A Gift of Chappals Summary In English
Soul of the Chapter (पाठ का सारांश)
Mridu goes to Rukku Manni’s House
Mridu is a young girl living with her grandmother Tapi and grandfather Thatha in Chennai. Mridu goes alongwith Tapi to her aunt Rukku Manni’s place one afternoon. There she meets her cousins Lalli, Ravi and Meena. Everyone at Rukku Manni’s house was glad to see Mridu. There was a thick bitter-berry bush in their backyard, Ravi took her beside that. There was small little kitten inside a torn football. The small creature was busy drinking milk that was kept inside a half-shell of a coconut.
The Kitten
Meena informed Mridu that they have found the kitten outside their house in the morning of that day. But, they must keep it as a secret otherwise the grandmother will leave their house immediately. Ravi was upset that they were being taught to be kind towards animals, but when he was trying to do so elders were screaming at them calling the kitten a dirty creature. His grandmother was suspicious while he was taking out milk for the kitten from kitchen. He had to drink more than half of the milk to make her believe that it was for him.
He also told Mridu that they have named the kitten as Mahendran. Mridu loved the name because it sounded real unlike those cute ones you keep for the kittens. Ravi further added that its complete name was Mahendravarma Pallava Poonai and M P Poonai in short.
He informed her he could make it from its fur that it was a fine breed cat, a close relative of lion family like the one that Pallava kings used in their emblem. To this Mridu giggled which instigated Ravi to prove his knowledge about the history further. On his school trip to Mahabalipuram he had seen statue of a lion and he firmly believes that it was the ancestor of that kitten. He proudly announced that his small kitten is the descendant of Mahabalipuram Rishi-Cat. He reminded Mridu of cats being worshipped in ancient Egypt. He believed it to be a descendant of cat godess, Bastet.
The ‘Kreech’ Noise
Ravi was busy in making all proud announcements about his kitten when a weird sound ‘Kreech…! came from the window. Mridu was shocked while Mahendran was frightened. Mahendran jumped with fear on a try or red chillies kept under the Sun for drying. With the “kreeching noise continuing on the background, Mridu enquired what it was? Ravi informed her that it was Lalli learning to play the violin. Mridu peeped from the window and she found Lalli was holding the violin in an awkward position sitting a bit away from her music teacher who had his back towards the window.
The teacher was bald with a fringe of oiled black hair falling around his ears. There was gold chain in the neck and a ring on this hand. He had a big toe with which he was thumping the ground. He was playing the notes perfectly on the violin while Lalli was struggling hard. His tracks were filled with melody while Lalli continued missing the not CS.
The Beggar
Children were having fun peeping from the window when Rukku Manni called Ravi to send the beggar away. She was fed up with the beggar coming to their place for a week now and wanted him to find another house. The beggar had made himself comfortable at the garden. He was leaning against the neem tree with his upper cloth spread under it. He was about to snooze when he heard Ravi asking him to leave. He was shocked hearing this and called for lady of the house. An irritated Rukku Manni told Ravi that there wasn’t anything left in the kitchen and asked the beggar not to come again.
Her voice was so loud that Ravi didn’t have to repeat her words to the beggar. The beggar told them that he would leave after taking rest for a while. It was too hot outside and there were blisters in his feet. The children were in pain seeing this and started making plans to give him chappals.
The Gift
Mridu remembered seeing a pair of old grey chappals while she had entered Ravi’s house. She asked Ravi whom they belonged to. Ravi took the chappals and gave it to the beggar and asked him not to come again. The beggar went away wearing the chappals and blessing the children. It was the time for the music teacher to leave. He was looking for his chappals. He called Lalli and they looked everywhere, but didn’t find them. Lalli informed Rukku Manni about it. Rukku Manni questioned the children if they had seen anyone picking up the chappals.
Rukku Manni was really angry and Mridu couldn’t control anymore. She told her that they have given the music teacher’s chappals to the beggar. Rukku Manni went inside and brought Gopu mama’s new chappals and gave them to the music teacher. The teacher was happy getting the new chappals, but still pretended as though it was tough for him to accept them.
Rukku Manni-the Loving Mother
The teacher called Ravi a monkey, an incarnation of lord Hanuman, which seemed clear that Rukku Manni didn’t like. She wanted the teacher to leave immediately.
After he left, she called the children home and offered them some snacks. She thanked God that go to office in chappals, but needed them after coming home immediately. She wondered what she will tell him giving a hint that she will take the blame on herself.
