Practicing the CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 1 allows you to get rid of exam fear and be confident to appear for the exam.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 1 with Solutions
समय: 3 घंटे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य और आवश्यक निर्देश:
- इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’ कुल प्रश्न 13 हैं।
- ‘खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर: देते हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर: दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर: देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर: क्रमशः लिखिए।
खण्ड – ‘अ’
वस्तुपरक प्रश्न (40 अंक)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर: वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (1 × 10 = 10)
‘उपवास और संयम ये आत्महत्या के साधन नहीं हैं। भोजन का असली स्वाद उसी को मिलता है जो कुछ दिन बिना खाए भी रह सकता है। ‘ त्यक्तेन भुंजीथा:’; जीवन का भोग त्याग के साथ करो, यह केवल परमार्थ का ही उपदेश नहीं है, क्योंकि संयम से भोग करने पर जीवन में जो आनंद प्राप्त होता है, वह निरा भोगी बनकर भोगने से नहीं मिल पाता जिंदगी की दो सूरतें हैं। एक तो यह कि आदमी बड़े-से-बड़े मकसद के लिए कोशिश करें, जगमगाती हुई जीत पर पंजा डालने के लिए हाथ बढ़ाए और अगर असफलताएँ कदम-कदम पर जोश की रोशनी के साथ अधियाली का जाल बुन रही हों, तब भी वह पीछे को पाँव न हटाए।
दूसरी सूरत यह है कि उन गरीब आत्माओं का हमजोली बन जाए जो न तो बहुत अधिक सुख पाती हैं और न जिन्हें बहुत अधिक दुःख पाने का ही संयोग है, क्योंकि वे आत्माएँ ऐसी गोधूलि में बसती हैं जहाँ न तो जीत हँसती है और न कभी हार के रोने की आवाज सुनाई पड़ती है। इस गोधूलिं वाली दुनिया के लोग बंधे हुए घाट का पानी पीते हैं, वे जिंदगी के साथ जुआ नहीं खेल सकते। और कौन कहता है कि पूरी जिंदगी को दाँव पर लगा देने में कोई आनंद नहीं है?
जनमैत की उपेक्षा करके जीने वाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्यता को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है। जिंदगी से, अंत में, हम उतना ही पाते हैं जितनी कि उसमे पूँजी लगाते हैं। यह पूँजी लगाना जिंदगी के संकटों का सामना करना है, उसके उस पन्ने को उलट कर पढ़ना है जिसके सभी अक्षर फूलों से ही नहीं, कुछ अंगारों से भी लिखे गए हैं। जिंदगी का भेद कुछ उसे ही मालूम है जो यह जानकर चलता है कि जिंदगी कभी भी खत्म न होने वाली चीज है।
अरे ! ओ जीवन के साधकों ! अगर किनारे की मरी सीपियों से ही तुम्हें संतोष हो जाए तो समुद्र के अंतराल में छिपे हुए मौक्तिक – कोष को कौन बाहर लाएगा?
दुनिया में जितने भी मजे बिखेरे गए हैं उनमें तुम्हारा भी हिस्सा है। वह चीज भी तुम्हारी हो सकती है जिसे तुम अपनी पहुँच के परे मान कर लौटे जा रहे हो। कामना का अंचल छोटा मत करो, जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचोड़ो, रस की निर्झरी तुम्हारे बहाए भी वह सकती है।
(क) ‘त्यक्तेन भुंजीथा:’ कथन से लेखक के व्यक्तित्व की किस विशेषता का बोध होता है?
(i) परिवर्जन
(ii) परिवर्तन
(iii) परावर्तन
(iv) प्रत्यावर्तन
उत्तर:
(i) परिवर्जन
(ख) मंजिल पर पहुँचने का सच्चा आनंद उसे मिलता है, जिसने उसे-
(i) आन की आन में प्राप्त कर लिया हो
(ii) पाने के लिए भरसक प्रयास किया हो।
(iii) हाथ बढ़ा कर मुट्ठी में कर लिया हो
(iv) सच्चाई से अपने सपनों में बसा लिया हो
उत्तर:
(ii) पाने के लिए भरसक प्रयास किया हो
(ग) गोधूलि ‘ शब्द का तात्पर्य है-
(i) गोधेनु
(ii) संध्यावेला
(iii) गगन धूलि
(iv) गोद ली कन्या
उत्तर:
(ii) संध्यावेला
(घ) ‘गोधूलि वाली दुनिया के लोगों से अभिप्राय है-
उत्तर:
(i) विवशता और अभाव में जीने वाले
(ii) जीवन को दाँव पर लगाने वाले
(iii) गायों के खुरों से धूलि उड़ाने वाले
(iv) क्षितिज में लालिमा फैलाने वाले
उत्तर:
(i) विवशता और अभाव में जीने वाले
(ङ) जीवन में असफलताएँ मिलने पर भी साहसी मनुष्य क्या करता है?
(i) बिना डरे आगे बढ़ता है क्योंकि डर के आगे जीत है
(ii) पराजय से निबटने के लिए फूँक-फूँककर कदम आगे रखता है
(iii) अपने मित्र बंधुओं से सलाह और मदद के विषय में विचार करता है
(iv) असफलता का कारण ढूँढकर पुनः आगे बढ़ने का प्रयास करता है
उत्तर:
(iv) असफलता का कारण ढूँढकर पुनः आगे बढ़ने का प्रयास करता है
(च) आप कैसे पहचानेंगे कि कोई व्यक्ति साहस की जिंदगी जी रहा है?
(i) जनमत की परवाह करने वाला
(ii) निडर और निशंक जीने वाला
(iii) शत्रु के छक्के छुड़ाने वाला
(iv) भागीरथी प्रयत्न करने वाला
उत्तर:
(ii) निडर और निशंक जीने वाला
(छ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) प्रत्येक परिस्थिति का सामना करने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए।
(II) मनुष्य अपने दृढ़ मंतव्य व कठिन परिश्रम से सर्वोच्च प्राप्ति की ओर अग्रसर रहता है.
(III) विपत्ति सदैव समर्थ के समक्ष ही आती है, जिससे वह पार उतर सके।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/हैं?
(i) केवल I
(ii) केवल III
(iii) I और II
(iv) II और III
उत्तर:
(iii) I और II
(ज) ‘जिंदगी को दाँव पर लगा देने में कोई आनंद नहीं है? लेखक इससे सिद्ध करना चाहते हैं कि जिंदगी-
(i) रंगमंच के कलाकारों के समान व्यतीत करनी चाहिए।
(ii) में सकारात्मक परिस्थितियाँ ही आनंद प्रदान करती हैं।
(iii) में प्रतिकूलता का अनुभव जीवनोपयोगी होता है।
(iv) केवल दुःखद स्थितियों का सामना करवाती है।
उत्तर:
(ii) में प्रतिकूलता का अनुभव जीवनोपयोगी होता है।
(झ) किन व्यक्तियों को सुख का स्वाद अधिक मिलता है?
