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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi B Set 5 with Solutions
समय: 3 घंटे
पूर्णाक: 80
सामान्य निर्देशः
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं-खंड ‘अ’ और खंड ‘ब’।
- खण्ड ‘ अ ‘ में उपप्रश्नों सहित 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए कुल 40 प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- खण्ड ‘ब’ मे वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए।
- दोनों खंडों के कुल 18 प्रश्न हैं। दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खण्ड – ‘अ’
(वस्तुपरक प्रश्न)
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
अपने इतिहास के अधिकांश कालों में भारत एक सांस्कृतिक इकाई होते हुए भी पारस्परिक युद्धों से जर्जर होता रहा है। यहाँ के कुछ शासक अपने शासन काल में धूर्त एवं असावधान थे । समय-समय पर यहाँ दुर्भिक्ष, बाढ़ तथा प्लेग के प्रकोप होते रहे, जिससे सहस्त्रों व्यक्तियों की मृत्यु हुई । जन्मजात असमानता की मान्यता धर्मसंगत तो मानी गई, जिसके फलस्वरूप नीच कुल के व्यक्तियों का जीवन अभिशाप बन गया। इन सबके होते हुए भी हमारा विचार है कि पुरातन संसार के किसी भी भाग में मनुष्य के मनुष्य से तथा मनुष्य के राज्य से ऐसे सुंदर एवं मानवीय संबंध नहीं रहे हैं। किसी भी अन्य प्राचीन सभ्यता में गुलामों की संख्या इतनी कम नहीं रही जितनी भारत में और न ही अर्थशास्त्र के समान किसी प्राचीन ग्रंथ ने मानवीय अधिकारों की इतनी सुरक्षा की। मनु के समान किसी अन्य प्राचीन स्मृतिकार ने युद्ध में न्याय के ऐसे उच्चादर्शों की घोषणा भी नहीं की। भारत के युद्धों के इतिहास में कोई भी ऐसी कहानी नहीं जिसमें नगर के नगर तलवार से मृत्यु के घाट उतारे गए हों अथवा शांतिप्रिय नागरिकों का सामूहिक वध किया गया हो । असीरिया के बादशाहों की भयंकर क्रूरता जिसमें वे अपने बंदियों की खालें खिंचवा लेते थे, प्राचीन भारत में पूर्णत: अप्राप्य है।
नि:संदेह कहीं-कहीं क्रूरता एवं कठोरतापूर्ण व्यवहार था, परंतु अन्य प्रारंभिक संस्कृतियों की अपेक्षा नगण्य था। हमारे लिए प्राचीन सभ्यता की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता उसकी मानवीयता है।
(1) प्राचीन काल में भारत की स्थिति क्या थी?
(क) उन्नत
(ख) आदर्शवादी
(ग) जर्जर
(घ) सभ्य
उत्तर:
(ग) जर्जर
(2) मानव अधिकारों की सुरक्षा का क्या प्रमाण है?
(क) अर्थशास्त्र
(ख) महाभारत
(ग) रामायण
(घ) विनयपत्रिका
उत्तरः
(क) अर्थशास्त्र
(3) युद्ध में न्याय के उच्च आदर्शों की घोषणा किसने की ?
(क) महात्माओं ने
(ख) साधुओं ने
(ग) मनु ने
(घ) ईश्वर ने
उत्तर :
(ग) मनु ने
(4) भारत की सभ्यता की क्या विशेषता है ?
(क) मानवीयता
(ख) अराजकता
(ग) साम्प्रदायिकता
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तरः
(क) मानवीयता
(5) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A) : प्राचीन सभ्यता में गुलामों की संख्या इतनी कम नहीं रही जितनी भारत में और न ही अर्थशास्त्र के समान किसी प्राचीन ग्रंथ ने मानवीय अधिकारों की इतनी सुरक्षा की।
कारण (R) : भारतीय संस्कृति में हमेशा से राजा तथा गुलामों के समान अधिकार पर महत्व दिया गया है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ख) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है ।
(ग) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तरः
(ग) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
2. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
सत्संगति द्वारा हमारे सद्गुणों का विकास होता है। हम दयालु, परोपकारी, पुरुषार्थी, न्यायप्रिय तथा ईमानदार बनते हैं। सज्जनों के बीच उठने-बैठने से हमारी विचारों की संकीर्णता तथा बुद्धि की जड़ता दूर होती है । व्यवहार में विनम्रता आती है। सत्संगति मनुष्य को बुरे कर्म
करने से रोकती है। विश्व के ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं, जहाँ सत्संगति ने मनुष्य को केवल ऊँचा ही नहीं उठाया बल्कि अमर बना दिया। जो अंगुलिमाल ने महात्मा बुद्ध की संगति में आकर हिंसा का मार्ग छोड़कर अहिंसा का मार्ग अपनाया। डाकू रत्नाकर को कौन नहीं जानता, साधु की संगति में आकर ही डाकू से रामायण के रचनाकार बन अमर बन गए। इसके विपरीत कुसंगति में पड़कर व्यक्ति अच्छाई की राह छोड़कर पतन के मार्ग पर चलने लगता है।
अतः मनुष्य को सदा प्रयास करना चाहिए कि वह सज्जन लोगों की संगति में रहे क्योंकि सत्संगति हमें उत्थान की ओर ले जाती है और कुसंगति पतन की ओर । सत्संगति में रहकर हमारा जीवन आनंदमय, शांतिमय तथा सुखमय हो जाता है।
(1) सत्संगति द्वारा हमारे किन गुणों का विकास होता है ?
(क) दया
(ख) परोपकार
(ग) पुरुषार्थ
(घ) सभी
उत्तर:
(घ) सभी
(2) मनुष्य को बुरे कर्म करने से कौन रोकता है?
(क) उत्सुकता
(ख) संकीर्णता
(ग) सत्संगति
(घ) अनासक्ति
उत्तरः
(ग) सत्संगति
(3) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(i) हमारे व्यक्तित्व पर अच्छी संगति का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
(ii) अच्छी संगति में रहने वाला व्यक्ति अच्छा कार्य करता है ।
(iii) डाकू रत्नाकर ने रामायण की रचना की।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा / कौन-से कथन सही है/ सही हैं ?
(क) केवल (i)
(ख) केवल (ii)
(ग) (i) और (ii)
(घ) (ii) और (iii)
उत्तरः
(घ) (ii) और (iii)
(4) डाकू रत्नाकर ने किस ग्रंथ की रचना की ?
