CBSE Class 11 Sanskrit वर्णानाम् उच्चारणस्थानम्
1. स्वर (Vowels)
स्वर या अच् वे ध्वनियाँ हैं जिन का उच्चारण अन्य ध्वनियों की सहायता के बिना हो सकता है। स्वर का अर्थ है ऐसा अक्षर जिसका उच्चारण स्वयं होता है।
संस्कृत भाषा में सामान्यतः निम्न तेरह (13) स्वर कहे जाते हैं:
अ (a), आ (a), इ (i), ई , उ (oo), ऊ (oo) ऋ (r), ऋ , ल (Ir) ए (e), ऐ (ai). ओ (0), औ (au)।
स्वरों का वर्गीकरण (Classification of vowels)
उच्चारण कला या मात्रा के आधार पर स्वर तीन प्रकार के होते हैं
1. ह्रस्व (Short): इनके उच्चारण में केवल एक मात्रा का समय (One unit of time) लगता है। ह्रस्व स्वर पाँच हैं–
अ, इ, उ, ऋ, लु।
ये पाँचों मूलस्वर भी कहलाते हैं तथा इनके उच्चारण में कम-से-कम समय लगता है।
2. दीर्घ (Long): इन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वर से दुगुना अर्थात् दो मात्राओं का समय (Two units of time)
लगता है। दीर्घ स्वर आठ हैं-आ, ई, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
विशेष –
(क) उपर्युक्त दीर्घ स्वरों में प्रथम चार (आ, ई, ऊ तथा ऋ) का उच्चारण क्रमश. अ, इ. उ तथा ऋ के उच्चारण में दुगुणा समय लगाने मात्र से हो जाता है।
(ख) शेष चार स्वर (ए, ऐ, ओ, औ) संयुक्त, मिश्र या संधि-स्वर (Diphthongs) कहलाते हैं। ये दो भिन्न-भिन्न स्वरों के मेल से बनते हैं। जैसे –
अ + इ = ए अ + उ = ओ
अ + ए = ऐ अ + ओ = औ
3. प्लुत (Protracted) – जब किसी को दूर से पुकारते हैं तो अंतिम स्वर को खींचकर लंबा कर देते हैं तथा उसके उच्चारण में दो से अधिक मात्राओं का समय लगता है। प्लुत स्वरों को दिखाने के लिए तीन मात्राओं का द्योतक ‘३’ का अंक प्रयोग में लाया जाता है। जैसे- आ३म् में ओ३ प्लुत स्वर है।
विशेष –
(क) प्लुत स्वरों की संख्या नौ (9) है-अ३, इ३, उ३, ऋ३, लु३, ए३, ऐ३, ओ३. औ३। ह्रस्व, दीर्घ तथा प्लुत सबको मिलाने से संस्कृत भाषा के स्वरों की संख्या 22 (5 ह्रस्व, 8 दीर्घ, 9 प्लुत) हो जाती है। प्रायः ह्रस्व तथा दीर्घ स्वरों का ही अधिक प्रयोग होने से स्वरों की संख्या 13 मानी जाती है।
(ख) उपर्युक्त सभी स्वर अनुनासिक हैं क्योंकि इनके उच्चारण में नासिका की सहायता नहीं ली जाती, किन्तु उपर्युक्त स्वरों के उच्चारण में मुख के अन्य भागों के अतिरिक्त नासिका का भी उपयोग करने से ये सभी स्वर अनुनासिक स्वर बन जाते हैं। जैसे-अँ (संवत्सर), इँ, उँ इत्यादि। अनुनासिक के लिए अर्धचन्द्र और बिन्दु (*) का प्रयोग किया जाता है।
2. व्यञ्जन (Consonants)
जो वर्ण किसी दूसरे वर्ण (अर्थात् स्वर) की सहायता के बिना सहज में उच्चरित न हो सकें उन्हें व्यञ्जन या हल कहते हैं। व्यञ्जन वर्ण ये हैं –
ऊपर जो व्यञ्जन दिए गए हैं वे स्वर-रहित हैं। इसके स्वर-सहित स्वरूप को बताने के लिए इसके नीचे हल् का चिह्न ( ) लगाया जाता है। जब इनके साथ किसी स्वर का मेल हो जाता है तो हल का चिह्न हट जाता है तथा उसके साथ स्वरों की मात्रा का संयोग हो जाता है। जैसे –