A Gift of Chappals Summary In Hindi
मृदु रुकू मणि के घर जाती है
मृदु एक युवा लड़की है, जो चेन्नई में अपने दादा था।था तथा दादी तापी के साथ रहती है। एक बार दोपहर में तापी के साथ मृदु अपनी चाची रुकू मणि के घर जाती है। वहाँ वह अपने चचेरे भाई-बहन लल्ली, रवि तथा मीना से मिलती है। रुकू मणि के घर पर मृदु को देखकर सभी खुश थे। रवि मृदु को घर के पिछवाड़े में ले गया, जहाँ पर एक कड़वे बेर की घनी झाड़ियाँ थीं। एक फटे हुए फुटबॉल के अंदर वहाँ पर एक छोटी-सी बिल्ली थी। वह छोटा-सा जीव दूध पीने में व्यस्त था, जो एक नारियल के आधे छिलके में रखा गया था।
बिल्ली
मीना ने मृदु को बताया कि उसे यह बिल्ली सुबह के समय घर के बाहर ही मिली थी, पर उन लागों को यह बात गुप्त रखनी थी, नहीं तो दादी घर से तुरंत चली जाती। रवि इस बात से दु:खी था कि बड़े लोग जानवरों पर दया दिखाने की सीख देते हैं, पर जब वह ऐसा करना चाहता था, तो बड़े लोग उस पर चिल्लाते और बिल्ली को एक गंदा जानवर कहते थे। उसकी दादी को तभी शक हो गया था, जब वह रसोइघर से बिल्ली के लिए दूध लेकर जा रहा था। यह विश्वास दिलाने के लिए दूध वह अपने लिए ले जा रहा है, उसे आधे से ज्यादा दूध स्वयं ही पीना पड़ा था।
उसने मृदु को बताया कि उन लोगों ने बिल्ली का नाम महेंद्रण रखा है। मृदु को यह नाम काफी पसंद आया, क्योंकि यह नाम सच्चा-सा लगता था और उन प्यारे नामों से बिल्कुल अलग था, जो लोग इस प्रकार के जानवरों के लिए रखते थे। रवि ने आगे बताया कि इसका पूरा नाम महेंद्र वर्मा पल्लव पूनाई है, जिसे संक्षेप में एमपी पूनाई बोला जाएगा। रवि ने मृदु को बताया कि उसने इसे यह नाम कैसे दिया था? उसने बताया कि इसके रोएँ से कहा जा सकता है कि यह एक उम्दा नस्ल की बिल्ली है तथा शेर के परिवार की करीबी संबंधी है। यह शेर वैसा ही है, जैसा पल्लव वंश के राजा अपने प्रतीक के तौर पर लगाया करते थे। इस पर मृदु खिलखिला कर हँसी, तो रवि थोड़ा उत्तेजित हो गया और उसे इतिहास के अपने ज्ञान को साबित करना पड़ा।
‘क्रोच’ की आवाज
रवि अपनी बिल्ली से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण घोषणाएँ कर ही रहा था कि तभी उसे एक अजीब-सी आवाज ‘क्रीच’ सुनाई दी। यह आवाज खिड़की की तरफ से आई थी और मृदु डर गई थी तथा महेंद्रण भी डर गया। डर की वजह से महेंद्रण उछल कर एक थाली पर चढ़ गया, जिसमें लाल मिर्च धूप में सुखाने के लिए रखी गई थीं। ‘क्रीच’ की आवाज के जारी रहने पर मृदु ने पूछा कि यह क्या है? रवि ने उसे बताया कि लल्ली वायलिन बजाना सीख रही है और यह आवाज वहीं से आ रही है। मृदु ने खिड़की से झाँककर देखा और पाया कि लल्ली ने वायलिन को अजीब तरीके से पकड़ रखा है और वह अपने संगीत के शिक्षक से थोड़ी दूर बैठी है, जिनकी पीठ खिड़की की ओर दिख रही है।