(क) महाभारत
(ख) रामायण
(ग) विनयपत्रिका
(घ) रामचरितमानस
उत्तरः
(ख) रामायण
(5) अंगुलिमाल को किसने उपदेश दिया ?
(क) किसी साधु ने
(ख) रत्नाकर ने
(ग) किसी सज्जन ने
(घ) महात्मा बुद्ध ने
उत्तर :
(घ) महात्मा बुद्ध ने
3. निर्देशानुसार ‘पदबंध’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 4 = 4)
(1) मेरे बगीचे में रंग-बिरंगे फूल खिले हैं। (रेखांकित पदबंध का प्रकार बताइए)-
(क) सर्वनाम पदबंध
(ख) विशेषण पदबंध
(ग) संज्ञा पदबंध
(घ) क्रिया पदबंध
उत्तर :
(ग) संज्ञा पदबंध
(2) मेरे परिचित लोगों में से कोई भी यहाँ दिखाई नहीं देता । (वाक्य में सर्वनाम पदबंध है) –
(क) मेरे परिचित
(ख) लोगों में से
(ग) दिखाई नहीं देता
(घ) मेरे परिचित लोगों में से कोई
उत्तरः
(घ) मेरे परिचित लोगों में से कोई
(3) दया करने वाले लोग किसी का कष्ट नहीं देख पाते । (रेखांकित पदबंध का प्रकार बताइए ) –
(क) सर्वनाम पदबंध
(ख) विशेषण पदबंध
(ग) क्रिया पदबंध
(घ) संज्ञा पदबंध
उत्तर :
(ख) विशेषण पदबंध
(4) मानस कहानी सुनते-सुनते सो गया। (रेखांकित पदबंध का प्रकार बताइए ) –
(क) सर्वनाम पदबंध
(ख) विशेषण पदबंध
(ग) क्रिया विशेषण पदबंध
(घ) संज्ञा पदबंध
उत्तरः
(ग) क्रिया विशेषण पदबंध
(5) पिछले दो घंटे से वर्षा हो रही है । (रेखांकित पदबंध का प्रकार बताइए ) –
(क) सर्वनाम पदबंध
(ख) विशेषण पदबंध
(ग) संज्ञा पदबंध
(घ) क्रिया – विशेषण पदबंध
उत्तर:
(घ) क्रिया – विशेषण पदबंध
4. निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 4 = 4)
(1) निम्नलिखित वाक्यों में से मिश्र वाक्य छाँटकर लिखिए-
(क) जो धनी है वो सब कुछ खरीद सकते हैं।
(ख) धनी लोग सब कुछ खरीद सकते हैं।
(ग) सब कुछ खरीद सकते हैं धनी ।
(घ) सभी गलत हैं।
उत्तरः
(क) जो धनी है वो सब कुछ खरीद सकते हैं।
(2) मेरे बुलाने पर भी वह नहीं आई । (संयुक्त वाक्य में बदलिये)
(क) बुलाने पर वह नहीं आई ।
(ख) मैंने उसे बुलाया पर वह नहीं आई ।
(ग) मेरे बुलाने पर वह नहीं आई।
(घ) सभी त्रुटिपूर्ण हैं।
उत्तर :
(ख) मैंने उसे बुलाया पर वह नहीं आई।
(3) निम्नलिखित वाक्यों में से सरल वाक्य छाँटकर लिखिए-
(क) व्यक्ति परिश्रम करे तो कुछ भी मुश्किल नहीं होता ।
(ख) परिश्रमी व्यक्ति के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं होता ।
(ग) जो परिश्रमी व्यक्ति है उसके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं होता ।
(घ) सभी त्रुटिपूर्ण हैं।
उत्तरः
(ख) परिश्रमी व्यक्ति के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं होता ।
(4) सौम्या ने चुटकुला सुनाया और सभी हंसने लगे। (मिश्रित वाक्य में बदलिए)-
(क) सौम्या ने चुटकुला सुनाया तो सभी हंसने लगे ।
(ख) सौम्या ने हंसने वाला चुटकुला सुनाया ।
(ग) सौम्या के चुटकुला सुनाते ही सभी हंसने लगे ।
(घ) सभी त्रुटिपूर्ण हैं।
उत्तर:
(ग) सौम्या के चुटकुला सुनाते ही सभी हंसने लगे ।
(5) आशा बाजार कपड़े लेने गई । (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(क) आशा बाजार गई और उसने कपड़े लिये ।
(ख) आशा ने बाजार से कपड़े लिए।
(ग) बाजार जाकर आशा ने कपड़े लिए।
(घ) आशा ने कपड़े लिए बाजार जाकर ।
उत्तर:
(क) आशा बाजार गई और उसने कपड़े लिये ।
5. निर्देशानुसार समास पर आधारित पाँच बहुविकल्पी प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 4 = 4)
(1) ‘मूषक है वाहन जिसका (गणेश) ‘ समस्तपद बताइए-
(क) मूषकवाहन
(ख) मुसकवाहन
(ग) मुशकवाहन
(घ) जैनेन्द्रिय
उत्तर:
(क) मूषकवाहन
(2) ‘त्रिवेणी’ में कौन-सा समास है?
(क) तत्पुरुष समास
(ख) बहुव्रीहि समास
(ग) कर्मधारय समास
(घ) द्विगु समास
उत्तर:
(घ) द्विगु समास
(3) निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए-
समस्तपद | समास |
(i) चतुरानन | (i) द्विगु समास |
(ii) तिरंगा | (ii) बहुव्रीहि समास |
(iii) चंद्रमुख | (iii) कर्मधारय समास |
(iv) बुद्धिहीन | (iv) तत्पुरुष समास |
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं-
(क) (iii) और (iv)
(ग) (i) और (iv)
(ख) (iv) और (i)
(घ) (ii) और (iii)
उत्तरः
(क) (iii) और (iv)
(4) उसने अन्न और जल त्याग दिया। (रेखांकित पदों का समस्तपद बताकर समास का नाम बताइए ) –
(क) अन्नाजल / तत्पुरुष
(ख) अन्न-जल / द्वंद्व समास
(ग) अन्न या जल / कर्मधारय
(घ) अन्न-जल / अव्ययीभाव
उत्तर : (ख) अन्न-जल / द्वंद्व समास
(5) आकंठ का विग्रह बताइए –
(क) अकंठ
(ख) कंठ में
(ग) कंठ तक
(घ) कोई भी नहीं
उत्तरः (ग) कंठ तक
6. निर्देशानुसार मुहावरे पर आधारित छः बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1 × 4 = 4)
(1) मुहावरे और अर्थ के उचित मेल वाले विकल्प का चयन कीजिए-
(क) अपना ही राग अलापना – सबसे अलग रहना
(ख) चींटी के पर निकलना – निराशा का अनुभव करना
(ग) घाव पर नमक छिड़कना – निर्दोष पर दोष लगाना
(घ) एक लाठी से हाँकना – अच्छे-बुरे का अंतर न करना
उत्तर:
(घ) एक लाठी से हाँकना – अच्छे-बुरे का अंतर न करना
(2) ‘बाग-बाग होना’ मुहावरे का अर्थ बताइए-
(क) कल्पना लोक में रहना
(ख) कुछ न सूझना
(ग) बहुत प्रसन्न होना
(घ) दुस्साहस करना
उत्तर:
(ग) बहुत प्रसन्न होना
(3) ‘रोड़ा अटकाना’ मुहावरे का अर्थ है-
(क) बढ़ा-चढ़ाकर बात करना
(ख) खत्म करना
(ग) गायब होना
(घ) बाधा डालना
उत्तरः
(घ) बाधा डालना
(4) अपनी नई कमीज पर दाग देखकर पिताजी ………. हो गए। (रिक्त स्थान की पूर्ति उचित मुहावरे द्वारा करें ।)
(क) अंधे की लाठी
(ख) राई का पहाड़
(ग) मिट्टी का माधो
(घ) आपे से बाहर
उत्तर:
(घ) आपे से बाहर
(5) ‘गंगा नहाना’ मुहावरे का सही अर्थ क्या है ?
