवन में उमंग उत्पन्न कर उसके मन को तरंगित करती है जिससे वह हर्षोल्लासपूर्वक अपना जीवन जीता है। प्रेम की अनुभूति ऐसी तीव्र होती है कि मनुष्य को दिन भी जल्दी-जल्दी ढलता हुआ लगने लगता है। वह अपने प्रियजनों से मिलने के लिए व्याकुल रहता है और उसकी यही व्याकुलता उसके कदमों में नजर आने से मिलने की उमंग उसके देती है। पक्षियों के परों लगती है। प्रियजनों कदमों में तेजी ला अनजान – सी ताकत आ जाती है और वह तीव्रता से अपने घोंसलों की ओर उड़ने लगते हैं। यदि घर में कोई प्रतीक्षारत नहीं होता तो मनुष्य भी शिथिल हो जाता है।
(ग) तुलसीदास के समय में समाज की दशा दयनीय थी। जन सामान्य के पास आजीविका के साधन नहीं थे। किसानों के पास खेती नहीं थी। भिखारी को भीख नहीं मिलती थी। दान कार्य बंद था। व्यापारियों का व्यापार ठप्प हो गया था। लोगों के पास नौकरी नहीं थी। चारों ओर बेरोजगारी फैली हुई थी। समाज में कोई भी नियम-कानून नहीं था। धार्मिक कट्टरता व्याप्त थी। जाति – सम्प्रदाय के बंधन भी कठोर थे। नारी की दशा हीन थी। उसकी हानि को कोई महत्व नहीं दिया जाता था।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 x 2 = 4)
(क) ‘कविता के बहाने’ के आधार पर कविता के असीमित अस्तित्व पर प्रकाश डालिए।
(ख) तुलसी अपने किस रूप पर गर्व करते थे और क्यों?
(ग) ‘छोटा मेरा खेत’ कविता के आधार ‘बीज गल गया’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) ‘कविता के बहाने’ में कविता का असीमित अस्तित्व प्रकट करने के लिए कवि ने चिड़िया की उड़ान का उदाहरण दिया है। वह कहता है कि चिड़िया की उड़ान सीमित होती है किंतु कविता की कल्पना का दायरा असीमित होता है। चिड़ियाघर के अंदर-बाहर या एक घर से दूसरे घर तक उड़ती है, परंतु कविता की उड़ान व्यापक होती है। कवि के भावों की कोई सीमा नहीं है। कविता घर – घर की कहानी कहती है। वह पंख लगाकर हर जगह उड़ सकती है। उसकी उड़ान चिड़िया की उड़ान से कहीं आगे है।
(ख) तुलसी को इस बात का घमंड था कि सब उन्हें ‘राम के गुलाम’ के रूप में जानते थे। लोगों के मुँह से ऐसा सुनना उन्हें अच्छा लगता था क्योंकि तुलसी को भगवान् राम में पूर्ण आस्था और निष्ठा थी। उनके लिए राम के चरणों से अच्छा कोई निवास स्थान ही नही था। रामभक्त होना उनके लिए बड़ा ही गौरवशाली था।
(ग) इसका अर्थ यह है कि जब तक कवि के मन में कविता का मूल भाव पूर्णतया समा नहीं जाता, तब तक वह निजता (अहं) से मुक्त नहीं हो सकता। कविता तभी सफल मानी जाती है, जब वह समग्र मानव जाति की भावना को व्यक्त करती है। कविता को सार्वजनिक बनाने के लिए कवि का अहं नष्ट होना आवश्यक है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए – (3 × 2 = 6)
(क) डॉ. अंबेडकर ने ‘समता’ को काल्पनिक वस्तु क्यों माना है और फिर इस पर बल देने के क्या कारण होंगे?
(ख) ‘बाजार दर्शन’ पाठ के आधार पर ‘बाजार का जादू चढ़ने और उतरने’ का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
(ग) गाँव की सीमा में आते ही लछमिन के पैरों के पंख क्यों झड़ गए?