(i) जो अत्यधिक सुख प्राप्त करते हैं
(ii) जो सुख-दु:ख से दूर होते हैं
(iii) जो पहले दुःख झेलते हैं
(iv) जो सुख को अन्य लोगों से साझा करते हैं
उत्तर:
(iii) जो पहले दुःख झेलते हैं
(ञ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): “जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचोड़ो, रस की निर्झरी तुम्हारे बहाए भी वह सकती है’।
कारण (R) : ‘जिंदगी रूपी फल का रसास्वाद करने के लिए दोनों हाथों से श्रम करना होगा।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर: सही विकल्प चयन द्वारा (1 x 5 = 5)
दीजिए-
चिड़िया को लाख समझाओ
कि पिंजड़े के बाहर
धरती बड़ी है, निर्मम है,
वहाँ हवा में उसे
बाहार जाने का टोटा है
यहाँ चुग्गा मोटा है।
बाहार बहेलिये का डर है यहाँ निर्भय कंठ स्वर है।
फिर भी चिड़िया मुक्ति का गाना गाएगी,
अपने जिस्म की गंध तक नहीं मिलेगी।
यूँ तो बाहर समुद्र है, नदी है, झरना है,
पर पानी के लिए भटकना है,
यहाँ कटोरी में भरा जल गटकना है।
मोर जाने की आशंका से भरे होने पर भी
पिंजड़े से जितना अंग निकल सकेगा निकालेगी,
हर सू जोर लगाएगी
और पिंजरा टूट जाने या खुल जाने पर उड़ जाएगी।
(क) पिंजड़े के भीतर चिड़िया को क्या-क्या सुविधाएँ उपलब्ध हैं?
(i) खाने की स्वतंत्रता, सम्मान और स्नेह
(ii) नीर, कनक, आवास और सुरक्षा
(iii) प्यार, पुरस्कार, भोजन और हवा
(iv) निश्चितता, निर्भयता, नियम और नीरसता
उत्तर:
(ii) नीर, कनक, आवास और सुरक्षा
(ख) बाहर सुखों का अभाव और प्राणों का संकट होने पर भी चिड़िया मुक्ति ही क्यों चाहती है?
(i) वह अपने परिवार से मिलना चाहती है।
(ii) वह आजाद जीवन जीना पसंद करती है।
(iii) वह जीवन से मुक्ति चाहती है।
(iv) वह लंबी उड़ान भरना चाहती है।
उत्तर:
(ii) वह आजाद जीवन जीना पसंद करती है।
(ग) चिड़िया के समक्ष धरती को निर्मम बताने का मंतव्य है-
(i) भयावह स्थिति उत्पन्न करना
(ii) छोटे जीव के प्रति दया भाव
(iii) बहेलिये से बचाव की प्रेरणा
(iv) जीवनोपयोगी वस्तुएँ जुटाने का संघर्ष दर्शाना
उत्तर:
(i) भयावह स्थिति उत्पन्न करना
(घ) पद्यांश का मूल प्रतिपाद्य क्या है?
(i) पिंजरे में पक्षी रखने वालों को सही राह दिखाना
(ii) पिंजड़े के भीतर और बाहर की दुनिया दिखाना
(iii) पिंजरे के पक्षी की उड़ान और दर्द से परिचित कराना
(iv) पिंजरे के पक्षी के माध्यम से स्वतंत्रता का महत्त्व बताना
उत्तर:
(iv) पिंजरे के पक्षी के माध्यम से स्वतंत्रता का महत्त्व बताना
(ङ) कवि के संबंध में इनमें से सही है कि वह-
(i) प्रकृति के प्रति सचेत हैं
(ii) चिड़िया की सुरक्षा चाहते हैं
(iii) आजादी के समर्थक हैं
(iv) अन्न-जल की उपयोगिता बताते हैं
उत्तर:
(iii) आजादी के समर्थक हैं
अथवा
हैं जन्म लेते जगह ‘में एक ही,
एक ही पौधा उन्हें है पालता
रात में उन पर चमकता चाँद भी,
एक ही सी चाँदनी है डालता।
मेह उन पर है बरसता एक सा,
एक सी उन पर हवाएँ हैं वही
पर सदा ही यह दिखाता है हमें,
ढंग उनके एक से होते नहीं।
छेदकर काँटा किसी की उंगलियाँ,
फाड़ देता है किसी का वर वसन
प्यार डूबी तितलियों का पर कतर,
भँवर का है भेद देता श्याम तन।
फूल लेकर तितलियों को गोद में
भँवर को अपना अनूठा रस पिला,
निज सुगंधों और निराले ढंग से
है सदा देता कली का जी खिला।
है खटकता एक सबकी आँख में
दूसरा है सोहता सुर शीश पर,
किस तरह कुल की बड़ाई काम दे
जो किसी में हो बड़प्पन की कसर
(क) प्रस्तुत काव्यांश किससे संबंधित है?
(i) फूल और तितलियों से
(ii) फूल और पौधे से
(iii) पौधे और चाँदनी से
(iv) बड़प्पन की पहचान से
उत्तर:
(iv) बड़प्पन की पहचान से
(ख) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) सद्गुणों के कारण ही मानुस प्रेम का पात्र बनता है।
(II) परिवेशगत समानता सदैव अव्यवस्था को जन्म देती है।
(III) भौगोलिक परिस्थितियाँ प्राकृतिक भिन्नता का कारण हैं।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/है?
(i) केवल I
(ii) केवल III
(iii) I और II
(iv) II और III
उत्तर:
(i) केवल I
(ग) इस काव्यांश से हमें क्या सीख मिलती है?
(i) मनुष्य के कर्म उसे प्रसिद्धि दिलाते हैं।
(ii) समान परिवेश में रहते हुए मनुष्य समान आदर पाते हैं।
(iii) किसी भी कुल में जन्म लेने से ही मनुष्य बड़ा हो सकता है।
(iv) समान पालन-पोषण होने पर अलग व्यक्तियों के स्वभाव समान होते हैं।
उत्तर:
(i) मनुष्य के कर्म उसे प्रसिद्धि दिलाते हैं
(घ) ‘फाड़ देता है किसी का वर वसन’ में ‘वसन’ शब्द
का अर्थ है-
(i) व्यसन
(ii) वस्त्र
(iii) वास
(iv) वासना
उत्तर:
(ii) वस्त्र
(ङ) कवितानुसार फूल निम्न में से कौन-सा कार्य नहीं करता?
(i) भँवरों को अपना रस पिलाता है।
(ii) तितलियों को अपनी गोद में खिलाता है।
(iii) फल बनकर पशु-पक्षियों और मनुष्यों का पेट भरता है।
(iv) सुरों के शीश पर सोहता है।
उत्तर:
(iii) फल बनकर पशु-पक्षियों और मनुष्यों का पेट भरता है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर: देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए- (1 x 5 = 5)
(क) मुद्रित माध्यमों के लेखन में सहज प्रवाह के लिए जरूरी है-
(i) तारतम्यता
(ii) उपलब्धता
(iii) एकरेखीयता
(iv) साध्यता
उत्तर:
(i) तारतम्यता
(ख) ‘संबंधित घटना के दृश्य बाइट व ग्राफिक द्वारा खबर को संपूर्णता से पेश करना कहलाता है-
(i) एंकर विजुअल
(ii) एंकर बाइट
(iii) एंकर पैकेज
(iv) ड्राई एंकर
उत्तर:
(iii) एंकर पैकेज
(ग) छह ककार के लिए उचित क्रम का चयन कीजिए-
(क) क्या, कौन, कहाँ, कब, क्यों, कैसे
(ख) किसने, कब, क्यों, कैसे, कहाँ, किधर
(ग) कैसे, किससे, कब, क्यों, कितना, कौन
(घ) क्यों, कैसे, कब, कहाँ, किससे, किसने
उत्तर:
(क) क्या, कौन, कहाँ, कब, क्यों, कैसे
(घ) कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान कीजिए-
कॉलम ‘क | कॉलम ‘ख |
(a) बीट रिपोर्टर | (I) निवेशक |
(b) फीचर | (II) संवाददाता |
(c) कारोबार | (III) घुटने टेकना |
(d) खेल | (IV) कथात्मक |
(i) (a) – (III), (b) – (IV), (c) – (I), (d) – (II)
(ii) (a ) – (II), (b) – (IV), (c) – (I), (d) – (IIT)
(iii) (a) – (IV), (b) – (III), (c) – (II), (d) -(I)
(iv) (a) – (II), (b) – (I), (c) – (IV), (d) – (III)
उत्तर:
(ii) (a) – (II), (b) – (IV), (c) – (I), (d) – (III)
(ङ) विशेष लेखन के लिए सबसे जरूरी बात है-
(i) चील उड़ान और शब्द-विवेक
(ii) गिद्ध दृष्टि और पक्का इरादा
(iii) शब्दावली और उपलब्धियाँ
(iv) प्रभावशीलता और बुद्धिमत्ता
उत्तर:
(ii) गिद्ध दृष्टि और पक्का इरादा
प्रश्न 4.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- (1 x 5 = 5)
प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे
भोर का नभ
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला पड़ा है)
बहुत काली सिल जरा से लाज केसर से
कि जैसे धुल गई हो
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने
नील जल में या किसी की
गौर झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो।
और……..