(क) कठिन कार्य पूरा होना
(ख) सदाचार का पालन करना
(ग) पवित्र होना
(घ) कार्य को अधूरा छोड़ना
उत्तर:
(क) कठिन कार्य पूरा होना
(6) ‘घाट-घाट का पानी पीना’ मुहावरे का सही अर्थ क्या है ?
(क) रोजगार के नए-नए अवसर तलाशना
(ख) अत्यन्त लज्जित होना
(ग) तरह-तरह के अनुभव प्राप्त करना
(घ) अनेक लोगों से मित्रता करना
उत्तर:
(ग) तरह-तरह के अनुभव प्राप्त करना
7. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
‘मनुष्य मात्र बंधु है’ यही बड़ा विवेक है,
पुराणपुरुष स्वयंभू पिता प्रसिद्ध एक है।
फलानुसार कर्म के अवश्य बाह्य भेद हैं
परंतु अंतरैक्य में प्रमाणभूत वेद हैं।
अनर्थ है कि बंधु ही न बंधु की व्यथा हरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे ॥
(1) मनुष्य की समझदारी किसमें है?
(क) बंधुत्व में
(ख) वेद पढ़ने में
(ग) अनर्थ करने में
(घ) प्रसिद्धि में
उत्तर:
(क) बंधुत्व में
(2) सभी की आत्मा में किसका निवास है?
(क) मैं का
(ख) अहंकार का
(ग) परमात्मा का
(घ) घमंड का
उत्तरः
(ग) परमात्मा का
(3) अंतरैक्य का अर्थ है-
(क) अंतर होना
(ख) आत्मा की एकता
(ग) अधिक एकता
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) आत्मा की एकता
(4) अनर्थ का विलोम शब्द है-
(क) सअर्थ
(ख) अर्थ
(ग) अनर्थक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तरः
(ख) अर्थ
(5) निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए-
(i) ईश्वर का जन्म स्वयं से हुआ है।
(ii) मनुष्य यदि दूसरे मनुष्य का कष्ट दूर न करे तो यह अनुचित है।
(iii) सभी मनुष्यों को अपना मानना चाहिए।
(iv) हमारी आंतरिक एकता का साक्षी आकाश है।
(v) मनुष्य सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ है।
पद्यांश के अर्थ से मेल खाते वाक्यों के लिए उचित विकल्प चुनिए-
(क) (i), (ii) और (iv)
ख) (i), (ii) और (iii)
(ग) (i), (iii) और (v)
(घ) (ii), (v) और (iv)
उत्तरः
(ख) (i), (ii) और (iii)
8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 2 = 2)
(1) बाग में रखी तोप हमें क्या सीख देती है ?
(क) पूर्वजों की गलतियों का अहसास करवाती है।
(ख) पुरानी गलतियों को न दोहराने की
(ग) दोबारा किसी विदेशी पर भरोसा न करने की
(घ) सभी
उत्तरः
(घ) सभी
(2) ‘विपदाओं से मुझे बचाओ यह मेरी प्रार्थना नहीं’ – पंक्तियाँ किस कविता से ली गई है ?
(क) रश्मि
(ख) आत्मपरिचय
(ग) आत्मत्राण
(घ) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर:
(ग) आत्मत्राण
9. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)
ऐसी एक घटना का जिक्र सिंधी भाषा के महाकवि शेख अयाज ने अपनी आत्मकथा में किया है। उन्होंने लिखा है- “एक दिन उनके पिता कुएँ से नहाकर लौटे । माँ ने भोजन परोसा। उन्होंने जैसे ही रोटी का कौर तोड़ा। उनकी नजर अपनी बाजू पर पड़ी। वहाँ एक काला च्योंटा रेंग रहा था।” वह भोजन छोड़कर उठ खड़े हुए। ‘ माँ ने पूछा, ‘क्या बात है ? भोजन अच्छा नहीं लगा ?’ “शेख अयाज के पिता बोले, ‘नहीं, यह बात नहीं है। मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया है। उस बेघर को कुएँ पर उसके घर छोड़ने जा रहा हूँ।”
(1) महाकवि शेख अयाज़ किस भाषा के कवि थे ?
(क) हिंदी
(ख) अंग्रेजी
(ग) सिंधी
(घ) फारसी
उत्तर :
(ग) सिंधी
(2) शेख अयाज़ ने क्या लिखा ?
(क) एकांकी
(ख) कहानी
(ग) उपन्यास
(घ) आत्मकथा
उत्तर:
(घ) आत्मकथा
(3) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A) : मैंने एक घरवाले को बेघर कर दिया है। उस बेघर को कुएँ पर उसके घर छोड़ने जा रहा हूँ ।
कारण (R) : शेख अयाज़ के पिता के मन में प्रत्येक प्राणी के लिए संवेदना थी ।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं ।
(ख) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है ।
(ग) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तरः
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है ।
(4) काला च्योटा कहाँ रेंग रहा था ?
(क) पिता की बाजू पर
(ख) शेख अयाज की बाजू पर
(ग) माँ की बाजू पर
(घ) जमीन पर
उत्तरः
(क) पिता की बाजू पर
(5) पिता को अपराध बोध क्यों हुआ ?
