A Dog Named Duke Summary In English
Hooper used to be a highly motivated and result-oriented ‘hard-charging’ zone sales manager for a chemical company. An accident reduced him to a paralysed cripple. Despair had led him on to helplessness. But his dog Duke s re-entry into his life lifted his numb spirits. Duke taught and helped him to cope with the challenge and led him to accept the changed mode of life. Hooper could walk down on foot to his office. He was promoted to the Assistant National Sales Manager. But Duke, his beloved dog, who helped him to achieve his objectives step by step died in an accident.
A Favoured Young Man
In 1953, Hooper seemed to be a favoured and successful youngman. He was six-foot-one inch and always wore a broad smile over his face. He was of highly competitive nature. He had played on the university football team. He was a hard-charging zone sales manager for a chemical company. Everything was going fine for him.
A Car Accident
When he was driving home one autumn twilight, Hooper met with a terrible car accident. He was taken to the hospital with a subdural haemorrhage in the brain and his left side was completely paralysed. He couldn’t talk but only breathe and see. His vision was double. He remained on the critical list for a month. After the fifth week, some men from his company came to the hospital and told Hooper to take a year off. They promised to create a desk job for him at headquarters.
Reduced to a Paralysed Cripple
About six weeks after the accident, the hospital put him in a wheelchair. Everyday someone was working on his paralysed arm and leg. It was followed by baths, exercise and a wheeled walker. But Chuck Hooper didn’t make much improvement. In March, he was brought home. But here, Hooper hit a new low. His wife Marcy went to work. He was lonely and lost in his thoughts.
Re-entry of Duke
Finally, Duke was brought home from the kennel. As soon as he saw Hooper, he jumped and hit him above the belt. Chuck Hooper fought to keep his balance. The dog knew instantly that he had done a wrong thing and never jumped on Hooper again. He took up a post beside his master’s bed around the clock. The two stared at each other day in, day out. One couldn’t move and the other couldn’t talk. Duke finally couldn’t take this boredom. One evening Chuck’s good hand idly hooked the leash onto Duke’s collar. It was like lighting a fuse. He asked Marcy to help him to his feet. With Marcy supporting him by the elbow, he moved his right leg forward. Straightening his right leg caused the left foot to drag forward, alongside the right. It could be called a ‘step’.
Duke and Chuck Hooper Take Short Steps and Walk
With Hooper’s standing, the dog walked to the end of the leash and tugged steadily. Four so called ‘steps’ they took that day. Leaning back against the pull, Hooper learned to keep his balance without Marcy. Within two weeks, they reached the front porch. By mid-April the neighbours saw the dog pull his leash taut then stand and wait. The man would drag himself abreast of the dog. Then the dog would go to the end of the leash and wait again. The pair set daily goals; Monday, the sixth fence post, Tuesday, the seventh fence post, Wednesday… Then a course of physio-therapy started. On June 1, Hooper and Duke made it to an intersection quite far away. Soon Duke began campaigning for two trips a day. On January 4, Hooper walked 200 metres from the clinic to the local branch office of his company.
Hooper Sets His Objective
No one believed that a man who couldn’t walk properly and working only an hour a day would set his objective as soon. Hooper declared that from March 1, he would do a full day’s work. Chuck Hooper hit the target. He had no time after March 1 for the physiotherapy programme. He turned completely to Duke. Duke pulled him along the street faster and faster, increasing his stability and endurance. After 13 months, Chuck Hooper was promoted to Assistant National Sales Manager.
Death of Duke
On the evening of October 12,1957, the Hoopers had guests. Suddenly Chuck heard the screech of brakes outside. Instinctively, he looked for Duke. He had been run over. He was taken to the animal hospital. Duke was drugged but he couldn’t survive. A few weeks ago, Hooper was promoted to Assistant National Sales Manager. An order came from the chemical company’s headquarters which was worded as if it was a special tribute to Duke. “ ……… therefore, to advance our objectives step by step, Charles Hooper is appointed Assistant National Sales Manager.”