जादू टूटता है इस उषा का अब
सूर्योदय हो रहा है।
(क) ‘नील जल में किसी की गौर, झिलमिल देह जैसे हिल रही हो’ में कौन-सा भाव है?
(i) तरलता का
(ii) निर्मलता का
(iii) उज्जवलता का
(iv) सहजता का
उत्तर:
(ii) निर्मलता का
(ख) नीले नभ में उदय होता हुआ सूर्य किसके जैसा प्रतीत हो रहा है?
(i) शंख जैसा
(ii) गौरवर्णीय सुंदरी जैसा
(iii) सिंदूर जैसा
(iv) नीले जल जैसा
उत्तर:
(i) गौरवर्णीय सुंदरी जैसा
(ग) इस काव्यांश में कवि ने उषा का कौन-सा चित्र उपस्थित किया है?
(i) छायाचित्र
(ii) रेखाचित्र
(iii) शब्दचित्र
(iv) भित्तिचित्रि
उत्तर:
(iii) शब्दचित्र
(घ) अलंकार की दृष्टि से कौन सा विकल्प सही है?
(i) बहुत नीला शंख जैसे-उपमा अलंकार
(iv) जादू टूटता है इस उषा का अब-उत्प्रेक्षा अलंकार
(iii) सूर्योदय हो रहा है-रूपक अलंकार
(iv) गौर झिलमिल देह जैसे हिल रही हो- अन्योक्ति अलंकार
उत्तर:
(i) बहुत नीला शंख जैसे उपमा अलंकार
(ङ) कवि द्वारा भोर को राख का लीपा हुआ चौका कहना प्रतिपादित करता है कि भोर का नभ-
(i) अपनी आभा से चमत्कृत कर रहा है।
(ii) रात के समान गर्म हवा फैला रहा है।
(iii) सफेद व नीले वर्णों का अद्भुत मिश्रण है।
(iv) नए परिवर्तन व आयामों का प्रतीक है।
उत्तर:
(iii) सफेद व नीले वर्णों का अद्भुत मिश्रण है।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर: वाले विकल्प को चुनिए- (1 x 5 = 5)
कालिदास सौंदर्य के बाह्य आवरण को भेदकर भीतर तक पहुँच सकते थे, दुःख हो कि सुख, वे अपना भाव-रस उस अनासक्त कृषिवल की भाँति खींच लेते थे, जो निर्दलित ईक्षुदंड से रस निकाल लेता है। कालिदास महान थे, क्योंकि वे अनासक्त रह चुके थे। कुछ इसी श्रेणी की अनासक्ति आधुनिक हिंदी कवि सुमित्रानंद पंत है।
कविवर रवींद्रनाथ में यह अनासक्ति थी। एक जगह उन्होंने लिखा- ‘राजोद्यान का सिंहद्वार कितना ही अभ्रभेदी क्यों उसकी शिल्पकला कितनी ही सुंदर क्यों न हो, वह यह नहीं कहता कि हम में आकर ही सारा रास्ता समाप्त हो गया। असल गंतव्य स्थान उसे अतिक्रम करने के बाद ही है, यही बताना उसका कर्त्तव्य है। फूल हो या पेड़, वह अपने आप में समाप्त नहीं है। वह किसी अन्य वस्तु को दिखाने के लिए उठी हुई अँगुली है। वह इशारा है।
(क) कालिदास की सौंदर्य दृष्टि कैसी थी?
(i) स्थूल और बाहरी
(ii) सूक्ष्म और संपूर्ण
(iii) आसक्ति और आडंबरों
(iv) अतिक्रम और अभ्रभेदी
उत्तर:
(ii) सूक्ष्म और संपूर्ण
(ख) कौन-से गुण के कारण कालिदास, सुमित्रानंदन पंत और रवींद्रनाथ टैगोर कविताओं के साथ न्याय कर पाए?
(i) गंतव्यता
(ii) निर्दलीयता
(iii) कृषिवलता
(iv) तटस्थता
उत्तर:
(iv) तटस्थता
(ग) फूलों और पेड़ों से हमें जीवन की ……………. की प्रेरणा मिलती है।
(i) निरंतरता
(ii) भावपूर्णता
(iii) समापनता
(iv) अतिक्रमणता
उत्तर:
(i) निरंतरता
(घ) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A) : पुष्प या पेड़ अपने सौंदर्य से यह बताते हैं कि यह सौंदर्य अंतिम नहीं है।
कारण (R) : भारतीय शिल्पकला विशेष रूप से प्रसिद्ध है। विभिन्न कवियों ने इस बात की पुष्टि की है।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(iv) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
(ङ) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
(I) कला की कोई सीमा नहीं होती।
(II) शिरीष के वृक्ष को कालजयी अवधूत के समान कहा जाता है।
(III) कालिदास की समानता आधुनिक काल के कवियों के साथ दिखाई गई है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौनसे सही है/ हैं?
(i) केवल I
(ii) केवल III
(iii) I और II
(iv) I और III
उत्तर:
(iv) I और III
प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर: हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 x 10 = 10)
(क) ‘सिल्वर वेडिंग’ कहानी की मूल संवेदना आप किसे मानेंगे?
(i) पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव
(ii) हाशिए पर धकेले जाते मानवीय मूल्य
(iii) पीढ़ी अंतराल
(iv) सिल्वर वेडिंग के परिणाम
उत्तर:
(iii) पीढ़ी अंतराल
(ख) ‘सिल्वर वेडिंग’ पाठ में जो हुआ होगा’ वाक्य का अर्थ है-
(i) पाश्चात्य विचारधारा के संदर्भ में
(ii) परिवार की संरचना के संदर्भ में
(iii) किशन दा की मृत्यु के संदर्भ में
(iv) यशोधरा बाबू की नियुक्ति की संदर्भ में
उत्तर:
(iii) किशन दा की मृत्यु के संदर्भ में
(ग) दादा कोल्हू जल्दी क्यों लगाना चाहते थे?
(i) काम जल्दी समाप्त करने के लिए
(ii) दूसरी फसल के लिए
(iii) गुड़ की ज्यादा कीमत के लिए
(iv) खेत में पानी देने के लिए
उत्तर:
(iii) गुड़ की ज्यादा कीमत के लिए
(घ) ‘जूझ’ उपन्यास मूलतः किस भाषा में लिखा गया है?
(i) हिंदी
(ii) अंग्रेजी
(iii) मराठी
(iv) गुजराती
उत्तर:
(iii) मराठी
(ङ) लेखक आनंद यादव की माँ के अनुसार पढ़ाई की बात करने पर लेखक का पिता कैसे गुर्राता है?