(क) च्योटा को मारने के कारण
(ख) भोजन छोड़ने के कारण
(ग) च्योटा को बेघर करने के कारण
(घ) शेख अयाज़ को कष्ट देने के कारण
उत्तर:
(ग) च्योटा को बेघर करने के कारण
10. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 2 = 2)
(1) निम्नलिखित वाक्यों में से कौन-सा वाक्य ‘ कारतूस’ एकांकी में निहित भाव को स्पष्ट करता है ?
(i) देश के लिए सर्वस्व बलिदान करने का नाम ही देशभक्ति है।
(ii) साहस तथा हिम्मत से किसी भी कार्य को संभव बनाया जा सकता है।
(iii) भौतिक सुख के लिए मनुष्य को सब कुछ बलिदान कर देना चाहिए ।
(iv) आत्मसम्मान की भावना भौतिक सुखों से अधिक मूल्यवान है।
(क) (i), (ii) और (iv)
(ख) (i), (ii) और (iii)
(ग) (i), (iii) और (iv)
(घ) (ii), (iii) और (iv)
उत्तरः
(क) (i), (ii) और (iv)
(2) पतझर में टूटी पत्तियाँ’ में दो प्रसंगों के माध्यम से लेखक ने किस बात की प्रेरणा दी है ?
(ख) जागरूक रहने की
(क) सक्रिय नागरिक बनने की
(ग) अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने की
(घ) जागरूक रहने की
उत्तरः
(क) सक्रिय नागरिक बनने की
खण्ड – ‘ब’
(वर्णनात्मक प्रश्न)
11. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
(1) प्रेम रूढ़ियों का बंधन नहीं मानता। समाज की प्रगति में रूढ़ियाँ बंधन बन जाती हैं। पाठ्य पुस्तक के पठित पाठ के आधार पर बताइए कि रूढ़ियाँ किस प्रकार समाज की प्रगति में बाधा बन जाती हैं?
उत्तर:
रूढ़ियाँ और बंधन समाज को अनुशासित करने के लिए बनते हैं, किंतु ये तभी तक सही हैं जब तक वे इन उत्तरदायित्वों को पूरा करते हैं परन्तु जब इन्हीं के कारण मनुष्यों की भावनाओं को ठेस पहुँचने लगे और ये सब बोझ लगने लगें तो उनका टूट जाना ही अच्छा होता है। रूढ़ियाँ जब हमारी सोच को सीमित कर प्रगति के मार्ग को अवरुद्ध कर देतीं हैं तब इसमें आधुनिकता का समावेश करना आवश्यक हो जाता है। पाठ तताँरा वामीरो कथा में रूढ़ियों के कारण तताँरा और वामीरो का विवाह नहीं हो सकता था, जिसके कारण दोनों को अपनी जान गँवानी पड़ी। इस प्रकार जहाँ रूढ़ियाँ किसी का भला करने की जगह नुकसान करे और रूढ़ियाँ आडंबर लगने लगे तो वहाँ इनका टूट जाना बेहतर होता है।
(2) सभी प्राणियों में अधिक बुद्धिमान होने के कारण मनुष्य बुद्धिजीवी कहा जाता है। परंतु मनुष्य किस प्रकार आज अपनी बुद्धि का विकास संसार के पतन के लिए कर रहा है? पठित पाठ ‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए ।
उत्तरः
मनुष्य ने पृथ्वी, उसके जीवों तथा स्वयं को बाँट दिया है। भगवान इस धरती को सबके लिए बनाया है। इसमें हर प्राणी का समान अधिकार है। कोई एक इसे अपनी जागीर नहीं समझ सकता । अतः कोई एक इस पर अपना अधिकार दिखाने का प्रयास करे, यह उचित नहीं है। यह पृथ्वी किसी एक की नहीं बल्कि सभी की है। मनुष्य ने अपनी शक्ति के मद में अँधे होकर केवल जीव-जंतुओं को ही अलग नहीं किया है बल्कि आज मनुष्य का मन इतना संकुचित हो गया है कि परिवार को भी टुकड़ों में बाँट दिया गया है, इस कारण एक-दूसरे दूर होने के कारण आपसी मतभेद हो गए हैं। पहले सभी मिल-जुलकर एक परिवार में रहते थे। आज छोटे-छोटे डिब्बों जैसे घरों में रहने को बाध्य हैं। आज का मानव सिर्फ स्वार्थ के लिए जीता है।
(3) सवार के जाने के बाद कर्नल क्यों हक्का-बक्का रह गया ?
उत्तरः
सवार के जाने के बाद कर्नल हक्का-बक्का इसलिए रह गया, क्योंकि जिस वज़ीर अली को पकड़ने के लिए वह जंगल में हफ़्तों से खेमा डाले हुआ था वही सवार के रूप में बड़ी चतुराई और निडरता से कारतूस लेने कर्नल के खेमे में आ जाता है। वज़ीर अली बहुत हिम्मत वाला व्यक्ति था जाते समय कर्नल के द्वारा नाम पूछे जाने पर बड़ी सहजता से अपना नाम वज़ीर अली बताकर नौ दो ग्यारह हो जाता है।
12. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
(1) दीपक दिखाई देने पर अँधियारा कैसे मिट जाता है? साखी के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
जिस प्रकार दीपक के जलने पर दीपक का प्रकाश फैल जाता है और अंधकार पूरी तरह नष्ट हो जाता है उसी प्रकार ईश्वर का ज्ञान रूपी दीपक जब मन में जल जाता है तब अज्ञानता रूपी मन का अंधकार दूर हो जाता है। कबीर ने यहाँ दीपक को ईश्वरीय ज्ञान और अँधकार को अज्ञान रूपी अनेक बुराइयों के लिए प्रयोग किया है। कबीर के अनुसार ईश्वरीय ज्ञान की प्राप्ति ही मन के अज्ञान को दूर कर सकती है।
(2) कवि ने किन पंक्तियों में यह व्यक्त किया है कि हमें गर्व-रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए? ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर बताइए ।
उत्तरः
रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में, सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अनाथ कौन यहाँ ? त्रिलोकनाथ साथ हैं, दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।
इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने कहा है कि धन-सम्पत्ति आदि का गर्व त्यागकर जीवन व्यतीत करना चाहिए। परमपिता परमेश्वर सबके साथ हैं। वे सबकी सहायता करते हैं ।
(3) कवि को ऐसा क्यों लग रहा है कि जैसे धरा पर आकाश टूट पड़ा हो ? कविता के आधार पर लिखिए ।
उत्तर:
वर्षा की तीव्रता के कारण कवि को लग रहा है कि मानो धरा पर आकाश टूट पड़ा हो । मूसलाधार वर्षा के उपरांत चारों ओर केवल पानी-ही-पानी दिख रहा है । पर्वत के चारों ओर फैला विशाल जल ताल के समान प्रतीत हो रहा है। आकाश में बादलों और धरा पर धुँध के कारण विशाल शाल के पेड़ अदृश्य हो गए हैं। चतुर्दिक विचित्र शांति है और केवल झरने की आवाज सुनाई पड़ रही है अर्थात् चारों ओर से रहस्यमयी वातावरण बना हुआ है।
13. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)
(1) जीवन में कई बार हमें पुस्तकें वो ज्ञान नहीं दे पाती हैं जो ज्ञान हमें जीवन के अनुभव के द्वारा प्राप्त होता है। अक्सर अनपढ़ मनुष्य भी समझदारी से काम लेता है।
हरिहर काका द्वारा अपनी जमीन किसी के नाम न करना उनकी किस मानसिकता को दर्शाता है ?