मात्राएँ
व्यञ्जनों का वर्गीकरण (Classification of Consonants)
उच्चारण की विविधता के आधार पर व्यञ्जनों के निम्न तीन भेद हैं:
1. स्पर्श (Mute) – जिन व्यञ्जनों के उच्चारण में जिह्वा मुख के किसी भाग का स्पर्श करती है तथा वायु कुछ क्षण के लिए रुक कर झटके के साथ बाहर निकलती हैं उन्हें स्पर्श (Mute) कहते हैं। ‘क’ से ‘म्’ तक के 25 व्यञ्जन ‘स्पर्श’ कहलाते है। इन्हें निम्न पाँच वर्गों में बाँटा गया है –
(i) कवर्ग (कु)-क्, ख्, ग, घ, ङ्
(ii) चवर्ग (चु)-च्. छ्, ज्. झ, ञ्
(iii) टवर्ग (टु)-ट्. ट्, ड्, ढ्, ण
(iv) तवर्ग (तु)-त्, थ्, द्, ध्, न्,
(v) पवर्ग (पु)-प्, फ, ब्, भ, म्
2. अन्तःस्थ (Semi-vowels)-जिन वर्णों का उच्चारण के लिए वायु को थोड़ा रोककर कम शक्ति के साथ छोड़ा जाता हैं, उन्हें अन्तःस्थ (Semi-vowels) कहते हैं। ये स्वर तथा व्यञ्जनों के मध्य (अन्तः) में स्थित हैं। इनकी संख्या चार है – य, र, ल, व्। इन वर्गों को ‘यण’ भी कहा जाता है।
3. ऊष्म (Sibilants)-जिन वर्णों का उच्चारण कराने के लिए वायु को धीरे-धीरे रोककर रगड़ के साथ निकाल दिया जाता है, उन्हें ऊष्म या घर्षक कहते हैं। इनकी संख्या भी चार है – श्, ए, स्, ह्।
विशेष – उपर्युक्त वर्गों के अतिरिक्त निम्न चार वर्णों का प्रयोग भी संस्कृत में होता है तथा इन्हें अयोगवाह कहा गया है –
(क) अनुस्वार (-) – अनुस्वार (-) किसी स्वर के बाद न् या म् के स्थान पर आता है। जैसे-‘गृहं गच्छति’ में ‘गृहम्’ के ‘म्’ के स्थान पर उसके पूर्ववर्ती ‘अ’ स्वर के साथ अनुस्वार का प्रयोग हुआ है।
(ख) विसर्ग (:)-विसर्ग (:) का प्रयोग किसी स्वर के बाद होता है तथा इसका पृथक् उच्चारण होता है। यह र्
तथा स् के स्थान पर आता है। जैसे-नरः, हरिः, सः इत्यादि। (ग) जिह्वामूलीय (x क्, x ख)-क् तथा ख से पूर्व अर्ध-विसर्ग के समान जिह्वामूलीय का प्रयोग होता है। (घ) उपध्मानीय (x प्, ४ फ्)-प् तथा फ् के पूर्व अर्ध-विसर्ग सदृश चिह्न को उपध्मानीय कहते हैं।
3. उच्चारण-स्थान (Organs of Speech)
मुख के वे भाग जिनका प्रयोग वर्गों के उच्चारण हेतु किया जाता है, वर्गों के उच्चारण-स्थान कहलाते हैं। वर्णों का उच्चारण करते समय वायु मुख के जिन भागों से टकरा कर बाहर निकलती है तथा जिह्वा मुख के जिन भागों का स्पर्श करती है अथवा जिन भागों के पास जाकर मुड़ती है और वायु को रोकती है, मुख के वे सब भाग वर्गों के उच्चारण-स्थान कहलाते हैं। उच्चारण स्थान ये हैं-कण्ठ, तालु, मूर्धा, दन्त, ओष्ठ, नासिका, कण्ठतालु, कण्ठोष्ठ, दन्तोष्ठ।
1. कण्ठ (Throat) – अ, आ, कवर्ग (क्, ख, ग, घ्. ङ्), ह् तथा विसर्ग (:) का उच्चारण स्थान कण्ठ है। (अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः)। कण्ठ से बोले जाने वाले इन वर्गों को कण्ठ्य (Gutterals) कहा जाता है। इन वर्णों के उच्चारण में जिह्वा कण्ठ का स्पर्श करती है।