(i) कुत्ते के समान
(ii) शेर के समान
(iii) जंगली सूअर के समान
(iv) चीते के समान
उत्तर:
(iii) जंगली सूअर के समान
(च) सिंधु घाटी की सभ्यता के संबंध में कौन-सा कथन सही नहीं है?
(i) सिंधु घाटी की सभ्यता प्राचीनतम सभ्यता थी।
(ii) सिंधु घाटी की सभ्यता आंडबरहीन सभ्यता थी।
(iii) सिंधु घाटी की सभ्यता छोटी होते हुए भी महान थी।
(iv) सिंधु घाटी की सभ्यता में राजतंत्र स्थापित नहीं था।
उत्तर:
(iv) सिंधु घाटी की सभ्यता में राजतंत्र स्थापित नहीं था।
(छ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) महाकुंड स्तूप में उत्तर: और दक्षिण से सीढ़ियाँ उतरती हैं।
(II) मोहनजोदड़ो सभ्यता में सूत की कताई, बुनाई और रंगाई भी होती थी।
(III) सिंधु घाटी सभ्यता में जल निकासी की व्यवस्था अत्यंत बुरी थी।
(IV) मोहनजोदड़ो से मिला नरेश के सिर का मुकुट बहुत छोटा था।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/हैं?
(i) केवल।
(ii) केवल III
(iii) I, II और III
(iv) I, II और IV
उत्तर:
(iv) I, II और IV
(ज) राखालदास बनर्जी कौन थे?
(i) शिक्षक
(ii) भिक्षुक
(iii) पुरातत्त्ववेत्ता
(iv) व्यापारी
उत्तर:
(iii) पुरातत्त्ववेत्ता
(झ) ‘जूझ’ कहानी लेखक की किस प्रवृत्ति को उद्घाटित करती है?
(i) कविता करने की प्रवृत्ति
(ii) पढ़ने की प्रवृत्ति
(iii) लेखन की प्रवृत्ति
(iv) संघर्षमयी प्रवृत्ति
उत्तर:
(iv) संघर्षमयी प्रवृत्ति
(ञ) किशोर दा के रिटायर होने पर यशोधर बाबू उनकी सहायता क्यों नहीं कर पाए थे?
(i) यशोधर बाबू की पत्नी किशन दा से नाराज थी।
(ii) यशोधरा बाबू का अपना परिवार था, जिसे वे नाराज नहीं करना चाहते थे।
(iii) यशोधर बाबू के घर में किशन दा के लिए स्थान का अभाव था।
(iv) किशन दा को यशोधरा बाबू ने अपने घर में स्थान देना चाहा था, जिसे किशन दा ने स्वीकार नहीं किया।
उत्तर:
(ii) यशोधरा बाबू का अपना परिवार था, जिसे वे नाराज नहीं करना चाहते थे।
खंड ‘ब’
वर्णनात्मक प्रश्न (40 अंक)
प्रश्न 7.
दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख विषय लिखिए। (6)
(क) लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका
उत्तर:
- लिखिए- आरंभ
- विषयवस्तु
- प्रस्तुति
- भाषा
(क) लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका
मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है इसलिए इस व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों को अपने कर्तव्य का पूरी निष्ठा से पालन करना चाहिए। आज दुनिया में मीडिया उतना ही जरूरी है जितना खाना और कपड़ा मीडिया के माध्यम से ही मतदाता अपने निर्णय लेने में सक्षम होता है। वे समाज की समस्याओं से हमारी पहचान कराता है अतः इसका कद किसी राजनेता से कम नहीं होता।
मीडिया के माध्यम से ही लोग जीवन के कई पहलुओं से अवगत हो जाते हैं जिनसे वे आमतौर पर अनजान होते हैं। स्वतंत्र, तटस्थ और सक्रिय मीडिया के बिना लोकतंत्र अर्थहीन है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मीडिया ने समय-समय पर लोगों को जीवन की कठोर वास्तविकताओं से अवगत कराने, हमारे समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने, लोगों में जागरूकता लाने जैसे अनेक सराहनीय कार्य किए हैं।
आज मीडिया जीवन के सभी क्षेत्रों के बीच लोकप्रिय हो रहा है। निःसंदेह मीडिया को विचारों को प्रसारित करने में तटस्थ होना चाहिए, पर ऐसे विचारों को प्रसारित करने से बचना चाहिए जो साम्प्रदायिक सद्भाव पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं और गहरे संदेह, तनाव और बेहूदा हिसा को जन्म दे सकते हैं जिससे निर्दोष लोगों की जान जाती है।
मीडिया लोकतंत्र और विकास के लिए उत्प्रेरक का कार्य करता है और जनभागीदारी को सार्थक बनाने में सहायक होता है यदि मीडिया ईमानदार है और अपने कार्य में प्रतिबद्ध है तो लोकतंत्र अधिक कुशलता से कार्य करने के लिए बाध्य है। इसके विपरीत यदि मीडिया पक्षपाती है तो यह लोकतंत्र के सुचारु रूप से संचालन के लिए खरतनाक सिद्ध हो सकता है। निश्चित रूप से मीडिया में अभी भी कुछ सुधार आवश्यक हैं जिसके द्वारा यह लोगों की आकांक्षाओं पर खरा उतर सकता है।
(ख) दिया और तूफान मानव जीवन का सत्य
उत्तर:
लिखिए- आरंभ
विषयवस्तु प्रस्तुति
भाषा
उत्तर:
(ख) दिया और तूफान मानव जीवन का सत्य
मिट्टी का बना हुआ नन्हा सा दीया जब जलता है गहन अंधकार को भी दूर भगा देता है और अपने आस-पास हल्का सा प्रकाश फैला देता है जब अंधकार में हाथ को हाथ नहीं सूझता ऐसे में दीया अपने मंद प्रकाश से रास्ता दिखा देता है जब हवा का हल्का-सा झोका दीये की लौ को कंपा देता है तब लगता है कि इसके बुझते ही फिर से अंधकार छा जाएगा जब छोटा-सा दीया इतने बड़े अंधकार का सामना कर सकता है तो मनुष्य भी अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना कर सकता है। यदि वह तूफान का सामना कर अपनी लौ से प्रकाश फैला सकता है तो हम भी हर कठिनाई का सामना कर उससे बाहर निकल सकते हैं। महाराण प्रताप ने अपना सब कुछ खोकर भी अपने लक्ष्य प्राप्ति के प्रयास में कोई कमी नहीं आने दी।
लाल बहादुर शास्त्री जी ने अपनी कर्मठता से जीवन की हर कठिनाई का सामना किया हमारे पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने अपना जीवन टिमटिमाते दीये के समान ही आरम्भ किया था और आज वही दीया हमारे देश को मिसाइलें प्रदान करने वाले प्रकाश पुंज में बदल गया। अकेले अभिमन्यु ने चक्रव्यूह में अनेक महारथियों से डटकर मुकाबला. किया। समुद्र में उठने वाली ऊँची-ऊँची लहरों से टकराती हुई नौका भी अपने लिए रास्ता निकाल लेती है।
कभी-कभी तूफान अपने प्रचंड वेग से दीये की लौ को बुझाता है पर जब तक वह जलता है तब तक अपने प्रकाश से रास्ते को प्रकाशित कर अपने अस्तित्व को प्रकट करता है। मनुष्य को भी कठिनाइयों से मुँह न छिपाते हुए उनका मुकाबला करना चाहिए। संसार में वही मनुष्य सफल होता है जो तूफानों का मुकाबला करते हुए दीये के समान जगमग करता हुआ संसार को प्रकाशमान करता है।
(ग) झरोखे से बाहर
- लिखिए-आरंभ
- विषयवस्तु प्रस्तुति
- भाषा
उत्तर:
(ग) झरोखे से बाहर
झरोखा अंदर से बाहर झाँकने और बाहर से अंदर झाँकने का माध्यम है। वास्तव में हमार आँखें भी झरोखा ही हैं क्योंकि ये मन-मस्तिष्क को संसार से और संसार को मन-मस्तिष्क से जोड़ता है। मन रूपी झरोखे से किसी भक्त को संसार के प्रत्येक कण में बसने वाले ईश्वर के दर्शन होते हैं झरोखा भले ही कितना ही छोटा क्यों न हो पर उसके पार बसने वाला संसार उतना ही विशाल होता है। किसी पर्वतीय स्थल पर किसी घर के झरोखे से देखने पर गगनचुंबी पहाड़ियाँ, ऊँचे-ऊँचे पेड़, गहरी गहरी घाटियाँ आदि सभी को अपने ओर खींचती रहती हैं। दूर-दूर घास चरती हुई भेड़-बकरियाँ, चरवाहे, पीठ पर टोकरी बाँधे हुए युवक-युवतियाँ सबके मन को मोह लेते हैं।
