A Pact with the Sun Summary In English
Saeeda’s mother had been suffering from fever, cough, body pain and joint pain etc. A number of physicians treated her. The quacks forbade her normal food. They also advised her to remain in the closed room. They asked her to avoid both sunshine and fresh air. Their advice did not help her. In fact she needed sunshine and fresh air for good health.
Then people suggested that she should consult a specialist. She was poor. However, she knew that life was more precious than money. So she consulted a specialist. She sold her ornaments also to meet the expenditure on medicines. The specialist examined her. He prescribed effective but costly medicines. He allowed her to eat anything of her taste. He laid most importance on fresh air and sunlight. He advised her to shift in a big room with doors and windows open. He asked her to sit in the sunlight from eight to nine daily.
Some people opposed the specialist’s advice. Saeeda’s mother did not listen to their proposals. She got her bed moved to a bigger room. She desired to sit in the sun on her cot for an hour daily.
Unluckily, it remained cloudy for a few days. She started lamenting and complaining to God.
Saeeda saw a spot of pale sunshine late in the afternoon. The people forbade Saceda’s mother to bask in the sun. They told her that it was too late and chilly. Saeeda requested the departing rays of the sun to come the next day with enough warmth and brightness. The rays gave her the desired promise because her ailing mother needed their help.
Next day the rays were keen to go to the earth early in the morning. After all they had given a word to Saeeda. But the sun said. “It’s our day off again. The road to earth is blocked by the clouds”. The ray who had given its word to Saceda said, “Sir, I can’t stay back …… I’ll pierce the clouds to reach Saeeda’s courtyard.”
The sunrays revolted against the sun to keep their honour. They focused their heat and the clouds scattered. The sunrays reached the earth a bit late. Saeeda’s mother basked in the sun and breathed in fresh air. Her pale face glowed. The doctor’s advice had a magical effect on her. She is fully recovered now.
A Pact with the Sun Summary In Hindi
साईदा की अम्माँ, ज्वर, खांसी, शरीर-दर्द तथा जोड़ों के दर्द आदि से पीड़ित थी। अनेकों चिकित्सकों ने उसका उपचार किया। नीम-हकीमों ने उसका सामान्य भोजन भी बन्द कर दिया। उन्होंने उसे बन्द कमरे में रहने की सलाह भी दी। उन्होंने उसे धूप और ताजी हवा से बचने के लिए कहा। उनकी सलाह से उसे कोई लाभ नहीं हुआ। वास्तव में अच्छे स्वास्थ्य के लिए उसे धूप और ताजी हवा की आवश्यकता थी।
तब लोगों ने कहा कि वह किसी विशेषज्ञ की सलाह ले। वह गरीब थी। फिर भी वह जानती थी कि जीवन धन से अधिक कीमती है। अतः उसने किसी विशेषज्ञ से परामर्श किया। उसने अपने आभूषण भी बेच दिए ताकि दवाइयों पर किया गया खर्च वहन कर सके। विशेषज्ञ ने उसका निरीक्षण किया। उसने प्रभावकारी परन्तु महँगी दवाइयाँ निर्दिष्ट कीं। उसने उसे छूट दी कि वह अपनी रुचि के अनुसार कोई भी भोजन ले सकती थी। उसने सबसे अधिक महत्त्व ताजी हवा और धूप को दिया। उसने उसे सलाह दी कि वह अपनी जगह बदल कर किसी खुले दरवाजे और खिड़कियों वाले बड़े कमरे में जाये। उसने उसे सलाह दी कि वह धूप में आठ से नौ बजे तक प्रतिदिन बैठे।
कुछ लोगों ने विशेषज्ञ की नसीहत का विरोध किया। साईदा की अम्माँ ने उनके प्रस्तावों की ओर ध्यान नहीं दिया। उसने अपने पलंग को अधिक बड़े कमरे में डलवा लिया। वह प्रतिदिन एक घंटा अपनी चारपाई के ऊपर धूप में बैठना चाहती थी।
दुर्भाग्य से, कुछ दिनों तक बादल छाए रहे। वह विलाप करने और भगवान से शिकायत करने लगी।
मध्याह्न के बाद, साईदा को पीली धूप वाला कुछ स्थान नजर आया। लोगों ने साईदा की अम्माँ को धूप सेकने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि यह बड़ी देर का और अत्यधिक कँपकँपी लाने वाला समय है। साईदा ने सूर्य की बिछुड़ती हुई ‘किरणों से प्रार्थना की कि वे कल काफी गर्मी और रोशनी लेकर अवश्य आएँ। किरणों ने उसे मनचाहा वचन दिया क्योंकि उसकी बीमार अम्माँ को उनकी सहायता की आवश्यकता थी।
अगले दिन बड़े सवेरे किरणें पृथ्वी पर जाने के लिए उत्सुक थीं। आखिर उन्होंने साईदा को वचन दे रखा था। परंतु सूर्य ने कहा ” आज फिर हमारी छुट्टी है। धरती पर जाने का मार्ग बादलों ने रोक रखा है।” जिस किरण ने साईदा से वायदा कर रखा था वह बोली, ” श्रीमन्, मैं रुक नहीं सकती …… साईदा के आंगन में पहुँचने के लिए मैं बादलों को चीर दूंगी।”
किरणों ने अपने सम्मान को कायम रखने के लिए सूर्य के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। उन्होंने अपनी गर्मी को केन्द्रित किया और बादल छट (तितर-बितर हो) गए। सूर्य की किरणें थोड़ी देर से पृथ्वी पर पहुँचीं। साईदा की अम्माँ ने धूप का आस्वादन किया और स्वच्छ वायु में सांस लिया। उसका पीला चेहरा चमक उठा। डॉक्टर की नसीहत का उसके ऊपर चमत्कारी प्रभाव पड़ा। अब वह पूरी तरह से ठीक हो गई है।