2. तालु (Palate) – इ, ई. चवर्ग (च्, छ्, ज्, झ, ञ्). य् तथा श् का उच्चारण-स्थान तालु है (इचुयशानां तालुः)। तालु से बोले जाने वाले इन वर्गों को तालव्य (Palatals) कहा जाता है। इनके उच्चारण में जिला मुख के ऊपरी चिकने भाग ‘तालु’ का स्पर्श करती है।
3. मूर्धा (Roof of the Mouth) – ऋ, ऋ, टवर्ग (ट्, ल्, ड्, द. ण्) र् तथा ष् का उच्चारण-स्थान मूर्धा है। मूर्धा स बोले जाने वाले इन वर्गों को मूर्धन्य (Cerebrals or Linguals) कहा जाता है । ऋटुरषाणां मूर्धा)। इनके उच्चारण में जिह्वा ऊपर के दाँतों के साथ वाले खुरदरे भाग ‘मूर्धा’ का स्पर्श करती है।
4. दन्त (Teeth) – लु, तवर्ग (त्, थ्, द्, ध्, न्), ल् तथा स् का उच्चारण स्थान दन्त है (लतुलसा जन्ताः)! इन वर्गों को दन्त्य (Dentals) कहा जाता है। इनके उच्चारण में जिह्वा दाँतों में लगती है।
5. ओष्ठ (Lips) – उ, ऊ तथा पवर्ग (प्, फ्, ब्, भ, म्), तथा ५ का उच्चारण स्थान ओष्ठ है (उपूपधमानीयाम .. ओष्ठौ)। इन वर्गों को ओष्ठ्य (Lipsals) कहा जाता है। इनके उच्चारण में जिहवा ओठों में लगती है।
6. नासिक (Nose) – ङ्, ञ्, ण, न्, म् तथा अनुस्वार का उच्चारण-स्थान नासिका भी है (अङ्गनानां नासिका)। इन वर्णों को नासिक्य (Nasals) भी कहा जाता है। इनके उच्चारण में क्रमशः कण्ठ, तालु, मूर्धा, दन्त, ओष्ठ – इन पाँच स्थानों पर स्पर्श से उत्पन्न होने वाली ध्वनियों के साथ नासिका से उत्पन्न ध्वनि भी मिल जाती है।
7. कण्ठतालु-ए, ऐ का उच्चारण स्थान कण्ठतालु है तथा इन्हें कण्ठतालव्य कहा जाता है। अ तथा इ के संयोग से ‘ए’ एवं अ तथा ए के संयोग से ‘ऐ’ बना है, अत: इनके उच्चारण में कण्ठ और तालु दोनों का उपयोग होता है (एदैतोः कण्ठतालुः)।
8. कण्ठोष्ठ – ओ (अ + उ) तथा औ (अ + ओ) का उच्चारण-स्थान कण्ठोष्ठ है, इसलिए इन वर्गों को कण्ठोष्ठ्य भी कहा जाता है (ओदौतोः कण्ठोष्ठम्)।
9. दन्तोष्ठ-‘व्’ का उच्चारण-स्थान दन्तोष्ठ है तथा इसे दन्तोष्ठ्य कहा जाता है (वकारस्य दन्तोष्ठम्)। इसके उच्चारण के समय जिह्वा दाँतों में लगती है और होंठ भी कुछ मुड़ते हैं।
10. जिह्वामूल – जिह्वामूलीय का उच्चारण-स्थान जिह्वा का मूल भाग है (जिह्वामूलीयस्य जिह्वामूलम्)।
उच्चारण – स्थान तालिका
अभ्यास
1. केषां वर्णानाम् उच्चारणस्थानं कण्ठः अस्ति? (किन-किन वर्णों का उच्चारणस्थान कण्ठ है?)
(i) …….अ…….. (ii) …….उ…….. (iii) ……….द्……. (iv) ………..ख………….
(v) ……..ग्………. (vi) ……..घ्………. (vii) ……….ङ्………… (viii) ……..ह्…………
2. केषां वर्णानाम् उच्चारणस्थानं तालुः अस्ति? (किन-किन वर्णों का उच्चारणस्थान तालु है?)
(i) ………..इ, ई………. (ii) ……….च्……… (iii) ………ह्…….. (iv) ………ज्…………
(v) ………झ्……… (vi) ………स्……… (vii) ……..य्……… (viii) ……….श्……….
3. मूर्धन्यवर्णाः के के सन्ति? (मूर्धन्य वर्ण कौन-कौन से हैं?)