गाँव के महलों के झरोखे से दूर-दूर तक फैले हुए हरे भरे खेत और वहाँ की सुगन्धित हवा अंदर से ही बाहर के दर्शन करा देते हैं सजी-संवरी दुल्हन झरोखे से अपने पति की झलक को पाकर अति उत्साहित हो जाती है। जिस माँ का बेटा सीमा पर लड़ रहा है वो माँ झरोखे में बैठी बैठी अपने बेटे की एक झलक पाने के लिए लालायित रहती है।
झरोखे अनेक प्रकार के होते हैं पर उनके पीछे बैठी हुई प्रतीक्षारत आँखें केवल कुछ देखने और कुछ पाने के लिए ही लालायित रहती हैं युद्ध भूमि में डटा हुआ जवान खाई के झरोखे से बाहर छिप-छिप कर झाँकता है अपने शत्रु को मारने के लिए अनेक बार झरोखे के बाहर के दृश्य हमारी आत्मा को अंदर तक झकझोर जाते हैं।
(घ) आजादी का अमृत महोत्सव – स्वर्णिम 75 साल
उत्तर:
- लिखिए आरंभ
- विषयवस्तु प्रस्तुति
- भाषा
उत्तर:
(घ) आजादी का अमृत महोत्सव – स्वर्णिम 75 साल
स्वतंत्र भारत का वर्ष 2022 का 76वाँ स्वतंत्रता दिवस है, क्योंकि हमारे देश को आजादी मिले 75 साल पूरे हुए हैं। इसीलिए ये भारत की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ होगी, जिसे भारत सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव नाम दिया है। हमारे देश को आजादी 15 अगस्त सन् 1947 को मिली थी और इसी दिन हमारे देश का तिरंगा झंडा भी फहराया गया था।
आजादी का अमृत महोत्सव देश को मिलने वाली आजादी का जश्न है, जिसे हर 25 साल में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है आजादी के अमृत महोत्सव का दिन भारत पर मर-मिटने वाले उन शहीदों और बलिदानियों को याद करने के लिए मनाया जाता है, जिन्होंने हमारे देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद करवाया और भारत को आजाद भारत बनाने की खातिर अपना सब कुछ देश को कुर्बान कर दिया। हमारे देश को आजादी मिलने के बाद पहली बार 15 अगस्त सन् 1947 को झंडा फहराया गया था।
आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष में भारत सरकार ने हर घर तिरंगा अभियान भी चलाया हुआ है। ‘हर घर तिरंगा’ आजादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में लोगों को तिरंगा घर लाने और भारत की आजादी के 75वें वर्ष को चिह्नित करने के लिए इसे फहराने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक अभियान है। राष्ट्रीय ध्वज के साथ हमारा संबंध हमेशा व्यक्तिगत से अधिक औपचारिक और संस्थागत रहा है।
स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में एक राष्ट्र के रूप में ध्वज को सामूहिक रूप से घर लाना इस प्रकार न तिरंगे से व्यक्तिगत संबंध का एक कार्य बल्कि राष्ट्र-निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक भी बन जाता है इस पहल के पीछे का विचार लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना को जगाना और भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है। आजादी का अमृत महोत्सव की आधिकारिक यात्रा 12 मार्च, 2021 को शुरू हुई, जिसने हमारी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के लिए 75 सप्ताह की उल्टी गिनती शुरू की और 15 अगस्त, 2023 को एक साल के बाद ये यात्रा समाप्त होगी।
प्रश्न 8.
किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर: लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 x 2 = 6)
(क) ‘कहानीकार द्वारा कहानी के प्रसंगों या पात्रों के मानसिक द्वंद्वों के विवरण के दृश्यों की नाटकीय प्रस्तुति में काफी समस्या आती है। इस कथन के संदर्भ में नाट्य रूपांतरण की किन्हीं तीन चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(क) नाट्य रूपांतरण की चुनौतियाँ-
- पात्रों के मनोभावों की
- मानसिक द्वंद्व के दृश्यों की
- पात्रों की सोच के प्रस्तुतीकरण की
उदाहरण के लिए ईदगाह कहानी का वह हिस्सा जहाँ हामिद इस द्वंद्व में है कि क्या खरीदे, क्या ना खरीदे
उत्तर:
(क) किसी भी कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उनमें से कुछ प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं-
(i) सबसे प्रमुख समस्या कहानी के पात्रों के मनोभावों को कहानीकार द्वारा प्रस्तुत प्रसंगों अथवा मानसिक द्वंद्वों के नाटकीय प्रस्तुति में आती है। जैसे ईदगाह कहानी में जब हामिद मानसिक द्वंद्व में होता है कि वह क्या खरीदे और क्या न खरीदे तब इस प्रकार की स्थिति को नाटकीय प्रस्तुतिकरण देने में नाटककार को समस्या का सामना करना पड़ता है कि वह इसे किस प्रकार नाटकीय रूप प्रदान करे?
(ii) संवादों को नाटकीय रूप प्रदान करने में समस्या आती है।
(iii) कथानक को अभिनय के अनुरूप बनाने में समस्या आती है और संगीत, ध्वनि-प्रकाश की व्यवस्था करने में समस्या आती है।
(ख) रेडियो श्रव्य माध्यम है। यह ध्वनि के माध्यम से ही संप्रेषण करता है। इसलिए नाटक में ध्वनि संकेतों का विशिष्ट महत्त्व है। रेडियो नाटक में ध्वनि संकेतों की महत्ता स्पष्ट करते हुए कोई तीन बिंदु अवश्य लिखिए।
उत्तर:
(ख) रेडियो नाटक में ध्वनि संकेतों की महत्ता
- मंच नाटक लेखन, फिल्म की पटकथा और रेडियो
- नाटक लेखन में काफी समानता
- रेडियो में ध्वनि प्रभावों व संवादों के जरिये ही
- दृश्य का माहौल पैदा किया जाना
- इसलिए संवाद व ध्वनि सबसे महत्त्वपूर्ण होना
- दृश्य की जगह कट / हिस्सा लिखा जाना
- दृश्यों को ध्वनि संकेतों से दिखाया जाना
उत्तर:
(ख) रेडियो एक ऐसा श्रव्य माध्यम है जो ध्वनि के माध्यम से ही संप्रेषण करता है इसलिए रेडियो नाटक में ध्वनि संकेतों का विशेष महत्त्व है। इसे निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से समझा जा सकता है-
- रेडियो श्रव्य माध्यम है इसलिए इसमें ध्वनि प्रभावों व संवाद के माध्यम से ही दृश्य का माहौल उत्पन्न किया जा सकता है।
- मंच के लिए नाटक लेखन या किसी फिल्म के लिए पटकथा लेखन और रेडियो नाटक लेखने में काफी समानता है।
- दृश्य के स्थान पर कट दृश्य का लिखा जाना और दृश्य को ध्वनि संकेतों के माध्यम से दिखाया जा सकता है।
(ग) रटंत या कुटेव को बुरी लत क्यों कहा जाता है? नए और अप्रत्याशित विषय पर लेखन द्वारा इस लत से कैसे बचा जा कसता है?