उत्तर:
अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका को उनके अनुभव ने व्यावहारिक ज्ञान सिखा दिया था । उन्हें अपनी मृत्यु का इतना डर नहीं था जितना धोखे और अविश्वास का था । इसलिए वे अपनी जमीन-जायदाद किसी के नाम करके अपना भविष्य खतरे में नहीं डालना चाहते थे । भाइयों तथा ठाकुरबारी के महंत की नज़र उनकी ज़मीन पर थी । भाइयों और महन्त के जोर-जबरदस्ती करने पर भी उन्होंने ज़मीन उनके नाम नहीं की क्योंकि उन्हें पता था कि इससे उनका भविष्य खतरे में पड़ जाएगा और उनकी दुर्दशा हो जाएगी। जायदाद नाम कराने के बाद उन्हें कोई पूछेगा भी नहीं । ये सब घटनाएँ दुनियादारी के प्रति उनकी जागरूकता का बोध कराती हैं। उन्होंने गाँव के कई ऐसे लोगों को देखा था जिनकी ज़मीन लिखवाने के बाद कोई उन्हें पूछता भी नहीं था । यह सब देखकर हरिहर काका ने भी इससे वह सबक सीखा जो कोई भी पुस्तक नहीं सिखा सकती ।
(2) हेडमास्टर शर्मा जी ने पीटी साहब को क्यों मुअत्तल कर दिया ?
उत्तर :
पी.टी. साहब चौथी कक्षा को फारसी भी पढ़ाते थे । एक दिन बच्चे उनके द्वारा दिया गया शब्द-रूप रट कर नहीं आये। इस पर उन्होंने बच्चों को पीठ ऊँची करके क्रूरतापूर्ण ढंग से मुर्गा बनने का आदेश दिया, तो उस समय वहाँ हेडमास्टर साहब आ गए। यह दृश्य देखकर हेडमास्टर उत्तेजित हो उठे। वह छात्रों के प्रति हो रही इस क्रूरता को बर्दाश्त ना कर सके इसी कारण उन्होंने पी. टी. साहब को मुअत्तल कर दिया ।
(3) समाज में मनुष्य धर्म तथा परिवार के नाम पर एक-दूसरे को बाँटकर अलग कर देता है। ऐसे में टोपी तथा इफ़्फ़न की दोस्ती कहाँ तक उचित है ? पाठ के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए ।
उत्तरः
टोपी शुक्ला दो अलग-अलग धर्मों से जुड़े बच्चों के बीच स्नेह की कहानी है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने मित्रता से बने रिश्ते व प्रेम से बने रिश्ते की सार्थकता को प्रस्तुत किया है। वह समाज के आगे उदाहरण पेश करता है कि मित्रता कभी धर्म व जाति की गुलाम नहीं होती अपितु वह प्रेम, आपसी स्नेह व समझ का प्रतीक होती है । बालमन किसी स्वार्थ या हिसाब से चलायमान नहीं होता । समाज जहाँ देश और धर्मों के नाम पर बँटा है, वहाँ इनकी दोस्ती समाज को प्रेम और भाईचारे का संदेश देती है । इनकी मित्रता बताती है कि जीवन में प्रेम को महत्व दें। धर्म मनुष्य को अच्छे मार्ग पर चलाने के लिए बने हैं, उन्हें बाँटने के लिए नहीं । टोपी और इफ़्फ़न की मित्रता समझाती है कि जीवन में एक सच्चा मित्र हर धर्म और सम्प्रदाय से ऊपर है। उसके साथ रहकर हमें और किसी की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इनकी दोस्ती आज के समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
14. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत- बिंदुओं के आधार पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए- (5 × 1 = 5)
(1) हमारे समाज में नारी का स्थान
भूमिका
समाज में नारी की दशा
आधुनिक नारी
निष्कर्ष
उत्तर:
हमारे समाज में नारी का स्थान
प्राचीन काल में हमारे समाज में नारी का महत्त्व नर से कहीं बढ़कर होता था । धर्म-द्रष्टा मनु ने नारी को श्रद्धामयी और पूजनीय मानते हुए कहा है-
“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः ।”
अर्थात् जहाँ नारी की पूजा – प्रतिष्ठा होती है, वहाँ देवता रमण करते हैं, अर्थात् निवास करते हैं। धीरे-धीरे समय के पटाक्षेप के कारण नारी की स्थिति में कुछ अपूर्व परिवर्तन हुए। वह अब नर से महत्त्वपूर्ण न होकर उसके समकक्ष श्रेणी में आ गई। पुरुष के परिवार के सभी कार्यों का बोझ नारी ने उठाना शुरू कर दिया। इस प्रकार नर और नारी के कार्यों में काफी अंतर आ गया। ऐसा होने पर भी प्राचीन काल की नारी ने हीनभावना का परित्याग कर स्वतन्त्र और आत्म विश्वस्त होकर अपने व्यक्तित्व का सुन्दर और आकर्षक निर्माण किया ।
समय के बदलाव के साथ-साथ नारी – दशा में अब बहुत परिवर्तन आ गया है। यों तो नारी प्राचीन काल से अब तक भार्या के रूप में रही है। इसके लिए उसे गृहस्थी के मुख्य कार्यों के लिए विवश किया गया जैसे- भोजन बनाना, बाल-बच्चों की देखभाल करना, पति की सेवा करना। पति की हर इच्छापूर्ति के लिए विवश होती हुई अमानवता का शिकार बनकर क्रय-विक्रय की वस्तु भी बन जाना अब नारी जीवन का एक विशेष अंग बन गया ।
आधुनिक युग में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के फलस्वरूप अब नारी की वह दुर्दशा नहीं है, जो कुछ अंधविश्वासों, रूढ़िवादी विचारधाराओं या अज्ञानता के फलस्वरूप हो गयी थी । राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्तजी ने इस विषय में स्पष्ट कहा है-
“एक नहीं, दो-दो मात्राएँ, नर से बढ़कर नारी ।”
नारी के प्रति श्रद्धा और विश्वास की भावना व्यक्त की जाने लगी है। कविवर जयशंकर प्रसाद ने अपनी महाकाव्य कामायनी में लिखा है-