(i) ………..ऋ, ऋ………… (ii) ………ट्…….. (iii) …….ठ…… (iv) ………..इ……….
(v) …….ढ्……… (vi) ………ण्…….. (vii) ………र्…….. (viii) …….ष्…….
4. दन्त्यवर्णाः के के सन्ति? (दन्त्य वर्ण कौन-कौन से हैं?)
(i) ……..लृ……. (ii) ……..त्……… (iii) ……..य्……. (iv) ……….द्………..
(v) ……..च्…….. (vi) ………न्………. (vii) …….ल्……. (vii) ……..स्………..
5. केषां वर्णानाम् उच्चारणस्थानं ओष्ठौः स्तः? (किन-किन वर्णों का उच्चारणस्थान होंठ है?)
(i) ………उ, ऊ…………. (ii) ……प्……… (iii) ………फ्…….. (iv) ……..ब्…….
(v) ………भ्………. (vi) ……….ग्…….. (vii) ………म्………..
6. केषां वर्णानाम् उच्चारणस्थानं कण्ठः अस्ति? (किन-किन वर्णों का उच्चारणस्थान कण्ठ है?)
(i) ………………. (ii) ……………….
7. कण्ठतालव्यवर्णो को स्तः? (कष्ठतालव्य वर्ण कौन-कौन से हैं?)
(i) ……… (ii) ………….
8. दन्तोष्ठयः वर्णः कः? (दन्तोष्ठ्य वर्ण कौन-सा है?)
(i) …………………
9. नासिक्यवर्णाः के के सन्ति? (नासिक्य वर्ण कौन-कौन से हैं?)
(i) ………….. (ii) …………… (iii) …………… (iv) …………….
4. व्यञ्जन-स्वर-संयोगः
लिखते समय व्यञ्जनों को उन स्वरों के चिह्नों के साथ लिखा जाता है जिनके साथ मिलकर उन व्यञ्जनों को उच्चारण होता है।
‘अ’ स्वर का विशेष चिह्न नहीं है किन्तु, ‘अ’ स्वर के साथ मिले हुए व्यञ्जन के नीचे लगा व्यञ्जन (हल) का चिह्न समाप्त हो जाता है। जैसे- ‘क’ में क् व्यञ्जन तथा अ स्वर का संयोग है, अकेले ‘क्’ व्यञ्जन को लिखना हो तो उसके नीचे व्यञ्जन हलंत (.) का चिह्न लगाना ज़रूरी है।
मिश्रित-अभ्यासः
प्रश्नः
उदाहरण – ‘प्रसन्नः’ में अ स्वर से युक्त व्यञ्जनों को लिखिए।
उत्तरम्:
(1) र
(2) स
(3) (न)
1. ‘लेखनम्’ इति पदे ‘अ’ स्वरसंयुक्तानि व्यञ्जनानि लिखत (‘लेखनम्’ में अ स्वर से युक्त व्यञ्जन लिखिए।)
उत्तरम्:
(i) ख
(ii) न
2. ‘मालाकारः’ इति पदे ‘आ’ स्वर संयुक्तानि व्यञ्जनानि लिखत (‘मालाकारः’ में अ स्वर से युक्त व्यञ्जनों को लिखिए।)
उत्तरम्:
(i) मा
(ii) ला
(iii) का
3. ‘क्षितिजः’ इति पदे ‘इ’ स्वरसंयुक्तानि व्यञ्जनानि लिखत (‘क्षितिजः’ में इ स्वर से युक्त व्यञ्जनों को लिखिए।)
उत्तरम्:
(i) क्षि (षि)
(ii) ति
4. ‘कुरुत’ इति पदे ‘उ’ स्वरसंयुक्तानि व्यञ्जनानि लिखत (‘कुरुत’ में उ स्वर से युक्त व्यञ्जनों को लिखिए।)
उत्तरम्:
(i) कु
(ii) रु
5. ‘बभूव’ इति पदे ‘ऊ’ स्वरसंयुक्तानि व्यञ्जन लिखत (‘बभूव’ में ऊ स्वर से युक्त व्यञ्जन को लिखिए।)
उत्तरम्:
(i) भू
6. ‘कृतिः’ इति पदे ‘ऋ’ स्वरसंयुक्तं व्यञ्जनं लिखत (‘कृतिः’ में ऋ से युक्त व्यञ्जन को लिखिए।)
उत्तरम्:
(i) कृ
7. ‘मातृणाम्’ इति पदे ‘ऋ’ स्वरसंयुक्तं व्यञ्जनं लिखत (‘मातृणाम्’ में ऋ से युक्त व्यञ्जन को लिखिए।)
उत्तरम्:
…………………………………..