उत्तर:
रटंत का अर्थ है- दूसरों के द्वारा तैयार सामग्री को याद करके ज्यों-का-त्यों प्रस्तुत कर देने की
आदत लत कहे जाने के कारण-
- असली अभ्यास का मौका न मिलना
- भावों की मौलिकता समाप्त हो जाना
- चिंतन-शक्ति क्षीण होना
- सोचने की क्षमता में कमी होना
- दूसरों के लिखे पर आश्रित होना
अप्रत्याशित विषयों पर लेखन द्वारा इस लत से बचा जा सकता है क्योंकि इससे अभिव्यक्ति की क्षमता विकसित होती है। नए विषयों पर विचार अभिव्यक्ति से मानसिक और आत्मिक विकास होता है।
रंटत को बुरी लत इसलिए कहा जाता है क्योंकि जिस विद्यार्थी अथवा व्यक्ति को यह लत लग जाती है, उसके भावों की मौलिकता समाप्त हो जाती है। इसके साथ-साथ उसकी चिंतन शक्ति धीरे-धीरे क्षीण हो जाती है और वह किसी विषय को अपने तरीके से सोचने की क्षमता को खो देता है।
वह सदा ही दूसरों के लिखे हुए पर आश्रित हो जाता है। नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन करते समय हमें विषय से जुड़े हुए तथ्यों को रूपरेखा प्रदान करते हुए उसे आगे बढ़ाने के लिए सोचना चाहिए। उस विषय से जुड़े हुए तथ्यों के बीच में तालमेल बिठाना चाहिए ताकि विचार और तथ्यों में संगतता हो। लेखन करते समय केवल अपनी बौद्धिक क्षमता और तार्किकता पर ध्यान देना चाहिए
तभी इस रंटत से बच सकते हैं। विचारों की अभिव्यक्ति करने में
प्रश्न 9.
निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो लगभग 80 शब्दों में लिखिए- (4 x 2 = 8)
(क) समाचार लेखन की एक विशेष शैली होती है। इस शैली का नाम बताते हुए समाचार लेखन की इस शैली को स्पष्ट कीजिए।
(ख) बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग के अंतर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) समाचार लेखन की एक विशेष शैली का नाम ‘उल्का पिरामिड शैली’ है, जिसमें क्लाइमैक्स बिल्कुल आखिर में आता है। इसे उल्टा पिरामिड इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य या सूचना सबसे पहले दी जाती है और तत्पश्चात् उससे कम महत्त्वपूर्ण और फिर सबसे कम महत्त्वपूर्ण समाचार लिए जाते हैं। इनमें इंट्रो, बॉडी और समापन समाचार प्रस्तुति के तीन चरण होते हैं।
(ख) 1. बीट रिपोर्टर को संवाददाता और विशेषीकृत को विशेष संवाददाता कहते हैं।
2. बीट रिपोर्टर बीट रिपोर्टर को अपने क्षेत्र की जानकारी और उसमें दिलचस्पी होना ही पर्याप्त है उसे केवल सामान्य खबरें ही लिखनी पड़ती हैं जबकि विशेषीकृत रिपोर्टर को अपने विषय क्षेत्र की घटनाओं, मुद्दों व समस्याओं का बारीक विश्लेषण करके उसका अर्थ भी स्पष्ट करना होता है।
3. बीट की रिपोर्टिंग के लिए संवाददाता में उस क्षेत्र के बारे में जानकारी और दिलचस्पी का होना पर्याप्त है लेकिन विशेषीकृत रिपोर्टिंग में सामान्य खबरों से आगे बढ़कर उस विशेष क्षेत्र या विषय से जुड़ी घटनाओं, मुद्दों और समस्याओं का बारीकी से विश्लेषण करना आवश्यक है। बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग से संबंधित उदाहरण भी दिए जा सकते हैं।
(ग) फौचर क्या है? फीचर को परिभाषित करते हुए अच्छे फीचर की किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
फीचर एक सुव्यवस्थित सूजनात्मक और आत्मिक लेखन है जिसका उदेश्य पाठकों को सूचना देने, शिक्षित करने के साथ-साध मुख्य रूप से उनका मनोरंजन करना होता है। फीचर समाचार की तरह पाठकों को तात्कालिक घटनाक्रम से अवगता नहीं कराता। समाचारें से विपरीत फीचर में लेखक के पास अपनी राय या दृष्टिकोण और भावनाएँ जाहिर करने का अवसर होता है। फीचर लेखन कथानत्मक हैली में किया जाता है।
प्रश्न 10.
काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए। (3 x 2 = 6)
(क) ‘आत्मपरिचय’ कबिता में कवि ने अपने जीवन में किन परस्पर विरोधी बातों का सारंजस्य खिडाने की बात की है?
उत्तर:
(क)
- कवि का सांसारिक कठिनाइयों से जूझने पर भी इस जीवन से प्यार करना।
- संसर और विपरीत परिस्थितियों की परवाह ना करना
- उसे संसार का अपूर्ण लगना
- अपने सपनों का अलग ही संसार लिए फिरना
‘आत्मपरिचय’ कविता का कवि सांस्सारिक कठिनाइयों से हारता नहीं है बल्कि उनका मुकाबला करता है और साथ ही साथ उसे अपने जीवन से भी प्यार है। वह अपने जीवन को यों ही नहीं विताना चाहता है। उसे संसार में सामने आई हुई विषम परिस्थितियों की कोई परवाह नहीं है” यस्कि वह ऐसे संसार को अपूर्ण मानता है जिसमें केवल सुख्व ही सुख हो। उसने अपने सपनों का एक अलग ही संसार बसाया तुआ है और वह अपने उसी संसार में खुंश है।
(ख) ‘रस का अक्षयपात्र’ से कवि ने रचनाकर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया हैं?
उत्तर:
(ख)
- रचना कर्म का अक्षयपात्र कभी खाली नहीं होता।
- रचना कर्म अविनाशी और कालवयी।
- कवि की रचनाएँ हमेशा अमर रहती है। पाठकों को अच्छ संदेश और जीवन में सही मार्ग दिख्याती हैं।
- बार-बार पढ़े जाने पर भी कविता का रस समाप्त ना होना।
- इन्हीं विशेषताओं के कारण रचना कर्म को रस का अक्षयपात्र कहना
उत्तर:
(ख) कवि के अनुसार कोई भी रचना को पद़कर, उसका आनंद कभी समाप्त नहीं होता। यह रचना रूप में सदियों तक लोगों के दिलों, मुख तधा भाषा के इतिहास रूप में हमेशा जीवित रहती है। इनका अस्तित्व सदा विद्यमान रहता है। किसी भी युग के पाठक इसका आनंद बिना किसी कठिनाई के ले सकते है। ये प्रसन्नता और आनंद दोनों ही प्रदान करती है। आप जितनी बार उसे पढ़ोगे उसका रस समाप्त नहीं होगा। यह रस देती ही जायेगी। ये द्रॉपदी के अक्षयपात्र के समान है, जिसमें भोजन कभी भी समाप्त नहीं होता था इसलिए कवि ने रचना के रस की तुलना अक्षयपात्र से की है।
(ग) ‘विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते’ पंक्ति में
‘विप्लव” से क्या तात्पर्य है? ‘छोटे ही हैं शोभा पाते ‘ ऐसा क्यों कहा गया है ?