“नारी! तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग, पगतल में।
पीयूष स्त्रोत-सी बहा करो, जीवन के सुंदर समतल में ॥”
नारी आज समाज में प्रतिष्ठित और सम्मानित हो रही है । वह अब घर की लक्ष्मी ही नहीं रह गयी है अपितु घर से बाहर समाज का दायित्व निर्वाह करने के लिए आगे बढ़ आयी है। वह घर की चहारदीवारी से अपने कदम को बढ़ाती हुई समाज की विकलांग दशा को सुधारने के लिए कार्यरत हो रही है। इसके लिए वह नर के समानान्तर पद, अधिकार को प्राप्त करती हुई नर को चुनौती दे रही है । वह नर को यह अनुभव कराने के साथ-साथ उसमें चेतना भर रही है कि नारी में किसी प्रकार की शक्ति और क्षमता की कमी नहीं है। केवल अवसर मिलने की देर होती है। इस प्रकार नारी का स्थान हमारे समाज में आज अधिक समादृत और प्रतिष्ठित है ।
(2) आधुनिक संचार क्रांति
भूमिका
समाज में बदलाव
संचार के नए आयाम
उपसंहार
उत्तरः
आधुनिक संचार क्रांति
प्रगति के पथ पर मानव बहुत दूर चला आया है। जीवन के हर क्षेत्र में कई ऐसे मुकाम प्राप्त हो गये हैं जो हमें जीवन की सभी सुविधाएँ, सभी आराम प्रदान करते हैं । आज संसार मानव की मुट्ठी में समाया हुआ है। जीवन के क्षेत्रों में सबसे अधिक क्रांतिकारी कदम संचार क्षेत्र में उठाए गए हैं। अनेक नए स्रोत, नए साधन और नई सुविधाएँ प्राप्त कर ली गई हैं जो हमें आधुनिकता के दौर में काफी ऊपर ले जाकर खड़ा करता है। ऐसे ही संचार साधनों आज एक बड़ा ही सहज नाम है इंटरनेट ।
यूँ तो इसकी शुरुआत 1969 में एडवान्स्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसीज द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के चार विश्वविद्यालय के कम्प्यूटरों की नेटवर्किंग करके की गई थी। इसका विकास मुख्य रूप से शिक्षा, शोध एवं सरकारी संस्थाओं के लिए किया गया था । इसके पीछे मुख्य उद्देश्य था संचार माध्यमों को आपात स्थिति में भी सुचारु बनाए रखना जब सारे माध्यम निष्फल हो जाएँ। 1971 तक इस कम्पनी ने लगभग दो दर्जन कम्प्यूटरों को इस नेट से जोड़ दिया था। 1972 में शुरुआत हुई ई-मेल अर्थात् इलेक्ट्रोनिक मेल की जिसने संचार जगत् में क्रांति ला दी।
इंटरनेट प्रणाली में प्रॉटोकॉल एवं एफ. टी. पी. (फाइल ट्रांसफर प्रॉटोकॉल) की सहायता से इंटरनेट यूजर ( प्रयोगकर्ता) किसी भी कम्प्यूटर से जुड़कर फाइलें डाउनलोड कर सकता है। 1973 में ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रॉटोकॉल को डिजाइन किया गया। 1883 तक यह इंटरनेट पर एवं कम्प्यूटर के बीच संचार माध्यम बन गया।
मोन्ट्रियल के पीटर ड्यूस ने पहली बार 1989 में मैक्- गिल यूनिवर्सिटी में इंटरनेट इंडेक्स बनाने का प्रयोग किया। इसके साथ ही थिंकिंग मशीन कॉर्पोरेशन के बिडस्टर क्रहले ने एक दूसरा इंडेक्सिंग सिस्सड वाइड एरिया इन्फोर्मेशन सर्वर विकसित किया। उसी दौरान यूरोपियन लेबोरेटरी फॉर पार्टिकल फिजिक्स के बर्नर्स ली ने इंटरनेट पर सूचना के वितरण के लिए एक नई तकनीक विकसित की जिसे वर्ल्ड वाइड वेब के नाम से जाना गया। यह हाइपर टैक्स्ट पर आधारित होता है जो किसी इंटरनेट यूजर को इंटरनेट की विभिन्न साइट्स पर एक डॉक्यूमेन्ट को दूसरे से जोड़ता है।
ई-कॉम की अवधारणा काफी तेजी से फैलती गई। संचार माध्यम के नए-नए रास्ते खुलते गए। नई-नई शब्दावलियाँ जैसे ई-मेल, वी -मेल, वेबसाइट (डॉट-कॉम), वायरस लवबग आदि इसके अध्यायों में जुड़ते रहे। कई नए वायरस समय – समय पर दुनिया के लाखों कम्प्यूटरों को प्रभावित करते रहे। इन समस्याओं से जूझते हुए संचार का क्षेत्र आगे बढ़ता रहा । भारत भी अपनी भागीदारी इन उपलब्धियों में जोड़ता रहा। आज भारत में इंटरनेट कनेक्शनों और प्रयोगकर्ताओं की संख्या लाखों में है ।
(3) प्राकृतिक आपदा – भूकम्प
प्राकृतिक आपदायें
कारण
हानियाँ
बचाव
उत्तर:
प्राकृतिक आपदा – भूकम्प
प्राकृतिक आपदा जब भी गुस्सा दिखाती है तो कहर ढाये बिना नहीं मानती है। आकाश के तारों को छू लेने वाला विज्ञान प्राकृतिक आपदाओं के सामने घुटने टेक देता है । अनेक प्राकृतिक आपदाओं में कई आपदाएँ मनुष्य की अपनी देन हैं। कुछ वर्षों में प्रकृति के गुस्से के जो रूप देखे गए हैं, उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि प्रकृति के क्षेत्र में मनुष्य जब हस्तक्षेप करता है, तो उसका ऐसा ही परिणाम होता है, जो सुनामी के रूप में और गुजरात के भूकम्प के रूप में देखने में और सुनने में आया ।
धरती हिलती है, भूचाल आता है। जब यही भूचाल प्रलयकारी रूप ले लेता है, तो भूकम्प कहलाता है। सामान्य भूकम्प तो जहाँ-तहाँ आते रहते हैं, जिनसे विशेष हानि नहीं होती है । जब जोर का झटका आता है तो गुजरात का दृश्य प्रस्तुत कर देता है । ये भूकम्प क्यों होता है, कहाँ होगा, कब होगा? वैज्ञानिक इसका सटीक कारण नहीं बता सके हैं। हाँ, भूकम्प की तीव्रता को मापने का यन्त्र जैसे-तैसे बना लिया गया है। वर्षों के प्रयास के बावजूद भी इससे निजात पाने की बात तो दूर उसके रहस्यों को भी मानव नहीं जान पाया है। यह उनके लिए चुनौतीपूर्ण कार्य है।