8. “रूपेण’ इति पदे “ए’ स्वरसंयुक्तं व्यञ्जनं लिखत (‘रूपेण’ में ए से युक्त व्यञ्जन को लिखिए।)
उत्तरम्:
…………………………………..
9. ‘मतैक्यम्’ इति पदे ‘ऐ’ स्वरसंयुक्त व्यञ्जनं लिखत (‘मतैक्यम्’ में ऐ से युक्त व्यञ्जन को लिखिए।)
उत्तरम्
…………………………………
10. ‘शोधनम्’ इति पदे ‘ओ’ स्वरयुक्तव्यञ्जनं लिखत (‘शोधनम्’ में ओ से युक्त व्यञ्जन को लिखिए।)
उत्तरम्
………………………………..
11. ‘सौभाग्यम्’ इति पदे ‘औ’ स्वर युक्तव्यञ्जनं लिखत (‘सौभाग्यम्’ में औ से युक्त व्यञ्जन को लिखिए।)
उत्तरम्
…………………………………
12. रिक्तस्थानेषु स्वरयुक्तानि व्यञ्जनानि पूरयत (स्वरान्, विद्यालयः, कण्ठ्यः, नासिक्यः शब्दों में स्वरयुक्त व्यञ्जनों को लिखिए।)
उदाहरण –
13. I. अधोलिखितानां वर्णानां समुचितम् उच्चारणस्थानं कोष्ठकात् चित्वा लिखत।
(नीचे लिखे वर्णों का समुचित उच्चारण स्थान कोष्ठक से चुनकर लिखिए।
Write the following letters at their proper pronunciation places after choosing them in the brackets.)
(i) ग् – (मूर्घा / कण्ठः / तालुः)
(ii) भ् – (ओष्ठौ / दन्ताः / कण्ठः)
(iii) य् – (तालुः / दन्ताः / नासिका)
(iv) त् – (दन्ताः / कण्ठ-तालुः / मूर्धा)
(v) इ – (कण्ठः / तालुः / मूर्धा)
(vi) उ – (ओष्ठौ / दन्ताः / दन्तोष्ठम्)
II. निम्नलिखितान् वर्णविन्यासान् दृष्ट्वा उचितेन विन्यासेन दत्तयोः पदयोः वर्णविन्यासं चित्वा लिखत।
(निम्नलिखित वर्ण-विन्यासों को देखकर उचित विन्यास द्वारा दिए गए पदों का वर्ण-विन्यास चुनकर लिखिए।)
(Give arrangement of letters of the following words.)
(i) वातावरणम्
(ii) प्रयोजनम्
III. अधोदत्तैः उचितैः वर्णै: वर्णसंयोजनेन पदनिर्माणं कुरुत।
(नीचे दिए गए उचित वर्गों के वर्ण-संयोजन द्वारा शब्द -निर्माण कीजिए।)
(Form words by joining the letters.)
(i) क् + आ + र् + य् + अ + म्
(क) कार्यम् (ख) कायम् (ग) कर्यम् (घ) कायम्
(ii) उ + च् + च् + आ + र् + अ + ण् + अ + म्
(क) उच्चरणम् (ख) उच्चणम् (ग) उचचारणम् (घ) उच्चारणम्
14. I. अधोलिखितानां वर्णानां समुचितम् उच्चारणस्थानं कोष्ठकात् चित्वा लिखत।
(नीचे लिखे वर्णों के उचित उच्चारण स्थान कोष्ठक से चुनकर लिखिए।)
(Write the correct pronunciation place of the following letters by choosing in the brackets.)
(i) च् (मूर्धा/दन्ताः/तालुः)
(iv) ए (कण्ठः/तालु:/कण्ठतालुः)
(ii) फ् (औष्ठौ/दन्ताः/कण्ठः)
(v) ण् (नासिका/तालु:/कण्ठः)
(iii) ज् (कण्ठः/तालुः/दन्ताः)
(vi) इ (तालुः/दन्ताः/मूर्धा)
II. अधोदत्तेषु पदेषु उचितं पदं नीत्वा वर्णसंयोजनेन पदनिर्माणं कुरुत।
(नीचे लिखे पदों में से उचित पद लेकर वर्णों का संयोजन करके शब्द-निर्माण कीजिए।)
(Form words after joining the letters by choosing in the correct words.)