A Dog Named Duke Summary In Hindi
चहेता नवयुवक
वर्ष 1953 में Hooper एक चहेता और कामयाब नवयुवक था। वह 6’1″ का आदमी था और अपने चेहरे पर सदैव एक चौड़ी मुस्कान बिखेरे रखता था। वह अत्यंत प्रतियोगी स्वभाव का था। वह विश्वविद्यालय की फुटबाल टीम में खेल चुका था। वह एक रासायनिक कम्पनी के लिए एक जुझारु मंडलीय विक्रय प्रबंधक था। उसके लिए हर चीज ठीक चल रही थी।
एक कार दुर्घटना
जब वह गाड़ी चला कर घर आ रहा था, तो उसके साथ एक भयंकर कार दुर्घटना हो गयी। दिमाग में खून के रिसने के कारण उसे हस्पताल ले जाया गया और उसके शरीर का बायां पक्ष पूर्ण रुप से पक्षाघात का शिकार हो गया। वह बातचीत नहीं कर सकता था परन्तु केवल साँस ले सकता और देख सकता था। उसकी दृष्टि दोहरी हो गयी थी। एक महीने तक उसकी स्थिति नाजुक बनी रही। पाँचवें सप्ताह के बाद उसकी कम्पनी के कुछ लोग हस्पताल आये और उन्होंने Hooper को एक साल की छुट्टी लेने को कहा। उन्होंने उसके लिये मुख्यालय में एक डेस्क-जॉब स्थापित करने के लिये भी कहा।
एक पक्षाघातग्रस्त अपंग के रूप में
दुर्घटना के लगभग छ: महीने पश्चात हस्पताल ने उसे एक पहियों वाली कुर्सी में डाल दिया। रोज कोई व्यक्ति उसके पक्षाघात से पीड़ित भुजा और टांग पर काम करता था। उसके बाद उसे स्नान, व्यायाम और पहियों वाला वाकर (चलने वाला) से चलवाया जाता। लेकिन Chuck Hooper को कोई विशेष लाभ नहीं हुआ। मार्च में उसे घर लाया गया। लेकिन यहां Hooper की हालत और खराब हो गयी। उसकी पत्नी Marcy काम पर चली जाती थी। घर पर वह अकेला रह जाता था और अपने विचारों में खो जाता था।
Duke का पुनः प्रवेश
अन्ततः Duke को कुत्ता-घर से घर लाया गया। जब उसने Hooper को देखा तो उसने छलांग लगायी और उसके पेटी के ऊपर जा टकराया। कुत्ते को क्षण भर में ही अहसास हो गया कि उसने गलती कर दी है और फिर वह कभी भी Hooper पर नहीं कूदा। उसने अपने मालिक के बिस्तर के चारों ओर रहने के काम को अपना लिया। वे दिन-रात एक दूसरे को घूरते रहते थे। एक तो चल नहीं सकता था और दूसरी बातचीत नहीं कर सकता था। Duke अन्ततः इस उबन को सहन नहीं कर सकता था। एक दिन Chuck के ठीक हाथ ने Duke के गले में पट्टे को टांग दिया। यह एक फ्यूज को जलाने के समान था। उसने अपने आप को अपने पैरों पर खड़ा करवाने के लिये Marcy से कहा। Marcy द्वारा उसे अपनी कोहनी द्वारा सहारा देने के पश्चात, उसने अपनी दायीं टांग आगे बढ़ायी। उसने दायीं टांग को सीधा करते हुए बायीं टांग को आगे की ओर खींचा। इसे एक कदम’ कहा जा सकता था।
Duke और Chuck Hooper छोटे कदम लेकर
चलते हैं। Hooper के खड़ा हो जाने के उपरांत, कुत्ता पट्टे के एक सिरे तक जाता और धीरे से उसे अपनी ओर खींचता। उस दिन उन्होंने इस प्रकार के चार कदम पूरे किये। खींचाव के सहारे झुककर Hooper ने Marcy बिना अपना सन्तुलन बनाना सीख लिया। दो सप्ताह के भीतर वे अगली बरसाती तक पहुँच गये। अप्रैल महीने के मध्य तक पड़ोसियों ने कुत्ते को अपनी पट्टी सीधे खींचते और फिर खड़ा होकर प्रतीक्षा करते देखा। आदमी अपने को कुत्ते के बराबर घसीटता। फिर कुत्ता पट्टी के सिरे तक जाता और फिर से उसकी प्रतीक्षा करता। दोनों ने अपने रोज के लक्ष्यों को निर्धारित कर रखा था। सोमवार को बाड़ के छठे खम्बे तक जाना, मंगलवार को बाड़ के सातवें खम्बे तक, बुधवार…. फिर भौतिक चिकित्सा का उपचार प्रारम्भ हुआ। एक जून को Hooper और Duke ने एक दूर के चौराहे तक का रास्ता चलकर तय किया। शीघ्र ही Duke एक दिन में दो यात्राओं की सफर करने लगा। 4 जनवरी को Hooper क्लीनिक से लेकर अपनी कम्पनी के स्थानीय शाखा तक 200 मीटर चलकर गया।
Hooper अपना लक्ष्य निर्धारित करता है।
कोई भी यह विश्वास नहीं करता था कि वो आदमी जो ठीक ढंग से चल भी न सकता हो और एक घंटे ही दिन में काम करता हो, अपना लक्ष्य इतना शीघ्र निर्धारित कर देगा। Hooper ने घोषणा की कि 1 मार्च से वह पूरा दिन काम करेगा। Chuck Hooper ने यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया। 1 मार्च के बाद Hooper के पास भौतिक चिकित्सा के लिये कोई भी समय नहीं था। वह पूर्ण रूप से Duke के भरोसे हो गया। वह उसे सड़क पर तेजी से खींचता और उसके सन्तुलन और सहनशक्ति में वृद्धि होने लगी। 13 महीने के बाद, Chuck Hooper की पदोन्नति सहायक राष्ट्रीय सेल्स प्रबंधक के रूप में हुआ और उसके अधीन चार राज्य से भी अधिक क्षेत्र थे।
Duke की मृत्यु
12 अक्टूबर 1957 को Hooper के परिवार में मेहमान आ गये। अचानक Chuck ने बाहर ब्रेक लगने की जोर की आवाज को सुना। सहज भाव से उसने Duke को खोजा। वह कुचला गया था। उसे जानवरों के हस्पताल में ले जाया गया। Duke को दवाएँ दी गयीं। लेकिन वह बच नहीं पाया। कुछ सप्ताह पहले Hooper की सहायक राष्ट्रीय सेल्स मैनेजर के रूप में पदोन्नति कर दी गयी। कम्पनी का आदेश इस प्रकार लिखा गया था जैसे वह Duke के प्रति एक विशेष श्रद्धांजलि हो : ‘… इसीलिये, हमारे लक्ष्यों की ओर कदम-दर-कदम अग्रसर होते, Charles Hooper को सहायक राष्ट्रीय सेल्स मैनेजर नियुक्त किया जाता है।”