उत्तर:
- ‘विष्लव-रव’ से कवि का तात्पर्य क्रांति से है। क्रांति गरीब लोगों या आम जनाता में जोश भर देती है।
- गरीब और आम जनता ही शोषण का शिकार होती है।
- समाज में क्रांति इन्ही से आरंभ होती है, इसीलिए यही क्रांति के जनक होते है।
- क्रांति का आगाज होते ही ये नए और सुनहरर भविष्य के सपने संजोने लगते हैं, जिसकी चमक इनके चेहरे पर स्पष्ट दृष्टियोचर होना।
- इसीलिए छोटे ही क्राँंति (विप्लव-रव) के समय शोभा पाते हैं।
उत्तर:
(ग) ‘विप्लव-र्व’ से कवि का तात्पर्य क्रांति से है। सामान्य तौर पर गरीब और आम जनता ही शोषण का शिकार होती है। क्रांति गरीब और आम जनता को जोश से भर देती है। समाज में क्रांति के जनक ये ही आम जनता होती है इससिए क्रांति इन्ही से आरंभ होती है। क्रांति का आगाज होते ही ये वए और सुनहरे भविष्य के सपने संजोने लगते है, जिसकी चमक इनके चेहरे पर स्पष्ट रूप से नजर आती है इसलिए छोटे ही क्रांति में शोभा पाते है।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शबद्दों में लिखिए- (2 x 2 = 4)
(क) ‘पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे है’, बच्चों का उड्रान से कैसा संबंध है ?
उत्तर:
- बच्दों को पतंग का बहुत प्रिय होना
- आकाश में इहृती पतंग देखकर बच्यों के मन का उद्शान भरना
- पतंग की भौंति बालमन का ऊँचाइयों को छूने की चाह
- आसमान से पार जाने की चाह
- पतंग की उड़ान का बच्चों के रंग-बिरंगे सपने के समान होना
- बालकों का मन चंचल होना
उत्तर:
(क) पतंग के साथ-साथ वो भी उड़ रहे हैं यह कहकर बच्चों से तुलना लेखक ने इसलिए की है क्योंकि पतंग की उड़ान देखकर बच्चों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। जैसे पतंग खुले आकाश में उड़ रही है और गोते लगा रही है वैसे ही मस्ती में बच्चे झूम रहे हैं मानो बच्चों को भी उड़ान भरने का मौका मिल गया हो। इसक दूसरा अर्थ यह भी है कि पतंग की भांति बच्चों को भी खुले आकाश में मस्ती के साथ उड़ने की आजादी दी जानी चाहिए। जैसे बच्चे पतंग की उड़ान को देखकर हर्षित हैं वैसे ही बच्चों को भी खुद के उड़ान के लिए प्रेरित होना चाहिए।
(ख) बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं किंतु कभी-कभी भाषा के चक्कर में सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती हैं कैसे?
उत्तर:
- बात भाव है और भाषा उसे प्रकट करने का माध्यम।
- बात और भाषा में चोली-दामन का साथ
- कभी-कभी भाषा के चक्कर में सीधी बात भी टेढ़ी होना।
- मनुष्यों का शब्दों के चमत्कार में उलझकर इस गलतफहमी का शिकार होना कि कठिन और नए शब्दों के प्रयोग से अधिक प्रभावशाली ढंग से बात कही जाती है।
- भाव को भाषा का साधन बना लेना।
- भाव की अपेक्षा भाषा पर अधिक ध्यान दिए जाने के कारण भाव की गहराई समाप्त होना।
उत्तर:
(ख) जब कवि कविता के बाहरी रूप अर्थात् शिल्प पर अधिक बल देता है, तो कविता का सीधा-सादा कथ्य भी सहज रूप में पाठकों तक नहीं पहुँच पाता । भाषा की साज-सज्जा के चक्कर में कविता की आत्मा बात-अनकही रह जाती है। कवि ने यही किया। वह अपनी बात या मनोभाव को अत्यन्त प्रभावशाली भाषा में प्रकट करने के चक्कर में फंस गया। भाषा के सुधार और बदलाव पर उसने जितना जोर दिया बात उतनी अस्पष्ट होती गई। भाषा को ही महत्व देने वाले लोगों के उकसाने में आकर स्थिति कवि के नियंत्रण से बाहर हो गई। अधीर होकर बिना सोचे-समझे उसने बात को भाषा में बलपूर्वक स्थापित करने की कोशिश की और वह अपने उद्देश्य में विफल हो गया।
(ग) कवितावली के छंदों के आधार पर स्पष्ट करें कि तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमता की अच्छी समझ है।
उत्तर:
तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमता की अच्छी समझ थी क्योंकि ‘कवितावली’ में उनके द्वारा-
- समकालीन समाज का यथार्थ चित्रण
- समाज के विभिन्न वर्गों का चित्रण
- गरीबी के कारण लोगों द्वारा अपनी संतान तक
- बेच देने का वर्णन
- दरिद्रता रूपी रावण का हाहाकार दिखाना
- किसानों की होन दशा का मार्मिक वर्णन
उत्तर:
(ग) कवितावली में वर्णित छंदों से यह ज्ञात होता है। कि तुलसीदास को अपने युग में व्याप्त आर्थिक विषमताओं का भली-भाँति ज्ञान था। उन्होंने समकालीन समाज का सजीव एवं यथार्थपरक चित्रण किया है, जो आज भी सत्य प्रतीत होता है। उन्होंने लिखा है कि उनके समय में लोग बेरोजगारी एवं भुखमरी की समस्या से परेशान थे। मजदूर, किसान, नौकर, भिखारी आदि सभी दुःखी थे। गरीबी के कारण लोग अपनी संतान तक को बेचने के लिए तैयार थे। सभी और विवशता का वातावरण था।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर: लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 x 2 = 6)
(क) बाजार किसी का लिंग, जाति, धर्म, क्षेत्र नहीं देखता, बस देखता है सिर्फ उसकी क्रय शक्ति को, और इस रूप में वह एक प्रकार से सामाजिक समता की भी रचना कर रहा है। आप इस कथन से कहाँ तक सहमत हैं? स्पष्ट करके लिखिए।
उत्तर:
(क) उचित स्पष्टीकरण पर उचित अंक दिए जाएँ हम इस कथन से पूर्णतः सहमत हैं क्योंकि-
- बाजार किसी का लिंग, जाति, धर्म और क्षेत्र नहीं देखता सिर्फ ग्राहक की क्रय शक्ति देखता है।
- उसे इस बात से कोई मतलब नहीं कि खरीददार औरत है या मर्द, हिंदू है या मुसलमान, क्या है या वह किस क्षेत्र विशेष से है।
- यहाँ हर व्यक्ति ग्राहक है।
- आज जबकि जीवन के हर क्षेत्र में भेदभाव है ऐसे में बाजार हर एक को समान मानता है।
- बाजार का काम है वस्तुओं का विक्रय, उसे तो ग्राहक चाहिए फिर चाहे वह कोई भी हो
इस प्रकार यह सामाजिक समता की भी रचना कर रहा है।
(क) यह बात बिल्कुल सत्य है कि बाजारवाद ने कभी किसी को लिंग, जाति, धर्म या क्षेत्र के आधार पर नहीं देखा। उसने केवल व्यक्ति के खरीदने की शक्ति को देखा है। जो व्यक्ति सामान खरीद सकता है वह बाजार में सवंश्रेष्ठ है। कहने का आशय यही है कि उपभेक्तावादी संस्कृति ने सामाजिक समता स्थापित की है। बही आज का बाजारवाद है।
(ख) कहानी के किस-किस मोड पर लुट्नन के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आप्?