(i) ग् + अ + च् + छ् + अ + त् + इ = ……………..
(क) गच्छति
(ख) गच्छाति
(ग) गच्छन्ति
(ii) प् + र् + आ + र् + थ् + अ + न् + आ = ……………
(क) प्रथिना
(ख) प्राथना
(ग) प्रार्थना
15. I. अधोलिखितान् वर्णान् दृष्ट्वा निम्नलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत।
(नीचे लिखे वणों को देखकर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।)
(Answer the following questions by choosing the following correct words.)
(i) त्, ग्, च्, ह्, क् वर्णेषु कः वर्णः तालव्यः?
(क) च्
(ख) ह
(ग) क्
(घ) त्
(i) ‘रामः’ इति पदे कस्य वर्णस्य उच्चारणस्थानं मूर्धा अस्ति?
(क) आ
(ख) म्
(ग) आः
(घ) र
(iii) ‘देवः’ इत्यत्र कस्य वर्णस्य उच्चारणस्थानं दन्तोष्ठम्?
(क) द्
(ख) ए
(ग) व्
(घ) :
(iv) ‘ऐ’ वर्णस्य उच्चारणं कण्ठेन भवति कण्ठतालव्येनवा?
(क) कण्ठेन
(ख) कण्ठतालव्येन
(ग) किमपि न
(v) वर्गस्य कतमः वर्णः नासिक्यः भवति?
(क) तृतीयः
(ख) द्वितीयः
(ग) पञ्चमः
(घ) प्रथमः
(vi) “दयानन्दः” अस्मिन् कश्चिदेकः दन्त्यः वर्णः लेख्यः।
(क) अ
(ख) :
(ग) द्
(घ) य्
II. अधोदत्तेषु पदेषु उचितं पदं नीत्वा वर्णविन्यासे रिक्तस्थानपूर्तिः क्रियताम्।
(नीचे लिखे पदों में से उचित पद लेकर वर्ण-विन्यास में खाली स्थानों को भरिए।
Fill in the blanks in the following arrangement of the letters by choosing the following correct words.)
(i) स्वस्ति – स् + व् + …………………. + स् + त् + इ
(क) अ
(ख) स्
(ग) द्
(घ) इ
(ii) आनन्दम् – आ + न् + अ + …………….. + द् + अ + म्
(क) त्
(ख) न्
(ग) म्
(घ) द्
III. अधोदत्तेषु पदेषु उचितं पदं नीत्वा वर्णसंयोजनं कृत्वा पदं लिखत।
(नीचे लिखे पदों में से उचित पद लेकर वर्ण-संयोजन करके बनाए गए शब्द को लिखिए।)
(Write words after joining the letters by choosing in the correct words.)
(i) श् + र् + अ + द् + ध् + आ = ……………….
(क) श्रद्धाः
(ख) श्रद्धा
(ग) शद्धा
(घ) श्रदा
(ii) छ् + आ + त् + + आ + : = ……………..
(क) छात्राः (ख) छात्रा (ग) छात्रः (घ) छत्रियः
16. I. अधोलिखितानाम् वर्णानाम् समुचितम् उच्चारणस्थानं कोष्ठकात् चित्वा लिखत।
(नीचे लिखे वर्णों के उचित उच्चारण स्थानों को कोष्ठक से चुनकर लिखिए।
Write the proper pronunciation place of the following letters in the blanks after choosing them from the bracket.)
(i) क् – (तालुः / कण्ठः / नासिका)
(ii) म् – (ओष्ठौ नासिका च / तालुः / कण्ठः)
(iii) ए – (दन्तः / कण्ठ-तालुः / मूर्धा)
(iv) च् – (तालुः / कण्ठः / नासिका)
(v) द् – (दन्तः / नासिका / ओष्ठौ)
(vi) श् – (कण्ठः / तालुः / मूर्धा)
II. निम्नलिखितान् वर्णविन्यासान् दृष्ट्वा उचितेन विन्यासेन दत्त्योः पदयोः विन्यासं चित्वा लिखत।
(निम्नलिखित वर्ण-विन्यासों को देखकर उचित विन्यास द्वारा दिए गए पदों का वर्ण-विन्यास चुनकर लिखिए।)
(Give arrangement of letters of the following words.)