धरती हिलने या भूकम्प के बारे में अनेक किंवदंतियाँ पढ़ी और सुनी हैं। कुछ धार्मिक व्याख्याओं के अनुसार यह धरती सप्त मुँह वाले नाग के सिर पर टिकी है जब नाग सिर हिलाता है तो धरती हिलती है। दूसरी किंवदंती है कि धरती धर्म की प्रतीक गाय के सींग पर टिकी है और जब गाय सींग हिलाती है तब धरती हिलती है। इसके विपरीत वैज्ञानिक तथ्य और ही कुछ कहते हैं । इनके अनुसार पृथ्वी की बहुत गहराई में तीव्रतम आग है। जहाँ आग है, वहाँ तरल पदार्थ है। आग के कारण इस तरल पदार्थ में हलचल होती रहती है। जब यह उथल-पुथल अधिक बढ़ जाती है तब झटके के साथ पृथ्वी की सतह की ओर फूट पड़ती है। इस तरह उसकी तीव्रता के अनुसार पृथ्वी हिलने लगती है । जिससे जान-माल हर तरह का भीषण नुकसान होता है । सम्पत्तियाँ तबाह हो जाती हैं। हजारों लोग प्रभावित होते हैं ।
ऐसी प्राकृतिक आपदाएँ मनुष्य को सन्देश देती हैं कि जब तक जिओ, तब-तक परस्पर प्रेम से जिओ । मैं कब कहर बरसा दूँ उसका मुझे भी पूर्ण ज्ञान नहीं है। यह प्राकृतिक आपदा मनुष्य को सचेत करती है और सन्देश देती है कि मैं मौत बनकर सामने खड़ी हूँ। जब तक जी रहे हो तब तक मानवता की सीमा में रहो और जीवन को आनन्दित करो और प्रेम से रहो ।
15. (1) अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को स्थानांतरण प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन-पत्र लिखिए। (शब्द सीमा – लगभग 100 शब्द) (5 × 1 = 5)
अथवा
(2) इलेक्ट्रोनिक एवं प्रिंट मीडिया द्वारा आपने किसानों की स्थिति के बारे में बहुत कुछ सुना, देखा और पढ़ा होगा। एक सुदृढ़ कृषि व्यवस्था के लिए आप अपने सुझाव देते हुए अखबार के सम्पादक को लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए ।
उत्तरः
सेवा में,
प्रधानाचार्य,
डी. ए. बी. विद्यालय
सेक्टर-14, रोहिणी,
नई दिल्ली।
दिनांक- 24 अक्टूबर, 20xx
विषय-स्थानांतरण प्रमाण-पत्र हेतु ।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में कक्षा दसवीं ‘अ’ का छात्र हूँ। मेरे पिताजी का स्थानांतरण आगरा हो गया है। हमारा समस्त परिवार अब आगरा ही जा रहा है। मैं भी अपने परिवार के साथ आगरा जा रहा हूँ और वहीं से अपनी आगे की पढ़ाई करूँगा । मुझे वहाँ नए विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए इस विद्यालय से स्थानांतरण प्रमाण-पत्र की आवश्यकता है। अतः आपसे अनुरोध है कि आप मुझे स्थानांतरण प्रमाण-पत्र शीघ्रातिशीघ्र जारी करने की कृपा करें।
धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी छात्र
नीरज सलूजा
कक्षा- दसवीं ‘अ’
अनुक्रमांक- 5
अथवा
उत्तरः
सेवा में,
संपादक महोदय,
अमर उजाला,
आगरा
दिनांक : 26 अक्टूबर, 20xx
मैं आपके समाचार-पत्र के माध्यम से एक सुदृढ़ कृषि व्यवस्था हेतु अपने सुझाव देना चाहती हूँ जो किसानों के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकते हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत की कृषि व्यवस्था तथा अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाने वाला किसान ही आज सुखी नहीं है। कभी जल-प्लावन तथा कभी सूखे की मार झेलने वाला किसान शोषण का शिकार होकर आत्महत्या करने पर उतारू हो रहा है।
यह भारत के लिए बड़े दुर्भाग्य की बात है। सरकार को किसानों को ऐसे संकटों से बचाने के स्थायी उपाय करने चाहिए। उनको सस्ता ऋण दिया जाये। पुराने ऋण को माफ किया जाये तथा उनकी फसलों का बीमा कराया जाये, जिससे आपातकाल में उन्हें कुछ मदद मिल सके। किसानों से भी मेरा अनुरोध है कि वे नये संसाधनों के द्वारा खेती करके अधिक-से-अधिक अन्न उगाकर देश को समृद्ध करने में अपना योगदान दें, जिससे वास्तव में अपना भारत महान कहलाये ।
आपसे विनम्र अनुरोध है कि इन सुझावों को समाचार-पत्र में स्थान दें।
भवदीय
दृष्टि कुलश्रेष्ठ
आगरा
16. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 80 शब्दों में सूचना लिखिए- (4 × 1 = 4)
(1) हिंदी दिवस के अवसर पर विद्यालय के कम्प्यूटर लैब में ‘हिंदी टाइप फॉन्ट’ की साप्ताहिक कार्यशाला का आयोजन होने वाला है जिसके लिए कक्षा (IX – X) के इच्छुक छात्रों को विद्यालय की छुट्टी के बाद आधे घंटे के लिए रुकना होगा । इच्छुक छात्रों के लिए प्रधानाचार्य की ओर से लगभग 80 शब्दों में सूचना बनाइए ।
अथवा
(2) छात्रावास में भोजन करने के स्थान में परिवर्तन हेतु वार्डन की ओर से विद्यार्थियों के लिए लगभग 80 शब्दों में सूचना बनाइए ।
उत्तरः
सूचना
दिल्ली पब्लिक स्कूल, सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल
दिनांक- 11.09.20xx