उत्तर:
(क) डॉ. अंबेडकर का मानना है कि हर व्यक्ति प्राकृतिक रूप से समान नहीं होता क्योंकि जन्म, सामाजिक स्तर, तथा अपने प्रयत्नों के कारण हर व्यक्ति दूसरे से भिन्न और असमान होता है। अतः मनुष्य – मनुष्य की समानता को प्राकृतिक मानना उचित नहीं है। पूर्ण समता तो एक काल्पनिक स्थिति है पर सबको जीवन में आगे बढ़ने के समान अवसर मिलने चाहिए जिससे सब समरूप हो। किसी भी प्रकार का भेदभाव मनुष्य के व्यक्तित्व विकास में बाधक होता है इसलिए समानता के अवसर समान होने चाहिए।
हमारा समाज इतना विशाल और विविधता लिए हुए है। अतः यदि व्यावहारिक तौर पर देखा जाए तो सभी व्यक्तियों को आगे बढ़ने के समान अवसर मिलें तो समाज वर्गविहीन और जातिविहीन हो सकता है। इसी कर्ण ‘समता’ को काल्पनिक वस्तु मानने के कारण भी अंबेडकर ने इस पर बल दिया है।
(ख) ‘बाजार दर्शन’ पाठ के आधार पर ‘बाजार का जादू चढ़ने और उतरने’ का आशय है कि अपनी तड़क भड़क और सौन्दर्य दर्शन से ग्राहक को अपनी और आकर्षित करना। ऐसी स्थिति में ग्राहक खरीददारी करने के लिए उतावला हो जाता है। इसे ही बाजार का जादू कहा जाता है। जब मनुष्य का मन खाली होता है, उसे कोई काम नहीं होता, तब यही जादू उसके सिर चढ़कर बोलने लगता है। ऐसे में उसे लगता है कि हर वस्तु उसके लिए लाभकारी है और वह उपयोगी न होने के बावजूद भी उसे केवल अपनी शान के लिए खरीद लेता है। इस प्रकार वह ऐसी अनेक वस्तुएँ खरीद लेता है जो उसके लिए किसी काम की नहीं होतीं। बाद में उसे जब इस बात का अहसास होता है कि ये सब केवल फिजूलखर्ची है तब बाजार का जादू उतरने लगता है।
(ग) लछमिन की सास का व्यवहार सदैव कटु रहा। जब उसने लछमिन को मायके यह कहकर भेजा कि “तुम बहुत दिन से मायके नहीं गई हो, जाओ देखकर आ जाओ” तो यह उसके लिए अप्रत्याशित था। उसके पैरों में पंख से लग गए थे। खुशी-खुशी जब वह मायके के गाँव की सीमा में पहुँची तो लोगों ने फुसफुसाना प्रारंभ कर दिया कि ‘हाय ! बेचारी लछमिन अब आई है लोगों की नजरों से सहानुभूति झलक रही थी। उसे इस बात का अहसास नहीं था कि उसके पिता की मृत्यु हो चुकी है या वे गंभीर बीमार थे। विमाता ने उसके साथ अन्याय किया था। इसलिए वह हतप्रभ थी। उसकी तमाम खुशी समाप्त हो गई।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 x 2 = 4)
(क़) लेखक मेढक मण्डली पर पानी डालना व्यर्थ क्यों मानते थे?
(ख) कालिदास कृत शकुन्तला के सौन्दर्य-वर्णन को महत्व देकर लेखक ‘सौन्दर्य’ को स्त्री के एक मूल्य के रूप में स्थापित करता हुआ प्रतीत होता है। यदि यह सत्य है तो क्या ऐसा करना उचित है? ‘शिरीष के फूल’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ग) अंबेडकर की दृष्टि में लोकतंत्र क्या है?
उत्तर:
(क) लेखक मेढक मण्डली पर पानी डालना व्यर्थ इसलिए मानते थे क्योंकि चारों ओर पानी की घोर कमी थी। लोग पीने के लिए भी बड़ी कठिनाई से बाल्टी भर पानी इकट्ठा करके रखे हुए थे, जिसे वे लोग इस मेंढक मंडली पर फेंक कर पानी को व्यर्थ कर रहे थे। यह केवल पानी की बर्बादी है। इस प्रकार पानी को फेंकना वे केवल अंधविश्वास मानते थे।
(ख) प्रकृति ने स्त्री को कोमल भावनाओं से युक्त बनाया है। लेखक ने शकुन्तला के सौन्दर्य का वर्णन करके यह सिद्ध किया है कि सौन्दर्य स्त्री के लिए आवश्यक तत्व है। स्त्रियों का अलंकारों व वस्त्रों के प्रति आकर्षण भी यही सिद्ध करता है। ऐसा उचित है क्योंकि स्त्री प्रकृति की सुकोमल रचना है। अतः उसके साथ छेड़छाड़ करना अनुचित है।
(ग) अंबेडकर की दृष्टि में लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति नहीं है बल्कि यह सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति और समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है। इसमें यह आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति प्रत्येक के मन में श्रद्धा और सम्मान के भाव हों।