(i) व्यक्तम्
(क) व् + य् + अ + क् + त् + अ + म्
(ख) व + य् + क् + त + म्
(ग) व् + य् + अ + क् + त + म् ।
(ii) लेखनी
(क) ले + ख् + अ + न् + ई
(ख) ल् + ए + ख् + अ + न् + इ
(ग) ल् + ए + ख् + अ + न् + ई
III. दत्तैः उचितैः पदैः वर्णविन्यासस्य स्थाने शुद्धं पदं लिखत।
(दिए गए उचित पदों से वर्ण-विन्यास के स्थान पर शुद्ध पद लिखिए।)
(Form words by joining the letters.)
(i) क् + ष् + अ + त् + र् + इ + य् + अ + : = …………….
(क) क्षत्रीयः (ख) क्षत्रियः (ग) क्षात्रियः (घ) छत्रियः
(ii) ध् + अ + न् + अ + म् = …………………
(क) धनम् (ख) धनाम् (ग) धनम् (घ) धनम
17. (अ) अधोलिखितानाम् प्रश्नानाम् उत्तराणि निर्देशानुसारेण अधोदत्तेषु पदेषु/वर्णेषु उचितं पदं चित्वा लिखत।
(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार नीचे लिखे पदों/वर्गों में से उचित को चुनकर लिखिए।)
(Write the answers of the following questions.)
(i) द्. प्, च्, ट्, इति वर्णेषु कः वर्ण: तालव्यः अस्ति?
(क) द् (ख) च् (ग) ट् (घ) प्
(ii) ‘दयानन्दः’ इति पदे कस्य वर्णस्य उच्चारणस्थानं कण्ठः अस्ति?
(क) आ (ख) द् (ग) य् (घ) न्
(iii) ऐ, ब्, इति पदयो कः ओष्ठयः वर्ण:?
(क) ब् (ख) ऐ (ग) किमपि न
(iv) ‘रमन’ इति पदे कः मूर्धन्यः अस्ति?
(क) न् (ख) अ (ग) र् (घ) म्.
(v) ‘ऋचा’ इति पदे ‘ऋ’ वर्णः स्वरोऽस्ति व्यञ्जनो वा?
(क) स्वरः (ख) व्यञ्जनः (ग) किमपि न
(vi) वर्गाणां कतमः वर्ण: नासिक्यः भवति?
(क) प्रथमः (ख) द्वितीयः (ग) तृतीयः (घ) पञ्चमः
(ब) I. अधोदत्तैः वर्णैः वर्णविन्यासे रिक्तस्थानं पूरयत।
(नीचे दिए गए वर्णों द्वारा वर्ण-विन्यास में खाली स्थान भरिए।)
(Fill in the blanks with the arrangement of the letters.)
(i) मन्त्री = म् + + न् + त् + र् + ई।
(क) अ (ख) आ (ग) न् (घ) ऊ
(ii) सम्पूर्णम् = स् + अ + + प् + ऊ + र् + ण् + अ + म्।
(क) न् (ख) ङ् (ग) ब् (घ) म्
II. अधोदत्तेषु वर्णेषु उचितैः वर्णैः वर्णसंयोजने रिक्तस्थानं पूरयत।
(नीचे दिए गए वर्गों में उचित वर्णों द्वारा वर्ण-संयोजन में रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए।)
(Fill in the blanks in the arrangement of letters by following the correct letters.)
(i) न् + इ + र् + आ + क् + आ + र् + अः = निरा र
(क) क (ख) कू (ग) का (घ) कि
(ii) म् + उ + क् + त् + इ + : = मु तिः
(क) च् (ख) क (ग) व (घ) कि
18. (अ) अधोलिखितानाम् प्रश्नानाम् उत्तराणि निम्नलिखितान् वर्णान्/पदान् दृष्ट्वा उचितं वा चित्वा लिखत।
(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर निम्नलिखित वर्णों को/पदों को देखकर अथवा उचित पदों/वर्णों को चुनकर लिखिए।
(Write the answers of the following questions in the proper place by the choosing of correct words/letters.)
(i) अ, इ, ए वर्णेषु कस्य वर्णस्य उच्चारणस्थानं कण्ठतालुः अस्ति?
(क) अ (ख) ए (ग) इ (घ) किमपि न
(ii) स्, श्, वर्णयोः कः वर्णः तालव्यः अस्ति?