विद्यालय के सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि आने वाले हिंदी दिवस के अवसर पर विद्यालय की कम्प्यूटर लैब में हिंदी टाइप फॉन्ट की साप्ताहिक कार्यशाला का आयोजन होने वाला है जिसमें विद्यालय के इच्छुक कक्षा IX व X के छात्रों को छुट्टी के बाद आधे घंटे की कक्षा दी जाएगी, यदि कोई IX-X का छात्र यह कार्यशाला करना चाहता है तो अपने अभिभावकों को सूचित कर इंचार्ज | मैडम के पास नाम लिखवाए व फार्म लें (दिनांक – 10 सितम्बर से 15 सितम्बर तक । )
हस्ताक्षर
अ.ब.स (प्रधानाचार्य )
अथवा
उत्तरः
सूचना
इंदिरा गाँधी छात्रावास, विकासपुरी, नई दिल्ली
छात्रावास के सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि कल दिनांक 25.09.20XX से छात्रावास के भोजन करने का स्थान परिवर्तित हो रहा है। पुराने कमरे में कोई मरम्मत का कार्य होना है जिसके कारण कल से भोजन (सुबह, दोपहर व रात) पास वाली लाइब्रेरी (R-32) के पास होगा। यह सब केवल एक सप्ताह के लिए है। छात्रों की असुविधा के लिए खेद है।
दिनांक – 24.09.20xx
छात्रावास प्रबंधक
नीरज धनोआ
17. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 60 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए- (3 × 1 = 3)
(1) आपके क्षेत्र में ‘ रक्त दान शिविर’ का आयोजन होने जा रहा है। इसे जनता तक पहुँचाने के लिए लगभग 60 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए ।
अथवा
(2) मेडिकल स्टोर का विज्ञापन लगभग 60 शब्दों में तैयार कीजिए ।
उत्तरः
अथवा
18. (1) ‘शिक्षा का महत्व’ (शीर्षक पर आधारित लगभग 100 शब्दों में लघुकथा लिखिए। (5 × 1 = 5)
अथवा
(2) आप अनुज शर्मा / अंजलि शर्मा हैं । कुछ समय पहले एक दुर्घटनावश आपको सरकारी अस्पताल में कुछ समय व्यतीत करना पड़ा। कर्मचारियों के अच्छे व्यवहार व कर्तव्यनिष्ठा की प्रशंसा करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी को ई-मेल लिखिए । ( शब्द सीमा लगभग 100 शब्द)
उत्तरः
एक समय की बात है, नीरज नामक बालक का पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगता था। वह दिन के हर पहर खेलता, यहाँ तक कि विद्यालय न जाने के कई बहाने बनाता था । उसकी इन आदतों से उसके माता-पिता भी परेशान हो गए, पर वह किसी की न सुनता। पिताजी के डर से अगर वह पढ़ने बैठ भी जाता तो उसका मन ही नहीं लगता । एक दिन वह अपनी माँ के साथ सब्जी लेने गया वहाँ उसने देखा एक लड़का अपनी माँ के साथ सब्जी बेच रहा है साथ-ही-साथ वह पढ़ भी रहा है। उस पूरे दिन नीरज उस लड़के के विषय में ही सोचता रहा, शाम को वह खेलने भी नहीं गया। शाम को किसी काम से उसकी माँ ने उसे बाजार भेजा, वहाँ उसने देखा कि वही लड़का रास्ते की लाइट में सड़क के किनारे पढ़ रहा था। नीरज से रहा नहीं गया तो उसने उस लड़के से पूछा तुम सब्जी बेचते हो ना? लड़के ने उत्तर दिया- हाँ, सुबह माताजी की सब्जी बेचने में मदद करता हूँ, दोपहर को विद्यालय जाता हूँ । घर पर बिजली न होने के कारण रात में यहाँ पढ़ता हूँ। जीवन में शिक्षा का बहुत महत्व है। यह सब सुनकर नीरज बहुत प्रेरित हुआ। वह शिक्षा के महत्व को समझ गया । अब वह अच्छी तरह पढ़ने लगा एवं उसके विद्यालय में अच्छे अंक भी आने लगे।
अथवा
To : cmo.hospital@gmail.com
cc: cmo.helpdesk@gmail.com
Subject- अस्पताल कर्मचारियों की प्रशंसा हेतु पत्र
माननीय महोदय,
मैं इस ई-मेल के माध्यम से आपका ध्यान अ ब स नगर क्षेत्र के सरकारी अस्पताल के कर्मचारियों के कर्त्तव्यनिष्ठता एवं सद्भावपूर्ण व्यवहार की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ साथ ही उनकी प्रशंसा करना चाहती हूँ एवं आशा रखती हूँ कि आने वाले समय में ये कर्मचारी इसी तरह जनता की सेवा करते रहें। मैं दिनांक 25 जनवरी की सड़क दुर्घटना में थोड़ी घायल हो गई थी, मेरे हाथ व पैरों में काफी चोटें आ गई थीं जिस कारण कुछ लोगों ने मुझे तिलक नगर सरकारी अस्पताल में दाखिल किया।
वहीं से मेरे माता-पिता को भी सूचना दी गई। माता-पिता के आने में कुछ समय लगा पर वहाँ अस्पताल के कर्मचारियों व डॉक्टरों ने मेरा पूरा ध्यान रखा । ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगा कि मैं वहाँ अकेली हूँ। घबराहट के कारण मैं बेहोश हो गई थी और मेरे पास कुछ जरूरी दस्तावेज भी थे परंतु उन्होंने मेरे सभी दस्तावेजों को भलीभाँति सँभाल कर रखा और माता-पिता के आने के पश्चात् उन्हें दे दिया । मुझे करीबन सात घण्टे बाद होश आया क्योंकि चोटें कुछ ज्यादा थीं पर इस बीच मेरा सही व सुचारु रूप से इलाज चला। मुझे यह अहसास ही नहीं हो पाया कि मैं सरकारी अस्पताल में हूँ जिसके लिए मैं उनका धन्यवाद करती हूँ। विशेष रूप से डॉ. शर्मा जी का जिन्होंने मेरे जीवन की निधि दस्तावेज का ध्यान रखा अतः आप से निवेदन है कि डॉ. शर्मा जी को सम्मानित कर उनका प्रोत्साहन मान बढ़ाएँ ।
धन्यवाद
भवदीय
अंजलि शर्मा