उत्तर:
कहानी के आरंभ मे लुद्न के माता-पिता का चल बसना और सास द्वारा पालन-पोषण किया जाना। कहनी के मध्य में दंगल जीतकर उसका मशाहूर पहलवान बन जाना, तुख-सुविधा के सब सामान पास होना, दो जवान बेटे का किता बन जाना पर पत्नी का स्वर्ग सिधारना।
कहानी के अंत में हैजे से दोनों बेटों की मृत्यु और स्वयं भी हैजे का शिकार होकर संसार से चला जाना।
उत्तर:
लुट्टन पहलवान का जीवन उतार-चढ़ावों से भरपूर रही। जीवन के हर दुइस्ख-सुख से उसे दो-चार होना पड़ा। सबसे चहले उसने चाँद सिंह पहलवान को हराकर राजकीय पहलवान का दर्जा प्राप्त किया। फिर काला खाँ को भी परास्त कर अपनी धाक आसपास के गौंठों में स्थाषित कर ली। वह पंद्रह वर्षों तक अजेय पहलवान रहा। अपने दोनों बेटों को भी उसने राजकीय पहलवान बना दिया। राजा के मरते ही उस पर दु:खों का पहाड़ दूट पड़ा। किलायत से राजकुमार ने आते ही पहलवान और उसके दोनों बेटों को राजदरबार से अवकाश दे दिया। गाँव में फैली बीमारी के कारण एक दिन दोनों बेटे चल बसे। एक दिन पहलवान भी चल बसा और उसकी लाश को सियारों ने ख्वा लिया। इस प्रकार दूसरों को जीवन संदेश देने वाला पहलवान स्वर्य खामोश हो गया।
(ग) जाति-प्रथा भारतीय समाज में बेरोजगारी और भुछमारी का भी एक कारण कैसे बनती जा रही है? क्या यह स्थिति आज भी है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
- जाति-प्रथा के बंधन के कराण मनुष्य को अपना पेशा बदलने की स्वतंत्रता नाही होती।
- इसी कारण उसे पूरों मरने तक की नौवत आ जाती है।
- जाति-प्रथा पैतृक पेशा अपनाने पर जोर देती है, भले ही वह इस पेशे में पारंगत ना हो।
- जाति-प्रथा व्यकित को पेशे विशेष से बाँधकर रख्तती है, जो समाज में बेरोजगारी और भुखमारी का कारण बनता है।
आज समाब की स्थिति में परिवर्तन आ रहा है। आज व्यक्ति को अपना पेशा चुनने और बदलने का अधिकार है।
(ग) जाति-प्रथा भारतीय समाज में बेरोजगारी व भुखामारी का भी एक कारण बनती रही है क्योंकि यहौँ जातिप्रश्रा पेशो का दोषपूर्ण पूर्वनिधारण ही नहीं करती बल्कि मनुष्य को जीवन भर के लिए एक पेशे में चँध भी देती है। उसे पेशा बदलने की अनुपति नही होती। भले ही पेशा अनुपयुक्त या अपर्याप्त होने के कारण वह भूखों मर जाए। आधुनिक युग में यह स्थिति आती है क्योंकि उद्योग-धंधों की प्रक्रिखा व तकनीक में निरंतर विकास और कभी-कभी अकस्मात् परिवर्तन हो जाता है जिसके कारण मनुष्य को अपना पेशा बदलने की आवश्यकता पहु सकती है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए- (2 x 2 = 4)
(क) लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत (संन्यासी) की तरह कयों माना है?
उत्तर:
- संन्यासी की तरह ही सुख-दुइख की परवाह ना करना
- जीचन की अजेयता के मंत्र की होषणा करना
- बाहर की गमी, धूप, बारिश से प्रभावित ना होना
- धैर्य के साथ प्रतिकूल परिस्थितियों में अज्जेय जीवन व्यतीत करना
- भावनाओं की भीषण गर्मी में भी अज्जेय रहना
उत्तर:
(क) ‘आधार्य हजारी प्रसाद् द्विवेदी’ शिरीष को अद्धुत अवधूत मानते हैं, क्योकि संन्यासी की भाँति वह सुख-दुइख की चिता नहीं करता। शिरीष कालजयी अवधूत की भाँति जीवन की अजेयता के मंत्र का प्रसार करता है। जब पृथ्वी अगिन के समान तप रही होती है वह तब भी कोमल फूलों से लदा लहलहाता रहता है। बाहरी गर्मी, धूप, वर्षा अंधि, लू उसे प्रभाखित नहीं करती। इतना ही नहीं वह लांबे समय तक रिखला रहता है। शिरीच विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्यशील तथा अपनी अजेय जिजीविषा के साथ निस्पृह भाव से प्रचंड गमीं में भी अबिचल खड़ा रहता है।
(ख) लोगों ने लइकों की टोली को मेंडक्क-मडली नाम किस आधार पर दिया? यह टोली अपने आप को इंद्रसेना कहकर क्यों युलाती थी?
उत्तर:
- गाँव के लोगों का किशोर लड़कों की उध्ल-कूद से चिढ़ना
- उनकी वजह से होने वाले सड़क के कीचड़ से चिद्धना
- इंद्रसेना कहे जाने के कारण
- भगवान इंद्र से वर्षा की विनती करना
- स्वयं को इंद्र की सेना के सेनिक मानना
उत्तर:
(ख) गाँव के कुछ लोगों को लड़कों के नंगे शरीर, उछल-कूद, शोर-शराबे और उनके कारण गली में होने वाले कीचड़ से चिढ़ थी। वे इसे अंधविश्वास मानते थे। इसी कारण वे इन लड़कों की टोली को मेढक – मंडली कहते थे। यह टोली स्वयं को ‘इंदर सेना’ कहकर बुलाती थी। ये बच्चे इकट्ठे होकर भगवान इंद्र से वर्षा करने की गुहार लगाते थे । बच्चों को मानना था कि वे इंद्र की सेना के सैनिक हैं तथा उसी के लिए लोगों से पानी माँगते हैं ताकि इंद्र बादलों के रूप में बरसकर सबको पानी दें।
(ग) भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं।
लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर:
- भक्तिन भोली-भाली, बुद्धिमान, सेवाभाव वाली थी किंतु उसकी भक्ति में कुछ दुर्गुण भी थे
- जैसे- पैसो को भडांर घर की मटकी में छुपाकर रखना
- लेखिका से बेवजह तर्क-वितर्क करना
- लेखिका से झूठ बोलना
- शास्त्रों में लिखी बातों की व्याख्या अपने अनुसार करना
उत्तर:
(ग) भक्तिन में अनेक गुण थे, जैसे- परिश्रमी, तेजस्विनी, पति के प्रति रोम-रोम से अर्पित, अपनी मालकिन के प्रति समर्पित, कर्मठता आदि, परन्तु उसमें दुर्गुणों की भी कमी नहीं थी । लेखिका के इधर-उधर पड़े पैसे रुपये वह भण्डार घर की किसी मटकी में छिपा कर रख देती। लेखिका को जिस बात पर क्रोध आता तो वह उसे घुमा-फिरा कर बताती । उसकी बुराई का एक पक्ष यह भी था कि वह अपने को नहीं बदल सकी अपितु उसने लेखिका को देहातिन बना दिया। विद्या के महत्व को न जानकर पढ़ना-लिखना नहीं सीखा। शास्त्रों का ज्ञान न होने पर भी शास्त्रों की व्याख्या अपने ढंग से दे देती थी।