(क) स् (ख) श् (ग) कोऽपि न
(iii) ह् वर्णस्य उच्चारणस्थानम् अस्ति-तालुः अथवा कण्ठः?
(क) कण्ठः (ख) तालुः (ग) किमपि न
(iv) ट्, त् वर्णयोः ……………. वर्णः दन्त्यः
(क) त् (ख) ट (ग) कश्चिदपि न
(v) उ, प्, म् वर्णेषु कः वर्णः नासिक्यः अस्ति?
(क) म् (ख) प् (ग) उ
(vi) ‘शरद्’ इत्यत्र केवलं ……………… वर्णस्य उच्चारणस्थानम् मूर्धा अस्ति।
(क) श् (ख) र (ग) द् (घ) अ (ब)
I. अधोलिखितेषु वर्णेषु उचितवणेन रिक्तस्थानपूर्तिः क्रियताम्।
(नीचे लिखे गए वर्गों में से उचित अक्षर से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए।)
(Fill in the blanks with suitable letters.)
(i) विद्वान् = व् + इ + द् + ………………. + आ + न्
(क) व (ख) व् (ग) वा (घ) द्व
(ii) श्रमः = ………………… + र् + अ + म् + अ + :
(क) श्र् (ख) श्र (ग) श् (घ) प्
II. अधोदत्तेषु वर्णेषु उचितैः वर्णैः वर्णान् संयोज्य रिक्तस्थानं पूरयत।
(नीचे दिए गए वर्गों में से उचित वर्णों द्वारा वर्णों को जोड़कर खाली स्थान भरिए।)
(Fill in the blanks by joining the letters by following the correct letters.)
(i) क् + ऋ + ष् + अ + क् + अः = ….. ……… षकः।
(क) क्र (ख) क् (ग) क्रु (घ) कृ
(ii) म् + अ + ञ् + ज् + अ + र् + ई = म ……………… जरी।
(क) ब (ख) ब् (ग) – (घ) म्
19. I. अधोलिखितानां वर्णानां समुचितम् उच्चारणस्थानं कोष्ठकात् चित्वा रिक्तस्थाने लिखता
(नीचे लिखे वर्णों के उचित उच्चारण स्थानों को कोष्ठक से चुनकर रिक्त स्थानों में लिखिए।)
(Write the proper pronunciation place of the following letters in the blanks after choosing them from the bracket.)
(i) ख् …………. (तालु:/कण्ठ:/नासिका)
(ii) ड् ………… (मूर्धा/ओष्ठौ/कण्ठः)
(iii) य् ……………….. (कण्ठः /तालुः/मूर्धा)
(iv) म् ……………. (कण्ठः ओष्ठौ/दन्ताः)
(v) ल् ………… (दन्तः:/कण्ठः/मूर्धा)
(vi) ह ………………… (औष्ठौ/कण्ठ:/नासिका)
II. अधोदत्तैः वर्ग: वर्णविन्यासे रिक्तस्थानं पूरयत।
(नीचे दिए गए वर्णों से वर्ण-विन्यास में रिक्त स्थान पूर्ति कीजिए।)
(Fill in the blanks with the arrangement of the letters by following the correct letters.)
(i) अ + ष् + ट् + आ + ध् + य् + आ + ………………. ई = अष्टाध्यायी।
(क) यी (ख) य् (ग) य (घ) यि
(ii) स् + अ + ……………….. + ज् + अ + न् + अ = सज्जनः।
(क) ज् (ख) ज (ग) जा (घ) त्
III. निम्नलिखितान् वर्णविन्यासान् दृष्ट्वा उचितेन विन्यासेन दत्तयोः पदयोः वर्णविन्यासं चित्वा लिखत।
(निम्नलिखित वर्ण-विन्यासों को देखकर उचित विन्यास द्वारा दिए गए पदों का वर्ण-विन्यास चुनकर लिखिए।)
(Give arrangement of letters of the following words.)
(i) धार्मिकः
(क) ध् + आ + म् + इ + र् + क् + अ + :
(ख) ध् + आ + र् + म् + इ + क् + अ + :
(ग) धा + र + मि + क् + अः
(घ) ध् + आ + म् + इ + क् + अ + :
(ii) क्षत्रियः
(क) क् + च् + अ + त् + र् + इ + य् + अ + :
(ख) क् + ष + र् + इ + त् + य् + अः
(ग) क्ष + त् + रि + य् + आ + :
(घ) क् + अ + त् + र् + इ + य् + अ + :