शिक्षक के सिर पर कुछ ही काले बाल बचे थे, जिनमें तेल लगा हुआ था और वह कानों तक लंबे थे। गले में सोने का हार तथा हाथ की अँगुली में एक अँगूठी भी थी। उनके पाँव का अँगूठा बड़ा था और वे इसे जमीन पर धीरे-धीरे पटक रहे थे। शिक्षक वायलिन पर बड़ी आसानी से धुन बजा रहे थे, जबकि लल्ली धुन बजाने के लिए संघर्ष कर रही थी। शिक्षक के गाने मधुरता से भरे हुए थे और लल्ली हर बार धुन सही नहीं बजा पा रही थी। अपने स्कूल की ओर से जब वह महाबलीपुरम की यात्रा पर गया था, तो उसने शेर की एक मूर्ति देखी थी और उसे पूरा यकीन था कि वही इस बिल्ली के पूर्वजों में से थी। उसने बड़े गर्व से यह घोषणा की, कि उसकी यह बिल्ली महाबलीपुरम के ऋषि-बिल्ली की वंशज है। उसने मृदु को यह बताया कि प्राचीनकाल में मिस्र में बिल्ली की पूजा की जाती थी। उसे विश्वास था कि यह बिल्ली की देवी बास्टेट की ही वंशज है।
भिखारी
बच्चे खिड़की से झाँकते हुए मजा कर रहे थे कि तभी माँ ने रवि को बुलाया और भिखारी को भगाने के लिए कहा। वह अब तंग आ गई थीं कि भिखारी हर सप्ताह उनके ही घर पर आता है और इसी वजह से वह चाहती थीं कि भिखारी अब कोई और घर खोज ले। भिखारी बगीचे में जाकर आराम से बैठ गया था। वह नीम के एक पेड़ के सहारे बैठा हुआ था उसमे अपने कपड़े को बिछा रखा था, वह झपकी लेने ही वाला था कि उसने रवि को उसे वहाँ से जाने को कहते हुए सुना। यह सुनकर वह आश्चर्य में पड़ गया तथा उसने उसी वक्त घर की मालकिन से मिलना चाहा। चिढ़ी हुई रुकू मणि ने रवि से कहा कि रसोइघर में खाने के लिए कुछ भी नहीं है तथा भिखारी को यहाँ दोबारा कभी न आने को कहा।
उनकी आवाज इतनी तेज थी कि रवि को वे शब्द भिखारी को बोलने की जरूरत नहीं पड़ी। भिखारी ने उन्हें बताया कि वह इस जगह पर थोड़ा आराम करके फिर वहाँ से चला जाएगा। बाहर बहुत तेज गर्मी है और उसके पैरों में फफोले हो गए हैं। ये सब देखकर बच्चे को बहुत अफसोस हुआ और उन्होंने उसे एक जोड़ी चप्पल उपहारस्वरूप देने का निर्णय किया।
उपहार
मृदु को ध्यान था कि जब वह रवि के घर पर आई थी, तो उसे घर के बाहर भूरे रंग की एक जोड़ी पुरानी चप्पल दिखी थी। उसने रवि से पूछा कि ये चप्पल किसकी हैं? रवि ने वे चप्पल उठाकर उस भिखारी को दे दी और उसे दोबारा यहाँ पर न आने को कहा। भिखारी चप्पल पहनकर वहाँ से उन बच्चों को आशीर्वाद देते हुए चला गया। अब संगीत शिक्षक के जाने का समय हो चुका था। वह अपनी चप्पल खोज रहा था। उन्होंने लल्ली को बुलाया और सभी मिलकर उसकी चप्पल को खोजने में लग गए, पर चप्पल कहीं भी नहीं मिली। लल्ली ने रुकू मणि को बताया, तो उन्होंने बच्चों से पूछा कि क्या उन्होंने यहाँ से किसी को चप्पल उठाते हुए देखा है।
रुकू मणि नाराज हो रही थी, तो मृदु अब और रुक नहीं पाई। उसने उन्हें बताया कि उन लोगों ने संगीत शिक्षक की चप्पल उस भिखारी को दे दी है। रुकू मणि अंदर गई और उन्होंने गोपू मामा की नई-सी चप्पल लाकर संगीत शिक्षक को दे दी। संगीत शिक्षक चप्पल पाकर खुश हुए, पर उन्होंने ऐसा दिखावा किया, मानो यह चीज उन्हें स्वीकार न थी।
रुकूमणि-एक प्यारी मम्मी
शिक्षक ने रवि को एक बंदर कहा, भगवान हनुमान की प्रतिकृति, जिससे स्पष्ट था कि रुकू मणि को यह पसंद नहीं आया था, उन्होंने शिक्षक को तुरंत वहाँ से जाने को कह दिया।
जब वह चले गए तो उन्होंने बच्चों को घर के अंदर बुलाया और उन्हें थोड़ा नाश्ता करने को दिया। उन्होंने भगवान का धन्यवाद किया कि गोपू मामा चप्पल पहनकर दफ्तर नहीं जाते हैं, पर दफ्तर से लौटकर उन्हें इसकी जरूरत होती है। उन्हें लग रहा था कि वे उन्हें क्या कहेगी और उन्होंने इस घटना का आरोप अपने ऊपर लेने का फैसला किया।